उद्यमिता और लघु व्यवसाय / Entrepreneurship And Small Business

नवाचार का अर्थ एवं परिभाषायें | नवाचार की विशेषताएँ | सृजनात्मकता के लिये विधियाँ | सृजनात्मकता को उत्प्रेरित करने की मुख्य विधियाँ

नवाचार का अर्थ एवं परिभाषायें | नवाचार की विशेषताएँ | सृजनात्मकता के लिये विधियाँ | सृजनात्मकता को उत्प्रेरित करने की मुख्य विधियाँ | Meaning and definitions of innovation in Hindi | Characteristics of Innovation in Hindi | Methods for Creativity in Hindi | Main methods of stimulating creativity in Hindi

नवाचार का अर्थ एवं परिभाषायें

(Meaning and Definition of Innovation)

नवाचार किसी नवीनसक्रिया को सम्पन्न करने की प्रक्रिया है। नवाचार से आशय नवीन क्रियायें सम्पन्न करना, नई वस्तुयें निर्मित करना, नये विचार उत्पन्न करना तथा नवीन औद्योगिकी को लागू करने से है। अतः नवाचार एक आर्थिक तथा सामाजिक शब्द है। यह वह कार्य होता है जो स्रोतों को सम्पदा की नई क्षमता प्रदान करता है। लक्ष्यों को प्राप्त करने के विभिन्न रास्ते सहित उद्यमी उसके स्थानापन्न ढूँढने के लिये तैयार रहता है। उद्यमी तथा नवाचार के सन्दर्भ में मुख्य परिभाषायें निम्नलिखित हैं-

जोसेफ ए० शुम्पीटर के अनुसार, “उद्यमी वह व्यक्ति है जो किसी अवसर की पूर्व कल्पना करता है तथा किसी नई वस्तु, नई उत्पादन विधि, नये कच्चे माल, नये बाजार अथवा उत्पादन के साधनों के नये संयोजन को अपनाते हुये अवसर का लाभ उठाता है।”

पीटर एफ० ड्रकर के अनुसार, “उद्यमी वह व्यक्ति है जो सदैव परिवर्तन की खोज करता है, उस पर प्रतिक्रिया करता है तथा एक अवसर के रूप में उसका लाभ उठाता है।”

आर्थर डेविंग के अनुसार, “उद्यमी वह व्यक्ति है जो विचारों को लाभदायक व्यवसाय में रूपान्तरित करता है।”

नवाचार में निम्नलिखित क्रियायें निहित हैं-

(i) नये विचारों को उत्पन्न तथा विकसित करना।

(ii) उत्पादन के साधनों का नया संयोजन विकसित करना।

(iii) ऐसे नवीन उत्पाद को प्रस्तुत करना, जिससे उपभोक्ता अवगत न हो अथवा विद्यमान उत्पादों के मध्य नवीन उत्पाद प्रस्तुत करना ।

(iv) एक ऐसे नवीन बाजार को खोलना तथा विदोहन करना जिसमें पहले कभी भी कम्पनी के उत्पादों का विक्रय नहीं हुआ हो।

(v) नवीन कच्चे माल अथवा अर्द्ध-निर्मित उत्पाद का पता लगाना जिसका अभी तक विदोहन नहीं हुआ है।

(vi) ऐसी नवीन निर्माण प्रक्रिया को प्रस्तुत करना जिसका न तो अभी तक परीक्षण किया गया हो और न उसका वाणिज्यिक उपयोग किया गया हो।

नवाचार, नवनिर्माण, नवोन्मेष, नवसृजन को निम्नलिखित चित्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-

नवाचार

(उत्पन्न करता)

  • नवीन उत्पाद
  • उत्पाद की नवीन गुणवत्ता
  • सामग्री के नवीन स्रोत
  • नये बाजार
  • नवीन संगठन संरचना

नवाचार की विशेषताएँ

(Characteristics of Innovation)

नवाचार की प्रमुख विशेषतायें निम्नलिखित हैं-

(1) प्रस्तावित विचारों का मूल्यांकन प्रस्तुत करना।

(2) एक नये विचार की दिशा में महत्वपूर्ण निविष्ट प्रदान करना।

(3) अपने मौलिक तरीके से वस्तु को प्रस्तुत करना।

(4) समाधान करने के लिये समस्याओं को ढूंढना।

(5) किसी काम को छोड़ना नहीं और नये काम को करते समय गलतियाँ होने पर अस्थिर न होना।

(6) परिवर्तन से प्रसन्न होना।

(7) असंरचानात्मक कार्य आंबटनों के लिये तत्पर रहना।

(8) ऐसी समस्या पर कार्य करना जिसके कारण दूसरों को अधिक कठिनाई हो रही हो।

(9) वर्तमान तरीकों या वर्तमान उपकरणों का वर्तमान सेवाओं के नये उपयोग खोजना।

(10) अपरम्परागत व्यवहार का मूल्यांकन करना।

(11) नये विचारों को प्रयोग में लाने के सम्बन्ध में अनिश्चितता का सामना करना।

(12) नये विचारों पर प्रयोग करना।

सृजनात्मकता को उत्प्रेरित करने की मुख्य विधियाँ

सृजनात्मकता के लिये विधियाँ

(Methods for Creativity)

