युनान में राजनीतिक चिन्तन की उत्पत्ति के कारण | Causes of the Origin of Political Thought in Greek in Hindi

युनान में राजनीतिक चिन्तन की उत्पत्ति के कारण | Causes of the Origin of Political Thought in Greek in Hindi
भूमिका
अधिकतर पश्चिमी विद्वानों का मत है कि यूनानी विचारकों ने ही राजनीतिक चिन्तन को जन्म दिया और उसका विकास पश्चिमी जगत में ही हुआ। यूनानियों ने ही राजनीति को क्रमबद्ध तथा व्यवस्थित रूप दिया। प्रजातन्त्र, कुलीनतन्त्र, अल्प तन्त्र, निरंकुश राजतन्त्र आदि शासन के विभिन्न रूपों को यूनानियों ने उत्पन्न किया।
यूनान में राजशास्त्र का प्रारम्भ (Beginning of Political Thought in Greece)
बार्कर के अनुसार राजशास्त्र का प्रादुर्भाव प्राचीन यूनान में हुआ। इसका मूल स्रोत यूनानी मस्तिष्क का शान्त एवं स्पष्ट बुद्धिवाद है। यूनानी चिन्तन की देन इतनी महत्त्वपूर्ण है कि सभ्य संसार आज भी उनकी बौद्धिक क्षमता एवं विवेक का ऋणी है। मेयर का मत है- “जीवन के प्रति यूरोप का जो दृष्टिकोण है, उसे समझने का जो प्रयास है उसकी समस्त भूमिकाएँ आदिकाल में ही यूनानियों द्वारा निर्मित हुई हैं।”
यूनानियों ने ही राजनीतिक चिन्तन को क्रमबद्ध और व्यवस्थित रूप दिया। यूनानियों से पूर्व की समस्त सभ्य जातियों के राजनीतिक विचारों में क्रमबद्धता और वैज्ञानिकता का अभाव था। राजनीति से सम्बन्धित सब मुख्य शब्द और परिभाषाएँ-राजनीतिक (Political), लोकतन्त्र (Democracy), कुलीनतन्त्र, (Aristocracy) यूनानी भाषा की हैं। उन्होंने ही सर्वप्रथम राज्यों तथा पशासन की विभिन्न प्रणालियों का वर्गीकरण किया। उन्होंने ही सर्वप्रथम प्रजातन्त्र, कुलीनतन्त्र, अल्पतन्त्र, निरंकुश राजतन्त्र आदि शासन के विभिन्न रूपों का अन्वेषण तथा मूल्यांकन किया। उन्होंने ही राज्य की समस्याओं का वैज्ञानिक पद्धति से अध्ययन प्रारम्भ किया। मैकिलवेन का मत है कि “राजनीतिक सम्बन्धों पर विचार विमर्श की जो धारा यूरोपियन जगत से तथा यूरोपियन संस्कृति प्रभावित देशों से बह रही है, उसका आरम्भ यूनानियों से ही हुआ है।”
आधुनिक यूनानी राजनीतिक चिन्तन की विशेषताएँ | प्राचीन एवं आधुनिक राजनीतिक चिन्तन में अन्तर
युनान में राजनीतिक चिन्तन की उत्पत्ति के कारण (Causes of the Origin of Political Thought in Greek)
यूनान में राजनीतिक चिन्तन की उत्पत्ति के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
- व्यक्ति की महत्ता (Importance of Individual)
- भौगोलिक स्थिति (Geographical Condition)
- बुद्धिबाद (Rationalism)
- व्यक्तिगत महत्त्व (Importance of Individual)
- निश्चयात्मक अध्ययन (Conclusive Study)
- दृष्टिकोण (Point of View)
- जिज्ञासु प्रवृत्ति (Curious Tendency)
(1) व्यक्ति की महत्ता (Importance of Individual)- यूनानियों के विचार का मुख्य विषय मानव था। वे इतने मानववादी थे कि उन्होंने देवताओं की कल्पना भी मनुष्य के रूप में की। होमर के समय से उनके काव्य का मुख्य विषय मनुष्य था। उनका नत था कि प्रत्येक व्यक्ति को स्वतन्त्रतापूर्वक विचार करने और उन विचारों को व्यक्तिगत अथवा सामूहिक रूप से प्रकट करने का अधिकार होना चाहिये। इस अधिकार का उपयोग करते समय व्यक्ति को दूसरे के हितों को दृष्टिगत रखना चाहिये।
