समाज शास्‍त्र / Sociology

नगर की अवधारणा | नगरों के प्रकार | नगरों के विभिन्न प्रकारों का वर्णन

नगर की अवधारणा | नगरों के प्रकार | नगरों के विभिन्न प्रकारों का वर्णन | Concept of city in Hindi | Types of cities in Hindi | Description of different types of cities in Hindi

नगर की अवधारणा

सामान्यतः नगर का अभिप्राय ऐसे स्थान से है जहाँ अनेक व्यक्ति एक दूसरे के निकट पक्के मकानों में रहते हों, जहाँ यातायात एवं परिवहन की सुविधाएं उपलब्ध हो जहाँ विभिन्न प्रशासनिक कार्यालय हों, शिक्षण संस्थाएँ हों, अधिकांश लोक द्वितीयक (उद्योग) एवं तृतीयक (व्यापार एवं वाणिज्य) क्रियाओं में लगे हों तथा लोगों को दैनिक जीवन की और सामान्य सुविधाएँ उपलब्ध हों।

कानूनी दृष्टिकोण के आधार पर नगर को शासकीय इकाई के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। कानूनी दृष्टिकोण से नगर वह स्थान है जहाँ एक निश्चित संख्या से अधिक लोग निवास करते हों और जहाँ एक निश्चित सीमा के अन्तर्गत नगरपालिका, सरकार द्वारा प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करती हो। पारिस्थितिकी दृष्टिकोण के आधार पर नगर का तात्पर्य उस स्थान से है जहाँ एक विशेष प्रकार का प्राकृतिक परिवेश विद्यमान हो।

(1) पार्क तथा मैकेजी के अनुसार- “नगर का अभिप्राय किसी स्थान पर स्थित ऐसी संगठित इकाई से है जिसके विकास के अपने पृथक नियम है।”

पारिस्थितिकी विवेचन को अपनाते हुए वर्गेस ने नगर को किसी स्थान का विभेदीकरण और भौतिक विस्तार के रूप में देखा है।

जनांकिकीय दृष्टिकोण से जनसंख्या का जमाव और उसकी कार्यात्मक विशेषताएँ प्रमुख हैं। नगरों की अधिकांश जनसंख्या प्राथमिक क्रियाओं के बजाय द्वितीय (उद्योग) एवं तृतीयक (व्यापार और वाणिज्य) क्रियाओं में लगी होती है।

ऐतिहासिक एवं तुलनात्मक दृष्टिकोण से नगरों की परिभाषाएँ स्पेंगलर, ममफोर्ड, डेविस, आदि ने दी हैं।

(2) विलकाक्स के अनुसार- “ग्राम एवं नगर का मुख्य अन्तर कृषि तथा अन्य व्यवसायों पर आधारित होना है।”

(3) सोरोकिन तथा जिमरमैन के अनुसार- “नगर की परिभाषा किसी एक दृष्टिकोण के आधार पर नहीं की जा सकती है। इसके लिए विभिन्न दृष्टिकोणों को दृष्टिगत रखना आवश्यक है।”

(4) वर्गेस के अनुसार- “हम उस स्थान को नगर कहेंगे जहाँ के अधिकांश निवासी कृषि कार्यों से भिन्न उद्योगों में व्यस्त हों।”

नगरों के प्रकार-

आधुनिक युग में पूँजी, व्यापार एवं उद्योग-धन्धों के विकास के कारण नगरों का विकास तीव्र गति से हुआ। प्रशासनिक नगर, व्यापारिक नगर एवं औद्योगिक नगर तीव्रगति से विकसित होने लगे। फलस्वरूप 1800 ई0 से प्रारम्भ होकर 1900 ई0 में तेजी से बढ़कर बीसवीं सदी में नगरों की संख्या, कार्य आदि में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।

