भारत में राष्ट्रीय आय की वृद्धि एवं संरचना | भारत में स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय के अनुमान | भारत में साधन लागत पर राष्ट्रीय आय के अनुमान | भारत में प्रति व्यक्ति आय के अनुमान | भारत में राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय में वार्षिक वृद्धि दरें | भारत में राष्ट्रीय आय का क्षेत्रवार वितरण
भारत में राष्ट्रीय आय की वृद्धि एवं संरचना | भारत में स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय के अनुमान | भारत में साधन लागत पर राष्ट्रीय आय के अनुमान | भारत में प्रति व्यक्ति आय के अनुमान | भारत में राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय में वार्षिक वृद्धि दरें | भारत में राष्ट्रीय आय का क्षेत्रवार वितरण
भारत में राष्ट्रीय आय की वृद्धि एवं संरचना
वर्तमान में प्रत्येक राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आय तथा प्रति व्यक्ति आय सम्बन्धी समंकों का महत्त्व निरन्तर बढ़ता जा रहा है। ये समंक एक और तो आर्थिक विकास का मापदण्ड होते हैं वहीं दूसरी ओर ये समंक राष्ट्र की आर्थिक समृद्धि के स्तर, आय के वितरण की स्थिति और देश में आय प्रवाह की जानकारी बताते हैं। राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय का उच्च स्तर, आर्थिक समृद्धि तथा उच्च विकास की दर का सूचक होता है तथा इसका निम्न स्तर गरीबी, दरिद्रता और आर्थिक पिछड़ेपन का सूचक होता है। प्रत्येक राष्ट्र में इन समंकों से ही विभिन्न राष्ट्रों की तुलना, जीवन-स्तर का ज्ञान, अर्थव्यवस्था की संरचना का आभास, भावी आर्थिक नीतियों के निर्माण में मदद तथा आर्थिक वृद्धि दर की जानकारी मिलती है।
भारत में स्वतन्त्रता प्राप्ति से पूर्व राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय के समंक संकलन के सम्बन्ध में उचित व्यवस्था का अभाव था लेकिन अनेक आर्थिक विद्वानों के द्वारा इस सम्बन्ध में व्यक्तिगत अनुमान लगाये गये थे। दादाभाई नौरोजी ने वर्ष 1867-68 में सबसे पहले राष्ट्रीय आय सम्बन्धी अनुमान लगाये थे। उन्होंने इस वर्ष की भारत की राष्ट्रीय आय 340 करोड़ रुपये और प्रति व्यक्ति आय 20 रुपये बतायी थी। इसी प्रकार बोरिंग एवं बारबर ने राष्ट्रीय आय 525 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया था। इसके बाद वर्ष 1897-98 के लिए लार्ड कर्जन ने राष्ट्रीय आय 675 करोड़ रुपये और प्रति व्यक्ति आय 30 रुपये होने का अनुमान लगाया था। फिनले शिराज ने वर्ष 1911 में भारत की राष्ट्रीय आय 1942 करोड़ रुपये और प्रति व्यक्ति आय 80 रुपये आंकी थी। इसी प्रकार वर्ष 1931-32 में भारत के सुप्रसिद्ध अर्थशास्वी डॉ० वी0 के0 आर0 राव ने भारत की राष्ट्रीय आय 1689 करोड़ रुपये और प्रति व्यक्ति आय ग्रामीण क्षेत्रों में 51 रुपये और बाहरी क्षेत्रों में 166 रुपये आंकी थीं।
भारत में स्वतन्त्रता प्राप्ति से पूर्व विभिन्न अर्थशास्त्रियों के द्वारा राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय के सम्बन्ध में जो अनुमान लगाये गये थे उनमें प्रयुक्त भिन्न-भिन्न मान्यतायें, आधार व गैर-सरकारी होने की वजह से वे विश्वसनीय नहीं समझे जाते थे। इसके साथ ही इन समंकों में पर्याप्त सूचनाओं और तथ्यों का भी अभाव था।
भारत में स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय के अनुमान
(Post-independence Estimates of National Income and Per Capita Income in India)
1947 के बाद भारत सरकार ने राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय के बढ़ते हुए महत्व के फलस्वरूप सुसंगठित ढंग से राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय के समंक इकट्ठे करने की व्यवस्था की है। भारत सरकार के केन्द्रीय वाणिज्य मन्त्रालय ने वर्ष 1946-47 के लिए कुल राष्ट्रीय आय 5580 करोड़ रुपये और प्रति व्यक्ति आय 228 रुपये आंकी थी।
