भूगोल / Geography

प्राकृतिक संसाधन क्या है? । नवीकरण एवं अन्नवीकरणीय | What is a natural resource in Hindi | Renewable and non-renewable in Hindi

प्राकृतिक संसाधन क्या है?

प्राकृतिक संसाधन क्या है? । नवीकरण एवं अन्नवीकरणीय | What is a natural resource in Hindi | Renewable and non-renewable in Hindi

प्राकृतिक संसाधन क्या है?

मानव प्रकृति में रहता है तथा प्रकृति के संसाधनों पर निर्भर करता है। शब्द संसाधन (resource) का अर्थ है ‘आपूर्ति अथवा सहायता का साधन जो सामान्यतः रिजर्व में अर्थात् सुरक्षित रहता है। प्राकृतिक पर्यावरण का कोई भी घटक जिसका उपयोग मानव द्वारा अपने कल्याण के लिए किया जाता है उसे प्राकृतिक संसाधन माना जाता है। दूसरे शब्दों में प्राकृतिक संसाधन वायुमण्डल (Atmosphere), जलण्डल (hydrosphere) तथा स्थल मण्डल (lithosphere) के घटक होते हैं। जिनका उपयोग जीवन के समतर्तन के लिए किया जाता है। इनमें ऊर्जा, वायुमण्डल (वायु), जल, थल (मृदा) खनिज पदार्थ, पादप तथा जन्तु सम्मिलित हैं। कुछ संसाधन (जैसे मृदा, जल) जीवन समर्थन तन्त्र (Life supporting system) के महत्त्वपूर्ण घटक है।

नवीकरणीय तथा अ-नवीकरणीय संसाधन

प्राकृतिक संसाधन मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-

(i) अक्षय (inexhaustible) तथा (ii) क्षयकारी (Exhaustible)

(i) अक्षय (Inexhaustible Resources) – ये वे प्राकृतिक संसाधन हैं जो काफी प्रचुरता में पाए जाते हैं और इनको क्षय अथवा नष्ट नहीं किया जा सकता है जैसे वायु शक्ति (wind power), सौर ऊर्जा (solar energy), ज्वार ऊर्जा (tidal energy), वर्षा परमाणु ऊर्जा (atomic energy) आदि। यह तो सम्भव है कि प्रदूषण के परिणामस्वरूप उनके गुणों में बदलाव आ जाए।

(ii) क्षयकारी संसाधन (Exhaustible Resources)- ये वे प्राकृतिक संसाधन है जिनके निरन्तर प्रयोग से उनके समाप्त हो जाने अथवा नष्ट हो जाने की सम्भावना है। ये भी दो प्रकार के होते हैं, अ-नवीकरणीय तथा नवीकरणीय।

अ-नवीकरणीय संसाधन- वे संसाधन जिन्हें पुनः निर्मित अथवा पैदा नहीं किया जा सकता है, उन्हें अ-नवीकरणीय संसाधन कहते हैं जैसे ईंधन (कोयला, पेट्रोलियम तथा गैस), खनिजे, जैविक प्रजातियाँ आदि।

नवीकरणीय संसाधन- वे संसाधन जिन्हें पुनः उत्पन्न अथवा कृत्रिम अथवा प्राकृतिक रूप से निर्मित किया जा सकता है वे नवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं जैसे- भूमिगत जल, वन तथा वन्य जीवन। नवीकरणीय संसंधन अ-नवीकरणीय बन सकते हैं अथवा पूर्ण रूप से समाप्त भी हो सकते हैं। वदि उनका अनुचित प्रबन्धन के साथ बहुत तेजी से उपयोग किया जाए। पारिस्थितिक तन्त्रों ताथ उनके महत्त्वपूर्ण नवीकरणीय उत्पादों के कुछ चयनित उदाहरण हैं-

(i) कृषि प्रणाली (भोजन तथा फाइबर प्रदान करती है।)

(ii) समुद्री तथा ताजे जल तन्त्र (पादपों तथा जन्तुओं के द्वारा विभिन्न भोजन प्रदान करते हैं।)

(iii) वन्य जीवन (खाद्य श्रृंखला को बनाए रखते हैं।)

(iv) वन (लकड़ी तथा अन्य पादप उत्पाद प्रदान करते हैं।) तथा

(v) चरागाह/रेजलैण्ड (Rangelands- दूध, मास तथा ऊन उत्पादों के लिए चरने वाले जीवों को पोषण देते हैं)।

प्राकृतिक संसाधन तथा उसे संबद्ध समस्याएँ

बीसवीं शातब्दी के आरम्भ तक, प्राकृतिक संसाधनों को प्राथमिक रूप से उपयोगी वस्तुओं के स्रोत के रूप में देखा जाता था। वह पर्यावरण में उपलब्ध कच्चा माल था जिसे मानव द्वारा उपयोग किया जाता था अथवा किया जा सकता था। हाल में ही, प्राकृतिक संसाधन की अवधारणा व्यापक हो जाने के साथ ही उसमें सम्पूर्ण पर्यावरण सम्मिलित हो गया है। भोजन, चारे तथा आश्रय के स्रोत होने के अतिरिक्त प्राकृतिक संसाधन मनुष्य को मनोरंजन के अवसर शांति तथा प्रेरणा भी प्रदान करते हैं। प्राकृतिक संसाधनों का सभ्यता के आरम्भ से ही अथवा उसके भी पहले से दोहन किया जा रहा है। चूंकि उस समय मानव जनसंख्या की तुलना में संसाधन प्रचुर मात्रा में थे इसलिए उनमें कोई विशेष कमी नहीं आई। पिछली सहस्त्राब्दि में, मानव जनसंख्या काफी बढ़ गई है, जिससे प्राकृतिक संसाधनों की गम्भीर क्षति अथवा विनाश हुआ है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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