मानव एवं पर्यावरण के मध्य गत्यात्मक संबंध की व्याख्या | मानव भूगोल और प्राकृतिक विज्ञान | मानव भूगोल और मानवीय विज्ञान
मानव एवं पर्यावरण के मध्य गत्यात्मक संबंध की व्याख्या | मानव भूगोल और प्राकृतिक विज्ञान | मानव भूगोल और मानवीय विज्ञान
मानव एवं पर्यावरण के मध्य गत्यात्मक संबंध की व्याख्या
मानव भूगोल का सम्बन्ध अन्य ऐसे विज्ञानों से है, जो प्राकृतिक वातावरण और सांस्कृतिक वातावरण के तत्वों का अध्ययन करते हैं। जिनका संक्षिप्त परिचय नीचे दिया गया है-
मानव भूगोल और प्राकृतिक विज्ञान
(Human Geography and Natural Science)
मानव भगोल और भौमिकी (Geology)- भिन्न-भिन्न प्रदेशों जैसे-पर्वतों, पठारों, झीलों, मैदानों, घाटियों, सागर तटों, द्वापों आदि के प्राकृतिक संसाधनों में शैलों व पदार्थों का मुख्य स्थान होता है, इसलिये मानव भूगोल में दोनों प्रकार के तत्वों, अर्थात्-(क) भूमि की बनावट और भू आकृतियों तथा (ख) शैलों और पदार्थों का अध्ययन होता है, जो भौमिकी का विषय है। इसलिये मानव भूगोल का भौमिकी से सम्बन्ध है।
मानव भूगोल और मौसम विज्ञान (meteorology) तथा जलवायु विज्ञान (Climatology ) – मनुष्य के भोजन, वस्त्र, मकान आदि किस प्रकार के होंगे और वह किन फसलों की खेती कर सकता है, वह कहाँ पर अधिक स्वास्थ्यपूर्ण और संविधापूर्वक जीवन विता सकता है-इन सब बातों को निश्चिय करने में जलवायु का मुख्य प्रभाव होता है। मनुष्य हर रोज की क्रियाओं पर तापमान, आर्द्रता एवं मौसम आदि का बड़ा प्रभाव होता है। जलवायु के अनुसार ही विभिन्न प्रदेशों में वनस्पति और जीव-जन्तु मिलते हैं। इसीलिये मानव भूगोल के अध्ययन में मौसम और जलवायु का विश्लेषण आधारभूत होता है। इस प्रकार मानव भूगोल का सम्बन्ध मौसम विज्ञान और जलवायु विज्ञान से बहुत गहरा है।
मानव भूगोल और मृदा-विज्ञान (Paedology or soil science)- संसार भर के सभी मनुष्यों को भोजन मिट्टी से प्राप्त होता है, क्योंकि मनुष्य या तो शाकाहारी होता है अथवा माँसाहारी। जिनका भोजन शाकाहार है, उनके लिये खेती की फसलें और बगीचों के फल सब मिट्टी से ही उपजते हैं। माँसाहारी मनुष्यों का भोजन जिन पशुओं से प्राप्त होता है, वे पशु धास, आदि वनस्पति खाते हैं और वन वनस्पति मिट्टी में उगती है। अतः सभी मनुष्यों को भोजन प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मिट्टी से ही मिलता है। कम उपजाऊ मिट्टी को मनुष्य खाद देकर उर्वरा (Fertile) बनाता है और खेती की फसलों के हेर-फेर से तथा अन्सय प्रकार से मिट्टी के उपजाऊपन को कायम रखता है। मिट्टियों का अध्ययन मानव भूगोल का तथा मूल रूप में मृदा- विज्ञान (Paedology) का विषय है, इसीलिए मानव भूगोल का मृदा-विज्ञान से ही घनिष्ठ सम्बन्ध है।
मानव भूगोल और पादप-पारस्थितिकी (Plant ecology)- मनुष्य के जीवन में वनस्पति का महत्त्वपूर्ण स्थान है। वनों से केवल मकान बनाने की लकड़ी और जलाने को ईंधन ही नहीं मिलता वरन् बहुत से उद्योगों के लिये अनेक प्रकार के कच्चे माल भी मिलते हैं। वनों के द्वारा जहाँ नदियों में बाढ़ का प्रकोप कम होता है, वहीं मिट्टी का कटाव भी रुकता है। वनों व घास के मैदानों से मनुष्य को बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन प्राप्त होते हैं। मानव भूगोल में वनस्पति के प्रदेशों को पढ़ते हैं, इसलिये मानव भूगोल का सम्बन्ध पादप-पारिस्थतिकी से रहता है।