कलकत्ता में स्थित भारतीय सांख्यिकीय संस्थान में 4 अगस्त, 1949 को प्रोफेसर पी0सी0 महालनोबिस की अध्यक्षता में भारत सरकार ने एक राष्ट्रीय आय समिति गठित की जिसके सदस्य डॉ0 वी0 के0 आर0 वी0 राव और डॉ0 वी0 आर0 गाडगिल बनाये गये। इस राष्ट्रीय आय समिति ने अपना अन्तिम प्रतिवेदन 1953 में प्रस्तुत किया जिसके अनुसार वर्ष 1948-49 की राष्ट्रीय आय 8650 करोड़ रुपये और प्रति व्यक्ति आय 247 रुपये आंकी गयी तथा इसी समिति के द्वारा वर्ष 1953-54 के लिए राष्ट्रीय आय 10610 करोड़ रुपये और प्रति व्यक्ति आय 284 रुपये होने के अनुमान लगाये गये।
इसके बाद भारत सरकार के द्वारा राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय संगणना कार्य केन्द्रीय सांख्यिकीय संगठन (CSO) को सौंप दिया गया। इस सम्बन्ध में इस संगठन का कार्य काफी सराहनीय एवं विश्वसनीय रहा है। यह संगठन अपनी स्थापना से लेकर वर्तमान तक नियमितता के साथ प्रति वर्ष राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय सम्बन्धी समंकों का संकलन एवं प्रकाशन करता रहा है। इस संगठन के द्वारा समय-समय पर राष्ट्रीय आय संगणना की नवीन श्रृंखलाएँ भी जारी की गयी हैं। इस समय राष्ट्रीय आय सम्बन्धी समंक प्रचलित मूल्यों और वर्ष 1980- 81 के आधार मूल्यों पर प्रकाशित किये जाते हैं। आगे वर्ष 1998-99 के आर्थिक सर्वेक्षण के आधार पर राष्ट्रीय आय सम्बन्धी समंक दिये गये हैं।
भारत में साधन लागत पर राष्ट्रीय आय के अनुमान
(Estimates National Income at Factor Cost)
भारत सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण 2004-05 के आधार पर 1950-51 से 2003-04 के राष्ट्रीय आय के अनुमान चालू मूल्यों और 1993-94 के आधार मूल्यों पर निम्न तालिका में दिये गये हैं-
भारत में साधन लागत पर राष्ट्रीय आय के अनुमान ( 1951 से 2003 तक)
वर्ष | उपादान लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (करोड़ रु० में) | उपादान लागत पर पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद (करोड़ रु0 में) | ||
वर्तमान कीमतों पर | 1993-94 की कीमतों पर | वर्तमान कीमतों पर | 1957-94 की कीमतों पर | |
1950-51
1960-61 1970-71 1980-81 1990-91 1993-94 1996-97 1997-2000 2001-01 2001-02 2002-03 2003-04 |
9506
16148 41938 130523 503409 769265 1230465 1746407 1884890 2065908 2241722 2505707 |
139912
205196 293933 401970 683670 769265 459359 1137184 1186438 1257636 1310471 1422479 |
9142
15204 38968 118236 450145 685912 1093962 1564048 168995 1848229 2008770 2252070 |
132367
192235 270597 363417 614206 685915 852086 1008114 1050338 1115171 1161902 1266001 |
स्त्रोत-अर्थिक सर्वेक्षण 2004-05
यदि हम उपरोक्त तालिका का विश्लेषण करें तो पता चलता है कि वर्ष 1950-51 में वर्ष 1993-94 के आधार पर जो राष्ट्रीय आय 132367 करोड़ रुपये थी वह वर्ष 1993-94 में बढ़कर 685915 करोड़ रुपये हो गयी तथा वर्ष 1993-94 के मूल्यों के आधार पर वर्ष 2003-04 में बढ़कर 1266005 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
इसी प्रकार चालू मूल्यों के आधार पर वर्ष 1950-51 में जो राष्ट्रीय आय 9506 करोड़ रुपये थी वह वर्ष 2003-04 में बढ़कर 2505707 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
भारत में प्रति व्यक्ति आय के अनुमान
(Estimates of Per Capita Income in India)
उपरोक्त राष्ट्रीय आय के समंकों के अनुसार भारत में प्रति व्यक्ति आय के समंक वर्ष 2002-05 के भारत सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण के आधार पर गत 55 वर्षों की अवधि को प्रदर्शित करते हुए वर्ष 1993-94 एवं 2003-04 के आधार मूल्यों और चालू मूल्यों के आधार पर निम्न तालिका में दिये गये हैं-
भारत में प्रति व्यक्ति आय के अनुमान (1951-98)
(रकम रुपयों में)
वर्ष | चालू किमतों के आधार मूल्यों पर राष्ट्रीय आय | 1993-94 की किमतों पर |
1950-57
1960-61 1970-71 1980-81 1990-91 1992-93 1994-95 1999-2000 2000-01 2001-02 2002-03 2003-04 |
254.7
356.3 720.3 1741.3 5365.3 7689.6 8856.9 15624.9 16555.4 17822.4 19040.5 20982.5 |
3687.1
4429.4 5001.8 5352.2 7320.7 7502.6 10071.1 100307.1 10753.8 11013.3 11798.7 11798.7 |
Source: Economic Survey 2004-05, Page S-3.
