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इंटरनेट क्या है | इंटरनेट का संक्षिप्त इतिहास | इंटरनेट कनेक्शन के प्रकार

इंटरनेट क्या है | इंटरनेट का संक्षिप्त इतिहास | इंटरनेट कनेक्शन के प्रकार

what is Internet | Internet’s Brief History | Types of Internet Connection

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इंटरनेट क्या है

कंप्यूटर के मानव जीवन का अभिन्न अंग बन जाने के बाद आज के दौर में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जो इंटरनेट (Internet) से परिचित न हो या जिसने इस सुविधा का कभी इस्तेमाल नहीं किया हो। हम जानते हैं कि नेटवर्किंग वह व्यवस्था है, जिसमें एक से अधिक कई कंप्यूटरों को डाटा एक्सचेंज के लिए आपस में जोड़ा जा सकता है, लेकिन इस तरह की नेटवर्किंग की सीमाएं तय हैं। इस तरह का नेटवर्क किसी एक संस्थान में, ऑफिस में, शिक्षण संस्थान में संभव है, जहां सभी कंप्यूटर एक-दूसरे से जुड़े हुए हो। अब इंटरनेट शब्द भी नेटवर्किंग से ही जुड़ा हुआ है, लेकिन इसका तात्पर्य किसी निश्चित या सीमित दायरे में कंप्यूटरों का एक-दूसरे से जुड़ना ही नहीं है । बल्कि यह नेटवर्को का एक ऐसा नेटवर्क (Ntwork of Networks) है, जो असीमित है। इसमें आम आदमी से लेकर निजी संस्थाओं, शैक्षणिक संस्थानों, कंपनियों, व्यापार, स्वास्थ्य, खेल-मनोरंजन समेत जीवन के हर आयाम की जानकारियों का स्थानीय से लेकर वैश्विक (Global) पहुंच का जाल है। जो इंटरनेट प्रोटोकॉल (Internet Protocol), वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web) इलेक्ट्रॉनिक मेल (E-mail), टेलीफोन के जरिये दुनियाभर के कंप्यूटरों से जुड़ा हुआ है। कंप्यूटरों के बीच यह जुड़ाव वायरलेस, इलेक्ट्रिक और ऑप्टिकल तकनीक के माध्यम से संपन्न होता है।

इंटरनेट का संक्षिप्त इतिहास (Internet’s Brief History)

इंटरनेट की शुरुआत कब, कैसे हुई यह हम निम्न बिन्दुओं से समझेंगेः

  • वर्ष 1969 में अमेरिकी रक्षा विभाग ने एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी (Advanced Research Project Agency- ARPA) नाम से एक नेटवर्क लांच किया, यह नेटवर्क युद्धकाल में गोपनीय सूचनाओं के त्वरित आदान-प्रदान के उद्देश्य से तैयार किया गया था।
  • एआरपीए की कामयाबी के बाद इसे रक्षा मामलों से इतर सामान्य जनजीवन के लिए उपयोग करने लायक बनाने का प्रोजेक्ट प्रारंभ किया गया। तब इसे नाम दिया गया एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी नेटवर्क (ARPANET) अमेरिकी वैज्ञानिक लियोनॉर्ड क्लिनरॉक और पॉल बैरन तथा ब्रिटिश वैज्ञानिक डोनाल्ड डेविस और लॉरेंस रॉबर्ट्स ने इस सिस्टम का कांसेप्ट डिजाइन किया था।
  • ARPANET में कार्यरत अमेरिकी वैज्ञानिक रेमंड सैमुअल टॉम्लिनसन या रेटॉम्लिनसन ने नेटवर्क के लिए पहला फाइल ट्रांसफर प्रोग्राम (FTP) सीपीवाईनेट (CPYNET) तैयार किया इसके जरिये ARPANET से जुड़े कंप्यूटरों पर सूचनाओं का आदान-प्रदान संभव हो सका। टॉम्लिनसन ने ही सबसे पहले 1972 में ई-मेल की शुरुआत की हालांकि, प्रारंभ में इस तरह की ई-मेल उसी उपयोगकर्ता को भेजी जा सकती थी, जो उसी कंप्यूटर को प्रयोग करता हो, जिससे ई-मेल भेजी गई है। यानी ई-मेल भेजने के बाद उसे खोलने के लिए उसी कंप्यूटर काम करना जरूरी था। इस दिक्कत से निजात के लिए टॉम्लिनसन ने @ की ईजाद की। इसके बाद ई-मेल को एक से दूसरे कंप्यूटर और बाद में एक से दूसरे देश तक भेजना सरल हो गया।
  • 1979 में ब्रिटिश डाकघर इंटरनेट तकनीक का इस्तेमाल करने वाला पहला संस्थान बना।
  • 1984 तक 1000 से अधिक कंप्यूटर इंटरनेट तकनीक से जोड़े जा चुके थे, धीरे-धीरे यह तकनीक तेजी से बढ़ने लगी और लोग इससे जुड़ने लगे।
  • 1985 में अमेरिका ने नेशनल साइंस फाउंडेशन नेटवर्क (NSFNET) प्रोजेक्ट शुरु किया। इसके बाद इंटरनेट तकनीक का तेजी से विकास हुआ और यह दुनियाभर में फैलती चली गई।
  • हमारे देश भारत में वर्ष 1980 में इंटरनेट की शुरुआत हुई, जब एजुकेशन एंड रिसर्च नेटवर्क (ERNET) प्रोजेक्ट प्रारंभ हुआ। इस प्रोजेक्ट को भारत सरकार और संयुक्त राष्ट्र के विकास कार्यक्रम (UNDP) की मदद से प्रारंभ किया गया।
  • 15 अगस्त 1995 को विदेश संचार निगम लिमिटेड (VSNL) ने गेटवे सिस्टम शुरू कर इंटरनेट सुविधा भारत में आम उपयोग के लिए उपलब्ध कराई। इसके बाद से देश में इंटरनेट सुविधा लगातार बढ़ती गई। आज भारत संचार निगम लिमिटेड समेत कई मोबाइल कंपनियां, ब्रॉडबैंड कंपनियां इंटरनेट सुविधा दे रही हैं, जिनसे 13 करोड़ से अधिक लोग जुड़ चुके हैं। उल्लेखनीय पहलू यह है कि दुनिाभर के देशों में इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या के मामले में भारत का हिस्सा 13.5 प्रतिशत है। आम आदमी तक इंटरनेट की पहुंच के हिसाब से अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा देश है। वहां की कुल आबादी 31 करोड़ से कुछ अधिक है, जबकि इंटरनेट सुविधा से 24 करोड़ से अधिक लोग जुड़े हुए हैं।

