सामान्य सरकारी पत्रों के प्रकार | औपचारिक पत्र | अनौपचारिक पत्र
सामान्य सरकारी पत्रों के प्रकार | औपचारिक पत्र | अनौपचारिक पत्र
सामान्य सरकारी पत्रों के छह प्रकार
यह सरकारी कार्यालयों में पत्र व्यवहार का सबसे सामान्य रूप है। यहां यह ध्यान रखने योग्य है कि सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के आपसी पत्राचार में पत्र के इस रूप को नहीं अपनाया जाता। विदेशी सरकारों, संबद्ध तथा स्वायत्त कार्यालयों, सार्वजनिक निकायों आदि के साथ पत्राचार में इसी रूप का प्रयोग किया जाता है।
हमें अपने दैनिक जीवन में अनेक प्रकार के पत्र लिखने पड़ते हैं, कभी अपने ही स्वजनों को तो कभी कार्यालय से पत्र व्यवहार करना पड़ता है। कभी किसी वस्तु को मंगाने के लिए भी पत्र लिखा जाता है। इस प्रकार हम पत्रों को निम्न दो भागों में बाँट सकते हैं :-
(अ) औपचारिक पत्र, एवं (ब) अनौपचारिक पत्र।
(अ) औपचारिक पत्रों में मुख्य रूप से निम्न पत्र आते हैं :-
- सरकारी पत्र, 2. अर्द्ध सरकारी पत्र, 3. व्यावसायिक पत्र।
(ब) अनौपचारिक पत्रों को दो भागों में बाँट सकते हैं :-
- सामाजिक पत्र, 2. निजी पत्र।
- सामाजिक पत्र में निम्नलिखित पत्र आते हैं।
(i) विविध पत्र, (ii) बधाई पत्र, (iii) परिचय पत्र, (iv) आमंत्रण पत्र, (v) शोक पत्र।
- निजी पत्र पूर्णतः व्यक्तिगत सम्बन्धों पर आधारित होते हैं। ये पत्र प्रायः परिवार या अपने सम्बन्धियों को लिखे जाते हैं।
औपचारिक पत्र-
ये पत्र अत्यन्त संयमित, विधि संगत तथा स्पष्ट भाषा-शैली में लिखे जाते हैं। ऐसे पत्र लेखन में निर्धारित औपचारिकताओं का निर्वाह आवश्यक होता है। इस प्रकार के पत्रों में तकनीकी शब्दावली और अभिव्यक्ति की शैली आदि की कुछ अपनी विशिष्टयां होती है। औपचारिक पत्रों के अन्तर्गत अधिकारियों के पत्र, व्यापारिक पत्र, व्यावसायिक संगठनों के पत्र, समाचार-पत्रों को लिखे जाने वाले पत्र और अशासकीय एवं शासकीय अधिकारियों को लिखे जाने वाले प्रार्थना-पत्र आते हैं।
शासकीय पत्र के अंग-
शासकीय पत्र में निम्नलिखित अंग होते हैं :-
- कार्यालय विभाग का नाम
- पत्र की संख्या तथा दिनांक
- पाने वाले नाम या पद नाम या दोनों
- विषय
- सम्बोधन
- पत्र का मुख्य कलेवर
- अधोलेख
- प्रेषक के हस्ताक्षर व पदनाम
- पृष्ठांकन।
सरकारी अधिकारियों को लिखे जाने वाले पत्रों का प्रारम्भ ‘महोदय’ और उपक्रमों तथा गैर सरकारी व्यक्तियों को ‘प्रिय महोदया’ के सम्बोधन से होना चाहिए। महिला के लिए ‘महोदया’ सम्बोधन किया जाता है। सभी सरकारी पत्रों के अंत में अधोलेख के रूप में ‘भवदीय’ लिखना चाहिए और इसके बाद हस्ताक्षर तथा हस्ताक्षरकर्ता का नाम तथा पद दिया जाना चाहिए।