नगरों का वर्गीकरण निम्न कई-आधारों पर किया जाता है।

(क) विकास-क्रम के आधार पर- लेविस मम्फोर्ड के अनुसार –

(i) इओपोलिस

(ii) पोलिस

(iii) मेट्रोपोलिस

(iv) मेगालोपोलिस,

(v) टायरेनोपोलिस,

(vi) नेक्रोपोलिस।

(ख) नगरों का कार्यों के आधार पर वर्गीकरण- कार्यों के आधार पर नगरों का वर्गीकरण आरोसों, सी०डी० हैरिस तथा नेल्सन एवं वेब ने किया है। विशिष्ट कार्य एवं व्यवसाय की प्रमुखता के आधार पर नगरों के निम्न प्रकार हैं-

(i) प्रशासनिक नगर,

(ii) औद्योगिक नगर

(iii) व्यापारिक नगर

(iv) परिवहन नगर

(v) खनिज उत्पादक नगर

(vi) मण्डी या बाजार नगर

(vii) सुरक्षा पद नगर

(viii) सांस्कृतिक धार्मिक, शैक्षिक नगर।

(ग) अवस्थिति के आधार पर वर्गीकरण –

(i) पर्वतीय नगर

(ii) मैदानी नगर

(iii) पठारी नगर

(iv) नदी तटीय नगर

(v) प्रपातीय झील तटीय तथा समुद्रतटीय नगर,

(vi) पर्वत पदीय नगर,

(vii) पर्वतीय घाटियों के नगर

(viii) नदी मुहानों एवं संगम पर स्थित नगर आदि।

(घ) कुल जनसंख्या के आधार पर वर्गीकरण-

(i) केन्द्रीय पुरवे व नगले,

(ii) केन्द्रीय गाँव

(iii) कस्बे,

(iv) छोटे नगर (जनसंख्या 5,000 – 50,000)

(v) मध्यम आकार के नगर (50,000-1,00,000)

(vi) बड़े नगर (10,00,000) से ऊपर

(vii) महानगर (पाँच लाख से 10 लाख)

(viii) दस लाखी नगर

(ix) सन्नगर।

उक्त आधारों पर प्रस्तुत किये गये नगरों के वर्गीकरणों में से कार्यों के आधार पर नगरों के प्रकारों की सोदाहरण विवेचना निम्न प्रकार है-

  1. प्रशासनिक नगर- देश, राज्य, प्रान्त या बड़े प्रदेश की राजधानियों का प्रमुख कार्य प्रशासन होता है। ऐसे नगरों को प्रशासनिक नगर कहते हैं। इनमें प्रशासनिक कार्यालय, विभिन भवन आदि की भरमार रहती है। नयी दिल्ली, पूर्णतः प्रशासनिक नगर हैं।
  2. औद्योगिक नगर- जो नगर उद्योग प्रधान होते हैं उन्हें औद्योगिक नगर कहा जाता है। इनमें विभिन्न स्रोतों से संग्रह किये हुए कच्चे पदार्थों से औद्योगिक माल तैयार किये जाते हैं। कच्चे पदार्थ, ईंधन एवं ऊर्जा, श्रम, बाजार, यातायात, पूँजी, बैकिंग, जलापूर्ति, आयात-निर्यात आदि की सुविधाओं के केन्द्रीयकरण होने से ऐसे नगरों में उद्योगों की प्रधानता हो जाती है। ग्लासको, बर्मिंघम, मैनचेस्टर, पिट्सबर्ग, भारत में जमशेदपुर, भिलाई, बोकारो इस्पात नगर तथा सूरत, कानपुर आदि वस्त्रोद्योग नगर हैं।
  3. व्यापारिक नगर- इन नगरों में व्यापार प्रमुख कार्य होता है। न्यूयार्क, लन्दन, हांगकांग, सिंगापुर, कलकत्ता, मुम्बई आदि व्यापारिक नगर हैं जो अन्तर्देशीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय आयात-निर्यात और और खरीद-बिक्री तथा वितरण एवं विनिमय में लगे हैं। लन्दन का स्टाक एक्सचेञ्ज तथा न्यूयार्क की बाल स्ट्रीट विश्व प्रमुख व्यापारिक और वित्तीय केन्द्र हैं। ये नगर परिवहन केन्द्र होते हैं। ये विभिन्न प्रकार के केन्द्रों पर विकसित होते हैं। जैसे-

