अर्थशास्त्र / Economics

भारत में जनसंख्या विस्फोट के कारण | जनसंख्या विस्फोट का समाधान | जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम

भारत में जनसंख्या विस्फोट के कारण | जनसंख्या विस्फोट का समाधान | जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम | Causes of Population Explosion in India in Hindi | Solution to Population Explosion in Hindi | Steps taken by the government to check population growth in Hindi

भारत में जनसंख्या विस्फोट के कारण

भारत में जनसंख्या विस्फोट के अनेक कारण हैं, जिन्हें प्रमुख रूप से निम्न शीर्षकों के अंतर्गत अध्ययन किया जाता है-

(अ) प्राकृतिक कारण (Natural Causes)

(ब) आर्थिक कारण (Economic Causes)

(स) सामाजिक कारण (Social Causes)

(अ) प्राकृतिक कारण (Natural Causes)

भारत में जनसंख्या-विस्फोट के प्राकृतिक कारणों को प्रमुख रूप से दो भागों में बाँटा जद सकता है- (1) ऊँची जन्म-दर, एवं (2) घटती हुई मृत्यु दर

(1) ऊँची जन्म-दर (High Birth Rate)- जन्म-दर से अभिप्राय है कि एक वर्ष में प्रति हजार जनसंख्या के पीछे कितने बच्चों का जन्म होता है। भारत में वर्तमान में जन्म-दर के अधिक होने के कारण निम्नलिखित हैं-

(1) बाल विवाह (Child Marriage)- भारत में कम उम्र में ही शादी या विवाह कर दिया जाता है। इससे छोटी उम्र में बच्चे पैदा होना आरंभ हो जाता है और माँ की बच्चे उत्पन्न करने की अवधि लंबी हो जाती है।

(2) विवाह की अनिवार्यता (Compulsion of Marriage)- भारत में विवाह करना एक अनिवार्यता मानी जाती है और माता-पिता इस कार्य को करना अपना सामाजिक उत्तरदायित्व मानते हैं। यहाँ विवाह एक धार्मिक क्रिया भी मानी जाती है।

(3) सामाजिक विश्वास (Social Belief)- भारतीय समाज में खासकर हिंदुओं में यह धारणा है कि पुत्र अवश्य होना चाहिए। अतः कई लड़कियों के जन्म के बाद संतान उत्पत्ति करते रहते हैं। साथ ही जिस दंपत्ति की कोई संतान नहीं होती है, उसको समाज में अच्छा स्थान नहीं मिलता है।

(4) ईश्वरीय देन (God Gift)- भारत में संतान एक ईश्वरीय देन मानी जाती है और इसकी प्राप्ति को अपने भाग्य की देन मानते हैं। अतः अधिकांश जनसंख्या को संतान निरोधक उपायों पर विश्वास नहीं है।

(5) पारिवारिक मान्यता (Family Recognition)- ‘भारत में बड़ा परिवार सामाजिक सुरक्षा व समृद्धि का द्योतक माना जाता है और समाज में ऐसे व्यक्ति को अच्छा स्थान मिलता है।

(6) जलवायु (Climate)- भारतीय जलवायु गर्म है जिसके कारण भारतीय स्त्रियों की प्रजनन शक्ति अधिक है।

(7) मनोरंजन साधनों का अभाव- देश की अधिकांश जनसंख्या गाँवों में रहती है, जहाँ मनोरंजन के साधन नहीं होते हैं, अतः लोग यौन संपर्क को ही मनोरंजन मानते हैं। इससे जनसंख्या में वृद्धि होती है।

(8) निम्न आय व निम्न जीवन स्तर (Low Income and Low Standard of Living)- भारत में प्रति व्यक्ति आय अन्य देशों की तुलना में काफी कम है। इसी कारण यहाँ जीवन-स्तर भी निम्न है। अधिक संतान होने से आय में वृद्धि होती है एवं जीवन स्तर सुधरता है, क्योंकि भारत में 7-8 वर्ष का बच्चा भी अपने पिता के काम में हाथ बँटाने लगता है।

(9) ग्रामीण क्षेत्रों में निरोधक सुविधाओं की कमी (Lack of Check Facilities in Rural Areas)- ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भ धारण को रोकने के लिए आवश्यक चिकित्सा व अन्य सुविधाओं का अभाव है।

