राजनीति विज्ञान / Political Science

प्रजातंत्र की सफलता की आवश्यक शर्ते | Essential Conditions for the Success of Democracy in Hindi

प्रजातंत्र की सफलता की आवश्यक शर्ते | Essential Conditions for the Success of Democracy in Hindi

प्रजातंत्र की सफलता की आवश्यक शर्ते

(Essential Conditions for the Success of Democracy)

आज की 20वीं शताब्दी में प्रजातांत्रिक मूल्यों के महत्त्व में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। आज विश्व के प्रायः सभी प्रमुख देशों में प्रजतांत्रिक शासन-प्रणाली को अपनाया गया है। एक सर्वमान्य तथ्य और लोकप्रिय शासन-प्रणाली होने के बावजूद भी विश्व के कुछ देशों में यह प्रणाली सफल नहीं हो सकी है। विश्व में कहीं भी यदि प्रजातांत्रिक प्रणाली असफल हुई है तो इसका यह अर्थ है कि उन देशों में मानवीय मूल्यों और स्वतंत्रताओं का गला घोंटा गया है, जिसका विरोध वहाँ के लोगों ने नहीं किया है। प्रजातंत्र की सफलता के लिए निम्नलिखित आवश्यक शर्ते हैं :-

  1. प्रजातांत्रिक आस्था (Democracy faith)-

जहाँ तक प्रजातांत्रिक आस्था का प्रश्न है, यह प्रजातंत्र की बुनियाद है। यदि जनता को प्रजातांत्रिक मान्यताओं में विश्वास न हो तो प्रजातंत्र कैसे चल सकता है? इसीलिए, प्रजातंत्र की सफलता के लिए जनता में प्रजातांत्रिक भावना की आवश्यकता है। आइवर ब्राउन ने भी ‘प्रजातांत्रिक धारणा’ का उल्लेख किया है। प्रजातंत्र की सफलता की यह एक मुख्य कड़ी है।

  1. जन-जागरूकता (Consciousness of the people)-

केवल प्रजातांत्रिक आस्था से ही हम प्रजातंत्र की मंजिल तक नहीं पहँच सकते। जब तक प्रजातंत्र की रक्षा के लिए जनता जागरूक नहीं होती, अपने अधिकारों और कर्तव्यों से अबोध रहती है, तब तक प्रजातंत्र की सफलता की कामना एक दिवास्वप्न है। प्रजातंत्र में जनता को अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति हमेशा जागरूक रहना चाहिए, क्योंकि ‘जागरूकता ही प्रजातंत्र की कीमत है’ (Vigilance is the price of Democracy)। यदि जनता जाग जाती है तो तानाशाही की लम्बी दीवारें धराशायी हो जाती हैं। जनमानस में जागरूकता आने से प्रजातांत्रिक मूल्यों की रक्षा हो सकती है।

  1. जनता का आदर्श चरित्र (Ideal character of the Citizens)-

प्रजातंत्र की सफलता बड़े पैमाने पर जनता के चरित्र पर निर्भर करती है। प्रजातंत्र की स्थापना के लिए जनता को योग्य होना चाहिए। उसमें ईमानदारी और नैतिकता होनी चाहिए। राजनीतिक जागृति, सार्वजनिक कार्यों के प्रति दिलचस्पी और उत्तरदायित्व की भावना में ही आदर्श नागरिकता का निर्माण हो सकता है और प्रजातंत्र की रक्षा हो सकती है। जनता को आगाह करते हुए ब्राइस ने कहा है-“जनता का आलस्य और उदासीनता प्रजातंत्र के दो बड़े दुश्मन हैं।” बेनीप्रसाद के अनुसार-“प्रजातांत्रिक सरकार की सफलता जनता के उच्च कोटि के चारित्रिक गठन, स्वराज्य की लालसा और समाज-सेवा की भावना पर आधृत है।”

