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बुद्धि परीक्षण | बुद्धि परीक्षण के प्रकार | व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण | सामूहिक बुद्धि परीक्षण | निष्पादन बुद्धि परीक्षण | व्यक्तिगत एवं सामूहिक बुद्धि परीक्षण में अन्तर | बुद्धि परीक्षण की शैक्षिक उपयोगिता

बुद्धि परीक्षण | बुद्धि परीक्षण के प्रकार | व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण | सामूहिक बुद्धि परीक्षण | निष्पादन बुद्धि परीक्षण | व्यक्तिगत एवं सामूहिक बुद्धि परीक्षण में अन्तर | बुद्धि परीक्षण की शैक्षिक उपयोगिता

बुद्धि परीक्षण

बुद्धि मापन के साधन को बुद्धि परीक्षण की संज्ञा दी जाती है। इस युक्ति से यह जानने की कोशिश, करते हैं कि किसी व्यक्ति में मानसिक योग्यता की कितनी मात्रा है। हमें इसी के द्वारा किस प्रकार का वह व्यक्ति है-साधारण, साधारण से नीचे या साधारण से ऊपर उसकी वास्तविकता का बोध होता है। मानसिक योग्यता का सही जाँच करने वाला साधन बुद्धि परीक्षण कहा जाता है।

(क) बुद्धि परीक्षण के प्रकार-

बुद्धि परीक्षण के तीन प्रकार पाये जाते हैं-(i) व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण, (ii) सामूहिक बुद्धि परीक्षण, (iii) निष्पादन (बुद्धि) परीक्षण ।

(i) व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण- यह प्रत्येक व्यक्ति की विभिन्न आयु के अनुसार मानसिक योग्यता की जाँच करता है। इसमें एक बार में एक ही व्यक्ति के मानसिक गुणों (चिन्तन, स्मरण, कल्पना, भाषा, गणित आदि से सम्बन्धित) की जाँच करते हैं। प्रो० बिने ने व्यक्ति बुद्धि परीक्षण बनाए थे। उदाहरण के लिए 3 साल के बालकों के लिए, 5 साल के बालकों के लिए, 7 साल के बालकों के लिए इत्यादि, व्यक्तिगत परीक्षण बने हैं। भारत में सोहन लाल के परीक्षण भी इसी तरह के हैं। व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण के गुण नीचे लिखे बताए गये हैं-

(1) विश्वसनीयता क्योंकि इससे प्रयोज्य के गुण जाने जाते हैं।

(2) धोखा देने की न्यूनतम सम्भावना क्योंकि प्रयोगकर्ता एवं प्रयोज्य में संबंध होता है।

(3) व्यवहार का सही अध्ययन होता है।

(4) निर्देशन देना सरल होगा क्योंकि सभी गुण दोष मालूम हो जाते हैं।

(5) विकास के लिए अधिकतम प्रयल और अवसर होना ।

(ii) सामूहिक बुद्धि परीक्षण- सामूहिक बुद्धि परीक्षण ऐसा साधन है जिसमें कई व्यक्तियों की विभिन्न आयु होते हुये भी एक साथ सामान्य मानसिक योग्यता की जाँच की जा सकती है। प्रो० टर्मन और मो० मैक्नीमर ने ‘आर्मी अल्फा’ साक्षर व्यक्तियों के लिए और ‘आर्मी बीटा’ अशिक्षित व्यक्तियों के लिए तैयार किए थे। अपने देश में साक्षर व्यक्तियों के लिए ही कुछ सामूहिक बुद्धि परीक्षण बने हैं। डॉ. जलोटा, डॉ० कामथ और जोशी के सामूहिक बुद्धि परीक्षण प्रयोग में आते हैं।

सामूहिक बुद्धि परीक्षणों के गुण निम्नलिखित हैं-

(1) इसके प्रयोग करने में सरलता होती है। किसी प्रकार के प्रशिक्षण एवं प्रशिक्षित व्यक्ति की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

(2) श्रम, धन और समय तीनों की काफी बचत इसके प्रयोग से होती है क्योंकि एक साथ बहुत से लोगों की जाँच होती है।

(3) सामूहिक रूप से परीक्षण लेने में स्पर्धा के कारण बालकों की मानसिक क्षमता का प्रकाशन अच्छी तरह से होता है। अतएव उनके आन्तरिक गुणों को भली प्रकार से समझा जा सकता है। फलतः कक्षा में उन्हें सामूहिक ढंग से शिक्षण करना सरल होता है।

(4) सामूहिक परीक्षण वयस्क लोगों के लिए अधिक उपयुक्त माने गये हैं। इनका निर्माण ही सैनिकों के चुनाव हेतु किया गया था।

(5) सामूहिक परीक्षण में प्रश्नों का निर्माण सरल होता है क्योंकि ऐसे प्रश्न छोटे बड़े सभी कर सकते हैं। बड़ों के द्वारा निर्माण होने से भी इसमें ऊँचा स्तर पाया जाता है।

