राष्ट्र भाषा का सामान्य अर्थ | राजभाषा की परिभाषा | राजभाषा की संवैधानिक स्थिति | राजभाषा और राष्ट्रभाषा में अंतर

राष्ट्र भाषा का सामान्य अर्थ | राजभाषा की परिभाषा | राजभाषा की संवैधानिक स्थिति | राजभाषा और राष्ट्रभाषा में अंतर राष्ट्र भाषा का सामान्य अर्थ है- सम्पूर्ण राष्ट्र की भाषा। किसी भी देश में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं, उन सभी को राष्ट्र भाषा का दर्जा प्राप्त नहीं होता। राष्ट्र भाषा वही भाषा हो सकती…

रेखाचित्र से आप क्या समझाते हैं?  | रेखाचित्र एवं कहानी में अंतर | रेखाचित्र और संस्मरण में अन्तर

रेखाचित्र से आप क्या समझाते हैं?  | रेखाचित्र एवं कहानी में अंतर | रेखाचित्र और संस्मरण में अन्तर रेखाचित्र से आप क्या समझाते हैं? रेखाचित्र अंग्रेजी के ‘स्केच’ (sketches) का पर्यायवाची शब्द है। पाश्चात्य साहित्य में रेखाचित्रों की एक समृद्ध परम्परा रहीं है। यह ‘स्केच’ शब्द चित्रकला का शब्द है। स्केच उन चित्रों को कहते…

प्रयोगवाद का उद्भव और विकास | प्रयोगवादी काव्य की प्रवृत्तियाँ | प्रसाद के काव्य में छायावाद | रीतिकाल का नामकरण एवं वर्गीकरण

प्रयोगवाद का उद्भव और विकास | प्रयोगवादी काव्य की प्रवृत्तियाँ | प्रसाद के काव्य में छायावाद | रीतिकाल का नामकरण एवं वर्गीकरण प्रयोगवाद का उद्भव और विकास इसके आविर्भाव के विषय में विद्वानों में मतैक्य नहीं। डॉ0 नामवर सिंह प्रयोगवाद का आरम्भ 1940 ई0 मानते हैं, किन्तु डॉ0 देवीशंकर अवस्थी प्रयोगवादी कविता के बीच छायावादेत्तर…

समकालीन कविता | साठोत्तर कविता | विचार कविता | समकालीन कविता की प्रमुख विशेषताएं

समकालीन कविता | साठोत्तर कविता | विचार कविता | समकालीन कविता की प्रमुख विशेषताएं समकालीन कविता सन् 1960 के बाद की कविता को अनेक नाम से जाना जाता है, जिनमें प्रमुख सगोत्तरी कविता, समकालीन कविता, अकविता अस्वकृत कविता, वीट कविता तथा सहज कविता आदि। इन अनेक नामों का अभिप्राय यह है कि सठोत्तरी या समकालीन…

हिन्दी उपन्यास का उद्भव एवं विकास | हिन्दी उपन्यास के उद्भव एवं विकास में प्रेमचन्द के योगदान

हिन्दी उपन्यास का उद्भव एवं विकास | हिन्दी उपन्यास के उद्भव एवं विकास में प्रेमचन्द के योगदान हिन्दी उपन्यास का उद्भव एवं विकास प्रेमचन्द के यथार्थवाद से पूर्व-हिन्दी उपन्यास साहित्य पाठकों के मनोरंजन की वस्तु और उसके मन बहलाने का खिलौना था। प्रेमचन्द के पूर्ववर्ती उपन्यास-साहित्य के सृजन-काल को उपन्यासों का बाल्यकाल कह सकते हैं…

हिन्दी आलोचना का विकास | हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा

हिन्दी आलोचना का विकास | हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा हिन्दी आलोचना का विकास हिन्दी साहित्येतिहास लेखन की अनेक समस्या है। सभी समस्याओं का समाधान होना सम्भव भी नहीं है, परन्तु इन समस्याओं के उपस्थित होने से नये इतिहास लेखकों में जागरूकता रहेगी। साहित्य का सदैव नूतन विकास होता रहता है। वह वढ़ता…

भाषा का सामान्य परिचय | भाषा की परिभाषा | भाषा के प्रकार | भाषा की प्रकृति | भाषा की विशेषताएँ

भाषा का सामान्य परिचय | भाषा की परिभाषा | भाषा के प्रकार | भाषा की प्रकृति | भाषा की विशेषताएँ भाषा का सामान्य परिचय भाषा की व्युत्पत्ति संस्कृत के भाष धातु से हुई है। जिसका अर्थ है बोलना या कहना। प्लेटो ने विचार और भाषा में बहुत अन्तर नहीं माना है। विचार आत्मा की मूक…

प्राकृत भाषा | साहित्य की व्युत्पत्ति | प्राकृत की ध्वनिगत | व्याकरणगत विशेषताएं

प्राकृत भाषा | साहित्य की व्युत्पत्ति | प्राकृत की ध्वनिगत | व्याकरणगत विशेषताएं प्राकृत भाषा एवं साहित्य की व्युत्पत्ति व्युत्पत्ति-प्राकृत वैयाकरणों के अनुसार प्राकृत’ का आशय निम्न प्रकार से है-‘प्रकृतिः संस्कृतं तत्र भवं प्राकृतमुच्यते । यहाँ ‘प्रकृति’ शब्द के दो अर्थो ‘संस्कार किया हुआ’ तथा ‘संस्कृत- भाषा’ से दो स्पष्ट धारणाएँ चलीं, जिसमें पहले अर्थ…

पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण | प्रदूषण का अर्थ | विभिन्न प्रकार के प्रदूषण | प्रदूषण पर नियन्त्रण

पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण | प्रदूषण का अर्थ | विभिन्न प्रकार के प्रदूषण | प्रदूषण पर नियन्त्रण पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण चौदहवीं शताब्दी में मुहम्मद तुगलक के जीवनकाल में इस्लामी दुनिया का प्रसिद्ध यात्री इब्नबतूता भारत आया था। अपने संस्मरणों में उसने गंगाजल की पवित्रता और निर्मलता का उल्लेख करते हुए लिखा है कि मुहम्मद…