शिक्षक शिक्षण / Teacher Education

अच्छे शिक्षण की विशेषतायें | Characteristics of good teaching in Hindi

अच्छे शिक्षण की विशेषतायें | Characteristics of good teaching in Hindi

सीखने की प्रक्रिया में शिक्षण महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा अध्यापक सीखने की प्रक्रिया की एक प्रमुख कड़ी है। चूंकि शिक्षण की पूर्ण प्रक्रिया का संचालन करने का उत्तरदायित्व शिक्षक पर ही होता है, अतः अच्छे शिक्षण के लिए यह बहुत आवश्यक है कि शिक्षक भी पूर्ण रूप से प्रशिक्षित और योग्यता प्राप्त हो । ऐसा होने पर ही शिक्षा के उद्देश्यों का प्राप्त किया जा सकता है और शिक्षण की प्रक्रिया सुचारु रूप से चल सकती है। संक्षेप में एक अच्छे शिक्षण की प्रमुख विशेषतायें निम्न हैं-

अच्छे शिक्षण की एक प्रमुख विशेषता उसका निर्देशात्मक होता है। शिक्षण आदेशात्मक नहीं होना चाहिए। विद्यालय के वातावरण में सहयोग और प्रेम होना चाहिए। छात्रों को अध्यापक का अनुसरण एक आदेश रूप में न करते हुए सहानुभूति तथा आदर के साथ करना चाहिए। छात्रों को शिक्षक के सुझावों को एक आदेश न मानकर निर्देश के रूप में स्वीकार करना चाहिए। ऐसे वातावरण में शिक्षक द्वारा किया शिक्षण कार्य अच्छे शिक्षण की श्रेणी में आता है।

  • प्रेरणादायक (Stimulated)

अच्छे शिक्षण की दूसरी विशेषता उसका प्रेरणादायक होना है। शिक्षक द्वारा किये जा रहे शिक्षण कार्य से छात्रों को प्रेरणा मिलनी चाहिए और शिक्षक के शिक्षण कार्यों तथा व्यवहार से प्रेरित होकर छात्रों को अपने शैक्षिक कार्यों को सम्पन्न करना चाहिए। किन्तु यह सब शिक्षक की योग्यता और प्रशिक्षण पर निर्भर करता है। यदि शिक्षण छात्रों के लिए प्रेरणादायक होगा तो निश्चित ही वह अच्छी श्रेणी का शिक्षण होगा।

  • सहयोग (Cooperation)

शिक्षण की धारणा एक मार्गीय धारणा नहीं है। सभी मनोवैज्ञानिकों और शिक्षाशास्त्रियों ने एक मत से शिक्षण को त्रिमार्गीय माना है। इसके तीन अंग छात्र, शिक्षक एवं पाठ्यवस्तु है। इन तीनों में आपसी सहयोग का होना अच्छे शिक्षण की विशेषता है। कोई भी शिक्षण तभी सफल एवं प्रभावशाली माना जाएगा जब शिक्षक और छात्र में आपसी सहयोग और विश्वास विद्यमान हों। शिक्षा के अन्य लक्ष्यों को भी आपसी सहयोग और सद्भावना के माध्यम से हासिल किया जा सकता है। सहयोग के अभाव में किसी भी प्रकार की शिक्षण चाहे वह कक्षा के भीतर हो या कक्षा के बाहर अच्छा शिक्षण नहीं कहा जा सकता।

  • निदानात्मक और उपचारात्मक (Diganostic and Reformative)

अच्छा शिक्षण सदैव ही निदानात्मक तथा उपचारात्मक होता है। निदानात्मक प्रक्रियाओं के माध्यम से छात्रों की कमियों का पता लगाया जा सकता है और उसका सही समय और बालकों की आवश्यकताओं के अनुरूप उपचार किया जा सकता है। अच्छा शिक्षण सदैव ही बालकों की कमियां का पता लगाते हुए उनके उपचार की व्यवस्था करता है। बालकों की कमियों व भूलों को शिक्षक को अनदेखा नहीं करना चाहिए बल्कि उसके कारणों का पता लगाकर उनमें यथा सम्भव सुधार करने के प्रयास करने चाहिए तभी शिक्षण शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त कर सकेगा।

  • बालकेन्द्रित (Child Centered)

