कम्प्यूटर / Computer

कम्प्यूटर की पीढ़ियाँ | Generations of Computer in hindi

कम्प्यूटर की पीढ़ियाँ (Generations of Computer in hindi)

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कम्प्यूटर की पीढ़ियाँ

कम्प्यूटर के अध्ययन में कम्प्यूटर की पीढ़ियों से तात्पर्य है ‘कम्प्यूटर तकनीक में वृद्धि’। वस्तुत: पीढ़ियाँ कम्प्यूटर के विकास का समयानुसार वर्णन करती हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का निर्माण प्रारम्भ हो चुका था। इस तकनीक पर आधारित प्रथम पढ़ी के कम्प्यूटर के निर्माण का प्रयास सन् 1930 के दशक के अन्त में जॉन वी० एटनासोफ द्वारा किया गया। सन् 1946 में प्रथम इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, वैक्यूम ट्यूब (Vacuum tube) युक्त एनिएक (ENIAC) कमप्यूटर जॉन मुचली एवं जे० प्रेस्पर एकर्ट द्वारा बनाया गया जिसने कम्प्यूटर के विकास को एक सशक्त आधार प्रदान किया। कम्प्यूटर के विकास के इस क्रम में कई महत्त्वपूर्ण उपकरणों की सहायता से कम्प्यूटर ने वर्तमान तक की यात्रा की। प्रत्येक कम्प्यूटर के मूलभूत सिद्धान्त व उसके भाग के नवीन रूप में विकसित होने पर एक नई पीढ़ी का प्रारम्भ होता है। इस विकास के क्रम को हम पाँच पीढ़ियों में बाँट सकते हैं-

पहली पीढ़ी (First Generation) – सन् 1946 से 1956 तक

दूसरी पीढ़ी (Second Generation) – सन 1956 से 1964 तक

तीसरी पीढ़ी (Third Generation) – सन 1964 से 1971 तक

चौथी पीढ़ी (Fourth Generation) – सन 1971 से वर्तमान तक

पाँचवीं पीढ़ी (Fifth Generation) – वर्तमान से भविष्य तक

कम्प्यूटर्स की पहली पीढ़ी (First Generation of Computers)

सन् 1946 में एनिएक नामक कम्प्यूटर के पदार्पण से कम्प्यूटर की पहली पीढ़ी का प्रारम्भ हो गया। इसका भार 30 मीट्रिक टन था तथा इसमें 18,000 से अधिक वैक्यूम ट्यूब्स का उपयोग हुआ था। इन वैक्यूम ट्यूब्स का निर्माण सन् 1904 में हुआ था। इस पीढ़ी में एनिएक के कुछ समय पश्चात् अन्य कम्प्यूटर; जैसे-एडवैक (EDVAC- Electronic Discrete Variable Automatic Computer), यूनीवैक (UNIVAC-Universal Automatic Computer) तथा यूनिवैक-I (UNIVAC-I) का निर्माण हुआ।

पहली पीढ़ी के कम्प्यूटर्स की विशेषताएँ निम्नलिखित थीं-

(i) इनमें वैक्यूम ट्यूब का प्रयोग होता था वैक्यूम ट्यूब का आकार बड़ा होने के कारण इनसे बने कम्प्यूटर्स का आकार बड़ा होता था। ये गर्म भी शीघ्र होते थे, इसलिए वातानुकूलन (airconditioning) की व्यवस्था भी रखनी पड़ती थी।

(ii) पंचकार्ड पर आधारित थे जिसके कारण इनका इनपुट/आउटपुट अत्यधिक धीमा था।

(iii) आन्तरिक स्मृति के रूप में मैग्नेटिक ड्रम प्रयोग किए जाते थे।

(iv) कम्प्यूटर अतिसंवेदनशील तथा अविश्वसनीय थे।

(v) प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर्स में दो कम्प्यूटर भाषाएँ प्रचलित थीं- (1) मशीनी भाषा तथा (2) असेम्बली भाषा।

कम्प्यूटर्स की दूसरी पीढ़ी (Second Generation of Computers)

सन् 1950 के आस-पास कम्प्यूटर के हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर के निर्माण एवं विकास में तीव्रता आई। सन् 1947 में बेल लेबोरेटरी के विलियम शॉकले (William Shocklex) द्वारा आविष्कृत ट्रान्जिस्टरों ने वैक्यूम ट्यूब का स्थान ले लिया। दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर ट्रान्जिस्टर पर आधारित थे। ट्रान्जिस्टर के उपयोग ने कम्प्यूटर्स को वैक्यूम ट्यूब की अपेक्षाकृत अधिक गति एवं विश्वसनीयता प्रदान की।

दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर्स की विशेषताएँ निम्नलिखित थीं –

(i) इस पीढ़ी के कम्प्यूटर वैक्यूम ट्यूब के स्थान पर ट्रॉन्जिस्टर पर आधारित थे। इस कारण इनका आकार अपेक्षाकृत छोटा था तथा साथ ही ये कम विद्युत व्यय करते थे।

