सविनय अवज्ञा आन्दोलन | सविनय अवज्ञा आन्दोलन की घोषणा | सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम | सविनय अवज्ञा आन्दोलन का राष्ट्रीय आन्दोलन में महत्व एवं योगदान
सविनय अवज्ञा आन्दोलन | सविनय अवज्ञा आन्दोलन की घोषणा | सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम | सविनय अवज्ञा आन्दोलन का राष्ट्रीय आन्दोलन में महत्व एवं योगदान
सविनय अवज्ञा आन्दोलन
सविनय अवज्ञा आन्दोलन की घोषणा-
लन्दन से लौटकर लॉर्ड इरविन ने 31 अक्टूबर, 1929 ई० को यह घोषणा की कि ब्रिटिश सरकार की यह मान्यता है कि सन् 1917 ई० की घोषणा में भारत को अन्त में औपनिवेशिक स्वराज्य प्रदान करने की बात अन्तर्निहित है। इस घोषणा से भारतीयों को कुछ आशा बँधी, परन्तु ब्रिटेन में भारत के प्रति असहानुभूतिपूर्ण रुख होने से इस दिशा में कुछ भी नहीं हो सका। अतः कांग्रेस ने दिसम्बर, 1929 ई० में लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वाधीनता का प्रस्ताव स्वीकृत किया तथा उक्त उद्देश्य की प्राप्ति के लिये कार्य समिति को सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ करने का अधिकार प्रदान किया। जनवरी, 1930 ई० में वॉयसराय ने अपनी अक्टूबर घोषणा को दोहराया और गोलमेज परिषद् के लक्ष्यों एवं कार्यक्रम पर प्रकाश डाला। 14 एवं 15 फरवरी, 1930 ई० को साबरमती आश्रम में कांग्रेस कार्यसमिति की एक बैठक हुई जिसमें गाँधीजी को अपनी इच्छा से समय एवं स्थान निश्चित कर आन्दोलन प्रारम्भ करने का अधिकार प्रदान किया गया। उस समय भारतीयों में नमक करके विरुद्ध जोरदार भावना व्याप्त थी। अतः गाँधीजी ने नमक करके विरुद्ध आन्दोलन करने का निश्चय किया। 27 फरवरी को आन्दोलन का कार्यक्रम सर्वसाधारण की जानकारी हेतु प्रचारित किया गया और महात्मा गाँधी ने घोषणा की कि वे 79 निर्वाचित सहयोगियों के साथ सबसे पहले नमक कानून का उल्लंघन करेंगे। इस प्रकार गाँधीजी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आन्दोलन के प्रारम्भ की भूमिका का निर्माण हुआ।
आन्दोलन का कार्यक्रम
(Programme of the Movement)
वायसराय को भेजी जाने वाली 11 माँगों की सूची में आन्दोलन के कार्यक्रम का आधार थी। ये शर्ते अग्रलिखित थीं-
(1) पूर्ण मद्य निषेध
(2) विनिमय दर कम कर एक शिलिंग पाँच पैन्स कर दी जाए।
(3) भूमि का लगान आधा हो और उस पर कौंसिल का नियन्त्रण रहे।
(4) नमक करको समाप्त कर दिया जाए।
(5) सेना के खर्च में कम से कम 50% की कमी हो।
(6) बड़ी सरकारी नौकरियों का वेतन आधा कर दिया जाए।
(7) विदेशी वस्त्रों के आयात पर निषेध कर लगाया जाए।
(8) भारतीय समुद्र (समुद्र तट) केवल बारतीय जहाजों के लिये ही सुरक्षित हो।
(9) सभी राजनीतिक कैदी छोड़ दिए जाएँ, राजनीतिक मुकदमें उठा लिए जाएं तथा निर्वासित भारतीयों के देश में वापस आने दिया जाए।
(10) गुप्तचर पुलिस को उठा दिया जाए या उस पर जनता का नियन्त्रण रहे और
(11) आत्म रक्षा के लिये हथियार रखने के अनुज्ञा पत्र दिए जाएँ।
6 अप्रैल 1930 को गाँधीजी ने आन्दोलन के लिए निम्न कार्यक्रम घोषित किया “गाँव- गाँव को नमक बनाने के लिए निकल पड़ना चाहिए। बहनों को शराब, अफीम और विदेशी कपडों की दुकानों पर धरना देना विदेशी वस्त्रों को जला देना चाहिए। हिन्दुओं को छूआछूत त्याग देनी चाहिए। विद्यार्थियों को सरकारी शिक्षण-संघ का परित्याग कर देना चाहिए तथा सरकारी कर्मचारियों को अपनी नौकरियों से त्याग पत्र दे देना चाहिए।”
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