शिक्षक शिक्षण / Teacher Education

निकष संदर्भित मापन तथा मानक संदर्भित मापन | निकष सन्दर्भित तथा मानक सन्दर्भित मापन की तुलना

निकष संदर्भित मापन तथा मानक संदर्भित मापन | निकष सन्दर्भित तथा मानक सन्दर्भित मापन की तुलना | Criterion-Referenced and Norm-Referenced Measurement in Hindi

आधुनिक शैक्षिक मूल्यांकनकर्ता परम्परागत मानक संदर्भित मापन को शैक्षिक मूल्यांकन के लिए अधिक उपयोगी स्वीकार नहीं करते हैं । वे शैक्षिक मूल्यांकन की आवश्यकताओं के देखते हुए एक नये प्रकार के मापन के प्रयोग की संस्तुति करते हैं। नवीन प्रकार का यह मापन निकष संदर्भित मापन (Criterion Referenced Measurement) कहलाता है तथा इस प्रकार के मापन के लिए प्रयुक्त परीक्षण को निकष संदर्भित परीक्षण (Criterion Referenced Test) कहते हैं। निकष संदर्भित मापन की आवश्यकता सबसे पहले 1963 में रॉबर्ट ग्लेजर (Robert Glaser) ने महसूस की। सातवें दशक में अभिक्रमित अनुदेशन (Programmed Instruction) की प्रभावशीलता का मापन करते समय यह महसूस किया गया कि तात्कालीन उपलब्धि परीक्षणों के अत्यधिक सामान्य प्रकृति का होने के कारण उनका प्रयोग इस कार्य के लिए तर्कसंगत ढंग से नहीं किया जा सकता।

ग्लेजर के द्वारा American Psychologist (1963, 18, 519-21) में प्रकाशित लेख “Instructional Technology and the Measurement of Learning Outcomes: Some Questions” ने अनेक शिक्षांशास्त्रियों तथा मनोवैज्ञानिकों का ध्यान उन कमियों की ओर आकर्षित किया जो परम्परागत मापन के प्रत्ययों को नवीन अभिक्रमित अनुदेशन तकनीकों से सम्बन्धित परिस्थितियों में लागू करने से हो रही थी। अपने लेख में ग्लेजर ने मानक संदर्भित मापन तथा निकष संदर्भित मापन के बीच स्पष्ट विभेद किया। उसने कहा कि मानक संदर्भित मापन की सहायता से किसी छात्र की अन्य छात्रों के सापेक्षिक स्थिति ज्ञात की जाती है जबकि निकष संदर्भित मापन में छात्र के द्वारा अर्जित ज्ञान की निरपेक्ष स्थिति (Absolute Standard of Quality) का वर्णन किया जाता है। यद्यपि ग्लेजर से पूर्व भी इस तरह की चर्चा अन्य व्यक्ति कर चुके थे । जैसे आर.एल. ईबिल (R.L. Ebel) ने सन् 1962 में अपने लेख Content Standard Test Scores, जोकि Educational and Psychological Measurement (1962, 22, 15-25) में छपा था, में इसी तरह की चर्चा की थी परन्त ग्लेजर के लेख ने ही सबसे पहले शैक्षिक मापन कर्ताओं का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। इसलिये निकष संदर्भित मापन के प्रत्यय का श्रेय ग्लेजर को ही दिया जाता है।

पाठ्यवस्तु संदर्भित मापन (Content Referenced Measurement), उद्देश्य संदर्भित मापन (Objective Referenced Measurement) a क्षेत्र संदर्भित मापन (Domain Referenced Measurement) जैसे नामो का प्रयोग भी निकष संदर्भित मापन के लिये किया जाता है। यहाँ यह स्पष्ट करना उचित ही होगा कि जिन परीक्षणों का प्रयोग निकष सदर्भित मापन के लिए किया जाता है उन्हें निकष सदर्भित परीक्षण (Criterion Referenced Tests) कहते हैं तथा जिन परीक्षणों का प्रयोग परम्परागत मानक सदर्भित मापन के लिए करते हैं, उन्हें मानक संदर्भित परीक्षण (Norm Referenced Tests) कहते हैं।

मानक संदर्भित परीक्षण तधा निकष संदभित परीक्षण में मुख्य अन्तर यह है किे मानक संदर्भित परीक्षण छात्रों की योग्यता को किसी मानक समूह के सन्दर्भ में व्यक्त करते हैं जबकि निकष संदर्भित परीक्षण में किसी व्यक्ति की योग्यता को निकष के सन्दर्भ में स्पष्ट किया जाता है। ग्लेजर के द्वारा किये गये इस अन्तर में निकष के अर्थ को स्पष्ट नहीं किया गया था कि निकष सन्दर्भित परीक्षण में निकष में क्या अभिप्राय है जिसके कारण निकष शब्द का अर्थ भिन्न-भिन्न ढंग से लगाया गया। प्रायः निकष शब्द के तीन अर्थ लगाये गये हैं-(i) शैक्षिक उद्देश्य (Instructional Objective) (i) छात्रों की योग्यता का वांछित स्तर (Desired level of learner’s Ability) तथा (iii) सुपरिभाषित व्यवहारों का समूह (Well defined behaviour Domain) लगाये गये हैं।