सामूहिक परीक्षण के कुछ दोष भी दिखाये गये हैं जो नीचे दिये जा रहे हैं-

(1) सामूहिक परीक्षण अधिकतर भाषाबद्ध होते हैं। इसलिए छोटे-बच्चों और अपढ़ के लिए अनुपयोगी होते हैं। वे इन्हें कठिनाई से समझ पाते हैं।

(2) सामूहिक परीक्षण में अध्यापक और छात्र, प्रयोगकर्ता एवं प्रयोज्य में समीप का सम्बन्ध नहीं स्थापित होता है। इससे छात्र या प्रयोज्य को अच्छी तरह जानने में कठिनाई होती है।

(3) कुछ आलोचकों के अनुसार सामूहिक परीक्षण में लड़कों के द्वारा नकल करने, अन्य लोगों के द्वारा, अनुमान करने की सम्भावना पाई जाती है। कभी-कभी धोखे का भी प्रयोग प्रयोज्य कर देते हैं।

(4) सामूहिक परीक्षण अपेक्षाकृत कम प्रामाणिक और विश्वसनीय बताये गये हैं। इसलिये अधिक सही उत्तर नहीं भी मिलने की सम्भावना होती है।

(5) सामूहिक परीक्षण के मानक तैयार करने में अधिक परिश्रम एवं कठिनाई होती है जिससे कि इनका प्रयोग बिना मानक के करना संभव नहीं है।

ऊपर के विचारों के कारण प्रो० रॉस ने एक संकेत भी किया है कि “इन समूह परीक्षणों का अनुप्रयोग करना सम्भव तो है, विशेषकर थोड़े समय में प्रारम्भिक परिणाम प्राप्त करने में, परन्तु हमें सचेत रहना चाहिए कि केवल सुरक्षित एवं निश्चित तरीका व्यक्तिगत परीक्षणों का ही होता है।”

It is possible to apply these group tests and yet preliminary results at least in a quite short time, but we are warned that the only safe and sure method is that of individual tests.

-Prof J. S. Ross.

(iii) निष्पादन या क्रियात्मक परीक्षण- प्रो० फ्रीमैन ने निष्पादन बुद्धि परीक्षण के बारे में बताया है कि “निष्पादन परीक्षण वह परीक्षण होता है जिसमें भाषा का प्रयोग केवल सूचना देने के लिए किया जाता है या जब भाषा केवल संकेत में दिया जाता है तो भाषा का प्रयोग बिल्कुल नहीं भी होता है।”

A performance scale is one in which language is used only in instructions or not at all when directions given in Pantomime.

-Prof. Freeman.

निष्पादन परीक्षण में कुछ ठोस वस्तुओं एवं स्थूल सामग्रियों का प्रयोग करते हैं। इस परीक्षण में कुछ सामग्रियों को संकलित करके एक रूपाकार देना पड़ता है जिसमें व्यक्ति की मानसिक योग्यताकाम करती पायी जाती है। किस ढंग से व्यक्ति ने कार्य किया इसका विश्लेषण एवं संश्लेषण करके उसकी बुद्धि को मालूम करते हैं। एक निश्चित समय के भीतर निष्पादन करना जरूरी होता है। कुछेक प्रसिद्ध निष्पादन परीक्षण पाये गये हैं जो निम्नलिखित हैं-

(1) सेगुइन आकृति फलक परीक्षण (Seguin Form Board Test)-इसे मन्द बुद्धि के बालकों की जाँच में प्रयोग करते हैं। परन्तु अन्य लोगों की बुद्धि की परख भी इससे होती है।

(2) हीली का चित्रपूर्ति परीक्षण (Healy’s Picture Completion Test) एक चित्र के कुछ टुकड़ों को लेकर पूरा चित्र तैयार करना पड़ता है। जितनी शीघ्र और सही विधि से यह पूर्ति होती है उतनी ही अधिक तीव्र बुद्धि पाई जाती।

(3) पिन्टनर-पेटर्सल मापनी (Pintner-Peterson Scale) इसमें कई मापनी है जिससे बुद्धि की जाँच की जाती है।

(4) रेविन का प्रगतिशील रूपांकन परीक्षण (Revin’s Progressive Matrics)- बालकों एवं प्रौढ़ों की बुद्धि मापने के लिए यह परीक्षण तैयार किया गया है।

(5) गुडएनफ का मानवाकृति निष्पादन परीक्षण-इसमें बच्चों से मनुष्य की आकृति बनवाते हैं जो विभिन्न अंगों को एक साथ जोड़ कर किया जाता है।

(6) भाटिया क्रिया परीक्षण समूह (Bhatia’s Battery)-इसमें भारतीय परिपार्श्व में 5 विदेशी परीक्षण का संशोधन किया गया है जिसमें ये परीक्षण हैं- (क) कोफ्का का काष्ठ अनुकृति परीक्षण, (ख) एलेक्जेण्डर का पासएलांग परीक्षण, (ग) आकृति चित्रण, (घ) अंकों का……स्मृति परिक्षण, (ङ) चित्र रचना परीक्षण।