  1. शिक्षा का प्रसार (Extension of Education)-

अशिक्षा प्रजातंत्र का सबसे बड़ा दुश्मन है। जिस देश की जनता अशिक्षित है, वहाँ का प्रजातंत्र हमेशा भ्रष्ट रहेगा। इसलिए, प्रजातंत्र के इस बड़े दुश्मन की समाप्ति आवश्यक है। शिक्षा के अभाव में जनता को अपने अधिकारों तथा कर्तव्यों का बोध नहीं हो सकता। एक शिक्षित व्यक्ति ही अपने मतदान के महत्त्व को समझ सकता है और प्रशासनिक कार्यों का मूल्यांकन कर सकता है। अतः प्रजातंत्र की सफलता के लिए शिक्षा एक आवश्यक साधन है।

  1. सामाजिक और आर्थिक समता (Social and Economic equality)-

आर्थिक समानता के अभाव में प्रजातंत्र सफल नहीं हो सकता। इसीलिए, कोल ने भी कहा है कि “आर्थिक समानता के अभाव में राजनीतिक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है।” सामाजिक और आर्थिक समानता के लिए प्रशासन को काफी चुस्त होना पड़ता है। एक ओर संपत्ति का केन्द्रीयकरण और दूसरी ओर विपन्नता हो, तो प्रजातंत्र नहीं चल सकता। जनता के अभावों को दूर करके ही हम प्रजातंत्र की सफलता की आशा कर सकते हैं। इसी संदर्भ में हमारा भूतपूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने कहा था-“एक भूखे व्यक्ति के लिए मत का का महत्व नहीं है इसी संदर्भ में महान दार्शनिक सोने भी कहा है कि “समानता के अभाव के स्वतंत्रता संभव नहीं हो सकती।”इसलिए, निष्कर्ष के रूप में हम कह सकते हैं कि प्रजातंत्र के लिए समाज में ऊँच नीच एवं जाति का भेदभाव समाप्त होना चाहिए।

  1. समाचारपत्रों की स्वतंत्रता (Freedom of the Press)

प्रजातंत्र की सफलता के लिए समाचारपत्रों को स्वतंत्र तथा निष्पक्ष होना चाहिए। स्वतंत्र तथा निष्पक्ष समाचारपत्र  स्वस्थ जनमत का निर्माण कर सकते हैं। इसी से राजनीतिक चेतना उत्पन्न होती है। जिस देश में समाचारपत्रों पर प्रतिबंध लगा रहता है, उस देश में प्रजातंत्र की असफलता निश्चित है। इसलिए समाचारपत्रों पर कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए। इस संदर्भ में ब्राइस ने भी कहा है कि “बड़े देशों में समाचारपत्रों द्वारा ही प्रजातंत्र सफल हो सकता है।”

  1. स्वस्थ एवं सच्चा लोकमत (Healthy and honest public opinion)

यह ठीक ही कहा जाता है कि सचेत और प्रबुद्ध जनमत प्रजातंत्र की. सफलता की पहली शर्त है। यदि जनमत स्वस्थ, सुनिश्चित और सच्चा है तो प्रजातंत्र कभी असफल नहीं हो सकता। इसलिए, स्वस्थ जनमत को बनाये रखना बहुत आवश्यक है।

  1. राजनीतिक दल (Political parties)-

प्रजातंत्र की सफलता के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों का रहना भी आवश्यक है। प्रजातंत्र-रूपी शरीर के लिए राजनीतिक दल जीवनदायी रक्त हो गये हैं (Party system is the life-blood of Democracy) | इसलिए इन राजनीतिक दलों का संगठन विशुद्ध राजनीतिक एवं आर्थिक कार्यक्रमों के आधार पर होना चाहिए।

  1. स्थानीय स्वराज्य (Local autonomy)-

स्थानीय स्वराज्य प्रजातंत्र-रूपी शरीर का प्राण है। प्रजातंत्र में शक्ति का विकेन्द्रीकरण होना चाहिए। शक्ति के विकेन्द्रीकरण से ही प्रत्येक नागरिक राज्य के कार्य में अधिक से अधिक भाग ले सकता है। स्थानीय स्वराज्य जनता को राजनीतिक शिक्षा प्रदान करता है। स्थानीय संस्थाओं में भाग लेने से ही जनता को प्रशासनिक अनुभव प्राप्त होता है। इसलिए डॉ० टॉकविले ने कहा है कि “स्वायत्तशाशी संस्थाएँ प्रजातंत्रीय राज्य की आत्मा है।”

