शिक्षाशास्त्र / Education

ओवरहेड प्रोजेक्टर पर संक्षिप्त लेख | ओवरहेड प्रोजेक्टर का उपयोग | ओवरहेड प्रोजेक्टर की सीमायें

ओवरहेड प्रोजेक्टर
ओवरहेड प्रोजेक्टर

ओवरहेड प्रोजेक्टर पर संक्षिप्त लेख | ओवरहेड प्रोजेक्टर का उपयोग | ओवरहेड प्रोजेक्टर की सीमायें | Short article on overhead projector in Hindi | Use of overhead projectors in Hindi | Overhead projector limits in Hindi

ओवरहेड प्रोजेक्टर समस्त प्रक्षेपित होने वाले प्रोजेक्टर्स में सबसे सरल प्रक्षेपित होने वाला प्रोजेक्टर है। इसके द्वारा 18 x 22.5 cm आकार की ट्रान्सपरेंसी को बड़ा करके प्रक्षेपण 1.5 m x 1.5 m आकार में सरलता से लाया जा सकता है। इसमें शिक्षक छात्रों के सामने रहता हे तथा Eve to eye contact बना रहता है। ट्रान्स्पेरेंसी हाथ से भी बनाया जा सकता है। उन पर संदेश डायग्राम तथा स्क्रैच आदि विवरण अंकित किया जाता है। आवश्यकता पड़ने पर उन्हें टाइप कराकर फोटोकॉपी द्वारा भी तैयार किया जाता है।

ओवरहेड प्रोजेक्टर की संरचना (Structure of O.H.P)- ओवरहेड प्रोजेक्टर की संरचना का मूलभूत सिद्धान्त किसी भी पारदर्शी सामग्री को प्रकाश के संचरण द्वारा प्रदर्शित करना है। यह प्रकाश के परावर्तन के सिद्धान्त पर कार्य करता है। इनके द्वारा किसी भी ट्रांसपेरेंसी पर बनायी गयी रंगीन या रंगहीन आकृति, लेखीय सामग्री, मैप चार्ट अथवा छपी सामग्री को स्क्रीन पर प्रदर्शित किया जाता है।

इसके प्रमुख भाग निम्नलिखित हैं-

  1. केबिनेट- यह प्लास्टिक या स्टील का एक डिब्बा होता है जिसका आकार प्रोजेक्टर की क्षमता पर निर्भर करता है। प्रायः 39 x 32.5 तथा 26.5 cm आकार की केबिनेट सामान्य शिक्षण हेतु उपयोगी है। इस केबिनेट में नीचे के हिस्से में एक पंखा, प्रोजेक्टसन लैम्प तथा पावर एसेम्बली होती है।
  2. प्रोजेक्शन लैम्प- प्रोजेक्शन बल्ब तथा बल्ब होल्डर को मिलाकर प्रायः प्रोजेक्टर लैम्प कहते हैं। प्रायः 600 वॉट, 240 वोल्ट के हैलोजन बल्ब को प्रकाश के लिए प्रयुक्त करते हैं। इस बल्ब के प्रकाश से 150 x 150 cm की आकृति सम्प्रेषणकर्ता के पीछे स्पष्ट दिखायी देती है।
  3. ठण्डा करने की व्यवस्था- केबिनेट के ही हैलोन लैम्प से उत्पन्न कार्य से ऊर्जा बल्ब तथा केबिनेट के ऊपर लगी शीशे की प्लेट को टूटने से बचाने के लिए ठण्डा करने के लिए एक पंखा लगा देते हैं जो बल्ब को ठण्डा रखता है तथा अतिरिक्त ऊर्जा को शीघ्र ही बाहर फेंक देता है। कई बार थर्मोस्टेट भी लगा होता है जो केबिनेट के अन्दर 35°C से अधिक ताप होने पर बल्ब की स्वतः जलने बन्द कर देता है।
  4. फोकस व्यवस्था- केबिनेट की शीशे की प्लेट से निकलने वाले प्रकाश को स्क्रीन पर केन्द्रित करने के लिए एक विशेष प्रकार के लेंस को प्रयुक्त करते हैं जो एक फ्रेम में स्टैण्ड पर लगा होता है। यह स्टैण्ड केबिनेट पर कोने पर लगा होता है। इस फोकस को एक नियंत्रण घुण्डी द्वारा ऊपर नीचे कर आवश्यकतानुसार समायोजित करते हैं ।

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ओवरहेड प्रोजेक्टर का उपयोग (Use of Over Head Projector )

  1. उसका प्रयोग समय-समय अध्यापक कक्षा में छात्रों पर ध्यान केन्द्रित रख सकता है।
  2. छात्रों की एवं कक्षा अवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इसको चालू तथा बन्द किया जा सकता है।
  3. इसके लिए अन्थेरे कमरे की विशेष आवश्यकता नहीं है।
  4. इसके माध्यम से अनेक दुरूह घटनाओं, फैक्टरियों एवं प्रक्रियाओं को कक्षा में प्रदर्शित किया जा सकता है।
  5. इसके लिए प्रयुक्त कोमल उपागम, अर्थात ट्रान्सपेरेंसी को आसानी से तैयार किया जा सकता है तथा उसे अनेको बार प्रयोग में लाया जा सकता है।
  6. शिक्षक सम्पूर्ण कक्षा पर अपनी नजर रखता है जिससे छात्र रुचि लेते हैं तथा अनुशासन की समस्या खत्म हो जाती है।
  7. विभिन्न लाभकारी तकनीकी, जैसे ओवर ले, एनीमेशन आदि के द्वारा ओवरहेड प्रोजेक्टर के प्रयोग से अधिक रोचके एवं लाभदायक बनाया जा सकता है।

ओवरहेड प्रोजेक्टर की सीमायें (Limitations of Over Head Projector )

  1. इसमें बिजली की आवश्यकता होती है।
  2. यह चॉक बोर्ड की तुलना में कीमती है।
  3. कभी-कभी पाठ के दौरान अचानक बिजली चली जाने पर शिक्षण प्रक्रिया में बाधा आती है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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