मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का क्षेत्र | विद्यालयी बालक की व्यवहार सम्बन्धी समस्यायें

मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का क्षेत्र | विद्यालयी बालक की व्यवहार सम्बन्धी समस्यायें मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का क्षेत्र मानसिक स्वास्थ्य-विज्ञान का क्षेत्र बड़ा व्यापक है। विचार करने पर मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का महत्व हमें जीवन के निम्नलिखित सभी क्षेत्रों में मालूम पड़ता है- (1) परिवार- विकास की दृष्टि से मनुष्य के प्रारम्भिक वर्षों का (शैशवकाल) और…

मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का अर्थ | मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान की परिभाषाएँ | मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का महत्त्व

मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का अर्थ | मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान की परिभाषाएँ | मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का महत्त्व मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का अर्थ ‘मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान’ का शाब्दिक विश्लेषण करने पर यह मालूम होता है कि यह एक विज्ञान है जो मानसिक स्वास्थ्य से सम्बन्धित है। इसको दूसरे शब्दों में हम इस प्रकार कह सकते हैं…

बुद्धि परीक्षण | बुद्धि परीक्षण के प्रकार | व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण | सामूहिक बुद्धि परीक्षण | निष्पादन बुद्धि परीक्षण | व्यक्तिगत एवं सामूहिक बुद्धि परीक्षण में अन्तर | बुद्धि परीक्षण की शैक्षिक उपयोगिता

बुद्धि परीक्षण | बुद्धि परीक्षण के प्रकार | व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण | सामूहिक बुद्धि परीक्षण | निष्पादन बुद्धि परीक्षण | व्यक्तिगत एवं सामूहिक बुद्धि परीक्षण में अन्तर | बुद्धि परीक्षण की शैक्षिक उपयोगिता बुद्धि परीक्षण बुद्धि मापन के साधन को बुद्धि परीक्षण की संज्ञा दी जाती है। इस युक्ति से यह जानने की कोशिश, करते…

बुद्धि का अर्थ | बुद्धि की परिभाषा | बुद्धि के सिद्धान्तवाद | बुद्धि के प्रकार | बुद्धि मापन का तात्पर्य | मानसिक आयु और कालिक आयु | बुद्धि-लब्धि के प्रसार

बुद्धि का अर्थ | बुद्धि की परिभाषा | बुद्धि के सिद्धान्तवाद | बुद्धि के प्रकार | बुद्धि मापन का तात्पर्य | मानसिक आयु और कालिक आयु | बुद्धि-लब्धि के प्रसार बुद्धि का अर्थ बुद्धि क्या है ? बुद्धि मनुष्य को मानसिक योदता है। जिससे मनुष्य अपने सभी कार्यों को पूरा करने में सहायता लेता है।…

परिवर्त्य का तात्पर्य | चर का तात्पर्य | बौद्धिक परिवर्त्य के प्रकार | व्यक्तित्व के परिवर्त्य के प्रकार | परिवर्त्य होने के कारण | अधिगम और बुद्धि एवं व्यक्तित्व के परिवर्त्य | परिवर्त्य के अधिगम | परिवर्त्य मापन से लाभ

परिवर्त्य का तात्पर्य | चर का तात्पर्य | बौद्धिक परिवर्त्य के प्रकार | व्यक्तित्व के परिवर्त्य के प्रकार | परिवर्त्य होने के कारण | अधिगम और बुद्धि एवं व्यक्तित्व के परिवर्त्य | परिवर्त्य के अधिगम | परिवर्त्य मापन से लाभ परिवर्त्य का तात्पर्य परिवर्त्य को अंग्रेजी में variables कहा जाता है। वास्तव में यह वह…

किशोरावस्था की विशेषतायें | किशोरावस्था में शारीरिक विकास | किशोरावस्था में मानसिक विकास | किशोरावस्था में संवेगात्मक विकास | किशोरावस्था में सामाजिक विकास

किशोरावस्था की विशेषतायें | किशोरावस्था में शारीरिक विकास | किशोरावस्था में मानसिक विकास | किशोरावस्था में संवेगात्मक विकास | किशोरावस्था में सामाजिक विकास किशोरावस्था की विशेषतायें किशोरावस्था विकास की तीसरी पीढ़ी है। किशोरावस्था ‘परिपक्वता की ओर बढ़ने’ में पाई जाती है जो 12 से 18 वर्ष तक चलती है। इस अवस्था में शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक,…

बाल्यावस्था की विशेषताएँ | बाल्यावस्था के शारीरिक विकास | बाल्यावस्था में मानसिक विकास | बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास | बाल्यावस्था में सामाजिक विकास

बाल्यावस्था की विशेषताएँ | बाल्यावस्था के शारीरिक विकास | बाल्यावस्था में मानसिक विकास | बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास | बाल्यावस्था में सामाजिक विकास बाल्यावस्था की विशेषताएँ 5-6 वर्ष समाप्त होने पर जीवन की दूसरी विकासावस्या आती है जिसे मनोविज्ञानियों ने बाल्यावस्था कहा है जो 12 वर्ष तक चलती है। इसमें शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक तथा सामाजिक…

शैशवावस्था की विशेषताएँ | शैशवास्था में शारीरिक विकास | शैशवावस्था में मानसिक विकास | शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास | शैशवावस्था में सामाजिक विकास

शैशवावस्था की विशेषताएँ | शैशवास्था में शारीरिक विकास | शैशवावस्था में मानसिक विकास | शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास | शैशवावस्था में सामाजिक विकास जन्म के बाद से प्रौढ़ावस्था के पूर्व विकास की 3 प्रमुख अवस्थाएँ मानी गई हैं-शैशवावस्था, बाल्यावस्था और किशोरावस्था। इन तीनों अवस्थाओं का कालक्रम क्रमशः जन्म से 6 वर्ष तक, 6 से 12…

किशोरावस्था | किशोरावस्था का अर्थ | किशोरावस्या की सामान्य विशेषतायें

किशोरावस्था | किशोरावस्था का अर्थ | किशोरावस्या की सामान्य विशेषतायें किशोरावस्था – (12 वर्ष से 18 वर्ष तक) व्यक्ति के विकास में किशोरावस्था तीसरी अवस्था होती है। शिशु बालक होकर अपनी विभिन्न क्षमताओं का पर्याप्त विकास कर लेता है। प्रकृति के अनुसार जो कुछ बची हुई शक्ति प्रकट नहीं हो पाती है, वह किशोरावस्था में…