लान टैनिस के नियम (Lawn Tennis)- रैकेट, गेंद, सर्विस, एकल खेल, युगल खेल तथा महत्वपूर्ण तथ्य
लान टैनिस के नियम (Lawn Tennis)- रैकेट, गेंद, सर्विस, एकल खेल, युगल खेल तथा महत्वपूर्ण तथ्य
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लॉन टैनिस के विकास की कहानी का अपना अलग ही महत्त्व है । वरन् यह कहा जाए तो उचित होगा कि अनोखा महत्त्व है। कहा जाता है कि इसका जन्म हाथ से खेली जानी वाली बॉल अर्थात् ‘हेंड बॉल’ से हुआ। हाथ से गेंद को धकेलने में काफी जोर लगता है, अतः इसे सस्ल रूप से खेलने के लिए चौड़ी तख्ती अथवा फिर छड़ी द्वारा इसे खेलना आरम्भ किया। विक्टोरिया के जमाने से इसे तांत के बल्ले से खेला जाने लगा। इस बल्ले का हैंडल मछली की पूँछ की शक्ल का होता था ।
इसके पश्चात् मेजर डब्लू० सी० विंगफील्ड ने सन् 1873 में इस खेल को इंग्लैण्ड में प्रचलित किया। कालान्तर में इसके विकास में अनेक प्रयोग किये गए। आरम्भ में यह खेल केवल घास वाले मैदान में खेला जाता था। लेकिन आधुनिक युग में यह तरह-तरह की सतहों पर खेला जाता है। चिकनी मिट्टी वाली सतह इस खेल के लिए काफी पसन्द की जाती है।
खेल
लॉन टैनिस क्योंकि यह घास के मैदान अथवा किसी अन्य कोर्ट में खेला जाता है, इसलिये इसे लॉन टैनिस का नाम दिया गया है। काफी हद तक यह खेल ‘टेबल टैनिस’ से मिलता-जुलता है । गेंद एवं रैकेट से खेले जाने वाले इस खेल में एकल एवं युगल मुकाबले खेले जाते हैं। कोर्ट को जाल द्वारा दो भागों में बॉटा जाता है। दोनों तरफ के खिलाड़ी कोशिश करते हैं कि गेंद जाल के पार दूसरी तरफ जमीन पर गिर कर उछाल ले एवं विरोधी खिलाड़ी उसे वापिस लौटाने में सफल न हो सके। क्योंकि यह एक आउटडोर गेम है अतः इसके लिए काफी खुले स्थान की आवश्यकता पड़ती है। इसे पुरुष एवं महिलाएँ दोनों ही खेल सकते हैं।
खेल क्षेत्र
टैनिस कोर्ट चिकनी मिट्टी, कंक्रीट का बना होता है। इसकी ऊपरी सतह पर घास, लकड़ी अथवा फिर विटुमन सामग्री हो सकती है। टैनिस कोर्ट की लम्बाई एकल प्रतियोगिता के लिए 78 फुट लम्बी एवं 27 फुट चौड़ी होती है। युगल प्रतियोगिता के लिए यह 78 फुट लम्बी एवं 36 फुट चौड़ी होती है । कोर्ट में उचित रेखाओं द्वारा सर्विस लाइन, मध्य रेखा, सीमा रेखाएँ, दायाँ कोर्ट-बायाँ कोर्ट आदि निशान लगाये जाते हैं जो सफेद रंग के होते हैं।
जाल
कोर्ट के बीचो-बीच दोनों तरफ की सीमा रेखाओं पर दो पोल गाड़े जाते हैं जिन पर जाल बांधा जाता है। जाल के ऊपरी हिस्से पर एक सफेद टेप होती है। यह जाल जमीन से तीन फुट छः इंच की ऊँचाई पर बाँधा जाता है।
रैकेट
