उदारवादी राष्ट्रीयता

उदारवादी राष्ट्रीयता | अरविन्द घोष | 1885 से 1905 तक कांग्रेस के कार्य

उदारवादी राष्ट्रीयता | अरविन्द घोष | 1885 से 1905 तक कांग्रेस के कार्य उदारवादी राष्ट्रीयता “एक पराधीन राष्ट्र स्वतंत्रता के द्वारा ही उन्नति के द्वार खोल सकता है, और स्वतंत्रता के लिये बलिदान की आवश्यकता है। राजनीति की आरामकुर्सी पर बैठ कर विदेशी सत्ता नहीं हिलाई जा सकती। भारत अपने पराक्रम और शक्ति से ही…

कांग्रेस का इतिहास

कांग्रेस का इतिहास | कांग्रेस का प्रारम्भिक स्वरूप | कांग्रेस के प्रारम्भिक संगठन तथा लक्ष्य | भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन का इतिहास

कांग्रेस का इतिहास | कांग्रेस का प्रारम्भिक स्वरूप | कांग्रेस के प्रारम्भिक संगठन तथा लक्ष्य | भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन का इतिहास कांग्रेस का इतिहास सन् 1885 से लेकर 1905 तक के 20 वर्षों में कांग्रेस की बागडोर उदारवादी नेताओं के हाथ में रही। इन नेताओं का संवैधानिक साधन में विश्वास था, इस प्रकार प्रारम्भिक कांग्रेस…

भारत में राष्ट्रवाद के उदय के कारण

भारत में राष्ट्रवाद के उदय के कारण | भारतीय राष्ट्रीयता की उत्पत्ति एवं विकास | भारत में राजनीतिक जागृति के कारण | 19वीं शताब्दी में भारत में राष्ट्रीय आन्दोलन के उदय के कारण

भारत में राष्ट्रवाद के उदय के कारण | भारतीय राष्ट्रीयता की उत्पत्ति एवं विकास | भारत में राजनीतिक जागृति के कारण | 19वीं शताब्दी में भारत में राष्ट्रीय आन्दोलन के उदय के कारण भारत में राष्ट्रवाद के उदय के कारण भारतीय इतिहास में उन्नीसवीं शताब्दी से एक नवीन युग का सूत्रपात हुआ। पाश्चात्य शिक्षा, सभ्यता…

जाति प्रथा के गुण तथा दोष | जाति प्रथा के गुण | जाति प्रथा के दोष

जाति प्रथा के गुण तथा दोष | जाति प्रथा के गुण | जाति प्रथा के दोष जाति प्रथा के गुण तथा दोष भारतीय सामाजिक व्यवस्था में जाति प्रथा को प्रमुख स्थान प्राप्त है। मैकाईवर महोदय के अनुसार किसी भी व्यक्ति को जाति उसके जीवन के कार्यों का निर्धारण करती है। समस्त भारतीय जन अपनी जाति…

जाति प्रथा का विकास | जाति प्रथा की विशेषतायें | development of caste system in Hindi

जाति प्रथा का विकास | जाति प्रथा की विशेषतायें | development of caste system in Hindi जाति प्रथा का विकास भारत में जाति प्रथा के विकास के विषय में अनेक बातें कही गई हैं। इसकी उत्पत्ति का स्रोत प्रायः प्राचीन भारतीय इतिहास में खोजा गया है तथा उसके आधार पर इसके विकास की विभिन्न दशाएँ…

जाति का अर्थ

जाति का अर्थ | जाति की परिभाषा | भारतीय जाति प्रथा की उत्पत्ति के सिद्धान्त | जातिगत भावना तथा पारस्परिक विषमता का विकास

जाति का अर्थ | जाति की परिभाषा | भारतीय जाति प्रथा की उत्पत्ति के सिद्धान्त | जातिगत भावना तथा पारस्परिक विषमता का विकास जातिगत भावना तथा पारस्परिक विषमता का विकास जब पृथ्वी अस्तित्व में आई, जीवन ने अठखेलियाँ शुरू की और फिर मानव की उत्पत्ति हुई। फिर मानव ने विकास करना प्रारम्भ किया। उसकी संख्या…

सूफी मत का प्रारम्भ

सूफी मत का प्रारम्भ | सूफी मत की मूल धारणाएँ | सूफी सम्प्रदाय | सूफी मत की व्याख्या

सूफी मत का प्रारम्भ | सूफी मत की मूल धारणाएँ | सूफी सम्प्रदाय | सूफी मत की व्याख्या सूफी मत का प्रारम्भ दर्शन तत्व के पिपासु चिन्तक जो मस्जिदों के सूफों, अर्थात् बरामदों में रहते थे तथा पवित्रता के लिये सूफी (ऊनी) टोपी और लम्बा कुरता पहनते थे-सूफी कहलाने लगे। यद्यपि इस्लाम की आज्ञा थी…

भक्ति आन्दोलन | भक्ति आन्दोलन के कारण | भक्ति आन्दोलन की विशेषताएँ | भक्तिवादी सन्त | भक्ति आन्दोलन का प्रभाव | भारत में भक्ति आन्दोलन के इतिहास

भक्ति आन्दोलन | भक्ति आन्दोलन के कारण | भक्ति आन्दोलन की विशेषताएँ | भक्तिवादी सन्त | भक्ति आन्दोलन का प्रभाव | भारत में भक्ति आन्दोलन के इतिहास भक्ति आन्दोलन ऋग्वेद में अभिव्यक्त भक्तिवाद भारतीय भूमि पर निरन्तर विकसित होता रहा। परन्तु इस्लाम धर्म के अनुयायियों द्वारा भारत में अपने धर्म का बलात् प्रचार किये जाने…

भक्ति की परिभाषा

भक्ति की परिभाषा | भक्तिवाद की उत्पत्ति | भक्ति क्या है ? | भक्ति के प्रकार या भेद | भक्ति के अंग तथा भक्त के प्रकार | भक्ति के रस | भक्तिवाद का क्रमिक विकास

भक्ति की परिभाषा | भक्तिवाद की उत्पत्ति | भक्ति क्या है ? | भक्ति के प्रकार या भेद | भक्ति के अंग तथा भक्त के प्रकार | भक्ति के रस | भक्तिवाद का क्रमिक विकास भक्ति की परिभाषा भक्ति’ शब्द की उत्पत्ति भज सेवायाम्’ धातु से हुई है। इसका अर्थ है ‘भक्त द्वारा ईश्वर की…