
प्रश्न बैक किसे कहते हैं? | प्रश्न बैंकों के प्रमुख प्रकार |Question Bank in Hindi
प्रश्न बैक
वर्तमान परीक्षा प्रणाली के प्रमुख दोषों में से एक दोष परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों का अध्ययन-अध्यापन प्रक्रिया के साथ तालमेल का अभाव है। प्रश्नपत्र रचयिता अपनी पसन्द-नापसन्द, रुचि-अभिरुचि तथा प्रश्न-निर्माण कौशल के आधार पर प्रश्नों की रचना करके प्रश्नपत्र तैयार करता है। प्रायः देखा जाता है कि प्रश्न-पत्रों में सम्मिलित अधिकांश प्रश्न बहुत ही सतही स्तर के होते हैं तथा भाषायी अन्तर को छोड़कर लगभग उसी रूप में थोड़े-थोड़े समय के अन्तराल पर उन प्रश्नों की प्रश्नपत्रों में बार-बार पुनरावृत्ति होती रहती है। इसके अतिरिक्त प्रश्नपत्र निर्माता द्वारा तैयार किये गये प्रश्नपत्र न तो संपूर्ण पाठ्यक्रम का सही ढंग से प्रतिनिधित्व कर पाते हैं तथा न ही वे छात्रों के ज्ञान, बोध व कौशल का विस्तृत अर्थों में मूल्यांकन कर पाते हैं। प्रश्नपत्रों की इन कमियों के फलस्वरूप छात्र परीक्षा हेतु कुछ केवल विशिष्ट प्रश्नों/प्रकरणों को तैयार करते हैं तथा शेष को महत्वहीन मानकर छोड़ देते हैं। वस्तुतः पाठ्यक्रम में सम्मिलित समस्त प्रकरण महत्वपूर्ण एवं उपयोगी होते हैं तथा छात्रों से अपेक्षा की जाती है कि वे उन सभी का समुचित अध्ययन करेंगे। यही कारण है कि शिक्षा-प्रक्रिया को सार्थक बनाने के लिए छात्रों द्वारा उन सभी प्रकरणों में अर्जित ज्ञान, बोध व कौशल का मूल्यांकन किया जाना अत्यन्त महत्वपूर्ण है | परन्तु प्रश्नपत्रों की रचना में होने वाली कमियों के कारण निर्धारित पाठ्यक्रम का अध्ययन असंतुलित होने लगा है तथा शिक्षा प्रक्रिया के वास्तविक उद्देश्य लुप्त होने लगे हैं। प्रश्नपत्र निर्माण की इस समस्या के निराकरण हेतु प्रश्न बैंक (Question Bank) तैयार करने का प्रस्ताव शिक्षार्थियों द्वारा प्रस्तुत किया गया है । प्रश्न बैंकों के निर्माण का उद्देश्य जहाँ एक ओर प्रश्नपत्र निर्माता को प्रश्न तैयार करने में सहायता करना है वहीं साथ ही साथ अध्यापकों तथा छात्रों को शिक्षण-अधिगम में सहयोग करना भी है। जैसा कि नाम से स्पष्ट है, प्रश्न बैंक वस्तुतः तैयार प्रश्नों का एक समूह (Readymade collection of Questions) होता है। प्रश्न बैंक में किसी विषय अथवा प्रकरण की विभिन्न ईकाइयों पर अनेक प्रश्नो को तैयार करके संग्रहीत किया जाता है। प्रश्न बैंक न केवल प्रश्न पत्र निर्माताओं के लिए उपयोगी होते हैं वरन छात्र तथा अध्यापकगण भी इन प्रश्न बैंकों में सम्मिलित प्रश्नों का लाभ उठा सकते हैं। वस्तुतः प्रश्न बैंक शिक्षण-अधिगम तथा मूल्यांकन के लिए एक सुलभ आधार का कार्य संपादित हैं। इनमें एक ही विषय/प्रकरण/इकाई पर अनेक प्रश्न दिये होते हैं। अध्यापकगण इन प्रश्नों को दृष्टिगत रखकर अपनी शिक्षण योजना को व्यवस्थित कर सकते हैं, छात्रगण इन प्रश्नों को ध्यान में रखकर परीक्षा की तैयारी कर सकते हैं जबकि परीक्षक इन प्रश्नों की सहायता से एक संतुलित प्रश्नपत्र की रचना कर सकता है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि प्रश्न बैंक छात्रों को क्या पढ़ना है, अध्यापकों को क्या तथा कैसे पढ़ाना है एवं परीक्षकों को क्या तथा कैसे पूछना है के सम्बन्ध में सार्थक दिशा निर्देश प्रदान करत हैं। निःसन्देह प्रश्न बैंक किसी प्रकरण/विषय पर सम्भावित प्रश्नों का एक वहद समूह है जो शिक्षण, अधिगम व परीक्षा को शैक्षिक निर्देशन प्रदान कर सकता है।
