राजनीति विज्ञान / Political Science

लोक प्रशासन के अध्ययन का महत्व | The importance of public administration

लोक प्रशासन के अध्ययन का महत्व  The importance of public administration
लोक प्रशासन के अध्ययन का महत्व The importance of public administration

आधुनिक राज्य में लोक प्रशासन के अध्ययन का महत्व

लोक प्रशासन आधुनिक राज्य का एक अनिवार्य तत्व है | आधुनिक राज्य का कार्य-क्षेत्र बहुत विस्तृत तथा व्यापक और योजनाओं की पूर्ति के लिए एक सुसंगठित, विशाल और सकारात्मक उद्देश्य वाले लोक प्रशासन की आवश्यकता बढ़ गई है |

लोक कल्याणकारी राज्य के उदय के पुराने नियमकीय कार्यों (कानून व्यवस्था) को गॉण बना दिया गया है और राज्य पर सामाजिक सेवाओं और समाज के चहुमुखी नियोजन विकास का दायित्व लाद दिया गया है | फलत: लोक प्रशासन का दायित्व गुरुत्व हो गया है, उसका आकार विशाल हो गया है और जनजीवन पर उसका व्यापक प्रभाव पड़ा है |

नीग्रो और नीग्रो ने लिखा है कि “प्रशासनिक प्रक्रिया में लोक प्रशासन दोहरी भूमिका निभाता है जैसा (क) नीति निर्धारण के लिए वह आवश्यक कानून और व्यवसायिक आधार देता है और (ख) वह नीति के कार्यान्वयन और मूल्यांकन में मदद लेता है |