(ii) इनमें तापमान की समस्या भी बहुत सीमा तक कम हो गई थी।

(ii) ये अधिक विश्वसनीय थे।

(iv) इनके छोटे आकार के कारण इण्टर्नल मैमोरी को भी बढ़ाया जा सका, कार्यगति भी बढ़ी तथा साथ ही इनपुट-आउटपुट प्रोसेसिंग भी कुछ तीव्र हुई।

(v) उच्चस्तरीय भाषाओं; जैसे COBOL तथा FORTRAN का विकास हुआ।

कम्प्यूटर्स की तीसरी पीढ़ी (Third Generation of Computers)

सन् 1964 में वाणिज्यिक रूप से उपलब्ध इण्टीग्रेटेड सर्किट (ICs) के उपयोग के साथ तीसरी पीढ़ी का शुभारम्भ हुआ। IC तकनीक से कम्प्यूटर्स का आकार और छोटा हुआ। इस तकनीक का आविष्कार टेक्सास इन्स्ट्रमेण्ट कम्पनी (Texas Instrument Company) के एक इंजीनियर जैक किल्बी ने किया था। इस पीढ़ी के कम्प्यूटर्स में ICL 1900, ICL 2903, यूनिवैक 1108 तथा System 360 प्रमुख थे।

तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर्स की विशेषताएँ निम्नलिखित थीं-

(i) इस पौढ़ी के कम्प्यूटर्स में इण्टीग्रेटेड सर्किट (ICs) का प्रयोग हुआ जिस कारण इनका आकार अधिक छोटा हो गया इनका भार भी बहुत कम हो गया।

(ii) ये अधिक विश्वसनीय थे।

 (iii) इस पीढ़ो के कम्प्यूटर्स का रख-रखाव अत्यन्त सरल था। इन्हें वातानुकूलन (air-conditioning) की आवश्यकता नहीं होती थी।

(iv) उच्चस्तरीय भाषाओं (High level ]language) का बड़े पैमाने पर प्रयोग हुआ।

कम्प्यूटर्स की चौथी पीढ़ी (Fourth Generation of Computers)

सन् 1971 से वर्तमान तक का समय कम्प्यूटर्स की चौथी पीढ़ी को दिया गया है। कम्प्यूटर्स की चौथी पीढ़ी में इण्टीप्रेटेड सर्किट को और अधिक विकसित किया गया जिसे ‘लार्ज इण्टीप्रेटेड स्किट’ (Large Integrated Circuit) कहा जाता है। वर्तमान में इस तकनीक से 30,000 ट्रान्जिस्टर्स के तुल्य परिपथ को एक-चौथाई इंच में समाहित किया जा सकता है। इस तकनीक से कम्प्यूटर बनाने की लागत और भी कम हुई है तथा कम्प्यूटर का आकार भी बहुत छोटा हो गया है। वर्तमान में सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सी० पी० यू०), मैमोरी तथा इनपुट-आउटपुट स्किट को एक अथवा एक-से-अधिक इण्टीग्रेटेड सर्किट में सम्मिलित किया गया जिसे माइक्रोप्रोसेसर कहते हैं तथा इन पर आधारित कम्प्यूटर को माइक्रोकम्प्यूटर कहते हैं। इस तकनीक ने सामान्य उपयोग के कम्प्यूटर्स की एक नई श्रेणी अर्थात् चौथी पीढ़ी का प्रादुर्भाव किया। पी० सी० अर्थात् पर्सनल कम्प्यूटर इसी पीढ़ी के कम्प्यूटर को कहते हैं।

पहला पर्सनल कम्प्यूटर ALTAIR 8800 सन् 1971 के मध्य में उपलब्ध हुआ जिसे MITS नामक कम्पनी ने बनाया था। MITS का यह ALTAIR कम्प्यूटर Intel 8800 माइक्रोप्रोसेसर पर आधारित था। परन्तु सन् 1981 में उपलब्ध IBM के कम्प्यूटर्स की श्रृंखला सबसे सफल रही है। इसके बाद IBM के कम्प्यूटर्स को मानक रूप में जाना जाने लगा। इसी के साथ कई अन्य निर्माता भी इसी प्रकार के कम्प्यूटर्स का निर्माण करने लगे। IBM कम्पनी के कम्प्यूटर Intel Corp. द्वारा निर्मित माइक्रोप्रोसेसर पर आधारित थे।

इस शृंखला का पहला माइक्रोप्रोसेसर 8086 सन् 1978 में उपलब्ध हुआ। तत्पश्चात् 80286 (1983), 80386 (1986), 80486 (1986), पेण्टियम I (1993), पेण्टियम II (1997), पेण्टियम III (1999), पेण्टियम IV (2000) तथा ङ्यूअल कोर शृंखला (2009) में उपलब्ध हुए। इनके अतिरिक्त एक और निर्माता ‘एप्पल कम्प्यूटर्स (Apple Computers) के उत्पाद भी लोकप्रिय हुए।