मानव भूगोल और प्राणि परिस्थितिकी (Animal ecology)– पालतू पशुओं का मनुष्य के जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान है। पशुओं से मनुष्यों को दूध, मक्खन, माँस, ऊन, चमड़ा, आदि वस्तुएं मिलती है; और पशुओं को खेती करने, सामान ढोने तथा यात्रा करने के लिये प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा कुत्ते, इत्यादि पशुओं को मनुष्य अपने चौकीदार तथा अंगरक्षक या सहचर के रूप में पालता है। आर्थिक जीविकोपार्जन के अलावा मनुष्य के सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भी पशुओं का मनुष्य से गहरा सम्पर्क रहता है। इसीलिये मानव भूगोल का प्राणि-पारिस्थितिकी से सम्बन्ध है।
मानव भूगोल और जलविज्ञान (Hydrology) तथा समुद्रविज्ञान (Oceanography) – प्राकृतिक संसाधनों में जल का महत्व केवल मनुष्य और पशुओं के पीने के लिये ही नहीं, वरन् सिंचाई और जल-विद्युत उत्पादन, मछली पालन, नौ-परिवहन, आदि के लिये भी है। प्राचीन काल में मानव सभ्यता का विकास नदियों और झीलों के किनारे ही शुरू हुआ था, और वर्तमान काल में भी इसका पूरा महत्व है। किसी प्रदेश के सिंचाई साधनों और जल-शक्ति की क्षमता तथा विकास की मात्रा का अध्ययन भी मानव भूगोल में होता है, इसलिये इसका सम्बन्ध जल-विज्ञान से है।
मानव भूगोल और गणित (Mathematics)- मानव भूगोल में विभिन्न प्रदेशों का अध्ययन होता है। पृथ्वी पर किसी प्रदेश की भौमितीय स्थिति (Geometrical position) जानना जरूरी होता है, जिसको अक्षांशों और देशान्तरों के अंशों द्वारा व्यक्त किया जाता है। इसके अलावा उन प्रदेश की भौगोलिक स्थिति (Location), क्षेत्रफल और आकृति का भी अध्ययन किया जाता है, क्योंकि इन सभी तत्वों का प्रभाव मानवीय उन्नति पर होता है। इन तत्वों का अध्ययन गणित के अन्तर्गत होने से मानव भूगोल के साथ सम्बन्ध रहता है।
मानव भूगोल और सांख्यिकी (Statistics)- मानव भूगोल में विभिन्न प्रदेशों की जनसंख्या, उसकी वृद्धि, वितरण और शक्ति, आदि का अध्ययन होता है। प्रजातियों व राष्ट्रों की जनांकिक (Demography) का उल्लेख मानव भूगोल में तथा सांख्यिकी में होता है। वातावरण के संसाधिनों की मात्राओं का मापन और सांस्कृतिक तथ्यों का मापन करते समय मानव भूगोल में सांख्यिकी का प्रयोग किया जाता है। मानव भूगोल के अध्ययन में नमूना-विधि अर्थात् प्रतिदर्शी-विधि (Sampling methods) को और सामाजिक मापदण्डों (Sociometric scales) को प्रयोग करते हैं। ये विधियाँ सांख्यिकी की अंग हैं, इसलिए मानव भूगोल का सांख्यिकी से गहरा सम्बन्ध है।
मानव भूगोल और मानवीय विज्ञान
(Human Geography and Human Science)
मानव भूगोल और मानव विज्ञान (Anthropology)- मानव भूगोल और मानव विज्ञान दोनों ही विषयों में मनुष्य की प्रजातियों (Rases) का अध्ययन किया जाता है। मनुष्यों की शारीरिक बनावट और जैविक लक्षणों (Biological traits) के आधार पर भिन्न-भिन्न प्रजाति का वर्गीकरण होता है और विभिन्न प्रदेशों की जनसंख्या में इव वर्गों का विचार किया जाता है। अतः दोनों ही विज्ञान एक दूसरे से सम्बन्धित हैं।
मानव भूगोल और अर्थशास्त्र (Economics)- मनुष्य ने वातावरण के संसाधनों का उपयोग करके किस-किस प्रदेश में कौन-कौन से आर्थिक व्यवसाय अपनाये हैं, इन बातों का अध्ययन मानव भूगोल में होता है। खेती, पशु-चारण, वन उद्योग, निर्माण उद्योग, परिवहन, वाणिज्य, आदि का अध्ययन मानव भूगोल तथा अर्थशास्त्र दोनों में ही होता हैं इसीलिये दोनों विषयों का आपस में गहरा सम्बन्ध है।