(i) विभिन्न प्रकार के उत्पादन करने वाले प्रदेशों के संगम पर इन पदार्थों के संग्राहक और विनिमयकर्ता के रूप में।

(ii) विभिन्न घरातलीय स्वरूपों के संगम पर जैसे पर्वतों और मैदानों के मरूस्थलों एवं हरे-भरे क्षेत्रों के संगमों पर आदि।

(iii) विभिन्न परिवहन प्रणालियों के संगम पर जैसे-शिकागो।

(iv) बन्दरगाहों पर जैसे-मुम्बई।

(v) प्रामीण, कृषि तथा चारागाही क्षेत्रों में जहाँ आधिक्य उत्पादनों का संग्रह और वहाँ अन्य पदार्थों का विनिमय होता है।

  1. परिवहन नगर- जिन नगरों में परिवहन कार्य प्रमुख होता है, उन्हें परिवहन नगर कहते हैं। जैसे-शिकागो, पर्थ, पेरिस, मुगलसराय आदि ऐसे नगर हैं।
  2. खनिज उत्पादक नगर- खनिज क्षेत्रों में ऐसे नगरों का विकास हो जाता है, जिनका प्रमुख कार्य खनिजोत्पादन है। वहाँ खनिज कार्य में लगे लोगों तथा खनिज व्यावसायिक कार्यालय की भरमार रहती है। बिहार में कोडरमा अभ्रक नगर, झरिया एवं गिरिडीह कोयला नगर, कर्नाटक में कोलार सोना उत्खनन नगर हैं। खनिजों के समाप्त हो जाने पर और अन्य आधार न होने पर ऐसे नगर उजड़ जाते हैं, जिन्हें प्रेत नगर की संज्ञा दी जाती है।
  3. मण्डी या बाजार नगर- कृषि या चारागाही क्षेत्रों में विभिन्न वस्तुओं के संग्रहण और वितरण के केन्द्र के रूप में बाजारों या मण्डियों का विकास होता है। इंगलैण्ड का नार्विच, उत्तर प्रदेश का हापुड़, बिहार का बिहारशरीफ आदि ऐसे ही नगर हैं। ऐसी मण्डियाँ कालान्तर में बड़ी-बड़ी व्यापारिक नगर बन जाती है।
  4. सुरक्षाप्रद नगर- मिलिटरी छावनियों, किले वाले अथवा नौ सेना वाले केन्द्र सुरक्षा नगर कहलाते हैं। ये प्रमुख नगरों से अलग क्षेत्रों में उदित होते हैं। पाकिस्तान में रावलपिण्डी, भारत में सागर, काम्पटी, शिलांग ऐसे ही नगर रहे हैं।
  5. सांस्कृतिक, धार्मिक एवं शैक्षिक नगर- इन नगरों में सांस्कृतिक, धार्मिक या शैक्षणिक कार्यों की प्रधानता रहती है। वाराणसी इसका सर्वोत्तम नमूना है। इसे भारत की सांस्कृतिक राजधानी की संज्ञा दी गयी है। ब्रिटेन के आक्सफोर्ड या कैम्ब्रिज, जर्मनी का हाइडेलवर्ग, संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रिस्टन या वर्कल, स्वीडन का लुण्ड, नीदरलैण्ड का लीडेन विश्व प्रसिद्ध शैक्षणिक सांस्कृतिक नगर है। जेरूसलम, मक्का, अयोध्या आदि धार्मिक नगर है।
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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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