माल्थस का जनसंख्या का सिद्धान्त | माल्थस के जनसंख्या सिद्धान्त की मान्यतायें

माल्थस का जनसंख्या का सिद्धान्त | माल्थस के जनसंख्या सिद्धान्त की मान्यतायें माल्थस का जनसंख्या का सिद्धान्त संक्षेप में (Malthusian Theory of Population Briefly Stated) यों तो शरू से ही अर्थशास्त्रियों ने जनसंख्या की समस्या पर विचार प्रकट किए हैं, किन्तु उन्होंने कोई पूर्ण व निश्चित सिद्धान्त प्रस्तुत नहीं किया था। इसका श्रेय तो माल्थस…

एडम स्मिथ का मूल्य सिद्धान्त | मूल्य सिद्धान्त के दोष | स्मिथ का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सिद्धान्त | अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार एवं संरक्षणवादी नीति

एडम स्मिथ का मूल्य सिद्धान्त | मूल्य सिद्धान्त के दोष | स्मिथ का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सिद्धान्त | अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार एवं संरक्षणवादी नीति (अ) एडम स्मिथ का मूल्य सिद्धान्त (Theory of Value) एडम स्मिथ का मूल्य सिद्धान्त बहुत दोषपूर्ण होते हुए भी बाद के अर्थशास्त्रियों के लिये एक वरदान बना। प्रयोग मूल्य एवं विनिमय मूल्य- स्मिथ…

एडम स्मिथ का श्रम-विभाजन का सिद्धान्त | श्रम-विभाजन के लाभ | श्रम-विभाजन के दोष | एडम स्मिथ के श्रम विभाजन के सिद्धान्त की आलोचनात्मक

एडम स्मिथ का श्रम-विभाजन का सिद्धान्त | श्रम-विभाजन के लाभ | श्रम-विभाजन के दोष | एडम स्मिथ के श्रम विभाजन के सिद्धान्त की आलोचनात्मक एडम स्मिथ का श्रम-विभाजन का सिद्धान्त (Smith’s Theory of Division of Labor) एडम स्मिथ से पूर्व वणिकवादियों ने धन को तथा प्रकृतिवादियों ने भूमि को अत्यधिक महत्त्व दिया तथा श्रम को…

एडम स्मिथ का प्रकृतिवाद तथा आशावाद | एडम स्मिथ के प्रकृतिवाद एवं आशावाद की आलोचना

एडम स्मिथ का प्रकृतिवाद तथा आशावाद | एडम स्मिथ के प्रकृतिवाद एवं आशावाद की आलोचना एडम स्मिथ का प्रकृतिवाद तथा आशावाद (Smith’s Naturalism and Optimism) एडम स्मिथ ने श्रम-विभाजन के अतिरिक्त दो सर्वथा मौलिक विचार प्रस्तुत किये जिनका स्वरूप बाहर से देखने पर आध्यात्मिक प्रतीत होता है, परन्तु वास्तव में आर्थिक घटनाओं से उनका निकट…

प्राकृतिवाद | वणिकवाद के विरुद्ध एक विद्रोह | निर्बाधावादियों के प्रमुख विचार | प्रकृतिवाद और वणिकवाद में भिन्नतायें | प्रकृतिवाद का आलोचनात्मक मूल्यांकन | प्रकृतिवादियों की त्रुटियाँ | प्रकृतिवादियों की देन

प्राकृतिवाद | वणिकवाद के विरुद्ध एक विद्रोह | निर्बाधावादियों के प्रमुख विचार | प्रकृतिवाद और वणिकवाद में भिन्नतायें | प्रकृतिवाद का आलोचनात्मक मूल्यांकन | प्रकृतिवादियों की त्रुटियाँ | प्रकृतिवादियों की देन प्राकृतिवाद : वणिकवाद के विरुद्ध एक विद्रोह (Physiocracy: Mere Revolt Against Mercantilism) हेने का कथन है कि “निर्बाधावाद का आशय यद्यपि कहीं अधिक विस्तृत…

प्रकृतिवादियों का प्राकृतिक अर्थव्यवस्था सम्बन्धी विचार | प्राकृतिक व्यवस्था एक ईश्वरीय व्यवस्था | प्राकृतिक व्यवस्था की रूपरेखा | प्राकृतिक व्यवस्था के आधार स्तम्भ | आलोचनात्मक मूल्यांकन

प्रकृतिवादियों का प्राकृतिक अर्थव्यवस्था सम्बन्धी विचार | प्राकृतिक व्यवस्था एक ईश्वरीय व्यवस्था | प्राकृतिक व्यवस्था की रूपरेखा | प्राकृतिक व्यवस्था के आधार स्तम्भ | आलोचनात्मक मूल्यांकन प्रकृतिवादियों का प्राकृतिक अर्थव्यवस्था सम्बन्धी विचार (Physiocrats’ Views of Natural Order) निर्बाधावादी प्रणाली का सार प्राकृतिक व्यवस्था की कल्पना में निहित है, अर्थात् निर्बाधावादियों का समस्त आर्थिक विवेचन प्राकृतिक…

निर्वाधावाद | प्रकृतिवाद के जन्मदायी कारक | प्रकृतिवाद के प्राकृतिक विधान का सिद्धान्त | प्रकृतिवाद प्राकृतिक व्यवस्था का विज्ञान है

निर्वाधावाद | प्रकृतिवाद के जन्मदायी कारक | प्रकृतिवाद के प्राकृतिक विधान का सिद्धान्त | प्रकृतिवाद प्राकृतिक व्यवस्था का विज्ञान है निर्वाधावाद अथवा प्रकृतिवाद के जन्मदायी कारक (Main Forces Responsible for the Rise of Physiocracy) वणिकवाद के अपनी चरम सीमा पर पहुंचते-पहुंचते यह प्रतीत होने लगा कि प्रत्येक देश एक-दूसरे का शत्रु है। हर साधन सम्पन्न…

नव-वणिकवाद से आशय | नव-वणिकवाद के उदय के कारण | पुराने और नये वणिकवाद में तुलना

नव-वणिकवाद से आशय | नव-वणिकवाद के उदय के कारण | पुराने और नये वणिकवाद में तुलना नव-वणिकवाद से आशय (Meaning of Neo-Mercantilism) बीसवीं शताब्दी में प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् नव-वणिकवाद का जन्म हुआ जो पुराने वणिकवाद से काफी भिन्न है। नव-वणिकवाद पुराने वणिकवाद की अपेक्षाकृत अधिक व्यावहारिक एवं स्पष्ट है। इसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था का…

वणिकवादी की विशेषताएँ | वणिकवादी की आर्थिक विचार | वणिकवाद के मुख्य सिद्धान्त

वणिकवादी की विशेषताएँ | वणिकवादी की आर्थिक विचार | वणिकवाद के मुख्य सिद्धान्त वणिकवादी की विशेषताएँ एवं आर्थिक विचार (1) बहुमूल्य धातुओं- स्वर्ण रजत का महत्व- वणिकवादीकाल में स्वर्ण तथा रजत देश को समृद्धि तथा शक्ति का प्रतीक माना जाता था। इसका कारण यह है कि टिकाऊ होने की वजह से इन्हें संचित किया जा…