उद्योगों की स्थापना हेतु आधारभूत संसाधन | उद्योगों की स्थापना तथा विकास हेतु आधारभूत संरचनात्मक संसाधन तथा सुविधायें | Infrastructural Resources and Facilities for Establishment and Development of Industries in Hindi
उद्योगों की स्थापना हेतु आधारभूत संसाधन | उद्योगों की स्थापना तथा विकास हेतु आधारभूत संरचनात्मक संसाधन तथा सुविधायें | Infrastructural Resources and Facilities for Establishment and Development of Industries in Hindi
उद्योगों की स्थापना हेतु आधारभूत संसाधन
उद्योगों की स्थापना तथा विकास हेतु आधारभूत संरचनात्मक संसाधन तथा सुविधायें
(Infrastructural Resources and Facilities for Establishment and Development of Industries)
किसी भी प्रकार के उद्योगों में विभिन्न आधारभूत संसाधनों व सुविधाओं की उपलब्धता एक महत्वपूर्ण पहलू है। उद्योग के आधारभूत ढांचे के निर्माण में कुछ संसाधन व सुविधायें इनकी आपूर्ति को बढ़ावा देने का प्रक्रम करते हैं जो आधारभूत संरचनात्मक संसाधनों की आपूर्ति के साथ इनके निर्धारक तत्व भी माने गये हैं, इन्हें संक्षेप में इस प्रकार प्रस्तुत किया गया है-
(1) औद्योगीकरण की प्रक्रिया शक्ति के साधनों की पर्याप्त पूर्ति के बिना अधूरी हैं। उद्योगों के संचालन व उन्हें नया स्वरूप देने में प्राकृतिक गैस, सौर शक्ति, अणुशक्ति, विद्युत आदि की विशिष्ट भूमिका सिद्ध होती हैं,
(2) उद्योग के लिये कच्चे माल, निर्मित माल, यन्त्र उपकरण व अन्य आवश्यक सामग्री का क्रय-विक्रय बाजार या मण्डियों में ही सम्भव हो पाता है। विशिष्ट बाजारों व मण्डियों में ही उद्योगों के क्रिया-कलापों का विस्तार सम्भव होता है,
(3) औद्योगीकरण की प्रक्रिया में आर्थिक विकास के तत्व भी विद्यमान होते हैं, जिसमें पूँजी बाजार, स्कन्ध, विनिमय केन्द्र, वित्तीय संस्थाओं की प्रक्रियायें एवं कृषि विनिमय केन्द्रों की भूमिका को प्रमुखता से देखा जाता है। ये सभी इकाइयाँ उद्योगों की पूँजी संरचना का निर्धारण कर उन्हें आधारभूत संसाधनों के रूप में अपनी सेवायें प्रदान करती हैं,
(4) उद्योगों में कार्यरत कर्मचारियों व श्रमिकों की चिकित्सा व स्वाथ्य की सुविधाओं को भी आधारभूत संसाधनों में शामिल किया जाना आवश्यक है। कर्मचारियों को अस्पताल, डॉक्टर्स, प्राथमिक उपचार, टीकाकरण, परिवार कल्याण व दवाइयों की उचित सुविधाएँ इसी वर्ग में शमिल की जाती हैं,
(5) कर्मचारियों व श्रमिकों को प्राप्त श्रम कल्याण व सामाजिक सुरक्षा जैसी सुविधायें प्रदान की जाती हैं, जिनका नियमन व संचालन कारखाना अधिनियम, 1948 व अन्य अधिनियमों के अन्तर्गत किया जाना आवश्यक होता है,
(6) विभिन्न प्रकार की संस्थाओं, समूहों, व्यक्तियों द्वारा अपनी निर्धारित दरों पर परामर्श सेवायें प्रदान की जाती हैं। इनमें लाभार्जन क्षमता के निर्धारण, उत्पादन की लागत, पूँजी ढाँचे का निर्माण, बचत व विनियोग, श्रम लागत, अभिन्यास के व्यय, पूँजीगत व्यय आदि पहलुओं पर उपयुक्त समयानुकूल परामर्श प्रदान किये जाते हैं, जो निश्चय ही इन सुविधाओं का एक भाग है,