(2) भौगोलिक स्थिति (Geographical Condition)- यूनान सभ्यता के दो भू- खण्डों के बीच स्थित था। पूर्द की ओर असीरिया का भू-खण्ड था और दक्षिण की ओर मिस्र था। फोनीसिया (Phocnicia) के सौदागरों ने उन्हें सभ्यता का सन्देश दिया, असभ्य जातियों को सभ्यता का वरदान और परतन्त्रता का अभिशाप साथ-साथ मिला । इसका परिणाम यह हुआ कि यूनानियों को स्वतन्त्र न रहते हुए, सभ्यता को निरन्तर विकसित करने का अवसर मिला।
(3) बुद्धिबाद (Rationalism) – यूनानियों में अत्यधिक बौद्धिक क्षमता थी। कठोर परिश्रम एवं मननशील प्रवृत्ति ने उन्हें अपेक्षाकृत अधिक विवेकशील बना दिया। उनकी आस्था थी कि विश्व की व्यवस्था का तथा समाज का संचालन कुछ नियमों के अनुसार होता है। मनुष्य का यह कर्त्तव्य है कि वह इन नियमों का अन्वेषण करे।
(4) व्यक्तिगत महत्त्व (Importance of Individual) – यूनान में मनुष्य के जीवन का मूल्य था। प्रत्येक व्यक्ति अपनी महत्ता से परिचित था। वह राजकार्य में भाग लेता तथा किसी भी वर्ग के विशेषाधिकारों का विरोध करता था । समस्त मनुष्यों के जीवन का मूल्य लगभग समान था। यूरीपाइडीज का मत था कि “सच्ची स्वतन्त्रता इसी में निहित है कि स्वतन्त्र व्यक्ति जनता को सलाह देने के लिये स्वतन्त्रातापूर्वक भाषण कर सके “
(5) निश्चयात्मक अध्ययन (Conclusive Study)- यूनान में डेढ़ सौ से अधिक छोटे-छोटे नगर-राज्य थे। उनमें विभिन्न प्रकार की शासन-प्रणालियाँ थीं। प्रत्येक नगर-राज्य में कई-कई प्रकार की शासन-प्रणालियों का परीक्षण किया गया था| इस प्रकार यूनान में समस्त नगर-राज्यों में एक ही प्रकार की शासन-व्यवस्था होने के कारण ही सर्वप्रथम राजनीति शास्त्र का उदय हुआ।
(6) दृष्टिकोण (Point of View)- प्राचीन यूनान का जीवन के प्रति दृष्टिकोण धर्म-निरपेक्ष एवं लौकिक था । इसके विपरीत प्राचीन भारत, चीन आदि देशों में यह पारलौकिक था।
(7) जिज्ञासु प्रवृत्ति (Curious Tendency)- जिज्ञासा प्रवृत्ति से प्रेरित होकर मेल्स, एनेक्सी, मेन्डर, पाइथागोरस, हिराक्लिटस ने विश्व के प्रादृर्भाव की समस्याओं पर चिन्तन किया।
राजनीतिक शास्त्र – महत्वपूर्ण लिंक
- कठोर एवं लचीला संविधान
- भारतीयसंविधान के स्रोत (Sources of Indian Constitution)
- अरब लीग – 1945 [ARAB LEAGUE – 1945]
- लोकतंत्र (Democracy in hindi)
- मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties)
- मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)
- गुटनिरपेक्षता की उपलब्धियां (ACHIEVEMENTS OF NON-ALIGNMENT)
- तीसरे विश्व के देशों की सामान्य विशेषताएं (THE CHARACTERISTICS OF THE THIRD WORLD COUNTRIES)
- भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं
- प्राचीन राजनीतिक शास्त्र के अध्ययन के स्रोत के प्रमुख साधन
- प्राचीन भारतीय राजनीति की प्रमुख विशेषताएँ
- बजट क्या है ? अर्थ एवं परिभाषा, विशेषताएं, महत्व, प्रकार, कार्य तथा महत्वपूर्ण सिद्धान्त
- राज्य की कार्यपालिका क्या है तथा राज्यपाल क्या है?
- Indian Polity – M Laxmikanth | 5th Edition pdf
- Electoral system of the world – Plurality System, Majority System, Semi-Proportional System, Proportionate System
Disclaimer: sarkariguider.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- [email protected]