राजनीति विज्ञान / Political Science

प्रजातंत्र के गुण | Merits of Democracy in Hindi

प्रजातंत्र के गुण | Merits of Democracy in Hindi

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प्रजातंत्र के गुण (Merits of Democracy)

प्रजातंत्र सम्बन्धी विभिन्न आलोचनाओं के बावजूद भी राजनीतिशास्त्र के विद्वानों ने प्रजातंत्र को सर्वश्रेष्ठ शासन-प्रणाली की संज्ञा दी है। लॉर्ड ब्राइस के विचारानुसार, प्रजातंत्र की अनेक खामियाँ दूर की जा सकती हैं। प्रो० डनिंग के भी विचार में-“लोकतंत्र ने कुछ पुराने दोषों को नहरों को पार किया है, लेकिन कुछ नये दोषों की नहरें भी खोद डाली हैं, पर इसने पानी का बहाव नहीं बढ़ाया है।” प्रो० फाइनर भी लॉर्ड ब्राइस तथा डनिंग के विचारों से सहमत हैं। क्योंकि उनकी दृष्टि में इस शासन प्रणाली में कुछ दोष अवश्य हैं, लेकिन इसने मानवता को सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक क्षेत्रों में आधार दिया है, जिनकी उपेक्षा नहीं की जा सकती । प्रजातंत्र के गुणों को हम निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत रख सकते हैं:-

  1. जनमत पर आधृत (Based on public opinion)-

प्रजातंत्र का सबसे बड़ा गुण यह है कि यह जनमत की सहमति पर संचालित होता है। इसका मूल आधार जनता की सामान्य इच्छा (General Will) है। जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनकर प्रजातांत्रिक शासन का संचालन करती है। जनता के प्रतिनिधि ही कानूनों का निर्माण करते हैं। चूँकि, जन-सहमति इसका आधार है, इसलिए शासक और शासितों में मधुर सम्बन्ध बना रहता है। भूतपूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने इसी आधार पर प्रजातंत्र को परिभाषित किया है और कहा है कि “प्रजातंत्र जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन है।”

  1. समानता, स्वतंत्रता तथा भातृत्व पर आधृत (Based on equality, liberty and fraternity)-

प्रजातंत्र अपने उच्च तथा मौलिक आदर्शों पर आधृत है। यह समानता, स्वतंत्रता तथा भ्रातृत्व की भावना को व्यावहारिक रूप देने का प्रयास करता है। इसके अंतर्गत जाति, वंश, धर्म, लिंग इत्यादि का भेदभाव नहीं होता। यह सभी नागरिकों को अपने व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास का अवसर प्रदान करता है और सबके लिए समान परिस्थितियाँ उत्पन्न करता है। प्रत्येक नागरिक कानून की दृष्टि में समान होता है। इसलिए लॉवेल ने ठीक ही कहा है कि “पूर्ण जनतंत्र में किसी को यह शिकायत नहीं रहती कि उसकी सुनवाई नहीं हुई है।” प्रजातंत्र नागरिकों की स्वंथ्त्रता का पोषक है। यह देश के सभी नागरिकों के बीच “भ्रातृत्व’ की भावना प्रोत्साहित करता है। विचार, भाषण, सम्मेलन इत्यादि की स्वतंत्रता के साथ-साथ यह सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक तथा राजनीतिक स्वतंत्रता भी प्रदान करता है।

  1. चारित्रिक विकास (Character development)-

प्रजातंत्र में उत्कृष्ट प्रकार का चारित्रिक विकास होता है। चूंकि देश के नागरिक सार्वजनिक कार्यों में सक्रिय भाग लेते हैं, इसलिए उनके बौद्धिक एवं मानसिक गुणों की वृद्धि होती है। कोई भी नागरिक अपनी प्रतिभा और शक्ति के आधार पर राज्य के किसी भी पद पर पहुँच सकता है। प्रजातंत्र ही व्यक्ति के आत्मसम्मान, महत्त्वाकांक्षा एवं सक्रियता का विकास कर सकता है। इसी शासन-प्रणाली में सहानुभूति, उत्तरदायित्व की भावना तथा आत्मनिर्भरता का प्रशिक्षण नागरिकों को मिलता है।

