लघु उद्योगों का विकास | उत्तर प्रदेश में लघु औद्योगिक क्षेत्र एवं सम्पूर्ण औद्योगिक क्षेत्र का वार्षिक वृद्धि दर | उत्तर प्रदेश में लघु उद्योगों की स्थिति | उत्तर प्रदेश के औद्योगिक समस्याओं की व्याख्या | उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास के समस्याओं की विवेचना

लघु उद्योगों का विकास | उत्तर प्रदेश में लघु औद्योगिक क्षेत्र एवं सम्पूर्ण औद्योगिक क्षेत्र का वार्षिक वृद्धि दर | उत्तर प्रदेश में लघु उद्योगों की स्थिति | उत्तर प्रदेश के औद्योगिक समस्याओं की व्याख्या | उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास के समस्याओं की विवेचना | Development of small scale industries in Hindi | Annual growth rate of small industrial area and entire industrial area in Uttar Pradesh in Hindi | Status of small scale industries in Uttar Pradesh in Hindi | Explanation of industrial problems of Uttar Pradesh in Hindi | Discuss the problems of industrial development of Uttar Pradesh in Hindi
लघु उद्योगों का विकास
एक विकासशील अर्थव्यवस्था में लघु उद्योग उत्पादन, रोजगार, औद्योगीकरण, आदि में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हैं। भारत के सन्दर्भ में भी यह बात लागू होती है भारत में देश के कुल निर्यात का एक तिहाई हिस्सा लघु उद्योगों के द्वारा किया जाता है। जोकि एक महत्वपूर्ण योगदान है। इससे यह बात स्पष्ट होती है कि औद्योगीकरण में लघु उद्योगों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। चाहे वह देश हो या राज्य प्रत्येक अर्थव्यवस्था में लघु उद्योग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उत्तर प्रदेश में लघु उद्योगों की स्थिति को तालिका-1 तालिका-2 में प्रदर्शित किया गया है।
तालिका-1 में राज्य आय, लघु उद्योग, समस्त विनिर्माण क्षेत्र तथा समस्त औद्योगिक क्षेत्र की वार्षिक वृद्धि दर को दिखाया गया है। जैसा कि हम जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में 1990 के दशक से राज्य आय की विकास दर अत्यन्त मन्द या सुस्त पड़ गयी थी तथा इसकी वृद्धि दर में व्यापक उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं। राज्य आय की स्थिति को देखने से इस बात का अनुभव होता है कि राज्य की अर्थव्यवस्था में आत्मविश्वास एवं स्थायित्व की कमी बनी हुई है। राज्य की यह स्थिति राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के विपरीत है।
वास्तव में, राज्य आय की कमजोर स्थिति से प्रदेशों में औद्योगिक विकास में व्याप्त कमजोरियाँ परिलक्षित होती हैं क्योंकि यह चाहे सम्पूर्ण औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि दर हो अथवा
तालिका- 1 : उत्तर प्रदेश में लघु औद्योगिक क्षेत्र एवं सम्पूर्ण औद्योगिक क्षेत्र का वार्षिक वृद्धि दर (प्रतिशत)
वर्ष |
राज्य आय |
लघु उद्योग वृद्धि दर |
विनिर्माण क्षेत्र वृद्धि दर |
समस्त औद्योगिक वृद्धि दर |
1994-95 |
5.79 |
-81.61 |
19.84 |
7.50 |
1995-96 |
3.69 |
391.08 |
3.50 |
3.64 |
1996-97 |
10.74 |
1.78 |
21.10 |
12.14 |
1997-98 |
-0.09 |
1.58 |
-4.21 |
-0.70 |
1998-99 |
2.75 |
-1.62 |
-2.52 |
2.02 |
1999-2000 |
5.49 |
6.90 |
0.62 |
4.85 |
2000-01 |
0.99 |
-3.69 |
-2.35 |
0.56 |
2001-02 |
2.96 |
-5.73 |
1.54 |
2.79 |
2002-03 |
5.75 |
3.81 |
8.60 |
6.10 |
2003-04 |
4.59 |
0.31 |
4.83 |
4.61 |
2004-05 |
4.81 |
0.71 |
5.76 |
4.93 |
स्त्रोत: (EPW Research Foundation Census of SSI Uttar Pradesh )
तालिका-2 : उत्तर प्रदेश में लघु उद्योगों की स्थिति
वर्ष |
लघु उद्योगों की संख्या |
पूँजी निवेश (करोड़ रू.) |
रोजगार सृजन (हजार) |
उत्पादन (करोड़ रू.) |
1984-85 |
77496 |
921 |
850 |
2763 |
1991-92 |
168011 |
1634 |
856 |
318 |
1994-95 |
252400 |
2348 |
1169 |
7038 |
1998-99 |
372946 |
2631 |
1496 |
1437 |
1999-2000 |
105158 |
4001 |
6572 |
1374 |
2003-04 |
491433 |
4846 |
1880 |
383 |
2005-06 |
552117 |
5394 |
2126 |
373 |
2006-07 |
580604 |
5901 |
2247 |
944 |
स्त्रोत: सांख्यिकीय डायरी ।
विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर हो, दोनों में स्थायित्व तथा आत्मविश्वास की कमी परिलक्षित होती है। किन्तु उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक निराशाजनक स्थिति लघु उद्योगों के सम्बन्ध में है। क्योंकि 1990 के दशक से ही उत्तर प्रदेश में लघु उद्योगों की स्थिति अजीवो-गरीब बनी हुई है। इनकी वृद्धि दर अत्यन्त निम्न स्तर की रही है और साथ ही इसकी वृद्धि ऋणात्मक वृद्धि की ओर मुड़ जाती है। इसका अभिप्राय यह है कि प्रदेश में लघु उद्योग आर्थिक विकास को अपेक्षित सहयोग प्रदान नहीं कर पा रहे हैं।
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