गुल्येल्मो मार्कोनी | Guglielmo Marconi in Hindi
गुल्येल्मो मार्कोनी | Guglielmo Marconi in Hindi
बेतार के तार का जन्म गुल्येल्मो मार्कोनी। कुछ ही व्यक्ति ऐसे होते हैं जो यौवन मे प्रवेश करने के साथ ही प्रसिद्धि की चरम पर पहुंच जाते हैं। मार्कोनी उन्ही सौभाग्यशाली व्यक्तियों में से थे परंतु आरंभ में उन्हें भी अनके कठिनाइयों का सामना करना पडा।
गुल्येल्मो मार्कोनी का जन्म 1874 में उत्तरी इटली के बोलोना नामक नगर मे हुआ था । वह बिजली के इंजीनियर थे। उन्हें धुन थी कि तारों के बिना एक स्थान से दूसरे स्थान पर सन्देश भेजे जाएं। 19 वीं शताब्दी के अंतिम चरण तक एक स्थान से दूसरे स्थान तक सन्देश भेजने का साधन या तो टेलीफोन था या टेलीग्राफ। इनमें तार प्रयुक्त होते थे। यह काम महंगा भी था और कष्टसाध्य भी। उस समय जर्मनी में हेनरिख हर्ट्ज नामक एक वैज्ञानिक ने खोज की थी कि बिजली के स्पार्क के कारण वायु में ऊर्जा तरंगें चलती हैं। उसने इन तरंगों का नाम ‘रेडियो तरंग’ रखा था। मार्कोनी ने इस काम को आगे बढ़ाकर उनसे सन्देश भेजने का उपाय सोचा।
उनहोंने यंत्र बनाया- एक संदेश भेजने और दूसरा संदेश ग्रहण करने के लिए; एक था ट्रांसमीटर और दूसरा था रिसीवर। दो तीन कि. मी. तक बिना तारों के उन्होंने संदेश भेजने का प्रदर्शन किया परंतु इटली में किसी ने उनके काम को नहीं सराहा। 1896 में वह लंदन आ गए और अपने यंत्रों को और सुचारु रुप से काम करने के लिए सुधारा। ब्रिटिश नौ सेना उन यन्नों की सहायता से 120 कि. मी. तक रेडियो सदेश भेजने लगी। गुल्येल्मो मार्कोनी इतने कार्य से संतुष्ट न थे। उन्होंनें निश्चय किया कि वह महासागर के पार तक की दूरी पर संदेश भेजेंगे। अनेक वैज्ञानिकों का विश्वास था कि रेडियो तरंगें सीधी चलती हैं। उनका तर्क था कि चूंकि पृथ्वी गोल है अतः रेडियो तरंगें उसके दूसरी ओर न जाकर अंतरिक्ष में लोप हो जाएंगी- परंतु मार्कोनी का विश्वास था कि वह अपने ध्येय में सफल होगा। उसने 1901 में उत्तरी अमेरिका के न्यू फाउण्डलैण्ड द्वीप से अतलांटिक के परे धुर दक्षिण पश्चिम कोण पर स्थित इंण्लेष्ड के कार्नवाल नामक स्थान पर वायरलैस संदेश भेजने मे सफलता प्राप्त की। उसका विश्वास था कि रेडियो तरंगें ऊपर के वायू-मंडल से तिरछा होकर फिर पृथ्वी की ओर प्रतिबिंबित होती हैं।
इस समय गुल्येल्मो मार्कोनी की आयु केवल 27 वर्ष थी। वह इस आयु में संसार भर में प्रसिद्ध हो गए थे और उन्होंने इस बात की संभावनाएं पैदा कर दी थीं कि रेडियो तरंगों द्वारा संसार के किसी भी कोने में संपर्क स्थापित किया जा सकता है। आज विश्व भर में रेडियो का जाल फैला है- शायद ही कोई देश हो जो इसका उपयोग न करता हो। इस महान वैज्ञानिक का 1937 में निधन हुआ।।
प्रसिद्ध वैज्ञानिक – महत्वपूर्ण लिंक
- होमी जहांगीर भाभा (Homi J. Bhabha)
- विल्हेल्म कोनराड रॉन्टजन (Wilhelm Conrad Rontgen)
- डॉ० शान्ति स्वरूप भटनागर Shanti Swaroop Bhatnagar
- एडवर्ड जेनर Edward Jenner
- हेनरी फॉक्स टालबोट Henry Fox Talbot
- डॉ० मेघनाद साहा Meghnad Saha
- दिमित्री मेंडेलीव Dmitri Mendeleev
- चार्ल्स डार्विन Charles Darwin
- माइकल फैराडे Michael Faraday
- हम्फ्रे डेवी Humphry Davy
- एलेजान्द्रों वोल्टा Alessandro Volta
- जान डाल्टन John Dalton
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