  1. व्यक्तित्व का विकास एवं आत्मज्ञान (Development of personality and self-realization)

प्रजातांत्रिक शासन व्यवस्था में ही व्यक्तित्व के विकास एवं आत्मज्ञान प्राप्त करने का सबसे अधिक अवसर प्राप्त होता है। इस संदर्भ में कुछ विद्वानों ने प्रजातंत्र को साध्य (end) माना है। डीवी के विचारानुसार-“प्रजातंत्र उस सामाजिक संगठन के अत्यंत निकट है, जिसमें व्यक्ति एवं समाज का सावयव सम्बन्ध स्थापित होता है…व्यक्ति में समाज घनीभूत होता है और प्रत्येक व्यक्ति अपने को सम्प्रभु मानने लगता है।”

  1. राष्ट्रीयता एवं देश-प्रेम की भावना को प्रोत्साहन (Encouragement to patriotism & nationality)-

प्रजातंत्र राष्ट्रीयता एवं देश प्रेम की भावना को प्रोत्साहित करता है। प्रत्येक व्यक्ति यह अनुभव करता है कि कानून एवं शासन का वह स्वयं निर्माता है। इससे नागरिकों में देश के प्रति भक्ति एवं निष्ठा का विकास होता है एवं कानूनों के प्रति आज्ञापालन की भावना भी उत्पन्न होती है।

  1. सार्वजनिक कल्याण (Public Welfare)-

प्रजातंत्र सार्वजनिक कल्याण का एक महत्त्वपूर्ण साधन है। इसके अंतर्गत बिना किसी भेदभाव के समस्त नागरिकों का हित साधन किया जाता है। यह लोक-कल्याण की भावना पर आधृत है। इसमें किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता और सभी नागरिकों को समान अवसर प्रदान किया जाता है।

  1. राजनीतिक जागृति (Political Consciousness)-

प्रजातंत्र ही जनता में राजनीतिक जागरण उत्पन्न कराने में सहायक होता है। चुनाव आदि में भाग लेकर जनता अपने मौलिक अधिकारों को समझती है और अपने इच्छानुसार जन प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन का संचालन करती है। मत के सुचिंतित प्रयोग से वह अपने प्रतिनिधि को प्रभावित कर सकती है। इसीलिए अप्पादोराय ने कहा है-“प्रजातंत्र प्रणाली शासन की जिम्मेदारी जनता के जिम्मे करके उनमें बुद्धिमत्ता, आत्मनिर्भरता, नये-नये कार्यों को करने की प्रवृत्ति तथा सार्वजनिक भावना को प्रोत्साहित करती है।”

ब्राइस के विचार में भी, “मताधिकार से मनुष्य का व्यक्तित्व गौरवपूर्ण हो जाता है और इस अधिकार द्वारा उसमें कर्त्तव्यपरायणता की उच्चतर भावना विकसित होती है।”

  1. लोकप्रिय तथा स्थायी शासन (Popular and permanent Administration)-

प्रजातंत्र सबसे अधिक लोकप्रिय शासन-प्रणाली है इसलिए कि जनता का सबसे अधिक ध्यान इसमें रखा जाता है। इस शासन पर जनता का अधिकार रहता है। चूँकि बार-बार निर्वाचन होता रहता है, इसलिए इसमें क्रांति की संभावना बहुत कम रहती है। गार्नर के अनुसार, “सार्वजनिक चुनाव, सार्वजनिक नियन्त्रण तथा सार्वजनिक उत्तरदायित्व में अन्य किसी भी शासन-प्रणाली से अधिक कार्यदक्षता होने की सम्भावना है।” इसलिए यह एक लोकप्रिय तथा स्थायी प्रणाली है।

