अर्थशास्त्र / Economics

गरीबी को दूर करने के उपाय | गरीबी दूर करने के सरकार द्वारा किये गये प्रयास

गरीबी को दूर करने के उपाय | गरीबी दूर करने के सरकार द्वारा किये गये प्रयास

गरीबी को दूर करने के उपाय

गरीबी अथवा निर्धनता को दूर करने के उपाय एवं सरकार द्वारा किये गये प्रयास

(Suggestions to Remove Poverty and attempt by Govt.)

उपर्युक्त विवेचन से यह पूर्ण रूप से स्पष्ट है कि भारत में गरीबी बहुत मात्रा में उपलब्ध है, जिसके लिए अनेक कारण उत्तरदायी हैं। इनका निवारण करने पर ही देश का तीव्र गति से आर्थिक विकास सम्भव है। मोटे तौर पर भारत में गरीबी अथवा निर्धनता को दूर करने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं-

(1) आर्थिक विकास की दर को बढ़ाना- आर्थिक विकास की दर में वृद्धि करने से निर्धनता की समस्या का निवारण किया जा सकता है। यद्यपि भारत सरकार के द्वारा पंचवर्षीय योजनाओं में आर्थिक विकास की दर को ऊँचा करने के प्रयत्न किए गए हैं, लेकिन अभी तक आर्थिक विकास की सन्तोषनजक दर प्राप्त नहीं हो सकी है। सातवीं पंचवर्षीय योजना में आर्थिक विकास की दर 5.6% रही। आठवीं,योजना में 6.5% वार्षिक रही। नवीं योजना में आर्थिक विकास की दर 7% करने का लक्ष्य है।

(2) बचत, विनियोग एवं पूँजी-निर्माण में वृद्धि- यदि सरकार के द्वारा कुछ इस प्रकार की योजनायें लागू की जाएँ जिससे नागरिक अपनी बचतों को बढ़ा सकें तो विनियोग और पूँजी-निर्माण की दर में स्वतः वृद्धि होगी तथा गरीबी को दूर करने में मदद मिलेगी।

सरकार द्वारा अल्प बचतों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक योजनाएँ, करों में छूट, बैंकों के राष्ट्रीयकरण द्वारा सुरक्षा प्रदान की गई है और नहीं दूसरी ओर विनियोगों को बढ़ावा दिया गया है।

(3) जनसंख्या वृद्धि पर रोक- जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाकर निर्धनता को आसानी से समाप्त किया जा सकता है। बढ़ती जनसंख्या को रोकने से एक ओर तो सीमित आय से अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त की जा सकेगी तथा दूसरी और बेरोजगारों की संख्या में वृद्धि नहीं होगी। देश में उपलब्ध समस्त प्राकृतिक एवं मानवीय संसाधन सीमित जनसंख्या के लिए ही रहेंगे।

सरकार द्वारा जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण करने के लिए परिवार नियोजन कार्यक्रमों पर पिछले वर्षों में लगभग 16,400 करोड़ रुपया व्यय किये गये हैं। स्वैच्छिक परिवार नियोजन पर विशेष ध्यान दिया गया है।

(4) बेरोजगारी की समस्या का निवारण- भारतीय अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी एवं अर्द्ध-बेरोजगारी बहुत बड़ी मात्रा में उपलब्ध है जिसका निवारण करके गरीबी अथवा निर्धनता को आसानी से समाप्त किया जा सकता है। यद्यपि इस ओर भारत सरकार के द्वारा काफी काम किया गया है, लेकिन वह सन्तोषजनक नहीं है।

(5) मुद्रा स्फीति पर नियन्त्रण- रिजर्व बैंक, अर्थव्यवस्था में व्याप्त मुद्रा स्फीति पर नियन्त्रण करने के लिए अनेक प्रयत्न करता है। यदि इस दिशा में निजी क्षेत्र का भी सहयोग मिले तो गरीबों को गरीबी से मुक्ति दिलाई जा सकती है।

सरकार द्वारा मुद्रा स्फीति को प्रभावी ढंग से नियमित करने के लिए हीनार्थ प्रबन्ध पर नियन्त्रण, फिजूल खर्च पर रोक, सस्ते गल्ले की दुकानों के विस्तार के साथ-साथ आवश्यक वस्तुओं की सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सुचारु रूप से बढ़ाया गया है।

(6) प्रगतिशील कर नीति- यद्यपि भारत सरकार के द्वारा करों को वसूल करने में इसी नीति का पालन किया जाता है लेकिन इसे और अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता है, जिससे धनिकों पर उनकी बढ़ती हुई आय पर अधिक कर लगाया जा सके और गरीबों पर कम। ऐसा करने से निर्धनता में स्वतः कमी आवेगी।

(7) सम्पत्तियों के उत्तराधिकार एवं हस्तान्तरण सम्बन्धी नियमों को प्रभावी बनाना- निजी क्षेत्र की सम्पत्तियों के सम्बन्ध में उत्तराधिकार तथा हस्तान्तरण सम्बन्धी नियमों में भारी परिवर्तन करने की आवश्यकता है। उत्तराधिकार के रूप में अधिक सम्पत्ति निजी क्षेत्र में ही न रह जावे इसके लिए प्रगतिशील मृत्यु कर लगाये जा सकते हैं तथा आवश्यकता से अधिक सम्पत्ति बच्चों को हस्तान्तरित न हो इसके लिए सरकार ने भूमि की अधिकतम सीमा निर्धारित की है।

(8) एकाधिकारी प्रवृत्ति पर रोक- बड़े-बड़े पूँजीपति एवं धनिक वर्ग के लोग कुछ विशेष प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन करके एकाधिकार की स्थिति प्राप्त कर लेते हैं और अधिक लाभ कमाने में सफल हो जाते हैं। इन वस्तुओं की स्थानापन्न वस्तुएँ उत्पादित करके एकाधिकारी प्रवृत्ति पर रोक लगाई जा सकती है और गरीबों को शोषण से बचाया जा सकता है।

