शिक्षाशास्त्र / Education

दूरवर्ती शिक्षा में छात्र सहायक सेवाएं | दूरवर्ती शिक्षा में छात्रों के लिये सामान्य सेवायें | दूरवर्ती शिक्षा में विशिष्ट सेवायें

दूरवर्ती शिक्षा में छात्र सहायक सेवाएं | दूरवर्ती शिक्षा में छात्रों के लिये सामान्य सेवायें | दूरवर्ती शिक्षा में विशिष्ट सेवायें

दूरवर्ती शिक्षा में छात्र सहायक सेवाएं

(Student Support Services in Distance Education)

दूरवर्ती शिक्षा ‘छात्र केंद्रित शिक्षा है, जिसमें शिक्षक तथा छात्रों के मध्य अन्तःक्रिया होनी चाहिए। छात्रों को आवश्यक निर्देशन चाहिए जिससे कि छात्रों की कठिनाइयों का निराकरण हो सके और उनके लिये सुधारात्मक शिक्षा की व्यवस्था की जा सके। अध्ययन केन्द्रों पर भी उन्हें सहायता की आवश्यकता होती है।

(A) दूरवर्ती शिक्षा में छात्रों के लिये सामान्य सेवायें

(General Support Services for Students in Distance Education)-

इसके अन्तर्गत उपर्युक्त सभी छात्र सहायक सेवाओं का वर्णन नीचे किया जा रहा है-

(1) शैक्षिक एवं गैर शिक्षक सेवायें

(Academic / Non- academic Services)-

बहुत से दूरवर्ती शिक्षा के अन्तर्गत पढ़ने वाले छात्रों को कई बार अनेक कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है।

जैसे-

  1. शैक्षिक स्टाफ द्वारा उन्हें समय ने दे पाना।
  2. शैक्षिक स्टाफ द्वारा उनकी समस्याओं में रुचि न लेना।
  3. शैक्षिक स्टाफ द्वारा उनकी समस्याओं के समाधान में टालमटोल करना।
  4. 4. गैर शिक्षक कर्मचारियों द्वारा अपना कार्य समय से न करना।
  5. पाठ्य-सामग्री का स्तरीय न होना आदि।

इस प्रकार की अनेक समस्याओं का छात्रों को सामना करना पड़ता है। अतः यह आवश्यक है कि दूरवर्ती शिक्षा में दक्षता प्राप्त स्वतंत्र संकाय हो, जिन्हें दूरवर्ती शिक्षा के छात्रों की आवश्यकताओं तथा समस्याओं की जानकारी हो, उनमें छात्रों की सहायता करने में रुचि एवं अभिरुचि हो तथा पाठ्य-सामग्री आदि तैयार करने का कौशल तथा विशेष प्रशिक्षण प्राप्त हो। यदि ऐसे शिक्षक दूरवर्ती शिक्षा में नियुक्त किये जायें तो छात्रों की आधी से अधिक समस्यायें तो स्वतः ही समाप्त हो जायेंगी।

इसी प्रकार गैर शिक्षक कर्मचारी भी अपने कार्यों में कुशल हों, अध्ययन सामग्री तथा गृहकार्य आदि डाक द्वारा प्रेषित करने में सहायक हों तो छात्रों को बड़ी मदद प्राप्त होती है। उन्हें समय से गृहकार्य तथा अध्ययन सामग्री प्राप्त न होने के कारण अनेक पत्र लिखने पड़ते हैं तथा व्यक्तिगत चक्कर लगाने पड़ते हैं। उन्हें उन सबसे मुक्ति मिल जाती है और अपना पूरा समय अध्ययन में लगा सकते हैं।

अच्छी अनुदेशन सामग्री जो छात्रों को समझ में सरलता से आ सके। तैयार करने में प्रूफ रीडर, काट्टोग्राफर, डिजायनर तथा आर्टिस्ट आदि का भी योगदान होता है। अतः इनकी भी नियुक्तियाँ होनी चाहिए, ताकि छात्रों को अच्छी, रोचक, स्तरीय अनुदेशन सामग्री प्राप्त हो सके, जा उनके लिये अत्यन्त सरल, सुगम तथा बोधगम्य हो।

(2) सम्पर्क सेवायें

(Contractual Services)-

दूरवर्ती-शिक्षा में अनेक प्रकार की सम्पर्क सेवाओं की आवश्यकता पडती है। जैसे- मुद्रण का कार्य, व्यक्तिगत सम्पर्क कार्यक्रम आदि। इनके लिये संस्था भूगतान करती है। कई बार संस्था के पास इन सम्पर्क सेवाओं के लिये धन की कमी के कारण भुगतान व्यवस्था नहीं हो पाती या निम्न दर से भुगतान किया जाता है तो संस्था की क्रियाओं में गुणवत्ता नहीं आ पाती, जिसका अप्रत्यक्ष प्रभाव दूरवर्ती छात्रों पर भी पड़ता है और उनका मन भी दूरवर्ती शिक्षा से हटने लगता है। अतः आवश्यकता है कि संस्था को ये सभी सम्पर्क सेवायें अपने नियंत्रण में सव्यवस्थित प्रणाली के माध्यम से की जाये।