उपरोक्त तालिका से यह स्पष्ट है कि वर्ष 1993-04 के आधार मूल्यों पर प्रति व्यक्ति आय जो वर्ष 1950-51 में 3687.1 रुपये थी वह वर्ष 1993-94 में बढ़कर 7320.2 रुपये हो गयी तथा वर्ष 1993-94 के मूल्यों के आधार पर वर्ष 1997-98 में बढ़कर 9660.3 रुपये होनेवाले का अनुमान है जो वर्ष 1950-51 की तुलना में लगभग 100 प्रतिशत वृद्धि का सूचक है।
इसी प्रकार चालू मूल्यों के आधार पर प्रति व्यक्ति आय जो वर्ष 1950-51 में 254.7 रुपये थी, वह वर्ष 1993-94 में बढ़कर 7689.6 रुपये हो गयी तथा वर्ष 2003-04 में बढ़कर 20988.6 रुपये होने का अनुमान है जो वर्ष 1950-51 की तुलना में लगभग 35 गुना वृद्धि का सूचक है।
भारत में राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय में वार्षिक वृद्धि दरें (1951-97)
योजनाबद्ध विकास के गत 48 वर्षों में 1980-81 के मूल्यों के आधार पर राष्ट्रीय आय में औसत वार्षिक वृद्धि दर लगभग 3.5 प्रतिशत आंकी गयी है तथा प्रति व्यक्ति आय में औसत वार्षिक वृद्धि दर मात्र 2 प्रतिशत रही है जो काफी कम है। योजनाबद्ध विकास के गत 48 वर्षों में राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय में वार्षिक वृद्धि दरों को अग्रतालिका में दर्शाया गया है-
भारत में राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय में 1980-81 के मूल्यों के आधार पर वार्षिक वृद्धि दरें (1951-97) ( प्रतिशत में)
योजनावधि | राष्ट्रीय आय में वार्षिक वृद्धि दर | प्रति व्यक्ति में वार्षिक वृद्धि दर |
प्रथम पंचवर्षीय योजना (1951-56)
द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1956-61) तृतीय पंचवर्षीय योजना (1961-66) चतुर्थ पंचवर्षीय योजना (1969-74) पांचवीं पंचवर्षीय योजना (1974-79) छठी पंचवर्षीय योजना (1980-85) सातवीं पंचवर्षीय योजना (1985-90) वार्षिक योजनायें (1990-92) आठवीं पंचवर्षीय योजना (1992-97) नौंवी योजना |
3.6
3.9 2.3 3.3 4.9 5.4 5.8 3.4 9 5.6 |
1.7
1.9 0.1 0.9 2.6 3.2 3.6 1.4 1.4 3.6 |
Source : Economic Survey 2004-05, Page S-4.
उपरोक्त तालिका से यह पूर्ण रूप से स्पष्ट है कि भारत में पंचवर्षीय योजनावधि में आठवीं पंचवर्षीय योजना में राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय सबसे अधिक क्रमशः 6.8 प्रतिशत व 4.9 प्रतिशत रही तथा सबसे कम वृद्धि दर तीसरी पंचवर्षीय योजना में क्रमशः 2.3 प्रतिशत व 0.1 प्रतिशत रही 1 वार्षिक योजना 1979-80 में दोनों में वृद्धि दर ऋणात्मक क्रमशः (-6%) व (-8.2%) रही। इसी प्रकार वार्षिक योजना 1997-98 में भी राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि दर क्रमशः 5.2 प्रतिशत व 2 प्रतिशत रही जो उत्साहजनक स्थिति का सूचक है।
आठवीं पंचवर्षीय योजना (1992-97) को दौरान राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि का लक्ष्य क्रमशः 5.6 प्रतिशत व 3.5 प्रतिशत करने का रखा गया था। एक भावी अनुमान के अनुसार 1997-2002 में राष्ट्रीय आय में वृद्धि दर 6.05 प्रतिशत और 2002-2007 में 6.51 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
भारत में राष्ट्रीय आय का क्षेत्रवार वितरण