अच्छे खेल के लिए यह अति आवश्यक है कि अच्छे रैकेट का चुनाव किया जाए। रैकेट न तो बहुत छोटा होना चाहिए और न ही बहुत बड़ा। यह वजन में भी न तो बिलकुल हल्का होना चाहिए और न ही बहुत अधिक भारी, जिससे खेलते समय कठिनाई न हो। रेकेट प्राय: लकड़ी के बने होते हैं अथवा फिर इस्पाती फ्रेम के इनका वजन साढ़े तेरह से चौदह औंस के बीच होता है। रैकेट की तारें भेड़ की आँतों, बिल्ली की आँतों अथवा नाइमोन की बनने लगी हैं जो अधिक से अधिक तनाव सह सकती हैं। रैंकेट का दस्ता भी मजबूत होना चाहिए। विशेष घ्यान देने योग्य बात यह है कि दस्ता चिकना अथवा फिर अधिक सख्त नहीं होना चाहिए। दस्ता ऐसा हो जिस पर हाथ ‘ग्रिप’ बनी रहे।
गेंद
लॉन टैनिस खेल के लिए जो गेंद प्रयोग में लाई जाती है, उसका रंग सफेद या पीला होता है। वजन में यह बॉल 2 से 2-1/16 औंस के बीच होती है। उचित नियमानुसार यह जमीन पर टप्पा खाती है। एवं तकनीकी रूप से वह निर्णायकों द्वारा जाँच-पड़ताल करने के पश्चात् ही खेल में प्रयोग की जाती है। 100 इंच ऊपर से फैंकने पर 53 से 58 इंच के बीच उछलनी चाहिए।
पोशाक
लॉन टैनिस खेलने के लिए पुरुषों के लिए हाफ पैंट अथवा नेकर, हाफ शर्ट अथवा जर्सी पहनी जाती है। यह पोशाक शरीर पर कसनी नहीं चाहिए जिससे खिलाड़ी को खेलने में असुविधा न हो। पोशाक ऐसे कपड़े की होनी चाहिए जो लचीला हो एवं पसीना सोखने वाला हो। फ्लैनल अथवा लिलेन की बनी ड्रेस ज्यादा सुविधाजनक रहती है। महिलाओं के लिए स्कर्ट एवं हाफ शर्ट अथवा जर्सी पहनी जाती है। लॉन टैनिस खेल के लिए जूते भी विशेष प्रकार के आते हैं जिनमें एड़ी नहीं होती तथा सफेद जुरबें पहनी जाती हैं।
सर्विस
खेल का प्रारम्भ सर्विस द्वारा होता है। सर्विस कौन-सा खिलाड़ी करेगा, इसका निर्णय रेकेट को हवा में उछाल कर किया जाता है जिसे ‘स्पन’ कहते हैं। टॉस जीतने वाला खिलाड़ी या तो सर्विस करने का अधिकार पहले ले लेता है तथा विरोधी खिलाड़ी कोर्ट की साइड चुनने का अधिकार रखता है। सर्विस करने वाला खिलाड़ी बेस लाइन के पीछे मध्य चिह्न के दायीं तरफ खडा होता है। विरोधी खिलाड़ी अपने कोर्ट के किसी भी हिस्से में खड़ा हो सकता है। गेंद को हवा में उछाला जाता है तथा जमीन पर गिरने से पहले उसे रैकेट से हिट करके विरोधी खिलाड़ी की तरफ भेजा जाता है। सर्विस करते समय खिलाड़ी न ता चल सकता है और न ही भाग सकता है। सर्विस तभी ठीक समझी जाती है जब गेंद जाल से पहले टप्पा खाए बिना दूसरी तरफ सर्विस कोर्ट में गिरे। यदि गेंद जाल के दूसरी तरफ न जाए अथवा फिर दूसरी तरफ के तिरछे कोर्ट में न गिरे तो फाल्ट होता है। यदि जाल को छुती हुई गेंद दूसरी तरफ तिरछे कोर्ट में गिरे तो फाल्ट नहीं होता। इसे ‘लेट’ कहा जाता है। खिलाड़ी को पुनः सर्विस करनी पड़ती है। प्रथम पारी समाप्त होने पर दूसरी पारी में दूसरा खिलाड़ी सर्विस करता है। पहले, तीसरे और खेल की समाप्ति तक प्रत्येक पारी को छोड़ टूसरी पारीं के समाप्त होने तक खिलाड़ी कोर्ट की दिशा वदलते हैं।
गणना