(3) पुस्तकालय एवं अध्ययन केन्द्रों की सेवायें

(Service Related to Library & Study Centres)-

प्रत्येक दूरवर्ती संस्थान का कार्य है कि वह पुस्तकालय एवं अध्ययन केन्द्र की सही व्यवस्था रखे। इनमें आवश्यक सभी पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं की व्यवस्था होनी चाहिए। अध्ययन केन्द्रों पर निर्देशन एवं परामर्श की सुविधा दी जानी चाहिए, जिससे छात्र अपने कोसों के लिये कड़ी मेहनत कर सकें. अच्छे एवं आवश्यक साहित्य का अध्ययन कर सक तथा उपलब्ध सुविधाओं का अधिकतम उपयोग कर सके। ये सेवाये अत्यन्त आवश्यक है क्योंकि प्रेषित अध्ययन सामग्री पूरी तरह छात्रों की आवश्यकताये पूरी नहीं कर पातीं, उनके लिये पूरक सामग्री का अध्ययन आवश्यक हो जाता है ।

(4) साफ्टवेयर तथा हार्डवेयर की सम्बन्धित सेवायें

(Services Related to Software & Hardware) –

प्रत्येक दूरवर्ती-शिक्षा-संस्थान, अपनी अध्ययन-सामग्री को प्रभावशाली बनाने के लिये विभिन्न साफ्टवेयर तथा हार्डवेयर का प्रयोग करता है। फिर इन्हें अध्ययन केन्द्रों तक भिजवाने की व्यवस्था करता है, जहाँ छात्र इनका प्रत्यक्ष प्रयोग करते हैं। इन साफ्टवेयर का प्रयोग छात्र कैसे प्रभावशाली ढंग से कर सके इसके लिये भी छात्र-सेवाओं की आवश्यकता होती है।

(5) व्यक्तिगत सम्पर्क कार्यक्रम सेवायें

(Services for Personal Contact Programmes)-

दूरवर्ती शिक्षा में व्यक्तिगत सम्पर्क कार्यक्रम भी छात्र सहायक सेवाओं के अन्तर्गत आते हैं। व्यक्तिगत सम्पर्क कार्यक्रमों में जब छात्र आते हैं तो नकी अनेक प्रकार की समस्यायें उनके साथ होती है। अतः दुरवर्ती संस्थायें जो ये सम्पर्क कार्यक्रम संचालित कर रही है को चाहिये कि व्यक्तिगत सम्पर्क कार्यक्रमों की अवधि में छात्रों की समस्याओं को दूर करने की पूरी कोशिश करें तथा इसके लिये उपयुक्त व्यवस्था बनायें । यदि आवश्यक हो तो दूरवर्ती शिक्षा संस्थाओं अपने प्रत्येक अध्ययन केन्द्र पर आयोजित व्यक्तिगत सम्पर्क कार्यक्रम में अपना एक योग्य प्रतिनिधि भेजें जो छात्रों की समस्याओं, आवश्यकताओं तथा कठिनाइयों का समाधान कर छात्रों को संतुष्ट कर सकें।

(B) दूरवर्ती शिक्षा में विशिष्ट सेवायें

(Specific Support Services in Distance Education)

इसके अन्तर्गत विभिन्न सेवाओं का विवरण नीचे प्रस्तुत किया जा रहा है –

(1) गृह कार्य से सम्बन्धित सेवायें

(Services Related to Home Assignment)

दूरवर्ती शिक्षा प्रणाली में गृहकार्य का अपना महत्त्व है। सामान्यतः दूरवर्ती शिक्षा का कोई भी कोर्स हो गृह कार्य (Home Assignment) पूरे करके भेजना आवश्यक होता है। जब तक निश्चित मात्रा में गृह कार्य में सफलता नहीं मिलती छात्रों को परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाता। अतः दूरवर्ती शिक्षा संस्थाओं को चाहिये कि वे अपने यहाँ ऐसी व्यवस्था करे जिससे-

(1) गृह कार्य छात्रों को समय से मिल सके।

(2) छात्र गृह कार्य को कैसे करें- इसके लिये उचित निर्देशन व्यवस्था या समुचित अनुदशन (Instructions) प्रदान किये जायें।

