विकास का समाजशास्त्र | समाजशास्त्र का महत्व | Sociology of Development in Hindi | Importance of sociology in Hindi
विकास का समाजशास्त्र | समाजशास्त्र का महत्व | Sociology of Development in Hindi | Importance of sociology in Hindi
विकास का समाजशास्त्र
जिस प्रकार अन्य विज्ञानों की उत्पत्ति शून्य से नहीं हुई है। उसी प्रकार समाजशास्त्र की उत्पत्ति भी शून्य से प्रारम्भ नहीं हुई है। इस सम्बन्ध में वीरस्टीड कहता है कि –
“Sociology has a long past but only a short history” अर्थात समाजशास्त्र की विषय वस्तु काफी पुराना है। इस विषय की उत्पत्ति के पूर्व भी उस पर चिंतन होते रहे हैं। लेकिन उन विषय वस्तुओं पर एक स्वतंत्र विषय के रूप के अन्तर्गत वैज्ञानिक ढंग से चिंतन कुछ दिनों पूर्व ही प्रारम्भ हुआ है।
टी.वी.बाटोमोर ने समाजशास्त्र की उत्पत्ति एवं विकास के मुख्य चार चरण बतलाए हैं-
प्रथम चरण के अन्तर्गत प्राचीन विचारक जैसे-प्लेटो एवं अरस्तू। प्लेटों ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “The Republic में तत्कालीन सामाजिक जीवन के अनेक पहलुओं से सम्बद्ध चर्चाएं की है। इनके द्वारा पारिवारिक जीवन, रीति-रिवाज आदि का अच्छे ढंग से वर्णन किया गया है जो आगे चलकर बहुत उपयोगी सिद्ध हुई।
द्वितीय चरण में अक्थूनास और दांते जैसे विद्वान आते हैं जिन्होंने दर्शन और धर्म की जगह तर्क को प्रधानता प्रदान की।
तृतीय चरण में समाजशास्त्र की पृष्ठभूमि तैयार हो गयी। इससे हाब्स लाक रूसों ने समाज पर विस्तृत चर्चा की।
अंतिम चरण अर्थात चतुर्थ चरण जिसमें सही मायने में समाज शास्त्र की पृष्ठभूमि तैयार हुई। इस चरण के प्रमुख चिंतक मॉन्टेस्क्यू कॉत, स्पेन्सर, मार्क्स आदि का नाम विशेष रूप से उल्लिखित है जिन्होंने समाजशास्त्र का पथ प्रदर्शन एवं विकास किया।
समाजशास्त्र का महत्व :
अन्य विषयों की भाँति समाजशास्त्र का भी अपना एक अलग महत्व है। विशेषतौर पर भारत के सन्दर्भ में इसकी उपयोगिता कुछ और भी ज्यादा है।
समाजशास्त्र के महत्व को निम्नलिखित क्षेत्रों में देखा जा सकता है –
- सामाजिक समस्याओं को सुलझाने के रूप में: भारतीय समाज आज अनेक समस्याओं जैसे-भ्रष्टाचार, भिक्षावृत्ति, वैश्यावृत्ति जातिवाद, बेकारी, बाल अपराध, राजनीतिक अपराध आदि। इन समस्याओं के सही कारणों की खोज कर इसकी निष्पक्ष यथायोचित निर्णय किया जा सकता है।
- राष्ट्रीय एकता कायम रखने में: भारत विश्व में विभिन्नता के रूप में अद्वितीय देश है। यहाँ विभिन्न धर्म भाषा, जाति के लोग एक साथ सदियों से एक साथ रहते आ रहे हैं, परन्तु कतिपय कारणों से उनमें कभी-कभी संघर्ष भी दिखलायी पड़ जाता है। इसके सही कारणों को जानकर शांति एवं एकता स्थापित करने में समाजशास्त्र सहायक सिद्ध होता है।
- नई परिस्थितियों से समायोजना : समाजशास्त्र वर्तमान समय में तीव्र गति से हो रहे सामाजिक परिवर्तन का अध्ययन करता है। वर्तमान परिस्थितियों का विश्लेषण के आधार पर समाजशास्त्र भविष्य की परिस्थितियों का एक स्वरूप पैदा करता है।
- ग्रामीण उत्थान में सहायक : भारतीय ग्रामीण समस्या जैसे जन स्वास्थ्य, निरक्षता, भूमिहीनों की समस्या का अध्ययन करने में भी समाजशास्त्र का महत्व है।
इसी प्रकार जनजातीय समस्या के समाधान जनसंख्या समाधान, आर्थिक विकास के समाधान में समाजशास्त्र का विशेष महत्व है। इसके अध्ययन से न केवल अपने समाज वरन् दूसरे समाज के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक पहलू का अध्ययन किया जाता है।
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