जो खिलाड़ी पहला पाइंट जीत जाता है तो वह 15 पाइंट कहलाता है। चौथा पाइंट ‘गेम पाइट’ कहलाता है अर्थात् खेल पूरा हो जाता है। सर्विस करने वाले खिलाडी का स्कोर सदैव पहले दिखाया जाता है। उदाहरणत: नवीन, मनोज को सर्विस करता है और पहला पाइंट जीत लेता है तो स्कोर होगा 15-शून्य (लव)। यदि मनोज पहला पाइंट जीत लेता है तो स्कोर होगा शुन्य-15 । यदि दोनों खिलाड़ी एक-एक पाश० जीत लेते हैं तो स्कोर होगा 15-आल अर्थात् नवीन को 15 एवं मनोज को 15 ।
यदि नवीन एवं मनोज दोनों ने तीन-तीन पाइंट प्राप्त कर लिए हैं तो स्कोर ड्यूस माना जाता है। इस स्थिति में दोनों में से किसी एक खिलाड़ी को लगातार दो पाइंट जीतने होंगे तभी खेल का निर्णय होता है। खेल जीतने वाला खिलाड़ी सेट जीतता है बशर्ते कि वह अथवा दूसरा खिलाड़ी 5-5 गेम न जीते हों। 5-आल की स्थिति में जो टीम अथवा खिलाड़ी दो गेम से आगे बढ़ेगा, वही विजयी कहलाता है। एक मैच में सेटों की संख्या महिलाओं के लिए तीन और पुरुषों के लिए पाँच होती है।
एकल खेल
एकल खेल का प्रारम्भ एक खिलाड़ी की सर्विस द्वारा किया जाता है । कोर्ट की दिशा का चुनाव एवं सर्विस का चुनाव कैसे होता है, यह पहले ही बताया जा चुका है। दोनों खिलाड़ी जाल की विपरीत दिशाओं में खड़े होते हैं। सर्विस करने वाला खिलाड़ी सर्वर और गेंद को प्राप्त करने वाला खिलाड़ी रिसीवर कहलाता है। सर्विस करते समय सर्वर बारी-बारी से दायीं और बायीं क्षेत्रों के पीछे खड़ा रहता है। वह खेल का आरम्भ दाहिनी ओर से करेगा जब तक रिसीवर तैयार न हो, सर्वर गेंद नहीं फैंक सकता। खेल में निम्न परिस्थितियों में कोई खिलाड़ी अंक खो देता है-
(1) जब वह गेंद को खेल क्षेत्र में पुनः टप्पा खाने से पहले उसे जाल के सीधे उस पार लौटाने में असफल रहता है।
(2) गेंद खेलते समय खिलाड़ी का रैकेट, उसके द्वारा पहनी गई कोई भी वस्तु जाल, खम्बों, तार आदि किसी भी चीज से टकराती है।
(2) गेंद खेलते समय खिलाड़ी का रैकेट, उसके द्वारा पहनी गई कोई भी वस्तु जाल, खम्बों, तार आदि किसी भी चीज से टकराती है।
(3) गेंद को जब लौटाता है तथा गेंद विपक्षी खिलाड़ी की सीमा रेखाओं के बाहर जा गिरती है।
(4) वह गेंद को रेकेट से दो बार हिट करता है।
(5) रैकेट फेंक कर वह गेंद को चोट मारता है ।
यदि गेंद क्रीड़ा क्षेत्र में निर्धारित किसी रेखा पर टप्पा-खा कर गिरती है तो वैध मानी जाती है। इसके अतिरिक्त यदि गेंद जमीन पर गिरने के पश्चात् किसी वस्तु से टकराती है; जैसे-जाल, तार, खम्बा, किनारी आदि तो सर्विस करने वाला खिलाड़ी अंक पा लेता है। लेकिन यदि गेंद जमीन को छूने से पहले ऐसी किसी वस्तु से टकराती है तो विपक्षी खिलाड़ी अंक पा लेता है। खेल में अम्पायर का निर्णय ही अन्तिम निर्णय होता है। लेकिन जहाँ रैफरी की नियुक्ति होती है, वहाँ अम्पायर के किसी निर्णय को ले कर रैफरी से अपील की जा सकती है तथा रैफरी का निर्णय ही अन्तिम निर्णय होता है।