साठवें दशक में शैक्षिक उद्देश्यों के सम्बन्ध में पर्याप्त विकास हुआ था जिसके कारण निकष सन्दर्भित मापन के नवीन प्रत्यय को शिक्षण उद्देश्यों से सम्बन्धित कर दिया तथा कहा गया कि निकष संदर्भित मापन शिक्षण उद्देश्यों से संदर्भित मापन है। इसके अन्तर्गत देखा जाता है कि छात्रों ने निर्धारित उद्देश्यों को किस सीमा तक प्राप्त कर लिया है। प्रत्येक छात्र के द्वारा प्राप्त उद्देश्यों को जानकर उसकी योग्यता का वर्णन किया जाता है। इस प्रकार के मापन को कभी-कभी उद्देश्य संदर्भित मापन (Objective) Referenced Measurement) भी कहते हैं। इसके विपरीत कुछ शिक्षा शास्त्रियों ने निकष (Criterion) शब्द को छात्रों की योग्यता के वांछित स्तर (desired level of learner’s ability) के रूप में परिभाषित किया। उनके अनुसार शिक्षण से पूर्व छात्रों की योग्यता के वांछित स्तर को परिभाषित कर लिया जाना चाहिए तथा मापन के द्वारा देखा जाना चाहिये कि छात्रों ने उस वांछित स्तर को किस सीमा तक अर्जित कर लिया है। इसलिए इस प्रकार के मापन को योग्यता संदर्भित मापन (Ability Referenced Measurement) भी कहते हैं। कुछ अन्य शिक्षाशास्त्रियों ने निकष (Criterion) शब्द को व्यवहार के समूह (Well defined behavioural Domain) के रूप में स्पष्ट किया। इन्होंने. कहा कि छात्रों के द्वारा अर्जित किये जाने वाले व्यवहारों (Behavioural domain) को पहले से परिभाषित किया जाना चाहिए तथा इनके सन्दर्भ में ही मापन करना चाहिए। दूसरे शब्दों में तब देखना होगा कि छात्रों ने इन व्यवहारों के समूह (behavioural domain) को किस सीमा (extent) तक प्राप्त किया है। इस प्रकार के मापन को क्षेत्र संदर्भित मापन (Domain Referenced Measurement) भी कहते हैं ।

निकष सन्दर्भित तथा मानक सन्दर्भित मापन की तुलना (Comparison between Criterion referenced and Norm referenced Measurement)

निकष सन्दर्भित मापन की विशेषताओं को ठीक ढंग से समझने के लिये यह आवश्यक होगा कि देखा जाय कि इस प्रकार का मापन मानक सन्दर्भित मापन से किस प्रकार से भिन्न है। निकष संदर्भित तथा मानक सन्दर्भित मापन में मुख्य भेद निम्नवत हैं।