Tools of Internet in hindi | इंटरनेट के साधन

इंटरनेट कनेक्शन के प्रकार (Types of Internet Connection)

इंटरनेट की मदद से हम घर बैठे अपने कंप्यूटर पर दुनियाभर की सूचनाएं पलक झपकते ही हासिल कर सकते हैं। लेकिन कंप्यूटर पर इंटरनेट सुविधा प्राप्त करने के लिए हमें इंटरनेट करनक्शन की आवश्यकता होती है आधुनिक दौर में डेस्कटॉप से लेकर लैपटॉप, लगैमिंग कन्सोल, टैबलेट्स, मोबाइल फोन तक में इंटरनेट कनेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है। यह उपयोगकर्ता पर निर्भर करता है कि वह किस तरह के इंटरनेट कनेक्शन से जुड़ना चाहता है। कुछ प्रमुख कनेक्शन निम्नवत हैं:

  • डायलअप कनेक्शन (Dial Up Connection):

इस प्रक्रिया में उपभोक्ता का कंप्यूटर फोन लाइन के जरिये जोड़ा जाता है। इस तरह के कनेक्शन को एनालॉग (Analog) कनेक्शन कहा जाता है। इस कनेक्शन के जोड़ने के बाद फोन का इस्तेमाल करना संभव नहीं होता। हालांकि, गति धीमी होने के कारण अब इस कर्नेक्शन का प्रचलन लगभग खत्म हो चुका है।

  • ब्रॉडबैंड कनेक्शन (Broadband Connection):

ब्रॉडबैंड कनेक्शन सबसे ज्यादा तीव्र गति वाला इंटरनेट कनेक्शन है। इसमें भारी मात्रा में सूचनाएं भेजने के लिए एक से अधिक डाटा चैनलों का इस्तेमाल किया जाता है। ब्रॉडबैंड ब्रॉड बैंडविथ (Broad Bandwidth) का संक्षिप्त रूप है। केबल और टेलीफोन कंपनियां ब्रॉडबैंड सेवाएं उपलब्ध कराती हैं।

  • डीएसएल कनेक्शन (DSL Connection):

डीएसएल कनेक्शन की फुलफॉर्म है, डिजिटल सब्सकाइबर लाइन (Digital Subscriber Line) इस कनेक्शन में उपभोक्ता के घर में उपलब्ध दो तारों वाली टेलीफोन लाइन का इस्तेमाल किया जाता है। इससे यह सुविधा लैंडलाइन कनेक्शन के साथ ही उपलब्ध हो जाती है। डायल अप कनेक्शन से इतर इस व्यवस्था में इंटरनेट के इस्तेमाल के दौरान उपभोक्ता लैंडलाइन फोन का भी प्रयोग कर सकता है।

  • वायरलेस कनेक्शन (Wireless Connection):

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है। कि इस तरह के कनेक्शन में तारों की मदद नहीं ली जाती है। इसमें केबल या टेलीफोन नेटवर्क के बजाय रेडियो तरंगों (Radio Frequency) का प्रयोग किया जाता है। इस कनेक्शन की सबसे बड़ी सुविधा यह है कि इसमें कनेक्शन हमेशा ऑन रहता है।

  • मोबाइल कनेक्शन (Mobile Connection):

संचार कांति के दौर में अब इंटरनेट हर उपयोगकर्ता के हाथों तक आसान पहुंच बना चुका है। इसका जरिया बना है मोबाइल फोन। जीएसएम (GSM) 3जी, 4-जी जैसी नयी तकनीकों की मदद से अब हम मोबाइल, टैबलेट पर आसानी से इंटरनेट सुविधा हासिल कर सकते हैं।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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