इमैनुअल डी मार्तोन –फ्रांसीसी भूगोलवेत्ता (Emmanuel De Martonne – French Geographer)
इमैनुअल डी मार्तोन –फ्रांसीसी भूगोलवेत्ता (Emmanuel De Martonne – French Geographer)
इमैनुअल डी मार्तोन (1873-1955) ब्लाश के प्रिय शिष्य एवं जामाता तथा अपने समय के प्रसिद्ध फ्रांसीसी भौतिक भूगोलवेत्ता थे। ब्लाश की मृत्यु (1918) के पश्चात् से 1945 तक उन्होंने फ्रांसीसी भूगोल का मार्गदर्शन किया था । मार्तोन का जन्म 1873 में फ्रांस के ब्रिटेनी नामक स्थान पर हुआ था। उन्होंने 1899 में ‘इकोल नार्मल सुपीरियर’ नामक संस्थान से स्नातक की उपाधि प्राप्त किया था । मार्तोन ने भौमिकी, भूगर्भ शास्त्र और जीव विज्ञान में शिक्षा प्राप्त की थी । उन्होंने 1902 में डी० लिट्० और 1907 में डी० एससी० की उपाधि प्राप्त की थी। सर्वप्रथम 1899 में वे रेनस (Rennes) विश्वविद्यालय में भूगोल के प्राध्यापक नियुक्त हुए जहाँ 1905 तक कार्य किया। वे 1905 से 1910 तक लियोन्स (Lyons) विश्व विद्यालय में अध्यापन कार्य करने के पश्चात् पेरिस के सारबोन विश्वविद्यालय में भूगोल के प्राध्यापक नियुक्त हुए जहाँ उस समय वाइडल डी ला ब्लाश भूगोल के प्रोफेसर और अध्यक्ष पद पर कार्य कर रहे थे। यहाँ आ कर मार्तोन को ब्लाश के सनिध्य एवं. निर्देशक में कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ। ब्लाश की मृत्यु के पश्चात् 1918 में मार्तोन सारबोन विश्वविद्यालय में भूगोल के प्रोफेसर और अध्यक्ष बनाये गये जहाँ से वे 1944 में सेवानिवृत्त हुए थे ।
डी मार्तोन भौतिक भूगोल के उत्कृष्ट विद्वान थे। वे अन्तर्राष्ट्रीय भौगोलिक कांग्रेस (International Geographical Congress-IGC) के आठवें सम्मेलन (1904) में भाग लेने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका गये थे जहाँ वे डेविस (W. M. Davis) के भूआकृति विज्ञान सम्बंधी कार्यों से बहुत प्रभावित हुए। 1919 में आयोजित पेरिस शांति सम्मेलन में उन्होंने बोमैन के साथ कार्य किया था। 1939 में उत्कृष्ट कार्य के लिए अमेरिकी भौगोलिक परिषद् ने उन्हें मेडल प्रदान किया था। यूनेस्को द्वारा 1949 में न्यूयार्क में आयोजित ‘संसाधन संरक्षण और उपयोग सम्मेलन की अध्यक्षता डी मार्तोन ने ही किया था।
रचनाएं
डी मार्तोन की प्रमुख रचनाएं निम्नांकित हैं–
(1) ब्रिटेनी की तटीय भूआकृति (Coastal Morphology of Brittany, 1902),
(2) वैलाशिया का प्रादेशिक भूगोल (Regional Geography of Wallachia, 1902),
(3) कार्पेथियन का भौतिक भूगोल (Physical Geography of Carpethians, 1907),
(4) नैतिक भूगोल के लक्षण (Traite de Geographie Physique, 1909),
(5) आल्पस (Les Alps, 1926),
(6) मध्य यूरोप (Europe Central, 1931),
(7) फ्रांस का भौतिक भूगोल (La Geographie Physique de la France, 1942),
(8) फ्रांस का एटलस (Atlas de France, 1943)।
‘ट्रेट डी ज्योप्राफी फिजिक’ (भौतिक भूगोल के लक्षण) डी मात्तोन की सर्वप्रमुख पुस्तक है जिसके अंग्रेजी, जर्मन आदि कई भाषाओं में अनुवाद प्रकाशित हो चुकें हैं। यह भौतिक भूगोल की लोकप्रिय पाठ्यपुस्तक है जिसके अनेक संस्करण निकल चुके हैं।
अन्य योगदान
डी मातोन ने 40 वर्ष से अधिक के अपने शैक्षिक जीवन को अध्ययन, अध्यापन और लेखन में व्यतीत किया और फ्रांसीसी भौगोलिक चिन्तन को आगे बढ़ाया। उपर्युक्त योगदानों के अतिरिक्त इनके अन्य उल्लेखनीय योगदान निम्नांकित हैं–
(1) डी मार्तोन ब्लाश की परम्परा को आगे बढ़ाने और फ्रांस में भूगोल के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। ब्लाश की मृत्यु (1918) के पश्चात् उनके द्वारा लिखी गयी सामग्री को संग्रहीत करके मात्तोन ने 1921 में ब्लाश कृत ‘मानव भूगोल के सिद्धान्त’ शीर्षक से पुस्तक को सम्पादित करके उसे प्रकाशित किया जो भूगोल जगत को एक अनुपम उपहार है।
(2) डी मातर्तोन का प्रमुख कार्यक्षेत्र भौतिक भूगोल था। उन्होंने भौतिक भूगोल के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य किया और भूगोल के विद्यार्थियों में इसे लोकप्रिय बनाने का सफल प्रयास किया।
(3) मार्तोन ने सारबोन विश्वविद्यालय (पेरिस) में ‘भौगोलिक संस्थान’ (Institute of Geography) की स्थापना किया और 1927 से 1944 तक वे इसके डायरेक्टर (निदेशक) भी रहे।
(4) मार्तोन ने अन्तर्राष्ट्रीय भौगोलिक संघ के महासचिव (1931-38) और अध्यक्ष (1938-44) के रूप में कार्य करते हुए भूगोल के विकास में योगदान दिया।
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