युगल खेल
वैसे तो जो नियम एकल खेल के खिलाड़ियों पर लागू होते हैं, वही नियम युगल खेल के खिलाड़ियों पर भी लागू होते हैं। कुछ अन्य नियम, जो कि युगल खेल पर लागू होते हैं, निम्न प्रकार हैं-
(1) युगल खेल में क्रीड़ा क्षेत्र की चौड़ाई 36 फुट होती है। जाल के प्रत्येक ओर आधार रेखा एवं सर्विस रेखाओं के मध्य एकल की पार्श्व रेखाओं को इच्छानुसार मिटाया जा सकता है।
(2) जिस युगल ने प्रत्येक सेट से पहले सर्विस करनी हो, वह निर्धारित कर लेते हैं कि कौन-सा खिलाड़ी सर्विस करेगा। विपक्षी युगल इसी प्रकार अगली गेम के लिए यही फैसला करते हैं। जिस खिलाड़ी ने पहले खेल में सर्विस की होगी, उसका साझेदार खिलाड़ी तीसरे खेल में सर्विस करेगा । जिस खिलाड़ी ने दूसरे खेल में सर्विस की है उसका साझेदार चौथे खेल में सर्विस करता है। यही क्रम सारे खेलों में इसी प्रकार चलता रहता है।
(3) पहले खेल में जिस युगल को सर्विस प्राप्त करनी होती है, प्रत्येक सेट के दौरान एक छोड़ कर दूसरी सर्विस वही साझेदार प्राप्त करेगा। यदि कोई खिलाड़ी अपनी बारी के विपरीत सर्विस कर लेता है और इस गलती का पता बाद में चलता है। इस दौरान जितने भी अंक बन जाते हैं, वे सब वैध माने जाते हैं।
(4) खेल के दौरान युगलों में से एक खिलाड़ी बारी-बारी गेंद को हिट करता है। यदि कोई खिलाड़ी इस नियम को तोड़ता है तथा रैकेट से गैंद हिट करता है तो उसका अंक विपक्षी युगल को मिलढा है।
महत्वपूर्ण मुदे
(1) यदि कोई खिलाड़ी खेल के दौरान विपक्षी के क्षेत्र में कूद कर आ जाता है तो वह अंक हार जाता है।
(2) कभी यदि अम्पायर गलती से ‘फाल्ट’ कहता है तथा फिर उसी समय अपनी गलती सुधारने के लिए प्ले कहता है, ऐसी स्थिति में रिसीवर ठसे लौटाने में असमर्थ होता है तो ऐसे में एक ‘लेट’ मिलनी चाहिए।
(3) खेल के दौरान यदि कोई खिलाड़ी अपने रैकेट के ऊपर पकड़ लेता है तो वह अंक हार जाता है।
टाई ब्रेकर
टाई ब्रेकर वास्तव में खेल रोकने की एक प्रणाली है। जब कभी एक सेट काफी लम्बे समय तक खिंच जाता है तो टाई ब्रेकर का सहारा लिया जाता है। इसका निर्धारण पहले से ही किया जाता है कि यह स्कोर 6-आल अथवा 8-आल पर लागू होगा। इस प्रणाली में स्कोर के कई तरीके होते हैं। जो खिलाड़ी अथवा युगल 9 में से पहले 5 अंक बना लेता है, वह विजयी कहलाता है। 12 में से 7 की स्कोर प्रणाली में पहले सात अंक बनाने वाला खिलाड़ी जीतता है। लेकिन विरोधी से ठसके/उनके दो अंक ज्यादा होने चाहिए। टाई ब्रेकर का इस्तेमाल सभी टूर्नामेंटों में नहीं किया जाता। ये खेल साधारण तरीकों से ही खेले जाते हैं।
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