आज की शिक्षा व्यवस्था पूर्ण रूप से बाल केन्द्रित है। बालक को शिक्षा का केन्द्र बिन्दु स्वीकार किया गया है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि बालक की रुचियों, जिज्ञासाओं, भावनाओं, क्षमताओं और योग्यताओं को ध्यान में रखते हुए ही शिक्षण का कार्य किया जाए। जिस शिक्षण में बालक को केन्द्र न मानकर शिक्षण दिया जाता है वह शिक्षण अच्छी श्रेणी का शिक्षण नहीं माना जा सकता। शिक्षण का बाल केन्द्रित होना अच्छे शिक्षण की एक आवश्यक विशेषता है।

  • आत्म विश्वास (Self Confidence)

अच्छा शिक्षण छात्रों में आत्मविश्वास उत्पन्न करता है। शिक्षकों को समय-समय पर छात्रों की योग्यताओं व क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए उनका मार्गदर्शन करना चाहिए और उनमें आत्मविश्वास जागृत करने के सभी प्रयास करने चाहिए।

  • बाल मनोविज्ञान (Child Psychology)

अच्छे शिक्षण में यह आवश्यक है कि शिक्षक को बाल मनोविज्ञान का पूर्ण ज्ञान हो। जिन बालकों को शिक्षक शिक्षण दे रहा है यदि उनकी इच्छाओं, प्रवृत्तियों, भावनाओं आदि का मनोवैज्ञानिक ज्ञान शिक्षक को नहीं होगा तो वह शिक्षा के उद्देश्यों को हासिल नहीं कर पायेगा छात्रों में वैयक्तिक विभिन्नता होती हैं और इन भिन्नताओं को सही ढंग से समझना बाल मनोविज्ञान के ज्ञान के अभाव में असंभव है और जब शिक्षक को बालकों का समुचित ज्ञान ही नहीं होगा तो उनके द्वारा दिया गया शिक्षण किसी भी तरह छात्रों के लिए प्रभावकारी नहीं हो सकेगा।

  • प्रजातंत्रात्मक शिक्षण (Democrative Teaching)

आज हम प्रजातंत्र में जी रहे हैं। विद्यालयों के वातावरण का भी स्वरूप प्रजातांत्रिक होना बहुत आवश्यक है। इसके साथ ही साथ शिक्षक द्वारा किये जा रहे शिक्षण कार्यों का स्वरूप भी प्रजातांत्रिक ही होना चाहिए। शिक्षण कार्य प्रजातांत्रिक वातावरण में संचालित किया जाना चाहिए। किसी भी प्रकार के दंड आदि की। व्यवस्था नहीं होनी चाहिए। अध्यापक और छात्रों को प्रजातांत्रिक वातावरण में ही मिलना चाहिए और अपनी समस्याओं का आदान-प्रदान करना चाहिए। शिक्षक का छात्रों के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार नहीं करना चाहिए। स्कूलों में घनी और निर्धन दोनों ही वर्गों के बच्चे पढ़ते हैं। शिक्षक को दोनों को एक ही दृष्टि से देखते हुए अपने शिक्षण कार्यों का संचालन करना चाहिए।

  • प्रगति (Progress)

प्रगति अच्छे शिक्षण की सूचक है। यदि किसी विद्यालय में छात्रों का शैक्षिक स्तर ऊंचा है और वह निरन्तर प्रगति की ओर अग्रसर हो रहे हैं तो यह निःसंकोच कहा जा सकता है कि ऐसा उस विद्यालय के उच्च शिक्षण स्तर के कारण ही हैं। अच्छा शिक्षण सदैव ही प्रगतिशील होता है ओर छात्रों का प्रगति की ओर अग्रसर करता रहता है।

  • सहानुभूतिपूर्ण (Sympathy)

सहानुभूति और प्रेमपूर्ण वातावरण में किये गये शिक्षण कार्य का प्रभाव चिरस्थायी होता है। ऐसे व्यवहार में शिक्षण पाने के कारण छात्रों के उत्साह में निरन्तर वृद्धि होती है और वे शिक्षा के मार्ग पर आगे बढ़ते रहते हैं शिक्षक का छात्रों के प्रति सहानुभूति पूर्ण  व्यवहार अच्छे शिक्षण की एक आवश्यक विशेषता है।

  • सुव्यवस्थित (Well Planned)