  1. निकष सन्दर्भित मापन तथा मानक सन्दभित मापन में एक मुख्य अन्तर दोनों से प्राप्त सूचना की प्रकृति है। निकष सन्दर्भित मापन में किसी छात्र के द्वारा अर्जित विशिष्ट शिक्षण उहेश्यों को जाना जाता है जबकि मानक सन्दर्भित मापन में किसी छात्र के द्वारा किसी विषय में अर्जित कल ज्ञान को ज्ञात किया जाता है। निकष सन्दर्भित मापन से प्राप्त परिणाम छात्र के द्वारा अर्जित उद्देश्यों अथवा योग्यताओं की सूची तथा अर्जित नहीं किये गये उद्देश्यों की सूची होती है। इसके विपरीत मानक सन्दर्भित मापन से प्राप्त परिणाम में उन प्रश्नों की संख्या होती है जिन्हें छात्र ने सही हल किया होता है।
  2. इन दोनों प्रकार के मापन में दूसरा प्रमुख अन्तर परिणामों की व्याख्या से सम्बन्धित होता है। निकष सन्दर्भित परीक्षणों में व्याख्या का आधार सभी शिक्षण उद्देश्यों अथवा योग्यताओं के अर्जित करने से सम्बन्धित होता है। किसी छात्र की उपलब्धि का स्तर इस बात से जाना जाता है कि उसने निर्धारित उद्देश्यों को किस सीमा तक अर्जित किया है। इसके विपरीत मानक सन्दर्भित परीक्षणों में व्याख्या का आधार छात्र समूह की उपलोब्धि होती है। किसी छात्र की उपलब्धि का स्तर अन्य छात्रों की उपलब्धि से तुलना करके निर्धारित किया जाता है।
  3. दोनों प्रकार के मापन में तीसरा अन्तर प्रश्नों के वितरण से सम्बन्धित होता है । निकष संदर्भित परीक्षण में प्रश्न कुछ सीमित विशिष्ट उद्देश्यों के ऊपर केन्द्रित रहते हैं जबकि मानक सन्दर्भित परीक्षणों में प्रश्न अनेक उद्देश्यों से सम्बन्धित हो सकते हैं। उदाहरण के लिए 10 प्रश्नों वाले किसी निकष सन्दर्भित परीक्षण में 10-10 प्रश्न एक-एक विशिष्ट उद्देश्य के मापन के लिये बनाये जा सकते हैं जबकि मानक सन्दर्भित परीक्षण में साधारणतः एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए केवल एक ही प्रश्न बनाते हैं।
  4. निकष सन्दर्भित तथा मानक सन्दभित मापन में एक अन्य अन्तर परीक्षणों से प्राप्त सूचना उपयोग का है। निकष सन्दर्भित परीक्षणों का प्रयोग अधिकांशतः शिक्षण विधियों की प्रभावशीलता से सम्बन्धित होता है तथा इनके द्वारा छात्रों के अधिगम को सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाता है। जबकि मानक सन्दर्भित परीक्षण का उपयोग छात्रों की अधिगम सफलता को सापेक्षिक दृष्टि से इंगित करने के लिए किया जाता है।

निकष सन्दर्भित तथा मानक सन्दर्भित मापन में उपरोक्त वर्णित विभिन्नताओं के बावजूद इनमें कुछ समानतायें भी होती हैं। इनकी कुछ समानतायें निम्नवत हैं-

  1. दोनों प्रकार के मापन वास्तव में एक ही प्रकार के कार्य को सम्पन्न करते हैं। निकष सन्दर्भित परीक्षण तथा मानक सन्दर्भित परीक्षण दोनों ही छात्रों की शैक्षिक उपलब्धि का ज्ञान करते हैं।
  2. दोनों ही प्रकार के मापन में प्रयुक्त किये जाने विभिन्न प्रश्न शिक्षण के उद्देश्यों से सम्बन्धित होते हैं।
  3. दोनों ही प्रकार के परीक्षणों की रचना विधि एक ही समान है अर्थात् दोनों ही प्रकार के परीक्षणों में, परीक्षण निर्माण के सभी आवश्यक सोपानों का अनुसरण किया जाता है।
  4. दोनों ही प्रकार के परीक्षण की गुणवत्ता लगभग एक जैसी होती है अर्थात् दोनों प्रकार के परीक्षणों के लिए वस्तुनिष्ठता, विश्वसनीयता, तथा वैधता का होना आवश्यक तथा महत्वपूर्ण है।
  5. कोई भी प्रश्न निकष सन्दर्भित अथवा मानक सन्दर्भित परीक्षण में सम्मिलित किया जा सकता है। किसी प्रश्न के लिए यह कहना असम्भव सा कार्य है कि वह निकष सन्दर्भित प्रश्न है अथवा मानक सन्दर्भित प्रश्न है।

निकष सन्दर्भित परीक्षण किन परिस्थितियों में अधिक उपयोगी है तथा मानक सन्दर्भित परीक्षण किस परिस्थिति में अधिक उपयोगी है, यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है । सामान्यतः निकष सन्दर्भित परीक्षण किन्हीं विशिष्ट कार्यों अथवा योग्यताओं के सम्बन्ध में सफल अथवा असफल जैसे निर्णय लेने में अधिक सहायक सिद्ध हो सकते हैं। क्या छात्र किसी वाक्य में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया को इंगित कर सकता है? क्या छात्र वर्गमूल ज्ञात कर सकता है? क्या छात्र थर्मस फ्लास्क की कार्य विधि को स्पष्ट कर सकता है? जैसे प्रश्नों का उत्तर निकष सन्दर्भित मापन से ही मिल सकता है। इसके विपरीत मानक सन्दर्भित परीक्षण किसी छात्र के द्वारा किसी विषय में अर्जित कुल ज्ञान का मापन करने में अधिक उपयोगी होते हैं। यद्यपि कभी-कभी मानक सन्दर्भित परीक्षणों के आधार पर भी उत्तीर्ण एवं अनुत्तीर्ण जैसे-निर्णय लिये जाते हैं। फिर भी इन परीक्षणों का उद्देश्य छात्रों की सापेक्षिक समग्र उपलब्धि का मापन करना होता ही है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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