प्रश्न बैंक कई प्रकार के हो सकते हैं। प्रश्न बैंकों के कुछ प्रमुख प्रकार –
- वस्तुनिष्ठ प्रश्नों का बैक (Bank of Objective type Questions),
- लघु-उत्तर प्रश्नों का बैंक (Bank of Short Answer Questions),
- विस्तृत उत्तर प्रश्नों का बैंक (Bank of Detailed Answer Questions) तथा
- श्रित प्रश्नों का बैंक (Bank of Miscellaneous Questions) है ।
विषयों/प्रकरणों के अनुरूप भी अनेक भिन्न भिन्न प्रश्न बैंक हो सकते हैं। जैसे हिन्दी विषय का प्रश्न बैंक, गणित विषय का प्रश्न बैंक, अर्थशास्र विषय का प्रश्न बैंक, विज्ञान विषय का प्रश्न बैंक आदि-आदि । कक्षा स्तर के अनुरूप भी प्रश्न बैंक हो सकते हैं। जैसे हाईस्कूल स्तरीय प्रश्न बैंक, माध्यमिक स्तरीय प्रश्न बैंक, स्रातक स्तरीय प्रश्न बैंक आदि। प्रश्न बैंक को अधिक प्रमाणिक बनाने के लिए उनमें सम्मिलित प्रश्नों की मनोमितीय विशेषपताओं जैसे कठिनाई स्तर (Difficulty Value) तथा विभेदन क्षमता (Discriminating Power) को प्रयोगिक आधार पर ज्ञात करके इंगित किया जा सकता है। ऐसी जानकारी के उपलब्ध होने पर प्रश्नपत्र में सम्मिलित करने के लिए प्रश्नों का चयन तर्कसगत ढग से करना संभव हो सकेगा। कम्प्यूटर की सहायता से प्रश्न बैंकों का संचालन तथा उससे प्रश्नों का चयन बहुत ही सुविधाजनक तथा सम्पूर्ण विषयवस्तु को आच्छादित करते हुए संभव हो सकता है।
प्रश्न बैंक जहां शैक्षिक कार्य में संलग्न व्यक्तियों अर्थात छात्रों, अध्यापकों तथा परीक्षकों के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं वहीं इनके निर्माण से कुछ हानि होने की आंशका भी व्यक्त की जा रही है। बने-बनण्ये प्रश्नों के उपलब्ध हो जाने पर प्रश्नपत्र निर्माता नवीन प्रश्नों की रचना करने के श्रम से बचना चाहेगा तथा उसके चिन्तन, संवेदनशीलता व सृजनात्मकता का सदुपयोग नहीं हो सकेगा इसके अतिरिक्त प्रश्न बैंकों की उपलब्धता के परिणामस्वरूप शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया का केन्द्रविन्दु प्रश्न बैंकों के बन जाने की सम्भावना हो सकती है तथा प्रश्न बैंकों में संग्रहित किये गये प्रश्नों के उत्तर कालान्तर में गाइड बुकों के रूप में बाजार में प्रचुरता से उपलब्ध होने लगेंगे जो शैक्षिक दृष्टि से एक अत्यन्त घातक परिणति होगी। प्रश्न बैंकों के कारण उत्पन्न हो सकने वाले इस दोष का निवारण प्रश्न बैंकों को गत्यात्मक (Dynamic) रूप देने से संभव हो सकेगा। इसके लिए प्रश्न बैंकों में समय-समय पर नवीन प्रश्नों को जोड़ते जाने तथा पुराने प्रश्नों को हटाने की सतत आवश्यकता होगी। नवीन प्रश्नों के समावेश से प्रश्न बैंकों की वजह से शिक्षण, अधिगम व परीक्षा में एकरूपता की सम्भावना समाप्त हो जायेगी एवं तब प्रश्न बैंकों के द्वारा शिक्षा प्रक्रिया के एक उपयोगी उपकरण के रूप में कार्य करने की आशा की जा सकेगी।
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