सृजनात्मकता को उत्प्रेरित करने की मुख्य विधियाँ निम्नलिखित हैं-

(1) सृजनात्मकता निर्णयन प्रक्रिया (Creative Decision-making)- इस विधि का प्रयोग उस स्थिति में उचित रहता है कि जहाँ समस्या समाधान की विधि पर व्यक्ति सहमत नहीं होते हैं। डेलबेक का विचार है कि ऐसी निर्णयन प्रक्रिया में समर्थ से विवर्ग का समावेश होना चाहिये जिसके पास विविध किस्म का ज्ञान हो तथा ये एक नेता के द्वारा निर्देशित होने चाहिये जो सृजनात्मक व्यवहार को प्रोत्साहित कर सकता है। ब्रेनस्टॉर्मिंग की तरह इस विधि में भी सभी समूह सदस्य विचार-विमर्श में हिस्सा लेते हैं, अपने विचार प्रस्तुत करते हैं, लेकिन इसमें सत्र के प्रारम्भ में विचारों के मूल्यांकन को संदिग्ध रखा जाता है जिससे कि सुझाव हतोत्साहित न हो। जहाँ ब्रेनस्टॉर्मिंग विधि निर्णयन प्रक्रिया की उपेक्षा करती है, वहीं इस विधि का मुख्य लक्ष्य निर्णय तक पहुँचना होता है। समूह सदस्य की सृजनात्मकता को अनुमोदक वातवरण के द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है जिसमें मौलिक, अप्रयुक्त तथा विषम विचारों को प्रोत्साहित किया जाता है।

(2) साइनेक्टिक्स विधि (Synectic’s Methods)- इस विधि का विकास विलियम जे०गोल्डन के द्वारा किया गया है। इस तकनीक की रचना एक पक्ष के ग्राहकों के लिये नये उत्पादों की खोज में सहायक के लिये की गयी। ब्रेनस्टॉमिंग पद्धति के विपरीत इस तकनीक का लक्ष्य एक निदिष्ट समस्या के लिये केवल एक नये मौलिक विचार का सृजन करना है। इस तकनीकी में केवल समूह नेता ही समस्या की वास्तविक प्रकृति जानता है। इस प्रकार शीघ्र तथा सामान्य समाधानों की अपेक्षा कर दी जाती है और सहभागियों को अपने आसक्त विचारों पर केन्द्रित होने का अवसर नहीं मिलता है। एक विषय विशेष पर समूह बहस का आयोजन किया जाता है जो समस्या से सम्बन्धित होता है, लेकिन जो वह प्रकट नहीं करता है कि वास्तव में समस्या क्या है?

(3) सामान्य समूह प्रक्रिया (General Group Processing) – सामान्य समूह प्रक्रिया ब्रेनस्टॉर्मिंग विधि का ही एक विस्तृत तथा संशोधित रूप है जो वाणी सम्बन्धी अन्तर्किया को दूर करता है जो कि व्यक्तियों में कुछ रुकावट उत्पन्न कर सकती है। इसमें समूह सदस्य अकेले, किन्तु उसी कमरे में कार्य करते हैं तथा विचारों का विकास करते हैं। बाद में, वे एक वाद-विवाद में विचारपूर्ण तरीके से अपने विचारों की सूची में सहभागिता करते हैं। इस विधि के द्वारा अपेक्षाकृत अधिक विचारों का सृजन किया जा सकता है।

(4) ब्रेनस्टॉर्मिंग (Brainstorming)- इस विधि का विकास विज्ञापन कार्यक्रमों के लिये विचार सृजन हेतु एलेक्स एफ० ओसबार्न के द्वारा किया गया है। आज भी इस विधि का प्रयोग विज्ञापन, नये उत्पाद, विकास और जटिल समस्याओं के लिये सम्भाव्य समाधानों के विकास में किया जाता है। इसमें पूर्व निर्णय या आलोचनाओं की रुकावट के बिना स्वतन्त्र विचारों के प्रवाह को प्रोत्साहित किया जाता है। सर्वप्रथम समूह सदस्य एकत्रित किये जाते हैं, उनको समस्या प्रस्तुत की जाती है तथा विचारों के उत्पादन के लिये प्रार्थना की जाती है। मूल्यांकन की अनुमति नहीं दी जाती है। विकास की अपेक्षा मात्रा को प्राथमिकता दी जाती है तथा तीव्र ज्वलन्त योगदान प्राप्त किया जाता है। यहाँ तक कि अव्यावहारिक सुझावों को भी व्यस्थित तरीके से प्राप्त तथा रिकार्ड किया जाता है, क्योंकि ये अपेक्षाकृत अधिक उपयोगी सुझावों को प्रोत्साहित कर सकते हैं।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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