  1. क्रांति एवं विद्रोह की असंभावना (Impossibility of revolt and revolution)-

प्रजातंत्र का सबसे बड़ा गुण यह है कि इसमें क्रांति एवं विद्रोह का भय कम होता है। चूंकि चुनाव सदैव होता रहता है, इसलिए जनता सरकार को नियंत्रित करती है और अपने असंतोष का बदला गोली (bullet) से न लेकर मतदान (ballot) से लेती है। गिलक्राइस्ट ने ठीक ही कहा है-“लोकप्रिय सरकार सर्वसम्मति की सरकार है, इसलिए स्वभाव से ही वह क्रांतिकारी नहीं होती।”

  1. शासन की कुशलता (Efficiency in Administration)-

प्रजातंत्र का एक अन्य गुण यह है कि प्रजातंत्र में शासन की कार्यक्षमता अधिक रहती है। प्रजातंत्र में सर्वश्रेष्ठ सरकार के सभी लक्षण मौजूद हैं। लॉबेल ने भी कहा है कि वही सरकार सर्वश्रेष्ठ है जो लोगों को नैतिक शक्ति में, संगठन में, उद्योग में, आत्मनिर्भरता और साहस में दृढ़ बनाती है। प्रजातंत्र को छोड़कर किसी भी शासन प्रणाली में इतनी कार्यकुशलता नहीं पायी जाती।

  1. जनता को राजनीतिक प्रशिक्षण (Political training to the masses)-

प्रजातांत्रिक  शासन में जनता को राजनीतिक प्रशिक्षण मिलता है। गेटेल के विचारानुसार-“प्रजातंत्र नागरिकों के प्रशिक्षण के लिए विद्यालय का काम करता है।” सी० डी० बर्न्स ने ठीक ही कहा है कि “प्रत्येक शासन-पद्धति शिक्षा की एक पद्धति है, लेकिन सबसे अच्छी शिक्षा आत्मशिक्षा है, इसलिए सर्वोत्तम शासन स्वशासन है, जिसे प्रजातंत्र कहते है।

  1. नैतिकता और मानवीय मूल्यों पर आधारित (Based on morality and human values)-

प्रजातंत्र नागरिकों की नैतिकता एवं मानवीय मूल्यों पर आधृत है। यदि सच्चे अर्थ में प्रजातंत्र विकसित हो जाय तो सारी समस्याएँ-भ्रष्टाचार तथा पारस्परिक कलह- समाप्त हो जायगी। लोगों में सेवा की भावना विकसित हो जाएगी। प्रजातंत्र हमेशा मानवीय पक्ष पर जोर देता है और लोगों के सर्वांगीण विकास के लिए समस्त सुविधाएँ प्रदान करता है।

  1. सामाजिक एवं आर्थिक सुधार (Social and economic reformation)-

प्रजातंत्र सामाजिक एवं आर्थिक सुधारों से उचित अवसर एवं अनुकूल वातावरण उपस्थित करने में अधिक सफल हुआ है। प्रजातंत्रीय शासन-व्यवस्था में प्रगतिशील कानूनों द्वारा आवश्यक सामाजिक एवं आर्थिक सुधार संभव होते हैं।

  1. कर्तव्य पालन की भावना का विकास (Development of the sense of duty)-

ब्राइस ने कहा है कि मताधिकार से व्यक्तित्व गौरवपूर्ण होता है और इस अधिकार से नागरिकों में कर्त्तव्य की भावना का विकास होता है। कर्त्तव्य की संभावना को विकसित किए बिना इन जनतंत्र की सफलता की उम्मीद नहीं कर सकते। इसलिए, आधुनिक जनतंत्र अपने देश के नागरिकों को संविधान और मौलिक अधिकारों के सदुपयोग के सम्बन्ध में जागरुक करने के साथ-साथ उनमें कर्त्तव्यपालन की भावना का भी विकास करता है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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