(7) बैंक और वित्तीय संस्थायें उद्योगों को रियायती दरों पर ऋण व अग्रिम राशि प्रदान करने, परियोजनाओं का शीघ्रअनुमोदन करने व साख सम्बन्धी अन्य सुविधायें प्रदान करने में अपना योगदान प्रदान करते हैं, जिन्हें प्रायः परोक्ष आधारभूत सुविधाओं में शामिल किया जाता है।
(8) उद्योग के विभिन्न अवयवों के मध्य गोदाम व संग्रहालय महत्वपूर्ण कड़ी का निर्माण का काम करते हैं। कच्चे माल, निर्मित व अर्द्ध निर्मित माल, उपकरण व अन्य वस्तुओं के संग्रहण में गोदामों की विशिष्ट भूमिका मानी गई है,
(9) उद्योगों की स्थापना व विस्तार कार्यक्रमों में बीमा की मुख्य भूमिका होती है। उद्योग में जोखिम वहनीयता, हानियों की स्थितियाँ, दुर्घटनाओं आदि आकस्मिक दशाओं में बीमा ने अपना योगदान दिया है। निश्चय ही बीमा को भी आधारभूत सुविधाओं में सम्मिलित किया गया है।
(10) तकनीकी तथा यान्त्रिक शिक्षण संस्थाओं द्वारा योग्य तकनीशियनों, इंजीनियरों व श्रमिकों को तैयार किया जाता है। अतः औद्योगिक संस्थाओं को योग्य प्रशिक्षित व कुशल मानव संसाधनों की आपूर्ति सम्भव हो जाती है।
(11) शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थाओं द्वारा युवाओं, नये उद्यमियों एवं कार्यरत कर्मचारियों को समय-समय पर रोजगार के साथ प्रशिक्षण की सुविधायें भी प्रदान की जाती हैं। अतः इनका परोक्ष रूप में आधारभूत सुविधाओं तथा संरचनात्मक संसाधनों की आपूर्ति पर प्रभाव पड़ता है।
(12) विभिन्न प्रकार की संस्थाओं, एजेन्सियों, संगठनों व इकाइयों द्वारा तकनीकी प्रबन्ध, आधुनिकीकरण, अभिन्यास, उत्पाद विकास, यन्त्र डिजाइनिंग, सामग्री प्रबन्ध, परियोजना विकास एवं व्यावसायिक परामर्श के बारे में अपनी सेवायें प्रदान किया जाना भी संसाधनों का एक भाग है,
(13) विभिन्न परिवहन के साधन सड़क, रेल, वायु परिवहन उद्योगों को समाज की मुख्य धारा के साथ जुड़ने में स्वतः आधारभूत संरचना के रूप में अपनी भूमिका निभाते हैं,
(14) संचार व सम्प्रेषण के साधन भी व्यवसाय व उद्योग की धड़कन माने गये हैं। संचार में टेलीफोन, तार, टेलीप्रिन्टर, फेक्स, डाल, टी०वी०, रेडियो आदि साधनों ने आधारभूत संसाधनों की भूमिका को न केवल महत्ता प्रदान की हैं, अपितु इनकी निर्णायक भूमिका ने उद्योग जगत को संरचनात्मक सुविधायें भी प्रदान की हैं,
(15) आधारभूत सुविधाओं में जल संसाधनों की भी विशिष्ट भूमिका है। प्रायः सभी औद्योगिक इकाइयों द्वारा अधिकाशतः जल के निकटतम स्रोतों को पर्याप्त महत्ता दी जाती है,
(16) सिंचाई की विभिन्न परियोजनाओं व सिंचाई के साधनों ने कृषि और उद्योग के मध्य परस्स्पर सामंजस्यता स्थापित की हैं। मूलतः कृषि पर आधारित उद्योग तो सिंचाई की सुविधाओं पर ही निर्भर करते हैं।
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