ब्रिटेन में न्यायपालिका | अमरीका में न्यायपालिका | फ्रान्स की न्यायपालिका | स्विट्जरलैण्ड की न्यायपालिका
ब्रिटेन में न्यायपालिका | अमरीका में न्यायपालिका | फ्रान्स की न्यायपालिका | स्विट्जरलैण्ड की न्यायपालिका
ब्रिटेन में न्यायपालिका
यहाँ की न्यायपालिका संसार में प्रसिद्ध है। यहाँ का कानूनी ढाँचा अधिकांशत: निर्मित कानूनों के रूप में न होकर विकसित कानूनों के रूप में है, जिन्हें सामान्य कानून कहते हैं। यह सामान्य कानून ही ब्रिटिश समाज का आधार है। यहाँ पर न्यायपालिका द्वारा लोकतन्त्र के सिद्धान्तों को सर्वोच्च माना जाता है। वहाँ पर न्यायपालिका पूर्ण स्वतन्त्र है। यहाँ पर शासक का नहीं कानून का शासन है। ब्रिटेन में अधिकांश कानून संहिताबद्ध नहीं है परन्तु धीरे-धीरे कानून का बुहत बड़ा भाग संहिताबद्ध हो रहा है। इंग्लैण्ड का सबसे बड़ा न्यायालय लार्ड् सभा है।
ब्रिटेन की न्यायपालिका में निम्नलिखित प्रकार के न्यायालय हैं:-
(1) दीवानी अदालतें (Civil Courts)- धनसम्बन्धी विवादों में निर्णय देने हेतु ब्रिटेन में दीवानी अदालतों की व्यवस्था अलग से की गई है जो निम्नलिखित हैं-
(i) काउन्टी अदालतें (County Courts)- यह काउन्टी की सबसे छोटी अदालत होती है। इस न्यायालय का कार्य एक न्यायाधीश द्वारा किया जाता है। यदि वाद का कोई पक्ष चाहता है तो जूरी की व्यवस्था भी की जा सकती है।
(ii) उच्च न्यायालय (High Court)- यह सर्वोच्च न्यायालय का ही एक अंग है। इसका अधिकार क्षेत्र अपीलीय और प्रारम्भिक दोनों प्रकार का होता है। इसके द्वारा फौजदारी और दीवानी दोनों प्रकार के मुकदमे सुने जाते हैं। इसके तीन विभाग होते हैं-
(अ) चान्सरी डिवीजन (Chanccry Division),
(ब) सम्राट की न्याय-मण्डली (King’s Bcnch Divison),
(स) वसीयत, वैवाहिक सम्वन्ध-विच्छेद (Prosaic, Divorce and Admiralty Division) |
(iii) अपीलीय न्यायालय. (Appellate Courts)-अपीलीय न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय के ही अंग हैं। इनमें विभिन्न मामलों से सम्बन्धित मुकदमों की अपील सुनी जाती है।
(iv) लार्ड् सभा (House of Lords)- एक प्रकार से यही उच्चतम न्यायालय है। अन्तिम रूप से दीवानी मुकदमों की अपीलें यहाँ पर हो सकती हैं।
(2) फौजदारी न्यायालय (Criminals Courts)- ब्रिटेन में फौजदारी न्यायालयों की अलग व्यवस्था की गई है। ये न्यायालय निम्नलिखित हैं:-
(i) मजिस्ट्रेटों के न्यायालय- इन्हें पैटी मेशन्स या कोर्ट ऑफ समरी जुरिस्डिक्शन्स भी कहा जाता है। ये सबसे छोटे न्यायालय हैं।
(ii) क्वार्टर सेशन्स- इसके सेशन्स कई बार होते हैं। ये सभी काउन्टीज और बरो में होते हैं। ये न्यायालय नीचे के न्यायालयों से आये मुकदमों की सुनवाई करते हैं।
(iii) एसाइजेज- ये क्वार्टर सेशन्स के अधिकार क्षेत्रों से बाहर के मामलों पर निर्णय देते हैं। ये उच्च न्यायालयों की शाखाओं के रूप में कार्य करते हैं।
(iv) क्राउन न्यायालय-इनकी स्थापना लिवरपूल और मैनचेस्टर में कार्य की अधिकता को देखते हुए की गई थी। ये न्यायालय इन स्थानों पर क्वार्टर सेशन्स का कार्य करते हैं।
(v) केन्द्रीय फौजदारी न्यायालय- इसकी स्थापना लन्दन और मिडिलसेक्स आदि क्षेत्र के लिए की गई है। इन क्षेत्रों के लिए यह एसाइजेज न्यायालय का कार्य करता है।
(vi) फौजदारी अपील न्यायालय- यह न्यायालय नीचे के न्यायालयों में हुए निर्णयों के विरुद्ध पुनर्वाद सुनता है।
(vii) लार्ड् सभा- यह फौजदारी के विवादों का भी सर्वोच्च न्यायालय है।