मानव भूगोल ओर पुरातत्व विज्ञान (Archaeology) तथा इतिहास (History) – मानव भूगोल में मानवीय सभ्यता और उन्नति के विकास के कालिक-अनुक्रम (Temporal succession) को समझा जाता है, अर्थात् इन बातों का अध्ययन किया जाता है कि किस-किस युग में किसी प्रदेश में निवास करने वाली जनता ने कितनी-कितनी सांस्कृतिक और तकनीकि उन्नति की थी। पुरातत्व विज्ञान तथा इतिहास भी विभिन्न युगों में मानव सभ्यता के विकास का परिशीलन करते हैं, इसलिये मानव भूगोल का इनसे सम्बन्ध है।
मानव भूगोल और सैन्य विज्ञान (Military science)- विभिन्न राष्ट्रों की सीमाओं, क्षेत्रफलों, भौगोलिक संसाधनों और उनकी जन-शक्ति तथा सुरक्षा का अध्ययन मानव भूगोल तथा सैन्य विज्ञान दोनों में ही होता है। युद्ध के मोर्चों के लिये विभिन्न वातावरण के क्षेत्रों में, जैसे- घाटियों, पहाड़ों, जंगलों और मैदानों में भिन्न-भिन्न प्रकार की परिस्थितियाँ मिलती हैं। सैन्य विज्ञान प्रदेशों की जलवायु और वनस्पति आदि का भी ज्ञान कराया जाता है। शत्रु या मित्र देशों की जनसंख्या, रीति-रिवाजों ओर सभ्यताओं का ज्ञान भी सैनिकों को दिया जाता है। अतः दोनों विज्ञानों में गहरा सम्बन्ध है।
मानव भूगोल और राजनीतिक विज्ञान (Political science)- दोनों ही विज्ञानों के अन्तर्गत विभिन्न प्रदेशों या राष्ट्रों की शासन-प्रणालियों और सरकारों का अध्ययन होता है। मानव भूगोल में भू-राजनीति (Geopolitics) और अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों (International contacts) का भी अध्ययन होता है। अतः ये आपस में सम्बन्धित हैं।
स्पष्ट है कि मानव भूगोल का सम्बन्ध प्रमुखतः छः प्राकृतिक विज्ञानों और छः सांस्कृतिक विज्ञानों से हैं। जो विषय मूल रूप से या विस्तारपूर्वक उन दूसरे विज्ञानों के क्षेत्र में आते हैं, वे मानव- पारिस्थितिक-समयोजन (Environmental adjustment) की दृष्टि से व्यावहारिक (Applied) रूप में मानव भूगोल में अध्ययन किये जाते हैं। इस प्रकार मानव भूगोल एक संयुक्त विज्ञान है।
भूगोल – महत्वपूर्ण लिंक
- मानव भूगोल का अर्थ | मानव भूगोल की परिभाषा | मानव भूगोल का उद्देश्य | मानव भूगोल का विषय-क्षेत्र | मानव भूगोल के अध्ययन का महत्त्व
- जीन ब्रून्स के अनुसार मानव भूगोल की विषय-वस्तु | मानव भूगोल की विषय-वस्तु में जीन बून्स का योगदान | जीन बून्स के अनुसार मानव भूगोल के क्षेत्र | मानव भूगोल के उद्भव एवं विकास का वर्णन
- मानव भूगोल के विकास में जर्मन भूगोलवेत्ताओं का योगदान | रैटजेल का मानव भूगोल में योगदान
- बीसवीं शताब्दी में मानव भूगोल का विकास | मानव भूगोल में जर्मन भूगोलवेत्ताओं का योगदान | मानव भूगोल में फ्रांसीसी भूगोलवेत्ताओं का योगदान| मानव भूगोल में अमेरिका भूगोलवेत्ताओं का योगदान | मानव भूगोल में ब्रिटिश भूगोलवेत्ताओं का योगदान
- निश्चयवाद एवं नवनिश्चयवाद की संकल्पना | निश्चयवाद की संकल्पना | नवनिश्चयवाद की संकल्पना | निश्चयवाद और नवनिश्चयवाद की संकल्पनाओं की आलोचनात्मक व्याख्या
- सम्भववाद | सम्भववादी विचारधारा की आलोचना | सम्भववाद की संकल्पना के गुण-दोषों का परीक्षण
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