संघीय कार्यपालिका | संघीय विधान-मण्डल | संघीय न्यायपालिका
संघीय कार्यपालिका | संघीय विधान-मण्डल | संघीय न्यायपालिका
संघीय कार्यपालिका, विधायिका एवं न्यायपालिका
(Federal Executive, Legislature and Judiciary)
संघीय कार्यपालिका
संघीय राज्यों में दो प्रकार की कार्यपालिकाएँ पायी जाती हैं-(1) संसदात्मक कार्यपालिका और (2) अध्यक्षात्मक कार्यपालिका। संसदात्मक कार्यपालिका का उत्तरदायित्व विधान-मण्डल पर आधारित रहता है। कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, भारत, ब्रिटेन आदि में इसी प्रकार की कार्यपालिका पायी जाती है। “सिद्धान्त रूप में राष्ट्र-मण्डलीय देशों के संविधान ने ब्रिटिश राजा अथवा उसके प्रतिनिधि में सभी कार्यपालिका शक्तियाँ निहित की हैं, अर्थात् भारत में राष्ट्रपति को तथा उपनिवेशों में गर्वनर जनरल को, परन्तु वास्तविक व्यवहार में गर्वनर जनरल प्रत्येक उपनिवेश के विधान-मण्डल के बहुमत दल के नेता को मन्त्रिमण्डल बनाने के लिए आमन्त्रित करता है। संघों में जहाँ संसदात्मक सरकार न होकर अध्यक्षात्मक सरकार है वहाँ कार्यपालिका का उत्तरदायित्व विधान-मण्डल के प्रति नहीं होता। उदाहरणार्थ, अमेरिकी राष्ट्रपति और सचिव (मन्त्री) कांग्रेस के प्रति उत्तरदायी नहीं हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मण्डल द्वारा होता है, जिसके सदस्य सभी राज्यों के नागरिकों द्वारा चुने जाते हैं।
संघीय व्यवस्था में कार्यपालिका एकल भी हो सकती है और बहुल भी। अमेरिका का राष्ट्रपति एकल पद्धति का उदाहरण है। ब्रिटेन और भारत में सम्पूर्ण मन्त्रिमण्डल प्रधानमन्त्री के नेतृत्व में एकमत होकर काम करता है तो स्विट्जरलैण्ड की कार्यपालिका का बहुल कार्यपालिका उत्कृष्ट उदाहरण है। वहाँ कार्यकारी शक्ति एक व्यक्ति में निहित न होकर एक व्यक्ति समूह को दी हुई है।
संघीय विधान-मण्डल
विश्व में संघात्मक शासन-प्रणाली के आधार पर जितने भी नये संविधानों का सृजन हुआ, सभी संविधान-निर्माताओं ने अमेरिका के ऊपरी सदन को उदाहरण के रूप में लिया। वास्तव में संघात्मक शासन-व्यवस्था में द्वितीय सदन का अपना एक विशेष स्थान है। अमेरिका की सीनेट विश्व में सर्वाधिक शक्तिशाली द्वितीय सदन है। लेकिन द्वितीय सदन शक्तिशाली हो, यह आवश्यक नहीं है। भारतीय संघ में व्यवस्थापिका द्विसदनीय है, लेकिन दूसरे सदन राज्यसभा की अपेक्षा निचले सदन लोकसभा का विशेष महत्व है।
संघीय न्यायपालिका
संघीय व्यवस्था की सफलता के लिए एक शक्तिशाली न्यायपालिका का होना अति आवश्यक है जो राज्यों एवं उसके निवासियों के विवादों का निर्णय कर सके । संघ-शासन में यह आवश्यक है कि राष्ट्र और राज्य के बीच शक्तियों का अलग-अलग बँटवारा हो और उनके मध्य उठने वाले विवादों का निपटारा करने के लिए शक्तिशाली न्यायपालिका हो ।
संघीय व्यवस्था में तो न्यायपालिका के स्वतन्त्र, निष्पक्ष और निर्भय होने की भारी आवश्यकता है। क्योंकि उसे एक ओर तो केन्द्र तथा उपराज्यों के बीच सदस्य राज्यों के पारस्परिक झगड़ों को निपटाना पड़ता है तथा दूसरी ओर संविधान के किसी भी अनुच्छेद, खण्ड या भाग की व्याख्या के विषय में उठे विवादों को तय करना पड़ता है।
भारतीय संघ में न्यायपालिका की स्वतन्त्रता, निष्पक्षता और संविधान-संरक्षण की स्थिति को पूर्णतः मान्यता दी गई है तथा संघीय न्यायपालिका के आदर्शों का निर्वाह किया गया है, जबकि स्विट्जरलैण्ड में शक्तियों का विभाजन न होने के कारण न्यायपालिका न तो शक्तिशाली ही हो सकती है और न ही प्रभावशाली। विधान-मण्डल द्वारा पास किए गए अधिनियमों को वैध-अवैध निश्चित करने का अधिकार स्विस-न्यायालय को नहीं है; तथापि स्विस न्यायपालिका का अधिकार-क्षेत्र बराबर विस्तृत होता जा रहा है।
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