(3) प्रिवी परिषद् (Privi Council)- इसकी न्यायिक समिति में लार्ड् सभा के विधि लार्ड इसके सदस्य होते हैं। लार्ड चान्सलर इसकी अध्यक्षता करता है। प्रिवी परिषद की न्यायिक समिति ऐतिहासिक दृष्टि से न्यायालय नहीं है। वास्तव में प्रिवी परिषद राजा को न्याय- कार्य में परामर्श देने वाली संस्था है। व्यवहारतः ब्रिटिश सम्राट् अनिवार्यत: इसको स्वीकार कर लेते हैं।
इस प्रकार ब्रिटिश न्यायपालिका में प्रत्येक अभियुक्त को अपने को निर्दोष सिद्ध करने का सम्पूर्ण अवसर मिलता है।
अमरीका में न्यायपालिका
सरकार का एक महत्त्वपूर्ण अंग न्यायपालिका है। अमरीका में दोहरी न्याय-व्यवस्था है। यहाँ पर संघीय न्यायालय अलग हैं। संघीय न्यायालय संघीय कानूनों के अनुसार न्याय करते हैं और राज्यों के न्यायालय राजकीय विषयों से सम्बन्धित मुकदमों का निर्णय करते हैं। संघीय न्यायालय में सबसे ऊँचा न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय है। इसके अधिकार अत्यन्त विस्तृत हैं। इसके अन्तर्गत अपील के सर्किट न्यायालय होते हैं। सर्किट न्यायालय के नीचे संघ और जिला न्यायालय होते हैं। समय-समय पर कांग्रेस द्वारा कुछ विशेष प्रकार के न्यायालय स्थापित किये जाते हैं जो वैधानिक न्यायालय कहलाते हैं। इनकी स्थापना विशेष प्रकार के कार्यों को सम्पन्न करने हेतु की जाती है। इनका कार्य क्षेत्र भी कांग्रेस द्वारा ही निश्चित किया जाता है। इस प्रकार के न्यायालयों में दावा न्यायालय और सीमा शुल्क न्यायालय मुख्य हैं।
संघीय न्यायालय के अतिरिक्त राज्यों में अलग न्यायालय होते हैं। राज्य के सबसे बड़े न्यायालय को सर्वोच्च न्यायालय कहा जाता है। सर्वोच्च न्यायालय के अन्तर्गत प्रत्येक राज्य में जिला काउन्टी न्यायालय होता है। इन न्यायालयों के अतिरिक्त कुछ अन्य छोटे-छोटे न्यायालय भी स्थापित किये जाते हैं। छोटे नगरों और गाँवों में कुछ शान्ति न्यायाधीश नियुक्त किये गये हैं और उनके न्यायालयों को शान्ति न्यायाधीश के न्यायालयों के नाम से जाना जाता है। इन न्यायालयों में अत्यन्त साधारण मुकदमे आते हैं। बड़े नगरों में कुछ विशेष प्रकार के न्यायालय भी स्थापित किये जाते हैं। ये स्थानीय समस्याओं को सुलझाते हैं।
फ्रान्स की न्यायपालिका
फ्रांस की न्यायपालिका की कुछ अपनी विशेषताएँ हैं जो निम्नलिखित हैं:-
(i) फ्रांस की कानून संहिता में सभी प्रकार के कानूनों को लिपिबद्ध करने का प्रयास किया गया है।
(ii) फ्रांस में दो प्रकार के न्यायालय और दो प्रकार के कानून प्रचलित हैं। एक प्रकार के न्यायालय साधारण जनता के दीवानी और फौजदारी के मुकदमों का निर्णय करते हैं और दूसरे प्रकार के न्यायालय सरकार, सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के मुकदमों का निर्णय करते हैं। भिन्न प्रकार के न्यायालयों में भिन्न प्रकार के कानून प्रचलित हैं।
(iii) फ्रांस में व्यक्ति को एक बार निर्णय लेना होता है कि वह वकील बनेगा या न्यायाधीश। कोई व्यक्ति न्यायाधीश बनने के बाद वकील नहीं बन सकता और वकील बनने के पश्चात् पुन: न्यायाधीश नहीं बन सकता।
(iv) फ्रांस में न्यायपालिका स्वतन्त्र नहीं है, उसके ऊपर कार्यपालिका का पर्याप्त नियन्त्रण रहता है।
(v) यहाँ पर निम्न स्तर मुकदमों को छोड़कर सभी स्तर के मुकदमों की सुनवाई एक से अधिक न्यायाधीश द्वारा होती है।
(vi) यहाँ पर विभिन्न प्रकार के न्यायालयों की व्यवस्था की गई है; जैसे-शान्ति न्यायाधीश, औद्योगिक विवाद परिषद आदि।