सरकार द्वारा एकाधिकार एवं प्रतिबन्धात्मक व्यापार विधियाँ, कानून के द्वारा आर्थिक सत्ता के केन्द्रीकरण पर रोक लगाने का प्रयास किया गया है।

(9) मुनाफाखोरी एवं चोरबाजारी पर रोक- अनेक पूँजीपति एवं उत्पादक माल को गोदामों में संग्रह करके बाजार में कृत्रिम कमी बता देते हैं और मूल्य बढ़ा कर अधिक लाभ कमाने में सफल हो जाते हैं इससे गरीबों का शोषण होता है। इस ओर सरकार को विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए और यदि आवश्यकता हो तो कुछ वस्तुओं का राष्ट्रीयकरण कर देना चाहिए।

सरकार द्वारा मुनाफाखोरी एवं चोरबाजारी को रोकने के लिए आवश्यक वस्तुओं को उचित मूल्यों पर उपलब्ध कराने हेतु सार्वजनिक वितरण प्रणाली लागू की गई है।

(10) जन-कल्याण कार्यों में वृद्धि- गरीबी को समाप्त करने का यह एक सुलभ तरीका है जिसमें सरकार पंचवर्षीय योजनाओं तथा बीस सूत्रीय कार्यक्रमों के माध्यम से निर्धन वर्ग की छोटी-छोटी आवश्यकताओं को पूरा करने की ओर ध्यान दे, जैसे- बच्चों के लिए स्कूल, अस्पताल, डाकघर, बैंक, मनोरंजन केन्द्र, बेकारी भत्ता इत्यादि।

(11) सार्वजनिक विनियोग एवं औद्योगिक लाइसेन्स नीति- सार्वजनिक क्षेत्रों में विनियोग की मात्रा को बढ़ाकर तथा निजी क्षेत्रों में दिये जाने वाले लाइसेंसों पर प्रतिबन्ध लगाकर निर्धनता में कमी लाई जा सकती है।

(12) आर्थिक निजी सम्पत्ति रखने पर रोक- यदि सरकार के द्वारा इस प्रकार की कोई अधिकतम सीमा निश्चित कर दी जावे कि व्यक्ति इस निश्चित सीमा से अधिक निजी सम्पत्ति नहीं रख सकते हैं तो गरीबी स्वतः कम होती जावेगी।

(13) सामाजिक रीति-रिवाजों में परिवर्तन- सामाजिक रीति-रिवाजों में परिवर्तन करके भी गरीबी को कम किया जा सकता है। भारत जैसे विकासशील एवं गरीब राष्ट्र में मृत्यु भोज, दहेज प्रथा जैसी अनेक फिजूलखर्ची वाली प्रथाएँ विद्यमान हैं।

(14) कर की चोरी पर रोक- सरकार के द्वारा कुछ इस प्रकार के विशेष प्रयास किये जाने चाहिए जिससे कि करों की चोरी पर रोक लगे। इससे धनी वर्ग अधिक मात्रा में कर चुकायेंगे और निर्धन वर्ग को कम से कम कर देना पड़ेगा, इससे निर्धनता में कमी आवेगी।

(15) गरीबी हटाओ कार्यक्रमों का विस्तार- पंचवर्षीय योजनाओं में इस दिशा में यद्यपि भारत सरकार के द्वारा अनेक प्रयास किये गये हैं, लेकिन उन्हें और अधिक प्रभावशाली बनाने की आवश्यकता है। निर्धनता दूर होने पर आर्थिक विषमता में भी कमी आवेगी।

सरकार द्वारा गरीबी निवारण के कई विशिष्ट कार्यक्रम लागू किये गये हैं जिनका विवरण आगे दिया गया है।

(16) कृषि विकास के लिए विशेष प्रयत्न- भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ की लगभग 75 प्रनित्त जनसंख्या कृषि व्यवसाय पर निर्भर है। देश में कृषि व्यवसाय काफी पिछड़ी हुई स्थिति में है, जिसके कारण सम्पूर्ण देश में गरीबी का वातावरण छाया हुआ है। देश की लगभग 32 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी की रेखा के नीचे निवास करती है, अतः कृषि व्यवसाय को सुदृढ़ कर गरीबी की समस्या का निवारण किया जा सकता है। इसके लिए भारत सरकार के द्वारा समय-समय पर निम्नलिखित कार्य किये गये हैं- (i) भूमिसुधार कार्यक्रम, (ii) कृषि आदानों का प्रबन्ध करना, (iii) संस्थागत कृषि वित्त की व्यवस्था करना, (iv) कृषि विपणन में सुधार करना, (v) गैर-कृषि रोजगार में वृद्धि करना इत्यादि।

(17) जन-सहयोग की आवश्यकता- सरकार ने समय-समय पर गरीबी को दूर करने के लिए काफी प्रयास किये हैं और कर रही है लेकिन जब तक जनता का पूर्ण सहयोग प्राप्त न हो, सरकारी प्रत्यन असफल रहते हैं।

(18) राजनीतिक चेतना- नागरिकों में राजनीतिक चेतना जागृत होनी चाहिए। वर्तमान में कोई भी सरकार किसी भी क्षेत्र में कोई कार्य करने के लिए तब तक आगे नहीं आती है जब तक कि सरकार पर दबाव न डाला जाए। इस प्रकार सरकार पर दबाव डालकर आर्थिक विकास संबंधी कार्य करवाये जा सकते हैं तथा निर्धनता दूर करन का प्रयास किए जा सकते हैं।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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