लोक प्रशासन का महत्व

  • लोक प्रशासन का महत्व हमारे दैनिक जीवन में निरंतर बढ़ता जा रहा है | पिछली शताब्दी में राज्य को पुलिस राज्य माना जाता था और उसका कार्य क्षेत्र सीमित था | वह केवल निषेधात्मक कार्य (न्याय प्रदान करना, शांति बनाए रखना, संपत्ति की रक्षा, वैध समझौते को लागू करना आदि) किया करता था | किंतु 20 वीं तथा 21 वीं शताब्दी की बदली हुई परिस्थितियों के साथ-साथ राज्य की प्रवृत्ति में भी आ मूलभूत परिवर्तन आया है | आज के समय में “पुलिस राज्य” की निषेधात्मक अवधारणा का स्थान जन कल्याणकारी राज्य की सकारात्मक अवधारणा ने ले लिया है | हमारे जीवन का शायद ही कोई क्षेत्र जो राज्य की क्रियाओं से प्रभावित ना होता हो राज्य के समस्त क्रियाओं एवं गतिविधियों का क्रियान्वयन व संचालन लोक प्रशासन द्वारा ही किया जाता है | अतः राज्य के बढ़ते हुए दायित्व एवं गतिविधियों के साथ-साथ लोक प्रशासन का महत्व बढ़ता जा रहा है |
  • आधुनिक राज्य को प्रशासकीय राज्य कहा गया है जहां “झूले से लेकर कब्र तक” व्यक्ति जीवन के प्रत्येक क्षेत्र मे लोक प्रशासन से संबंधित रहता है | प्रशासन व्यक्ति के जन्म के पहले से ही उसमें रुचि लेने लगता है तथा उसकी मृत्यु के बाद भी अपनी अभिरुचि बनाए रखता है | गर्भवती माता के समुचित आहार एवं दवाइयों की व्यवस्था करना, व्यक्ति की मृत्यु का सरकारी अभिलेख में उल्लेख, बेरोजगारी, अभाव, प्राकृतिक संकट, महावारी के प्रकोप के समय नागरिकों की सहायता करना लोक प्रशासन के महत्व को दर्शाता है |
  • राज्य की नीतियों को कार्यान्वित करने का उत्तरदायित्व लोक प्रशासन पर ही होता है | राज्य की नीतियां चाहे कितनी ही क्यों ना हो इसके परिणाम तभी अच्छे निकल सकते हैं जब उन्हें कुशलता पूर्वक एवं सत्य निष्ठा के साथ लागू किया जाए वस्तुतः राज्य के कार्यों के सफल संचालन के लिए कुशल प्रशासनिक अधिकारियों का सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है | सरकार एक आकार है जिसमें प्रशासन एक चित्रकार की भांति रंग भरने का कार्य करता है उसको उपयोगी एवं प्रभावशाली बनाता है यह भी एक महत्व को दर्शाता है | डिमोक के शब्दों में, “प्रशासन प्रत्येक नागरिक के लिए महत्व का विषय है क्योंकि जो सेवाएं मिलती हैं जो कर देता है जिन व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं का उपभोग करता है प्रशासन के सफल और असफल कार्य कारण पर निर्भर करता है” |
  • लोक प्रशासन राज्य के अंतर्गत स्थिरकारी तत्व है तथा राज्य और समाज की स्थिरता एवं व्यवस्था को बनाए रखता है | “प्रशासन समाज के स्थायीकर्ता एवं परंपराओं के संरक्षक होते हैं | वे सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों ही अर्थों में स्थायीकर्ता के रूप में कार्य करता है” | लोकतंत्रात्मक शासन प्रणाली में सरकारें बदलती रहती हैं परंतु शासन की स्थिरता एवं निरंतरता ज्यों की त्यों बनी रहती है | प्रशासन तो वह स्थूल एवं संगठित व्यवस्था है जिसे फ्रांस जैसी भयंकर राज्यक्रांति भी हिला नहीं सकी |
  • उपनिवेशवाद के पटाक्षेप के साथ विश्व के सभी देशों में जन सामान्य में नई आशा का संचार हुआ | विज्ञान ने मनुष्य के हाथ में अतुल शक्ति दे दी जिसके द्वारा विश्व के इतिहास में प्रथम बार अभाव को मिटाने की संभावना मानव के हाथों में आई | पूर्व रूस की साम्यवादी क्रांति के बाद नियोजित विकास का एक नया अध्याय पुनः प्रारंभ हुआ | जिसमें आर्थिक विकास की दिशा और गति अर्थशास्त्र के अंधे नियमों की अनुगामी ना होकर राज्य द्वारा सुनिश्चित की जा सकी |
  • नियोजित विकास को अनिवार्य रूप से बड़ी आशा के साथ स्वीकार किया गया है | प्रशासन कानून व्यवस्था तक ही सीमित ना रहा बल्कि जन समुदाय तक बढ़ता चला गया है | कृषि विस्तार, वस्तुओं का प्रदाय, विपणन, लोक निर्माण, सिचाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, जन समुदाय सभी राज्य के द्वारा संचालित किए जाने लगे हैं | गैर सरकारी क्षेत्र में होते हुए भी सरकार की मूल नीतियों से बहुत गहराई से प्रभावित हुए बिना नहीं बचा जा सकता है | इस प्रकार जन सामान्य के दैनिक जीवन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं बचा है जिस पर प्रशासन तंत्र का प्रभाव ना पढ़ता है |
  • आधुनिक युग में लोक प्रशासन सामाजिक परिवर्तन तथा सुधार संशोधन का एक महान अभियान है | महान सामाजिक परिवर्तनों को नियोजित एवं व्यवस्थित रूप में क्रियान्वित करने का भार देश के लोक प्रशासन के कंधों पर ही हैं | हमारे देश में बेरोजगारी, गरीबी, बीमारी, छुआछूत मिटाने के लिए राज्य दृढ़ संकल्प किए हुए हैं | यदि लोक प्रशासन इन कार्यों में असफल हो जाता है तो उसका भयंकर विफल केवल हिंसा ही रह सकती है | वास्तव में राज्य की क्रियाओं की असफलता लोक प्रशासन पर ही निर्भर करती है | सभ्यता का अस्तित्व तो नहीं पर विकास प्रशासन के विज्ञान और व्यवहार पर ही निर्भर करता है |
  • लोक प्रशासन का संबंध शासन के विभिन्न अंग के द्वारा बनाई जाने वाली नीतियों के क्रियान्वयन से ही नहीं है, यह अनुभव, दक्षता तथा योग्यता द्वारा नीति निर्माण में विधायिका और कार्यपालिका की सहयोग भी करता है | कार्यपालिका और विधायिका के सदस्य अध्यक्ष और साधारण ज्ञान रखने वाले होते हैं, फलत: विशेषज्ञ और अनुभवी प्रशासकों के परामर्श एवं कार्य कुशलता पर ही निर्भर करते हैं | शासन के तीन अंग कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका में से किसी एक के अभाव में राज्य का कोई भी कार्य पूर्ण रूप से संचालित करना असंभव है किंतु शासन प्रबंधन (लोक प्रशासन) के बिना आधुनिक समाज और सभ्यता का समूचा महल बालू की भांति है जो कभी भी ढह जाएगा |

सरकार का चाहे कोई भी स्वरूप क्यों न हो, किंतु प्रशासन का महत्व कम नहीं हो सकता | लोकतंत्र में तो इसका महत्व और भी अधिक है क्योंकि राज्य लोक कर्मचारियों के द्वारा ही अपने बड़े हुए उत्तरदायित्व का निर्वहन करता है | हरमन फाइनर के शब्दों में, “किसी भी देश का संविधान चाहे कितना ही अच्छा क्यों न हो और उसके मंत्री भी योग्य क्यो न हो, परंतु बिना प्रशासकों के उस देश का शासन सफल नहीं हो सकता |

संक्षेप में प्रशासन समाज की प्रथम आवश्यकता है देश में अमन-चैन व्यवस्था एवं स्थिरता को बनाए रखने के लिए योग्यता क्षमता शील प्रशासन का होना अति आवश्यक है |

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

1 Comment

  • जानकारी साझा करने के लिए शुक्रिया और अपने जो अंत मे लिखा है कि “प्रशासन समाज की आवश्यकता है” इसने दिल जीत लिया

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