संगठन- फ्रांस में दो प्रकार के न्यायालय होते हैं-साधारण न्यायालय और प्रशासकीय न्यायालय। साधारण न्यायालयों में सबसे नीचे के स्तर पर ‘जस्टिसेज ऑफ दी पीस’ नामक वैतनिक अधिकारी न्याय का कार्य करता है। उन्हें बहुत कम मालियत के मुकदमों को सुनने को अधिकार होता है। इनके निर्णय के विरुद्ध अपील करने के लिये प्राथमिक न्यायालय होते हैं। यह न्यायालय सुधारात्मक न्यायालय कहलाते हैं। प्राथमिक न्यायालयों के दीवानी न्यायालयों के निर्णय के विरुद्ध अपील ‘कोर्ट ऑफ अपील’ नामक न्यायालय में की जाती है। फौजदारी के निर्णयों के विरुद्ध अपील ‘एसाइज कोर्ट’ नामक न्यायालयों में होती है। साधारण न्यायालयों में एक उच्चतम न्यायालय होता है। यह फ्रांस का सर्वप्रथम न्यायालय है। इसमें तीन विभाग होते
हैं।
प्रशासनिक न्यायालयों का संगठन अत्यन्त सीधा और सरल है। इनकी विभिन्न श्रेणियाँ है। सबसे नीचे डिपार्टमेण्टल प्रीपेक्चरों की कौंसिलें हैं। कौंसिल के सदस्यों की भरती राष्ट्रीय प्रशासनिक स्कूल से की जाती है। ये कौंसिलें ही न्यायिक कार्य करती हैं। इसके अतिरिक्त अन्य कौंसिलें भी होती हैं; जैसे-कौंसिल आफ पब्लिक इन्सट्रक्सन। प्रत्येक कौंसिल का अधिकार अपने ही क्षेत्र तक सीमित रहता है। इसके निर्णयों के विरुद्ध अपील की जा सकती है। प्रशासनिक न्यायालय पद्धति में कौंसिल आफ स्टेट सर्वोच्च न्यायालय होता है। यह केवल न्यायालय मात्र ही नहीं है बल्कि यह अन्य कार्य भी करता है।
संवैधानिक परिषद्- फ्रांस में न्यायालयों को यह अधिकार प्राप्त नहीं है कि वे कानून की संवैधानिकता का पुनरावलोकन करें। वे किसी कानून को अवैध घोषित करने का अधिकार नहीं रखते । इस कार्य हेतु पृथक अधिकरण स्थाषित किया गया है जिसे संवैधानिक परिषद के नाम से पुकारा जाता है। इसका कार्य संसद के कार्यों पर निर्णय देना है। इसका प्रमुख कार्य फ्रांस के राष्ट्रपति का चुनाव कराना है। इसके अतिरिक्त यह विधेयकों एवं कानूनों की संवैधनिकता पर निर्णय देती है। यह कानूनों के कार्यन्वित होने से पूर्व उनकी समीक्षा करती है। यह राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री अथवा संसद के दोनों सदनों के अध्यक्षों के द्वारा भेजे गये विधेयकों पर अपना मत देती है। यह राष्ट्रपति को भी परामर्श देती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि संवैधानिक परिषद् एक न्यायिक निकाय होने के साथ-साथ अन्य कार्य भी करती हैं।
स्विट्जरलैण्ड की न्यायपालिका
इसकी निम्नलिखित विशेषताएँ हैं:-
(i) यहां एक ही संघीय न्यायालय होता है।
(ii) संघीय न्यायालय का स्वरूप पूर्ण रूप से प्रजातान्त्रिक होता है।
(iii) न्यायाधीशों का चुनाव संघीय सभा के संयुक्त अधिवेशन में किया जाता है।
(iv) न्यायपालिका पूर्ण रूप से निष्पक्ष है।
(v) स्थानापन्न न्यायाधीशों की भी नियुक्ति की व्यवस्था की गई है।
(vi) यहाँ संघीय न्यायपालिका सर्वोच्च नहीं है। संघीय सभा को संघीय न्यायालय से अधिक गौरव प्रदान किया गया है।
(vii) न्यायपालिका संविधान की संरक्षक नहीं है।
(viii) फौजदारी मामलों में निर्णय हेतु जूरी की व्यवस्था की गई है।
संगठन- संघीय न्यायपालिका के जजों की नियुक्ति संघीय सभा द्वारा की जाती है। कार्य की सुविधा के लिए इस संघीय न्यायालय को चार भागों में विभाजित किया गया है। दो विभाग दीवानी मुकदमे, तीसरा विभाग सार्वजनिक विधिसम्बन्धी मुकदमे और चौथा विभाग ऋण तथा दीवालियों से सम्बन्धित मुकदमे देखता है। संघीय न्यायालय को दीवानी और फौजदारी दोनों ही प्रकार के मामलों में प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार प्राप्त होता है।
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