संस्कृति का अर्थ | संस्कृति का समाजशास्त्रीय अर्थ | संस्कृति की प्रमुख विशेषताएं
संस्कृति का अर्थ | संस्कृति का समाजशास्त्रीय अर्थ | संस्कृति की प्रमुख विशेषताएं | Meaning of culture in Hindi | Sociological meaning of culture in Hindi | Main features of culture in Hindi
संस्कृति का अर्थ
“संस्कृति” शब्द अंग्रेजी भाषा के शब्द Culture (कल्चर) का रूपान्तर है। कल्चर शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द “कल्दुस” Cultura से हुई है। संस्कृति शब्द “संस्कृत भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ “संस्कार” से लिया गया है। संस्कार से तात्पर्य है।- विभिन्न संस्कारों द्वारा सामूहिक जीवन के उद्देश्यों की पूर्ति ।
संस्कृति का समाजशास्त्रीय अर्थ- समाशास्त्रीय अर्थ में संस्कृति को समाज की धरोहर या समाजिक विरासत माना गया है। समाज द्वारा भौतिक एवं अभौतिक दोनों पक्षों को संस्कृति में सम्मिलित करते हुए राबर्ट वीरस्टीड लिखते हैं “संस्कृति व सम्पूर्ण जटिलता है जिसमें वे सभी वस्तुएँ सम्मिलित हैं जिन पर हम विचार करते हैं, कार्य करते हैं और समाज के सदस्य होने के नाते अपने पास रखते हैं। वे पुनः लिखते हैं,” इसके अन्तर्गत हम जीवन जीने या कार्य करने एवं विचार करने के उन सभी तरीकों को सम्मिलित करते हैं जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तान्तरित होते हैं और जो समाज के स्वीकृत अंग बन चुके हैं।” ब्रूम एवं सेल्जलिनक संस्कृति को सामाजिक विरासत के रूप में स्वीकार करते हैं।”
(1) संस्कृति मानव निर्मित है – संस्कृति केवल मनुष्य समाज में पायी जाती है। मनुष्य में कुछ ऐसी मानसिक एवं शारीरिक विशेषताएं हैं, जैसे विकसित मस्तिष्क केन्द्रित की जा सकने वाली आँखें, स्वतन्त्रतापूर्वक घूम सकने वाले हाथ और उनमें अंगूठे की स्थिति, गर्दन की रचना आदि जो उसे प्राणियों से भिन्न बनाती है और इसी कारण वह संस्कृति को निर्मित एवं विकसित कर सका, अन्य प्राणी नहीं।
(2) संस्कृति सीखी जाती है – संस्कृति मनुष्य को अपने माता-पिता द्वारा उसी प्रकार वंशानुक्रमण में प्राप्त नहीं होती, जिस प्रकार से शरीर रचना प्राप्त होती है। संस्कृति मानव के सीखे हुए व्यवहार प्रतिमानों का योग है। एक मनुष्य अपने जीवन के साथ किसी संस्कृति को लेकर पैदा नहीं होता वरन् जिस प्रकार समाज में पैदा होता है उसकी संस्कृति को धीरे-धीरे समाजीकरण की प्रक्रिया द्वारा सीखता है।
(3) संस्कृतिक हस्तान्तरित की जाती है- संस्कृति चूँकि सीखी जा सकती है। इसीलिये ही नयी पीढ़ी पुरानी पीढ़ी के द्वारा संस्कृति का ज्ञान प्राप्त करती है। इस प्रकार एक समूह से दूसरे समूह को, एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को संस्कृति हस्तान्तरित की जाती है।
(4) प्रत्येक समाज की एक विशिष्ट संस्कृति होती है – एक समाज की भौगोलिक एवं सामाजिक परिस्थितियाँ दूसरे समाज से भिन्न होती हैं। अतः प्रत्येक समाज में अपनी एक विशिष्ट संस्कृति पायी जाती है। हर समाज की आवश्यकताएँ भी भिन्न-भिन्न होती हैं जो सांस्कृतिक भिन्नताओं को जन्म देती हैं। इसीलिए ही हमें नगरीय, ग्रामीण, आदिम जातीय, हिन्दू, मुस्लिम, पाश्चात्य एवं पूर्वी संस्कृतियाँ देखने को मिलती हैं।
(5) संस्कृति में सामाजिक गुण निहित होता है – संस्कृति किसी व्यक्ति विशेष की देन नहीं होती वरन् सम्पूर्ण समाज की देन है। उसका विकास समाज के कारण ही हुआ है। समाज के अभाव में संस्कृति की कल्पना नहीं की जा सकती।
(6) संस्कृति समूह के लिये आदर्श होती है – एक समूह के लोग अपनी संस्कृति को आदर्श मानते हैं और वे उसके अनुसार अपने व्यवहारों एवं विचारों को ढालते हैं। जब दो संस्कृतियों की तुलना की जाती है तो एक व्यक्ति दूसरी संस्कृति की तुलना में अपनी संस्कृति को आदर्श बताने का प्रयास करता है, उसकी अच्छाईयों का उल्लेख करता है।
(7) संस्कृति मानव आवश्यकताओं की पूर्ति करती है – मानव की अनेक सामाजिक, शारीरिक एवं मानसिक आवश्यकताएँ हैं। उसकी पूर्ति के लिये ही मानव ने संस्कृति का निर्माण किया है।
(8) संस्कृति में अनुकूलन करने की क्षमता होती है – संस्कृति में समय, स्थान, समाज एवं परिस्थितियों के अनुरूप अपने आपको ढालने की क्षमता होती है। परिवर्तनशीलता संस्कृति का गुण है।
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