(2) घटती हुई मृत्यु दर (Declining Death Rate)- मृत्यु दर से अर्थ, एक वर्ष में प्रति हजार जनसंख्या के पीछे मृत्यु की संख्या से है। मृत्यु दर में कमी से लोगों की औसत आयु एवं वास्तविक आयु में वृद्धि होती है। भारत में मृत्यु दर घटने के प्रमुख कारण अगांकित हैं-

(1) चिकित्सा व स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार (Improvement in Medical and Health Facilities)- देश में 1950-51 में 1लाख 13 हजार पलंग बाल अस्पताल थे, लेकिन आज इनकी संख्या 8 लाख से अधिक है। इसी अवधि में पंजीकृत चिकित्सकों की संख्या भी 6। हजार से 3 लाख 9 हजार हो गयी है। इसमें शिशु मृत्यु दर में कमी आयी है।

(2) अकालों व महामारियों में कमी (Reduction in Famines and Epidemics)- पिछले कुछ 40-50 वर्षों में देश में न तो कोई भयंकर अकाल ही पड़ा है और न कोई महामारी। इससे मृत्यु दर में कमी आयी है।

(3) विवाह आयु में वृद्धि (Increase in Marriage Age)- पिछले कुछ दशकों में विवाह आयु में वृद्धि हुई है। पहले बाल विवाह अधिक मात्रा में होते थे, जिससे कम उम्र में ही प्रजनन हो जाने के कारण शिशु व माँ की मृत्यु काफी मात्रा में हो जाती थी। आजकल अधिक उम्र में शादी होने के कारण माँ में परिपक्वता आ जाती है और मृत्यु की संभावनाएँ कम हो जाती हैं।

(4) स्त्रियों की शिक्षा (Women Education)- 2001 की जनगणना के अनुसार स्त्रियों में साक्षरता 54.16 प्रतिशत है। परिणामतः स्त्रियों में शिक्षा का प्रसार होने से उनमें बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल करने के कारण मृत्यु दर में कमी आ गयी है।

(5) जीवन स्तर में वृद्धि (Improvement in Standard in Living)- सामान्य नागरिकों के जीवन स्तर में वृद्धि भी मृत्यु दर में कमी लाने में सहायक रही है। अच्छा भोजन, मकान व स्वास्थ्य तथा सफाई की उचित व्यवस्था ने इस संबंध में अच्छा योगदान दिया है।

(ब) आर्थिक कारण (Economic Causes)

जनसंख्या विस्फोट के कुछ आर्थिक कारण भी हैं, जैसे-कमाने के लिए परिवार का बड़ा होना। यदि परिवार बड़ा होगा तो कमाने वाले अधिक होंगे, जिससे परिवार की आय बढ़ेगी। इस प्रकार बड़े परिवार की इच्छा के कारण भी बच्चों की संख्या बढ़ी है।

(स) सामाजिक कारण (Social Causes)

जनसंख्या विस्फोट के सामाजिक कारण निम्न हैं-

(1) विवाह की व्यापकता (Universality of Marriage)- आज भी सामाजिक मान्यता है कि प्रत्येक व्यक्ति का विवाह होना चाहिए तथा प्रत्येक परिवार में लड़का होना आवश्यक है, चाहे लड़कियाँ कितनी ही क्यों न हों। इससे जनसंख्या बढ़ती है।

(2) अशिक्षा एवं निम्न जीवन स्तर (Illiteracy and Low Standard in Living)- अशिक्षा व निम्न जीवन-स्तर भी जनसंख्या वृद्धि में सहयोग दे रहा है। वे परिवार कल्याण को नहीं मानते हैं। अशिक्षा का कारण रूढ़िवादी होना है।

(3) विदेशियों का आगमन (Migration)- कभी-कभी देश में पड़ोसी देशों से असुरक्षा के कारण शरणार्थी आ जाते हैं, जो हमारी जनसंख्या में वृद्धि कर देते हैं। जैसे-1971 में पूर्वी व पश्चिमी पाकिस्तान से काफी शरणार्थी आये थे। इसी प्रकार 1971 में बांग्ला देश से लगभग एक करोड़ व्यक्ति भारत आये थे। इसके अलावा कुछ देश भारत मूल के निवासियों को अपने-अपने देश से निकाल रहे हैं, जैसे-लंका, बर्मा, इंग्लैण्ड, मलाया, कीनिया, आदि। इससे भी जनसंख्या बढ़ती है, लेकिन इनकी मात्रा कम होती है।