भारत में गत वर्षों में राष्ट्रीय आय का क्षेत्रवार वितरण भी काफी असन्तुलित व असमान देखने को मिला है। योजनाबद्ध विकास के प्रारम्भिक दो दशकों में भारत की राष्ट्रीय आय में कृषि व्यवसाय का हिस्सा लगभग 50 प्रतिशत रहा है तथा उद्योगों एवं सेवाओं का हिस्सा काफी कम रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था के चहुंमुखी आर्थिक विकास और विविधीकरण के फलस्वरूप वर्ष 1996-97 में कृषि तथा सम्बद्ध क्षेत्रों का योगदान राष्ट्रीय आय में कम होकर 28 प्रतिशत रह गया है जबकि उद्योगों और परिवहन सेवाओं का भाग वर्ष 1950-51 के क्रमशः 15 प्रतिशत और 11 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 1996-97 में क्रमशः 29 प्रतिशत और 20.2 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया गया है। वर्ष 1980-81 के मूल्यों के आधार पर भारत की राष्ट्रीय आय का क्षेत्रवार वितरण वर्ष 1950-51 से वर्ष 1996-97 तक निम्न तालिका में दिया गया है-
भारत में राष्ट्रीय आय का क्षेत्रवार वितरण वर्ष 1980-81 के मूल्यों के आधार पर
(प्रतिशत में)
क्षेत्र | 1950-51 | 1970–71 | 1980-81 | 1990–91 | 1003-04 |
1.कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र | 56.5 | 45.8 | 39.6 | 38.5 | 24.3 |
2. विनिर्माण, निर्माण, विद्युत, गैस एवं जलापूर्ति क्षेत्र | 15.0 | 22.4 | 24.4 | 27.8 | 28.5 |
3. व्यापार, परिवहन एवं संचार क्षेत्र | 11.0 | 14.2 | 16.7 | 17.6 | 24.10 |
4. बैंकिंग, बीमा, सम्पत्ति तथा व्यावसायिक सेवाओं का क्षेत्र | 9.0 | 8.0 | 8.8 | 10.0 | 14.10 |
5. प्रशासनिक, सुरक्षा तथा अन्य सेवा क्षेत्र | 8.5 | 9.6 | 10.5 | 11.1 | 10.0 |
योग | 100 | 100 | 100 | 100 | 100 |
उपरोक्त तालिका में कृषि तथा सम्बन्धित क्षेत्र में कृषि, वानिकी, पशुपालन, मछली- पालन, खनन इत्यादि सम्मिलित हैं और इन्हें प्राथमिक क्षेत्र में रखा जाता है तथा द्वितीयक क्षेत्र में औद्योगिक उत्पादन और विनिर्माण के अलावा विद्युत, गैस और जलापूर्ति को सम्मिलित किया जाता है तथा तृतीयक अथवा सेवा क्षेत्र में व्यापार, परिवहन, संचार, बैंकिंग, बीमा तथा सम्पत्ति से प्राप्त आय तथा प्रशासनिक व सुरक्षा सेवाओं को सम्मिलित किया जाता है। इस सम्बन्ध में यह उल्लेखनीय है कि यदि हम उपरोक्त तालिका का गहराई से अध्ययन करें तो पता लगता है कि वर्ष 1950-51 में कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र का भाग जो कुल राष्ट्रीय आय में 56.5 प्रतिशत था, वह 48 वर्ष की अवधि में कम होकर 27.9 प्रतिशत रह गया है तथा द्वितीयक क्षेत्र का औद्योगिक उत्पादन, विनिर्माण उत्पादन, विद्युत गैस व जलापूर्ति का भाग इसी 48 वर्ष की अवधि में वर्ष 1950-51 में 15 प्रतिशत से बढ़कर 29 प्रतिशत तक पहुँच गया है। इसी प्रकार तृतीयक अथवा सेवा क्षेत्र का राष्ट्रीय आय में योगदान देखने से पता लगता है कि इसमें गत 48 वर्षों में अप्रत्याशित वृद्धि सम्भव हुई है। यह योगदान 1950-51 में 28.5 प्रतिशत था जो 1996-97 में बढ़कर 43 प्रतिशत तक पहुंच गया है जबकि प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्र अर्थात् वस्तु क्षेत्र का योगदान 71.5 प्रतिशत से घटकर 57 प्रतिशत रह गया है जो एक असन्तुलन की स्थिति को बताता है, जिसके परिणामस्वरूप मुद्रा स्फीति को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ सेवा क्षेत्र के लोगों की बढ़ती हुई आय ने आयातों को बढ़ावा दिया है जिससे भुगतान असंतुलन को प्रोत्साहन मिला है।
अर्थशास्त्र – महत्वपूर्ण लिंक
- भारतीय जनसंख्या प्रक्षेपण 1996-2051 | प्रक्षेपण से सम्बन्धित मान्यताएं | नगर जनसंख्या प्रक्षेपण | जनसंख्या की संरचना
- भारत की राष्ट्रीय जनसंख्या नीति | परिवार नियोजन कार्यक्रम और पंचवर्षीय योजनाएं | परिवार नियोजन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपनाए गए उपाय | आपातकाल के दौरान जनसंख्या नीति
- राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 | National Population Policy 2000 in Hindi
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