पारंपरिक एवं लोक ग्रामीण अधिवास के प्रकार Traditional and folk rural house types

पारंपरिक एवं लोक ग्रामीण अधिवास के प्रकार | Traditional and folk rural house types in Hindi

पारंपरिक एवं लोक ग्रामीण अधिवास के प्रकार Traditional and folk rural house types
पारंपरिक एवं लोक ग्रामीण अधिवास के प्रकार Traditional and folk rural house types

पारंपरिक एवं लोक ग्रामीण अधिवास के प्रकार | Traditional and folk rural house types in Hindi

आवास मानव निर्मित सांस्कृतिक भू दृश्य का एक प्रमुख तल है यही कारण है कि इस पर सामाजिक सांस्कृतिक परंपराओं का स्पष्ट प्रभाव परिलक्षित होता है | किसी मानव समूह के आवासों का निरीक्षण कर उसके सामाजिक सांस्कृतिक विकास के स्तर का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है | भारत के हिंदू समाज के अधिकांश सांस्कृतिक आयोजन घर के सम्मुख या आंगन में करने की प्रथा है जिसके कारण सामान्यतः मकान की सामने पर्याप्त खाली जगह या जमीन बड़े आकार के छोड़ कर आंगन बनाए जाते हैं |

मतानुसार वास्तुशिल्प के अनुसार भारतीय अधिवासों का अभिविन्यास खगोलीय विन्यास पर आधारित होता है क्योंकि हिंदुओं में उनके देवी देवताओं की मूर्ति पूजा की प्रथा है घर का एक भाग पूजा स्थल के रूप में कार्य करता है | मंगोलो का घर चार भागों में विभाजित होता है जिनमें मुख्य द्वार के दाहिने तरफ घर के मालिक और उसका परिवार सामने की तरफ सम्मिलित होते हैं अतिथि तथा अन्य अतिथियों के निवास की व्यवस्था बाई ओर की जाती है | डेक्कन और बैम्बर जनजातियों में प्रत्येक वस्तु तथा सामाजिक घटना का प्रतीकात्मक एवं उपयोगितावादी महत्व होता है | इनके घर की प्रत्येक वस्तु यहां तक कि कुर्सी मेज भी प्रतीकात्मक विशेषता की होती हैं | इनमें गांव युग में स्थित होते हैं जो स्वर्ग और पृथ्वी का प्रतिनिधित्व करते हैं | हिंदू मकानों के बीच मंदिर, मुस्लिम आवासों के मध्य मस्जिद तथा ईसाइयों के भवनों के समीप स्थित गिरजाघर सांस्कृतिक परंपराओं से संबद्ध है | इसी प्रकार गावों में ग्राम देवता या घर में कुल देवता की पूजा का पूजा स्थल धार्मिक परंपराओं से संबन्धित है | गांवों में प्रत्येक मकान के सामने तुलसी के पौधे का पूजा हेतु रोपण किया जाता है तथा अधिकांश हिंदू घरों में स्वास्तिक चिन्ह का आंगन बनाया जाना सामाजिक रीति-रिवाजों की देन है, जिन्हें लोग सदियों से अपनाते चले आ रहे हैं |

ग्रामीण अधिवसों के पारंपरिक प्रकारों पर सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक कारकों का प्रभाव पड़ता है इसी के कारण गृह विन्यास में प्रादेशिक और राष्ट्रीय स्तर पर पर्याप्त में भिन्नता देखने को मिलती है | उदाहरण स्वरुप भारत में सम्मिलित कुटुंब की प्रथा है जिसके कारण मकान में आंगन उसके चारों ओर कमरा, डयोरी, बरामदा आदि आवश्यक अंग है | पाश्चात्य देशों में एकल कुटुंब के कारण गृह विन्यास भिन्न प्रकार का पाया जाता है |

भारत में ग्रामीण लोक अधिवासों के प्रकार

भारत के विशाल आकार प्राकृतिक पर्यावरण में विविधता तथा सामाजिक – आर्थिक परिस्थितियों में अंतर के कारण ग्रामीण अधिवासों के प्रकार में पर्याप्त भिन्नता पाई जाती है | देश का ग्रामीण भू-दृश्य लगभग 5.76 लाख ग्रामों तथा उनकी सीमाओं में स्थित अनेकों पुरवों या नगलों और एकाकी गृह से परिपूर्ण है | प्राकृतिक धरातल ने अधिवासों के वितरण प्रतिरूप को प्रभावित करने में प्रमुख भूमिका अदा की है, अतः प्राकृतिक विभागों को अधिवासों के प्रकारों के अध्ययन हेतु ठोस आधार के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है जिससे प्रादेशिक वितरण द्वारा पारंपरिक ग्रामीण अधिवासों को का विश्लेषण करने में सहायता प्राप्त होती है |