जनसंख्या समस्या या जनसंख्या विस्फोट का समाधान

भारत में जनसंख्या की समस्या के समाधान के दो मुख्य पहलू हैं-

(अ) जन्म-दर नियंत्रण के उपाय, एवं (ब) देश का आर्थिक विकास

(अ) जन्म-दर नियंत्रण के उपाय (Measures of Birth Rate Control) : जनसंख्या समस्या के समाधान के लिए जन्म-दर नियंत्रण के उपायों को अपनाना चाहिए, ताकि जन्म दर को नियंत्रित किया जा सके। जन्म-दर को नियंत्रित निम्न प्रकार से किया जा सकता है-

(1) शिक्षा सुविधाओं का विस्तार (Expansion of Education Facilities)- बढ़ती हुई जनसंख्या को रोकने के लिए आवश्यक है कि देश में शिक्षा सुविधाओं का विस्तार किया जाये। यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि शिक्षित परिवार के सदस्यों की संख्या सीमित होती है। अतः जब भारत में शिक्षित व्यक्तियों की संख्या बढ़ेगी, तो वे स्वतः ही अपने परिवार को सीमित रखेंगे और इस प्रकार जनसंख्या का उपचार हो जायेगा।

(2) देरी से विवाह (Late Marriage)- बढ़ती हुई जनसंख्या को रोकने के लिए विवाह की आयु बढ़ायी जा सकती है। वर्तमान में लड़के व लड़कियों की विवाह की आयु 21 व 18 वर्ष है। यदि लड़कियों की आयु 20 वर्ष से अधिक कर दी जाती है, तो ऐसा अनुमान है कि जन्म-दर में 15 से 30 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है।

(3) नियमों का कठोरता से पालन (Observance of Rules Rigorously) – लड़के एवं लड़कियों के लिए विवाह योग्य आयु वर्तमान समय में क्रमशः 21 व 18 वर्ष है। इसका कठोरता से पालन किया जाना चाहिए और नियमों का उल्लंघन करने वाले माता एवं  पिता तथा अन्य संबंधियों को उचित सजा दी जानी चाहिए तथा इसका प्रचार किया जाना चाहिए जिससे जनमत इसके पक्ष में बन सके। देर से विवाह करने वालों को उचित पुरस्कार भी दिया जाना चाहिए।

(4) परिवार कल्याण (Family Welfare)- बढ़ती हुई जनसंख्या को रोकने के लिए यह आवश्यक है कि परिवार कल्याण कार्यक्रमों को व्यावहारिक रूप दिया जाये। इसके लिए-

(i) परिवार कल्याण कार्यक्रमों को रेडियो, टेलीविजन, फिल्म, मेला तथा नुमाइश के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाया जाये।

(ii) बन्ध्याकरण हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर शिविर लगाया जाये।

(iii) बन्ध्याकरण के पश्चात् रोगी की उचित देखभाल की व्यवस्था की जाये।

(iv) गर्भ-निरोधक साधनों, जैसे-निरोध, गर्भ निरोधक गोलियों को जन-जन तक पहुँचाने के लिए सरकारी उचित मूल्य की दुकानों का सहारा लेना चाहिए।

(v) बन्ध्याकरण करने वाले डॉक्टर एवं कर्मचारियों को नयी-नयी चिकित्सकीय प्रणाली से अवगत कराना चाहिए।

(5) अधिक गर्भपात की सुविधाएँ (Enhanced Medical Termination Facilities)- भारत में 1 अप्रैल, 1972 में (Medical Termination of Pregnancy Act) लागू कर दिया गया है, जिसके अंतर्गत कोई भी स्त्री अपने गर्भ को पंजीकृत डॉक्टर से गिरवा सकती है। लेकिन भारत में इस प्रकार के अस्पतालों व नर्सिंग होमों की कमी है जहां गर्भपात कराया जा सकता है। अतः इसमें वृद्धि किये जाने की आवश्यकता है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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