(3) गृह कार्यों को दक्ष शिक्षकों से मूल्यांकन कराया जाये। मूल्यांकन की विधि परीक्षकों तथा छात्रों दोनों को पहले से स्पष्ट कर दी जाये ताकि किसी प्रकार का भ्रम न रहे।

(4) मूल्यांकित गृह कार्यों को समय से छात्रों को वापस किया जाये। उनमें समचित संशोधन किये जायें और आवश्यक टिप्पणी एवं सुझाव दिये, जायें।

छात्रों के लिये अध्ययन केन्द्र पर भी एसी व्यवस्था की जाये कि छात्रों को गृह कार्य से सम्बन्धित प्रत्येक समस्या तथा कठिनाई पर उाचत परामर्श तथा निर्देशन प्राप्त हो सके।

(2) पाठ्य-सामग्री से सम्बन्धित सवाये

(Services Related to Come Material)-

दूरवर्ती शिक्षा संस्थान मुद्रित तथा अमुद्रित दोनों प्रकार की पाठ्य सामग्री का अयोग कर रहे हैं। कई बार छात्र यह महसूस करते हैं कि पाठ्य-सामग्री उपयुक्त नहीं है अथवा करें, कैसे शीघ्रता से दूसरी सामग्री मँगवायें, कौन-सी पूरक सामग्री तथा पुस्तकों का अध्ययन किसी यूनिट को समझने में दिक्कतें महसूस ही रहा है या सामग्री अपूर्ण तथा अस्पष्ट है तो वे क्या करें किससे वे सम्पर्क स्थापित कर आदि समस्याओं पर उन्हें अध्ययन केन्द्रों पर ही समाधान, परामर्श तथा निर्देशन प्राप्त होने चाहिए इन सवाओ की प्रावधान अवश्य होना चाहिए।

(3) अध्ययन-कौशल से सम्बन्धित सेवाये

(Services Related Study Skills)-

बहुत से छात्र मुद्रित सामग्री का अध्ययन अध्ययन-कोशल के अभाव में भली-भाँति नहीं कर पाते। ऐसे छात्र किसी से बात करना चाहते हैं, तथा शिक्षक की आवश्यकता महसूस करते हैं। ऐसे छात्रों को भी निर्देशन तथा परामश सेवाएं उपलब्ध होनी चाहिए कि कैसे वे अपने अन्दर पाठन-कौशलों (Reading Skills) का विकास करें, जिससे कि वे प्रभावशाली ढंग से अध्ययन कर सकें। दूरवर्ती शिक्षा संस्थाना अथवा उनके अध्ययन केन्द्रों पर ऐसी व्यवस्था होनी आवश्यक है, जिसमें एक योग्य एवं प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा छात्रों को सम्पर्क कार्यक्रम की अवधि में पढ़ने तथा अध्ययन के कौशलों का पूर्ण ज्ञान दिया जाये तथा उनका प्रयोग करना भी सिखाया जाये।

(4) परामर्श सम्बन्धी सेवायें

(Services Related to Counselling)-

दूरवर्ती शिक्षा प्रणाली के विकास में परामर्श सेवायें भी अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस प्रकार के परामर्श देने के लिये प्रशिक्षित परामर्शक (Counsellor) की आवश्यकता होती है। एक अच्छे परामर्शक में सच्ची लगन, सहानुभूति, धैर्य, ईमानदारी तथा निष्पक्षता के गुण अवश्य होने चाहिये। उसे अपने प्रोफेशन के प्रति लगाव होना चाहिए तथा परामर्शक के लिये आवश्यक कौशल भी उसमें होने चाहिए। दूरवर्ती शिक्षा में निम्नांकित माध्यमों के द्वारा परामर्श प्रदान किया जा सकता है-

(1) आमने-सामने का परामर्श (Face to Face Counselling)

(2) सामूहिक परामर्श (Group Counselling)

(3) टेलीफोन द्वारा परामर्श (Telephone Counselling)

(4) पत्राचार द्वारा परामर्श (Counselling by Letters)

(5) हैन्डबुक द्वारा परामर्श (Counselling by handbook )

(6) श्रव्य-दृश्य कैसट द्वारा परामर्श (Counselling by Audio & Video Cassette)

(7) प्रसारण द्वारा परामर्श (Counselling by Broadcasting)

(8) कम्प्यूटर द्वारा परामर्श (Counselling by Computer)।

दूरवर्ती शिक्षा संस्थानों द्वारा आवश्यकतानुसार उपर्युक्त परामर्श माध्यमों में से एक या एक से अधिक ढंग के परामर्श माध्यमों को अपना कर अपनी परामर्श सेवाओं को अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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