यहां पारंपरिक ग्रामीण अधिवास को परिभाषित करने के लिए कुछ क्षेत्र वर्गीकृत किए गए हैं –

  1. हिमालय प्रदेश (उत्तर भारत)
  2. पश्चिमी भारत प्रदेश
  3. दक्षिणी भारत प्रदेश
  4. उत्तर पूर्व भारत प्रदेश
  5. मध्य भारत प्रदेश

इस वर्गीकरण के आधार पर हम भारत के विभिन्न भागों में पाए जाने वाले पारंपरिक ग्रामीण लोक आदिवासियों के प्रकार को विश्लेषित कर सकते हैं |

उत्तर भारत – इसमें भौगोलिक क्षेत्र आते हैं जैसे – मैदान, पर्वत, मरुस्थल आदि सभी मिलते हैं | यह भारत का उत्तरी क्षेत्र है | प्रधान भौगोलिक अंगों में गंगा के मैदान पर हिमालय पर्वत श्रृंखला आती है यहां प्रमुख क्षेत्रों में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा आदि राज्य आते हैं | उत्तर भारत में हिमालय क्षेत्र में कभी-कभी बर्फबारी होती है जिसके कारण यहां के घरों के छत धालू होते हैं जिस पर बर्फ तथा पानी टिक ना जाए | यहां पर घर प्राय: पत्थर के टुकड़ों से बनाए जाते हैं तथा यहां पर पाए जाने वाले देवदार, अल्पाइन वृक्षों के लकड़ी से भी घर बनाए जाते हैं | वहीं पंजाब तथा हरियाणा में ईंटों से बने समतल छत वाले मकान बनाए जाते हैं जिनमें बाहर बरामदे, सीढ़ी, बारजे होते हैं तथा यह घर प्रायः लोग अपने खेतों के निकट ही बनाते हैं |

 हिमाचल में नुरपुर गृह यह दक्षिण हिमालय में स्थित होते हैं ज्यादातर इन में दो या तीन कमरे तथा छत होती है तथा साथ ही साथ घर के सामने जगह और एक रसोई घर भी होता है | केंद्रीय हिमालय में कामड़ा गृह प्राप्त होते हैं वर्षा ज्यादा होने के कारण यहां छत शंकुआकार होती है दो कमरे होते हैं यह लकड़ी तथा पत्थर के बने घर होते हैं |

 कुल्लू के गृहों को सुंदरी गृह कहा जाता है, घर सुंदर आकृति, पत्थर द्वारा निर्मित आरामदायक होते हैं जहां के घरों में बरामदा जरूर होता है यहाँ एक प्रकार की बांस की टोकरी फिफर का प्रयोग होता है जो बिल्ली से खाना बचाने का कार्य करती है |

पश्चिम भारत प्रदेश – पश्चिम भारत के अंतर्गत राजस्थान, गुजरात को मुख्य रूप से रखा जाता है जो कि भारत के पश्चिमी छोर पर स्थित है | यहां पर प्रायः मोटी दीवारों वाले घर मुख्य रूप से दिखाई देते हैं | यदि आप अरावली के दूसरी तरफ कोटा, बूंदी क्षेत्रों में आम घर देखने को मिलते हैं दो ईटों की दीवार साझा करने वाले घर इधर दिखाई देते हैं, दूसरी तरफ मारवाड़ क्षेत्र में दो घरों के बीच की दीवार पत्थरों की चार परते होती हैं (इस भौमिकी के पीछे ये है कि यह गर्मी में तथा सर्दी में घर को अधिक गर्म तथा ठंडा नहीं होने देते हैं) | छत को शंकु आकार में बनाया जाता है यहां जिससे पानी अंदर ना जाने पाए | यहां घर एक-दूसरे के करीब होते हैं तथा मुख्यतः यह एक कमरे में के होते हैं |

दक्षिण भारत प्रदेश – भारत के दक्षिण भागों में तमिलनाडु, केरला, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना आदि राज्य आते हैं | यहां प्रायः पारंपरिक घर के सामान प्रवेश द्वार होता है यह क्षेत्र यह दिखाता है कि आप कितने अमीर हैं आप का प्रवेश द्वार उतना बड़ा होता है | अच्छे वायु प्रवाह प्राप्त करने के लिए घर में बड़ी खिड़कियां होती हैं | दक्षिण भारत घरों में खंभे बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, प्राय: घर के सामने प्रवेश द्वार आमतौर पर पिछवाड़े के प्रवेश द्वार एक सीध में होते हैं | तमिल घरों की एक और महत्वपूर्ण अनूठी विशेषता म्यूट्राम है जो एक खुला क्षेत्र है, घर में बहुत सारी वायु प्रवाह और प्राकृतिक प्रकाश की अनुमति देता है और बारिश के दौरान यह सुंदर दिखता है | घर के पीछे प्रत्येक घरों में तुलसी का पौधा अवश्य लगाया जाता है |