चतुर्थ पीढ़ी के प्रथम माइक्रोकम्प्यूटर ALTAIR 8800 पर हावर्ड विश्वविद्यालय के एक छात्र बिल गेट्स ने बेसिक भाषा को स्थापित किया। इस सफल प्रयास के पश्चात् बिल गेट्स ने माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी की स्थापना की जो संसार में सॉफ्टवेयर निर्माण की सबसे बड़ी कम्पनी है। इस कारण, बिल गेट्स को संसार-भर में कम्प्यूटर का स्वामी (Owner of Computers) कहा जाता है।

चतुर्थ पीढ़ी के कम्प्यूटर्स की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(i) VLSI (Very Large Scale Integration) तकनीक का उपयोग।

(ii) कम्प्यूटर्स के आकार में अत्यधिक कमी।

(ii) कम्प्यूटर्स बनाने की लागत में अत्यधिक कमी।

(iv) अधिक विश्वसनीय, तीव्र व अत्यधिक स्मृति-क्षमता के कम्प्यूटर्स का निर्माण।

(v) अनेक उपयोगी कम्प्यूटर नेटवर्कों का विकास।

कम्प्यूटर्स की पाँचवीं पीढ़ी (Fifth Generation of Computers)

कम्प्यूटर्स की पाँचवीं पीढ़ी के अन्तर्गत वर्तमान तथा भविष्य के कम्प्यूटर्स को रखा गया है । इस पीढ़ी के कम्प्यूटर्स के बारे में विस्तार से चर्चा करना सम्भव नहीं है; क्योंकि इसके अन्तर्गत भविष्य में आने वाली अत्यधिक एडवांस तकनीक पर आधारित कम्प्यूटर्स आते हैं जिनके बारे में निश्चित तौर पर कुछ बताना सम्भव नहीं है । यद्यपि कम्प्यूटर विशेषज्ञ इसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) पर विचार कर रहे हैं। ऐसा होने पर कम्प्यूटर तार्किक हो जाएँगे।

इस पीढ़ी के कम्प्यूटर्स में नेटवर्क के विकास की बहुत अधिक सम्भावनाएँ हैं। अनेक जटिल-तकनीक वाले क्षेत्रों में इस पीढ़ी के कम्प्यूटर्स से बहुत-सी अपेक्षाएँ हैं।

मेनफ्रेम कम्प्यूटर्स के प्रमुख आपूर्तिकर्त्ता I BM, हनीवेल, बरोस, NCR, CDC तथा स्पेरी हैं।

(v) सुपर कम्प्यूटर (Super Computer) – सुपर कम्प्यूटर, कम्प्यूटर की सभी श्रेणियों में सबसे बड़े आकार व सबसे अधिक स्टोरेज क्षमता वाले तथा सबसे अधिक कार्यकारी गति वाले होते हैं। एक सुपर कम्प्यूटर में एक से अधिक सी०पी०यू० होते हैं जो समान्तर क्रम में कार्य करते हैं। इससे कार्य अतिशीघ्र सम्पन्न होता है। इनकी गति को फ्लॉप (Flops, Floating point instructions per second) में मापा जाता है। अत्याधुनिक सुपर कम्प्यूटर की गति 1 टेरा फ्लॉप की हो सकती है। विशेष प्रकार के कार्यों जिनमें विशाल डाटा-स्टोरेज तथा कठिनतम समस्याओं का समाधान निश्चित समयावधि में होना चाहिए, वहाँ इस कम्प्यूटर का उपयोग किया जाता है। सुपर कम्प्यूटर विशालतम तथा तीव्रतम उपलब्ध कम्प्यूटर हैं, परन्तु इनमें व्यावसायिक डाटा प्रोसेसिंग के लिए प्रयुक्त नहीं होते हैं। इन कम्प्यूटर्स को विशिष्ट क्षेत्रों; जैसे रक्षा, वायुयान अभिकल्पना (aircraft simulation ), मौसमशोध, कम्प्यूटर – जनित चित्रों की प्रोसेसिंग, नाभिकीय संयन्त्र के नियन्त्रण तथा आनुवंशिकी अभियान्त्रिकी आदि में प्रयुक्त किया जाता है। प्रथम सुपर कम्प्यूटर बरोस (Burroughs) द्वारा बनाया गया था। सुपर कम्प्यूटर के अन्य आपूर्तिकत्त्ता CRAY, CDC तथा NEC हैं।

भारत भी विश्व के उन देशों की श्रेणी में है जिन्होंने स्वयं अपना सुपर कम्प्यूटर निर्मित किया है । भारत में निर्मित सुपर कम्प्यूटर का नाम परम (PARAM) है जिसे पुणे स्थित सी-डेक (C-DAC) नामक संस्था ने बनाया है। अब इसका नवीनतम संस्करण परम-10000 भी बनाया गया है। इससे पूर्व परम-8000 भी बनाया गया था। सुपर कम्प्यूटर सबसे महंगे कम्प्यूटर होते हैं। इनकी कीमत अरबों रुपये होती है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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