  1. शांति एवं सुरक्षा (Peace and Security)-

प्रजातंत्र की सफलता के लिए शांति और सुरक्षा भी परम आवश्यक है। आन्तरिक अशांति में प्रजातंत्र सफल नहीं हो सकता है। इसलिए, युद्ध और राष्ट्रीय संकट के दिनों में अधिनायकतंत्र की आशंका होने लगती है।

  1. कानून का शासन (Rule of Law)-

प्रजातंत्र की सफलता के लिए कानून का शासन भी एक आवश्यक शर्त है। एक व्यक्तिविशेष या समूहविशेष के हाथ में कानून होने से प्रजातंत्र मर जाता है। कानून के शासन का यह अर्थ हुआ कि कानून के समक्ष देश के सभी नागरिक समान हैं।

  1. राष्ट्रीय एकता की भावना (Feeling of National Unity)-

प्रजातंत्र की सफलता के लिए देश की जनता में राष्ट्रीय एकता की भावना होनी चाहिए। राष्ट्रीय एकता की भावना होने से ही जातीयता तथा स्थानीय संकीर्णता की समाप्ति होगी। प्रो० बर्गेस ने प्रजातंत्र की सफलता के लिए इसे एक आवश्यक शर्त कहा है।‌

  1. सहिष्णुता की भावना (Feeling of tolerance)-

प्रजातन्त्र एक प्रयोग है, जिसमें अल्पसंख्यकों को प्रसंख्यकों के समान स्तर पर लाने का प्रयास होता है। जब तक इन बहुसंख्यक और अल्पसंखाकों में पारस्परिक सहिष्णुता का वातावरण नहीं रहेगा तब तक प्रजातंत्र का प्रयोग तनाव और गलतफहमी में चलेगा और इन दोनों वर्गों में रस्साकशी (tug-of-war) की स्थिति बनी रहेगी। प्रजातंत्र की सफलता के लिए इस रस्साकशी की भावना को समाप्त करना होगा।

  1. नागरिक स्वतंत्रता का वातावरण (Atmosphere of Civil-liberty)-

प्रजातंत्र की सफलता के लिए नागरिक स्वतंत्रता का वातावरण देश में बना रहना चाहिए  भाषण की स्वतंत्रता और वाद-विवाद पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए। यदि भारत में नागरिक स्वतंत्रता का वातावरण नहीं बना रहता तो शायद 1977 ई० का आम चुनाव और उसके बाद जनता सरकार की स्थापना न हुई होती और भारत का प्रजातंत्र सदैव के लिए समाप्त हो जाता।

  1. आकाशवाणी की स्वतंत्रता और निष्पक्षता (Freedom and impartiality of the Radio)-

आज के युग में आकाशवाणी का महत्त्व बढ़ गया है। इसलिए, आकाशवाणी की स्वतंत्रता और निष्पक्षता प्रजातंत्र की सफलता के लिए आवश्यक हो गई है। आकाशवाणी का उपयोग राजनीतिक स्वार्थसिद्धि के लिए नहीं होना चाहिए। आकाशवाणी को प्रशासन से स्वतंत्र कर देना चाहिए, ताकि वह स्वतंत्र होकर तथ्यों को जनता के सामने रख सके। आकाशवाणी से प्रजातांत्रिक मूल्यों की रक्षा तभी हो सकती है जब वह निष्पक्ष हो । आज के वैज्ञानिक युग में यदि आकाशवाणी को सचमुच स्वतंत्र और निष्पक्ष कर दिया जाता है, तो प्रजातंत्र की सफलता में संदेह नहीं किया जा सकता।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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