बिहारीलाल के पद्यांशों की व्याख्या | बिहारीलाल के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या

बिहारीलाल के पद्यांशों की व्याख्या | बिहारीलाल के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या बिहारीलाल के पद्यांशों की व्याख्या मेरी भव बाध हरौ राधा नागरि सोय। जा तन की झाई परें स्याम हरित दुति होय।। 1।। सन्दर्भ- ग्रन्थ रचना के आरम्भ में कवि बिहारी की प्रस्तावित उक्ति है। राधा की वन्दना है। व्याख्या- (1) वे चतुर…

मलिक मुहम्मद जायसी के पद्यांशों की व्याख्या | मलिक मुहम्मद जायसी के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या

मलिक मुहम्मद जायसी के पद्यांशों की व्याख्या | मलिक मुहम्मद जायसी के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या मलिक मुहम्मद जायसी के पद्यांशों की व्याख्या चैत बसन्ता होइ धमारी। मोहि लेखे संसार उजारी।। पंचम बिरह पंचसर मारै। रकत रोइ सगरौ बन ढारै।। बूड़ि उठे सब तरिवर पाता। भीज मंजीठ टेहु बन राता।। बौरे आम फरै अब…

तुलसीदास के पद्यांशों की व्याख्या | तुलसीदास के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या | अयोध्याकाण्ड के पद्यांशों की व्याख्या | अयोध्याकाण्ड के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या

तुलसीदास के पद्यांशों की व्याख्या | तुलसीदास के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या | अयोध्याकाण्ड के पद्यांशों की व्याख्या | अयोध्याकाण्ड के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या तुलसीदास (अयोध्याकाण्ड) भरत बचन सुनि देखि सुभाऊ। सहित समाज सराहत राऊ।। सुगम अगम मृदु मंजु कठोरे। अरथु अमित अति आखर थोरे।। ज्यों मुखु मुकुरु मुकुरु निज पानी। गहि…

विद्यापति के पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या

विद्यापति के पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या | विद्यापत के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या

विद्यापति के पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या | विद्यापति के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या विद्यापति के पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या माधव, बहुत मिनति कर तोय! दए तुलसी तिल देह समर्पित, दया जनि छाड़बि मोय ।। गनइत दोसर गुन लेस न पाओबि, जब तुहुं करबि विचार। तुहू जगत जगनाथ कहाअओसि, जग बाहिर नइ छार।। किए मानुस…

 भाषा उत्पत्ति के सिद्धांत

भाषा उत्पत्ति के सिद्धांत – 10 प्रमुख सिद्धांतों की व्याख्या के साथ

 भाषा उत्पत्ति के सिद्धांत – 10 प्रमुख सिद्धांतों की व्याख्या के साथ  इस पोस्ट की PDF को नीचे दिये लिंक्स से download किया जा सकता है।   भाषा उत्पत्ति के सिद्धांत भाषा की उत्पत्ति का प्रश्न मानव की उत्पत्ति तथा उसकी भावाभिव्यक्ति से संबंधित है। इस प्रकार मानव की उत्पत्ति के स्पष्टीकरण पर भाषा-उत्पत्ति का प्रश्न…

भाषा क्या है

भाषा क्या है तथा भाषा की परिभाषा (What is language and definition of language)

भाषा क्या है तथा भाषा की परिभाषा (What is language and definition of language) इस पोस्ट की PDF को नीचे दिये लिंक्स से download किया जा सकता है।  प्रस्तावना (भाषा क्या है) मनुष्य सामाजिक प्राणी है समाज में रहने के नाते उसे आपस में सर्वदा ही विचार-विनिमय करना पड़ता है। कभी वह शब्दों या वाक्यों…

भाषा की प्रकृति

भाषा की प्रकृति (विशेषताएँ) – यहाँ पर 18 प्रकृतियों का वर्णन किया गया है

भाषा की प्रकृति (विशेषताएँ) – यहाँ पर 18 प्रकृतियों का वर्णन किया गया है इस पोस्ट की PDF को नीचे दिये लिंक्स से download किया जा सकता है।  भाषा की प्रकृति भाषा के सहज गुण-धर्म को भाषा की प्रकृति कहते हैं। इसे ही भाषा की विशेषता या लक्षण कह सकते हैं भाषा-प्रकृति को दो भागों…

भक्तिकाल की प्रमुख विशेषताएँ

भक्तिकाल की प्रमुख विशेषताएँ | स्वर्ण युग की विशेषताएँ

भक्तिकाल की प्रमुख विशेषताएँ | स्वर्ण युग की विशेषताएँ भक्तिकाल की प्रमुख विशेषताएँ हिंदी साहित्य के इतिहास में भक्तिकाल सर्वश्रेष्ठ काल माना गया है, जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट है कि इस काल में भक्तिपरक रचनाओं की प्रधानता रही। इस काल की विभिन्न विशेषताओं का अवलोकन करते हुए विद्वानों ने इसे ‘स्वर्णकाल’ की संज्ञा…

रामकाव्य की प्रमुख विशेषताएँ

राम काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ | रामकाव्य की प्रमुख विशेषताएँ

राम काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ | रामकाव्य की प्रमुख विशेषताएँ राम काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ राम काव्य परंपरा का यद्यपि एक लंबा इतिहास है तथापि इस परंपरा के केंद्र बिंदु हैं गोस्वामी तुलसीदास, जो हिंदी काव्याकाश के जाज्वल्यमान नक्षत्र की भाँति सर्वत्र अपना प्रकाश पूंज विकोर्ण कर रहे हैं। रामकाव्य परंपरा में उनके ग्रंथ मील…