जो शासकीय पत्र किसी मंत्रालय को भेजे जाने हैं और भारत सरकार के आदेशों या विचारों को व्यक्त करने के लिए लिखे जाते हैं, उन पत्रों में यह बता दिया जाता है कि वे सरकार के निर्देश से लिखे गये हैं।
जो पत्र सरकार के निर्देश पर नहीं अपितु किसी अधिकारी द्वारा अपने अधिकार पर लिखे जाते हैं, उनमें ‘मुझे निर्देश हुआ है।’ न लिखकर ‘मुझे निवेदन करना है’ लिखना चाहिए।
सामान्य सरकारी पत्र को छह प्रकार-
कार्यालयीन पत्रों के प्रमुख रूप निम्नलिखित हैं।
- परिपत्र,
- आदेश,
- अधिसूचना,
- ज्ञापन
- अनुस्मारक,
- पृष्ठांकन आदि।
परिपत्र
आशय- कार्यालय में सूचनाओं और आदेशों को जिन पत्रों के माध्यम से प्रसारित किया जाता है उन्हें परिपत्र कहा जाता है। परिपत्र सदैव उच्च कार्यालय द्वारा अपने अधीनस्थ कार्यालयों को भेजा जाता है। एक परिपत्र में एक ही विषय होता है। परिपत्र अंग्रेजी शब्द (Circular) का हिन्दी रूपांतर है।
विशेषताएँ-1. परिपत्र सदैव उच्च कार्यालय द्वारा अपने अधीनस्थ कार्यालयों को भेजा जाता है।
- एक परिपत्र में एक ही विषय होता है। विषय का पूरी तरह उल्लेख होता है।
- उसमें सूचना तथा आग्रहपूर्ण निर्देश होते है।
- इसकी शैली कार्यालयीन पत्रों जैसी होती है।
- यह अन्य पुरुष शैली में लिखा जाता है।
- भाषा सरल, सुबोध एवं स्पष्ट होती है।
- सामान्यतः परिपत्र टंकित अथवा साइक्लोस्टाइल्ड होते हैं। किन्तु विभिन्न कार्यालयों को भेजी जाने वाली प्रतियों पर भेजने वाला अधिकारी स्वयं व्यक्तिशः हस्ताक्षर करे तो अधिक उपयुक्त होता है।
परिपत्र में उल्लेखित बातें- उच्च कार्यालय के अधीनस्थ कार्यालयों को भेजे जाने वाले आदेश, सूचनाएं आदि परिपत्रों के द्वारा ही भेजे जाते हैं। परिपत्र में प्रायः निम्नलिखित बातों का उल्लेख होता है।
- कोई नवीन निर्णय
- कोई परिवर्तन
- कोई विशेष प्रस्ताव
- कोई विशेष रियायत
- अथवा कोई अन्य विषय से सम्बन्धित सूचनाएँ एवं आदेश।
परिपत्र का नमूना
संख्या 5/2002-2003
प्रधान कार्यालय
राजस्थान राज्य उच्च शिक्षा निदेशालय
जयपुर-282004
दिनांक-7.7.2003
विषय अस्थाई प्रवक्ताओं का स्थाईकरण
राज्य सरकार ने यह निश्चय किया है कि दिनांक 31.12.2002 तक जितने भी प्रवक्ता अस्थाई तौर पर राज्य के विभिन्न महाविद्यालयों में कार्यरत थे उन्हें स्थाई कर दिया जाये।
अतएव सभी महाविद्यालयों के प्राचार्यों से यह अपेक्षा की जाती है कि दिनांक 31.8.2003 तक ऐसे सभी प्रवक्ताओं की सूची संलग्न प्रपत्र में निदेशालय के पास भेज दें ताकि उनके मामलों में उपयुक्त कार्यवाही की जा सके।
……………………..
निदेशक
प्रति:
- सभी महाविद्यालयों के प्राचार्य
- प्रशासनिक इकाई, निदेशालय
- लेखा
हिन्दी – महत्वपूर्ण लिंक
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