सम्पूर्ण शिक्षण प्रणाली का व्यवस्थित होना अच्छे शिक्षण की विशेषता है। सुव्यवस्थित शिक्षण शिक्षक व छात्र दोनों की ही सफलता की कुंजी है। यदि शिक्षण की प्रणाली अर्थात् उसकी विधियां, पाठ्यवस्तु आदि सुव्यवस्थित होंगी और उन्हीं के अनुसार क्रमबद्ध शिक्षण कार्य का संचालन होगा तो निश्चित ही शिक्षण बहुत प्रभावशाली होगा और उससे प्राप्त होने वाले परिणाम बहुत उत्साहवर्धक होंगे साथ ही साथ शिक्षण के सुव्यवस्थित होने से शिक्षक और छात्र दोनों को ही सुविधा होगी।

  • वातावरण से अनुकूल (Adaptability with Environment)

बालक विकास के विभिन्न स्तरों से गुजरता है और जैसे-जैसे उसकी आयु बढ़ती है उसे नयी-नयी समस्याओं का सामना अपनी बुद्धि तथा विवेक से करना होता है। अतः शिक्षण की प्रकृति ऐसी होनी चाहिए कि बालक में समाज की परिस्थितियों एवं वातावरण के साथ अनुकूलन करने की क्षमता विकसित हो सके। अच्छा शिक्षण हमेशा ही बालकों के अनुभव को ध्यान में रखकर किया जाता है और बालक को समाज के वातावरण से सामंजस्य स्थापित करने के लिए तैयार करता है।

  • वांछित सूचनायें (Necessary Informations)

समाज परिवर्तनशील है। और यह निरन्तर विकास और प्रगति की ओर बढ़ रहा है। नये-नये अनुसंधान हो रहे हैं। समाज के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए और अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए नागरिकों का इन अनुसंधानों तथा समाज के वातावरण से परिचित होना बहुत आवश्यक है और यह तभी सम्भव है जब इन नवीन अनुसंधानों और प्रगति की विस्तृत जानकारी छात्रों को शिक्षण के द्वारा प्रदान की जा रही हो। इसी कारण एक अच्छे शिक्षण से यह आशा की जाती है कि वह आवश्यक और वांछनीय सूचनाओं को छात्रों तक पहुंचाये।

  • अच्छा शिक्षण सिखाना है (Good Teaching is to Teach)

छात्रों को केवल पाठ्यक्रम सम्बन्धी ज्ञान देना अच्छा शिक्षण नहीं कहा जा सकता। अच्छे शिक्षण का अर्थ है छात्रों में सीखने की इच्छा जागृत करना। उनकी रुचियों, अभिरुचियों, क्षमताओं और योग्यताओं के अनुरूप उन्हें शिक्षित करना, उनमें आत्मविश्वास जागृत करना और उन्हें इस प्रकार से प्रेरित करना कि वह स्वयं ही पढ़ने की दिशा में उत्सुक हों। किसी दबाव या भय के कारण नहीं।

रायबर्न का मानना है कि शिक्षक को बाल प्रकृति का सम्पूर्ण एवं विस्तृत ज्ञान होना चाहिए जिससे कि वह अपनी स्वयं की भावनाओं तथा बालकों के प्रति स्वयं के व्यवहार को निर्धारित कर सके। इसके अतिरिक्त शिक्षक को अपने जीवन से सम्बन्धित जीवन दर्शन का भी पूर्ण ज्ञान होना चाहिए। ऐसा होने से उसमें ईश्वर और मानव के प्रति आस्था जन्म लेगी। शिक्षक को अपने विषय की भी पूर्ण जानकारी होनी चाहिए। ऐसा होने पर ही वह छात्रों को सही व उपयुक्त ज्ञान उपलब्ध करा सकता है। शिक्षण विधियों का भी शिक्षक को सम्पूर्ण ज्ञान होना आवश्यक है इसके साथ ही साथ अपने ज्ञान के प्रस्तुतीकरण के बारे में भी उसे पूर्ण रूप से आश्वस्त होना चाहिए। क्योंकि वह सभी होने के बाद भी यदि वह अपने शान को सही ढंग से प्रस्तुत नहीं कर पायेगा तो शिक्षण प्रभावशाली व उपयोगी नहीं हो सकेगा।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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