उसने कहा था कहानी की समीक्षा

उसने कहा था कहानी की समीक्षा | चन्द्रधर शर्मा गुलेरी – उसने कहा था | कहानी कला की दृष्टि से ‘ उसने कहा था’ का मूल्यांकन | कहानी-कला के तत्वों के आधार पर उसने कहा था’ कहानी की समीक्षा

उसने कहा था कहानी की समीक्षा | चन्द्रधर शर्मा गुलेरी – उसने कहा था | कहानी कला की दृष्टि से ‘ उसने कहा था’ का मूल्यांकन | कहानी-कला के तत्वों के आधार पर उसने कहा था’ कहानी की समीक्षा उसने कहा था कहानी की समीक्षा गुलेरीजी की उसने कहा था’ कहानी एक सफल कहानी है।…

गुल्ली-डंडा | प्रेमचन्द – गुल्ली डंडा | कहानी कला की दृष्टि से गुल्ली डंडा का मूल्यांकन

गुल्ली-डंडा | प्रेमचन्द – गुल्ली डंडा | कहानी कला की दृष्टि से गुल्ली डंडा का मूल्यांकन गुल्ली-डंडा ‘गुल्ली डंडा’ एक ऐसी कहानी है। इस कहानी में लेखक ने न केवल गुल्ली डंडा की विशेषताओं का बखान किया है बल्कि इस खेल की बारीकियाँ भी बताई हैं, गोया किसी को गुल्ली डंडा खेलना सिखा रहे हों।…

चीफ की दावत सन्दर्भः- प्रसंग- व्याख्या | भीष्मसाहनी – चीफ की दावत

चीफ की दावत सन्दर्भः– प्रसंग- व्याख्या | भीष्मसाहनी – चीफ की दावत चीफ की दावत आखिर पाँच बजते-बजते तैयारी मुकम्मल होने लगी। कुर्सियाँ, मेज, तिपाइयाँ नैपकिन, फूल बरामदे में पहुँच गये। ड्रिंक का इन्तजाम बैठक में कर दिया गया। अब घर का फालतू सामान आलमारियों के पीछे और पलंगों के नीचे छुपाया जाने लगा। तभी…

पुरस्कार सन्दर्भः- प्रसंग- व्याख्या | जयशंकर प्रसाद – पुरस्कार

पुरस्कार सन्दर्भः– प्रसंग- व्याख्या | जयशंकर प्रसाद – पुरस्कार पुरस्कार मधूलिका ने राजा का प्रतिदान, अनुग्रह नहीं लिया। वह दूसरे खेतों में काम करती और चौथे पहर रूखी-सूखी खाकर पड़ी रहती। मधूक वृक्ष के नीचे छोटी-सी पर्ण-कुटी थी। सूखे डंठलों से उसकी दीवार बनी थी। मधुलिका का वहीं आश्रम था। कठोर परिश्रम से जो रूखा…

सिरी उपमा जोग सन्दर्भः- प्रसंग- व्याख्या | शिवमूर्ति – सिरी उपमा जोग

सिरी उपमा जोग सन्दर्भः– प्रसंग- व्याख्या | शिवमूर्ति – सिरी उपमा जोग सिरी उपमा जोग अर्दली लड़को.…………हुआ लगता है। सन्दर्भ – प्रस्तुत गद्यावतरण हिन्दी के प्रसिद्ध कथाकार शिवमूर्ति के “सिरी उपमा जोग” नामक कहानी से अवतरित है। इसमें गाँव से आया लड़का ए.डी.एम. साहब से एकान्त में मिलना चाहता है, किन्तु अर्दली उसे अनुमति नहीं…

भूख सन्दर्भः- प्रसंग- व्याख्या | चित्रा मद्गल – भूख

भूख सन्दर्भः– प्रसंग- व्याख्या | चित्रा मद्गल – भूख भूख क्या वह नहीं जानती.……….कौन सी दिक्कत। सन्दर्भ – प्रस्तुत कहानी ‘भूख’ के लेखक प्रख्यात कहानीकार मराठी लेखिका चित्रा मुद्गल हैं। कहानी में मजदूर वर्ग की एक महिला की विवशता एवं वेदना का मार्मिक ढंग से चित्रण है। व्याख्या – सावित्री अक्का, लक्ष्मा की कोई दुश्मन…

महाराजा का इलाज सन्दर्भः- प्रसंग- व्याख्या | यशपाल – महाराजा का इलाज

महाराजा का इलाज सन्दर्भः– प्रसंग- व्याख्या | यशपाल – महाराजा का इलाज महाराजा का इलाज (1) महाराजा गर्मियों में प्रतिवर्ष मंसूरी में जाकर रियासत की कोठी में रहते थे। कोठी की अपनी रिक्शाएं थी। रिक्शा खींचने वाले कुलियों की नीली वर्दियों पर मोहाना स्टेट के बिल्ले चमचमाते पीतल के रहते थे। महाराज जब कभी कोठी…

दोपहर का भोजन सन्दर्भः- प्रसंग- व्याख्या | अमरकान्त – दोपहर

दोपहर का भोजन सन्दर्भः– प्रसंग- व्याख्या | अमरकान्त – दोपहर का भोजन दोपहर का भोजन सन्दर्भः– प्रसंग- व्याख्या सिद्धेश्वरी लोटा लेकर पानी लेने चली गयी। रामचन्द्र ने कटोरे को अँगुलियों से बजाया, फिर हाथ को थाल में रख दिया। एक दो क्षण बाद रोटी के टुकड़े को धीरे से हाथ से उठा कर आँख से…

गुल्ली डण्डा कहानी की व्याख्या

गुल्ली डण्डा कहानी की व्याख्या | प्रेमचंद की कहानी गुल्ली डण्डा

गुल्ली डण्डा कहानी की व्याख्या | प्रेमचंद की कहानी गुल्ली डण्डा गुल्ली डण्डा कहानी की व्याख्या मुझे पदाकर मेरा कचूमर नहीं निकालना चाहता था। ‘ अब अफसर हूँ। यह अफसरी मेरे और उसके बीच में दीवार बन गयी है। अब मैं उसका लिहाज पा सकता हूँ, अदब पा सकता है, साहचर्य नहीं पा सकता। लड़कपन…