इतिहास / History

भारत पर सिकन्दर के आक्रमण के कारण | भारत पर सिकन्दर के आक्रमण करने का क्या कारण था?

भारत पर सिकन्दर के आक्रमण के कारण | भारत पर सिकन्दर के आक्रमण करने का क्या कारण था?

भारत पर सिकन्दर के आक्रमण के कारण

भारत पर सिकन्दर का आक्रमण अकस्मात् नहीं हुआ, बल्कि अनेक कारणों से प्रभावित होकर एक निश्चित योजना के अधीन सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण करने का फैसला किया।

भारत की तत्कालीन राजनीतिक स्थिति-

सिकन्दर को आक्रमण की प्रेरणा देने में भारत की तत्कालीन राजनीतिक स्थिति ने बहुत बड़ी भूमिका निबाही। ऊपर हम देख चुके हैं कि 4थी शताब्दी ई०पू० में समस्त सीमांत-प्रांत अनेक छोटे-बड़े राज्यों में बँटा हुआ था। इन राज्यों में एकता की भावना नहीं थी। ये सदैव एक-दूसरे से लड़ते रहते थे। अपने स्वार्थ के लिए ये कोई भी कदम उठा सकते थे। जैसा कुछ राज्यों ने सिकन्दर को चढ़ाई करने का निमन्त्रण देकर किया भी। सबसे बड़ी बात तो यह थी कि इस क्षेत्र में ऐसा कोई भी प्रभावशाली और शक्तिशाली शासक नहीं था जो इन राज्यों को संगठित कर एक सूत्र में बाँधकर रख सके, जैसा कि पूर्व में मगध के राजा कर रहे थे। ऐसी स्थिति किसी भी महत्वाकांक्षी शासक के लिए सर्वथा उपयुक्त थी। सिकन्दर इस स्थिति से पूर्णतः परिचित था। अतः मौके का लाभ उठाते हुए उसने भारत-विजय की योजना बनाई।

सिकन्दर की विश्वविजेता बनने की अभिलाषा-

यद्यपि सिकन्दर यूनान के एक छोटे राज्य (मकदूनिया) का शासक था, तथापि अपनी महत्त्वाकांक्षा और योग्यता के बल पर वह शीघ्र ही एक महान विजेता और शक्तिशाली शासक बन बैठा। समस्त यूनान को अपने नियंत्रण में लेने के पश्चात् सिकन्दर ने दिग्विजय-अभियान आरंभ किया। वह समस्त विश्व पर अपनी विजय-पताका लहराना चाहता था। उसने एशिया माइनर, भूमध्यसागरीय प्रदेशों, फीनिशिया एवं मिस्र को नतमस्तक किया। अरबेला के युद्ध में हखामनी-वंश के शासक दारा तृतीय को परास्त कर उसने हखामनी-साम्राज्य का अंत कर दिया। इस विजय के पश्चात् इसकी लालसा और अधिक बढ़ गई। ईरान की विजय के पश्चात् विश्वविजेता बनने का स्वप्न देखने वाला सिकन्दर महान के लिए आवश्यक था कि वह भारत-विजय करे, क्योंकि ईरान और भारत की सीमा बिलकुल नजदीक थी। इसलिए, सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण की योजना बनाई।

धन प्राप्त करने की इच्छा-

भारत पर विजय प्राप्तकर सिकन्दर विश्वविजेता बनने के -अतिरिक्त पर्याप्त धन भी प्राप्त कर सकता था। पश्चिमी जगत में भारत उस समय सोने की चिड़िया के रूप में विख्यात था। सिकन्दर ने ईरानियों से भारत की संपन्नता के विषय में सुन रखा था। अतः सिकन्दर इस वैभव को भी प्राप्त करना चाहता था।

नए प्रदेशों की जानकारी की इच्छा-

ईरानियों की ही तरह सिकन्दर भी नए भौगोलिक अन्वेषणों में दिलचस्पी रखता था। नए-नए इलाकों पर अधिकार कर वहाँ की भौगोलिक स्थिति से परिचित होना चाहता था। भारत अब भी पश्चिमी जगत के लिए अजूबा ही बना हुआ था। अतः सिकन्दर यहाँ की जानकारी प्राप्त करने की भी इच्छा रखता था।

विजय का रास्ता सहज-

सिकन्दर ने यह देख लिया था कि कितनी आसानी से ईरानी भारत पर विजय प्राप्त करने में सफल हो सके थे। ईरानियों को किसी भी बड़े प्रतिरोध का सामना नहीं करना पड़ा था। अतः सिकन्दर के मन में यह बात बैठ गई कि वह सुगमतापूर्वक भारत-विजय कर विश्वविजेता बन्ने का अपना सपना पूरा कर सकता है। इसलिए उसने आक्रमण की योजना बनाई।

कुछ भारतीय शासकों के सहयोग का आश्वासन-

सिकन्दर भारत के कुछ शासकों द्वारा सहयोग दिए जाने के आश्वासन से और अधिक उत्साहित हो उठा। इस समय तक्षशिला के शासक आम्भी और पोरस के बीच मनमुटाव और संघर्ष चल रहा था। पोरस की बढ़ती हुई शक्ति से आम्भी के दिमाग में खतरे एवं ईर्ष्या की घण्टी बज उठी। उसने पोरस पर अंकुश लगाने और उसे नीचा दिखाने के लिए सिकंदर से संपर्क किया। आंधी ने बुखारा में सिकंदर के पास अपना दूत भेजकर भारत पर आक्रमण करने एवं पोरस की शक्ति को कुचलने का अनुरोध किया। उसने सिकंदर को बहुमूल्य उपहार भी भेजे। सिकंदर तो मौके की ताक में था ही। उसने भारत पर आक्रमण करने का निश्चय किया।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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