अमरकांत की कहानी-कला | राष्ट्रीय चेतना और जिस लाहौर नइ देख्या ओ जम्याइ नई

अमरकांत की कहानी-कला | राष्ट्रीय चेतना और जिस लाहौर नइ देख्या ओ जम्याइ नई अमरकांत की कहानी-कला अमरकांत को प्रेमचंद की परंपरा का सच्चा उत्तराधिकारी माना जाता है। प्रेमचंद के समान ये भी सीधे जन-सामान्य से जुड़े हुए कलाकार हैं। इन्होंने अपनी कहानियों में मध्य वर्ग के व्यक्ति की पीड़ा, लाचारी और जिजीविषा कोपूरी शक्ति…

हिंदी-साहित्य में ‘आत्मकथा’ के स्वरूप एवं विकास | हिंदी-साहित्य में संस्मरण के स्वरूप और विकास

हिंदी-साहित्य में ‘आत्मकथा’ के स्वरूप एवं विकास | हिंदी-साहित्य में संस्मरण के स्वरूप और विकास हिंदी-साहित्य में ‘आत्मकथा’ के स्वरूप एवं विकास ‘आत्मकथा’ हिंदी साहित्य की अधुनातन किंतु सशक्त गद्य-विधा है। गद्य अन्य नवीन विधाओं की ही तरह ‘आत्मकथा’ का विकास भी आधुनिक काल की देन है। आत्मकथा ‘जीवनी’ से मिलती-जुलती एक सरस संस्मरणात्मक विधा…

उपन्यास और कहानी | उपन्यास और नाटक | हिंदी-साहित्य में रिपोर्ताज’ के स्वरूप एवं विकास

उपन्यास और कहानी | उपन्यास और नाटक | हिंदी-साहित्य में रिपोर्ताज’ के स्वरूप एवं विकास उपन्यास और कहानी उपन्यास और कहानी दोनों एक ही कुल की दो संतानें हैं। अधिकांश उपन्यासकारों ने कहानियाँ भी लिखी है और कहानी संक्षिप्त होती है। लेकिन दोनों में मात्र इतना ही भेद मानना उचित नहीं है। इस एक प्रमुख…

अश्क जी का कहानी साहित्य में योगदान | निबंधकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल

अश्क जी का कहानी साहित्य में योगदान | निबंधकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल अश्क जी का कहानी साहित्य में योगदान उपेंद्रनाथ अश्क कहानी की मुख्य धारा में न होने पर भी इस क्षेत्र में शायद सबसे अधिक सक्रिय दिखाई देते हैं। वे पंजाबी और उर्दू की पृष्टभूमि के साथ हिंदी में आये। अपने आरंभिक काल  में…

निर्मला उपन्यास का उद्देश्य | निर्मला उपन्यास की भाषा | निर्मला का चरित्र चित्रण

निर्मला उपन्यास का उद्देश्य | निर्मला उपन्यास की भाषा | निर्मला का चरित्र चित्रण निर्मला उपन्यास का उद्देश्य उपन्या सम्राट प्रेमचंद जी ने ‘निर्मला’ उपन्यास की कोई भूमिा नहीं लिखी थी। जिससे उनके इस उपन्यास के लेखन के उद्देश्यों की जानकारी मिलती हो। आशय यह है कि प्रेमचंद जी ने अपने इस उपन्यास के लेखन…

‘तौलिये’ एकांकी का साराश | उपेन्द्रनाथ अश्क द्वारा रचित एकांकी तौलिये’ की कथावस्तु

‘तौलिये’ एकांकी का साराश | उपेन्द्रनाथ अश्क द्वारा रचित एकांकी तौलिये’ की कथावस्तु ‘तौलिये’ एकांकी का साराश कथानक- वसन्त इस समय तो एक फर्म का मैनेजर है तथा ठाट-बाट से रह रहा है, वैसे वह गरीबी में पला है। वे छह भाई थे और उनके बीच एक ही तौलिया थी। उसी से सब भाई शरीर…

उपेन्द्रनाथ अश्क की एकांकी कला की विशेषताएं | उपेन्द्र नाथ अश्क की एकांकी तौलिये | एकांकीकार के रूप में उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’ का संक्षिप्त परिचय

उपेन्द्रनाथ अश्क की एकांकी कला की विशेषताएं | उपेन्द्र नाथ अश्क की एकांकी तौलिये | एकांकीकार के रूप में उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’ का संक्षिप्त परिचय उपेन्द्रनाथ अश्क की एकांकी कला की विशेषताएं हिन्दी एकांकी और उपेन्द्रनाथ अश्क’- उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’ बहुमुखी प्रतिभा के धनी साहित्यकार हैं, किन्तु कहानी और नाटक दो विधाओं के क्षेत्र में वे अधिक…

एकांकी कला की दृष्टि से ‘उत्सर्ग’ का मूल्यांकन | रामकुमार वर्मा की एकांकी उत्सर्ग | एकांकी कला की दृष्टि से डॉ. रामकुमार वर्मा कृत ‘उत्सर्ग’ एकांकी का मूल्यांकन

एकांकी कला की दृष्टि से ‘उत्सर्ग’ का मूल्यांकन | रामकुमार वर्मा की एकांकी उत्सर्ग | एकांकी कला की दृष्टि से डॉ. रामकुमार वर्मा कृत ‘उत्सर्ग’ एकांकी का मूल्यांकन एकांकी कला की दृष्टि से ‘उत्सर्ग’ का मूल्यांकन डॉ. रामकुमार वर्मा हिन्दी साहित्य के ख्यातिलब्ध एकांकीकार है, उन्होंने ऐतिहासिक और सामाजिक नाटक लिखे हैं लेकिन ऐतिहासिक नाटक…

व्यक्तिगत एकांकी की व्याख्या | लक्ष्मीनारायण लाल की एकांकी व्यक्तिगत

व्यक्तिगत एकांकी की व्याख्या | लक्ष्मीनारायण लाल की एकांकी व्यक्तिगत व्यक्तिगत एकांकी की व्याख्या जो चीज मुझे पसन्द है, वह मेरी है। पसंद का संबंध इच्छा से है। इच्छा प्रकृति का गुण है। इच्छा को रोकना प्रकृति के उसूलों के खिलाफ है। इससे खामखा तनाव पैदा होता है और अनेक मानसिक समस्याओं के जाल में…