उत्तर पूर्व भारत प्रदेश – यह चारों तरफ से हरियाली से घिरा हुआ है इसके अंतर्गत 8 राज्य सम्मिलित किए जाते हैं- असम, नागालैंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय | यहां के घर भूकंपीय गतिविधियों को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं | यहां के घरों के द्वार छोटे होते है इनकी मंजिलें ऊंची होती हैं या लकड़ी पर टिकी होती हैं | यहां पर मुख्य घर चोंग गृह होता है | आंगन के पास पूजा गृह अवश्य रूप में पाया जाता है | ‘रार’ गृह बंगाल के घास गृह होते है |

मध्य भारत – यहां पर मध्य भारत के अंतर्गत मिट्टी की खपरैल द्वारा निर्मित छत देखने को प्राप्त होती है | मवेशियों के लिए यहां घर से अलग एक घर का निर्माण किया जाता है तथा यहां प्रत्येक घर पर अति सुंदर सजावट देखने को प्राप्त होती है|  घरों की बाहरी दीवारों पर जानवरों की पैटर्न तथा साज-सज्जा प्राय: देखने को मिलती है जो यहां की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है | मिट्टी के घर मुख्यतः यहां प्राप्त किए जाते हैं परंतु अब धीरे-धीरे यहां घरों के निर्माण में ईटों का भी इस्तेमाल किया जाने लगा है |

विदेशों में प्रचलित कुछ पारंपरिक आवास प्रकार

  • टर्फ हाउस (आइसलैंड)
  • केप डच (पश्चिमी अफ्रीका)
  • मार डेल प्लांटा (अर्जेंटीना)
  • इज्बा (रूस)
  • ऐडोन हाउस
  1. टर्फ हाउस (आइसलैंड) – आइसलैंड (नार्वे के पश्चिमी तट से) के मूल बसने वाले द्वारा निर्मित मूल मैदान घर बाईकिंग ह्माग हाउस (लैगुस) पर आधारित है | बाहरी तरफ दीवारों को लकड़ी के फ्रेम के साथ आंतरिक रूप से किया जाता है | घर का मुख्य कमरा इस ‘स्काली’ के रूप से जाना जाता है | जिसमें एक केंद्रीय खुली मार्ग और दो उठाए गए प्लेटफार्म सम्मिलित होते हैं | जिन्हें सेट के नाम से जाना जाता है |
  2. केप डच – यह वास्तुकला मुख्य रूप से पश्चिमी अफ्रीका के पश्चिमी के में पाए जाने वाली अद्वितीय इमारत शैली का वर्णन करती है | प्रवेश द्वार पर और किनारों पर जटिल गोलाकार द्वार विशेषता है | इस वास्तु शिल्प शैली की एक और अनोखी विशेषता यह है कि घर में मुख्य क्षेत्र और दो लंबवत पंख हैं जो पीछे की तरफ तीन तरफा बगीचा या आंगन क्षेत्र बनाते हैं | और छत की छत होती है अर्थात यहां एक छत के ऊपर ही दूसरी छत जुड़ी हुई होती है |
  3. मार्च डेल प्लाटा – वास्तुकला शैली पहले अर्जेंटीना में उसी नाम, मार डेल प्लाटा शहर में शुरू हुई थी | इस देश में इन घरों की कैलिफोर्नियाई शैली के रूप में भी जाना जाता है | इस वास्तुशिल्प शैली की कुछ सामान्य विशेषताओं में पत्थर में बाहरी और सजावट का उपयोग शामिल है इसके अतिरिक्त इन घरों में त्रिभुज के तार मिशन टाइल वाली छत, चिमनी और फूल के बिस्तर के समान जाना जाता है |
  4. इब्बा – रूस के ग्रामीण इलाकों में पाया जाता है | हाथ के औजारों का उपयोग करके लकड़ी से यह घर बनता है और इन के मध्य की दूरी को भरने के लिए नदियों की मिट्टियों का प्रयोग किया जाता है | धातु के टुकड़ों का उपयोग कर डिजाइन बनाए जाते हैं | ढलान वाले छत होते हैं नीचे खिड़कियों की श्रृंखला होती है जो दीवार पर खुलती है | बारिश तथा ठंड के मौसम में ठंड को रोकने के लिए जानवरों की खाल भी लटका दी जाती है |
  5. एडोन हाउस – यह मैक्सिको और अमेरिका के दक्षिण पश्चिमी क्षेत्र में स्थित होता है | यहां जलवायु गर्म और सुखी होती है एडोन किसी भी तरह की ईट द्वारा या किसी अन्य सामग्री द्वारा निर्मित किया जाता है | यह संरचना बहुत ही टिकाऊ होती है इनकी दीवारें मोटी होती हैं जिससे गर्मी में घर को ठंडा रखने में सहायता मिलती है |

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