निष्पादन परीक्षण का प्रयोग करने वालों के अनुसार इस प्रकार के बुद्धि परीक्षणों के कुछ गुण और दोष होते इन परीक्षणों के निम्नलिखित गुण पाये जाते हैं-

(1) निष्पादन परीक्षण सार्वभौमिक रूप से सभी देश के लेगों की बुद्धि मापने के लिए काम में लाए जाते हैं। क्योंकि इसमें कहीं चित्रांकन करना होता है, कहीं मानवाकृति बनानी पड़ती है और कहीं फलक में आकृतियों को फिट करना होता है।

(2) इन परीक्षणों का उपयोग गूंगे, बहिरे, अपढ़ एवं पढ़े-लिखे सभी लोगों पर प्रयोग किया जा सकता है। इसलिये इनका व्यापक प्रयोग पाया जाता है। छोटे बच्चों की बुद्धि मापने में ऐसे परीक्षण बहुत सहायक होते हैं।

(3) निष्पादन परीक्षण समस्या समाधान एवं रोगों के निदान बताने में काम में लाये जाते हैं। अतएव कठिनाई एवं शिकार को दूर करने में सहायक होते हैं।

(4) न्यून बुद्धि वालों की जाँच के लिए ये परीक्षण अति उत्तम साधन बताये गये हैं क्योंकि अन्य प्रकार के परीक्षण उपयोग में नहीं लाये जा सकते हैं।

(5) इससे व्यक्ति के व्यवहार की जाँच सरलतापूर्वक होती है। इसके साथ-साथ व्यवहार में वह धैर्य, स्थिरता, तत्परता आदि गुणों को प्रकट करता है, अतएव इन गुणों की जाँच हो जाती है।

(6) ऐसे परीक्षण रोचक होते हैं, बालकों को किसी प्रकार का भय नहीं रहता। पूर्व अनुभव से कोई विशेष लाभ नहीं होता है।

(7) ऐसे परीक्षण शाब्दिक और लिखित परीक्षणों के पूरक माने जाते हैं।

(8) इनके द्वारा मूल्यांकन प्रामाणिक एवं वैध बताया जाता है।

निष्पादन परीक्षण के कुछ दोष नीचे दिये जा रहे हैं-

(1) निष्पादन परीक्षणों में सरल-सरल सामग्रियों के प्रयोग से इसमें सस्तापन का भाव रहता है। बड़े लोगों के सम्बन्ध में इसका प्रयोग अच्छा नहीं लगता है।

(2) निष्पादन परीक्षण की सामग्री से यदि कई बार अभ्यास कर लिया जाये तो उससे बाद में अच्छा प्रभाव पड़ता है।

(3) निष्पादन परीक्षण केवल कार्य करने की क्षमता का मापन करते हैं। अतएव उच्च एवं तीव्र बुद्धि के बालक इससे लाभ नहीं उठाते हैं। उनके लिए एक खिलवाड़ हो जाता है।

(4) इनके निर्माण में कुछ खर्च अधिक पड़ता है। चूंकि ये व्यक्तिगत होते हैं इसलिये समय भी अधिक लगता है।

(5) इन परीक्षणों के परिणामों की व्याख्या देखने में तो सरल है लेकिन प्रक्रियालक रूप से कठिन है। इसका प्रयोग तो सभी कर लेंगे परन्तु इसकी व्याख्या नहीं कर सकेंगे। विषेषज्ञ ही व्याख्या करने में सफल होते हैं।

बुद्धि परीक्षणों के वैयक्तिक और सामूहिक प्रकार के शाब्दिक और अशाब्दिक दो रूप होते हैं। शाब्दिक रूप वह जिसमें शब्द का (भाषा का प्रयोग होता है और यह उन लोगों के लिए होता है जो लिख-पढ़ सकते हैं। प्रो० बिने का परीक्षण, आर्मी अल्फा परीक्षण, डॉ० सोहन लाल का परीक्षण, डॉ० जलोट या डॉ० जोशी का परीक्षण इसी प्रकार का है। प्रो० बिने के सात साल के लड़कों के लिए परीक्षण नीचे दिया जा रहा।

(1) एक हाथ में कितनी उँगलियाँ हैं ? दूसरे हाथ में कितनी हैं। कुल मिला कर दोनों हाथों में कितनी उँगलियाँ हैं ?

(2) (एक चित्र दिखाकर) यह चित्र किसका है ? इसमें क्या दिखाया गया है।

(3) जो कुछ कहा जाये उसे

> 1,3,5,7,9,2, 5. 8. 11, 14

(4) एक मक्खी और एक तितली में क्या अन्तर है?

व्यक्तिगत अशाब्दिक परीक्षण का पैटर्न नीचे दिया जा रहा है।

[xoxoxoxoxox], [+xx+xx+xx+]

[oooo||||oooo||||oooo], [|||-++ll+++]

इस प्रकार के पैटर्न बनाने में एक क्रम होता है जिसे बालक को देखना पड़ता है और उसे समझाकर उसी ढंग से पैटर्न तैयार करना पड़ता है, यदि उसने कहीं पर कोई निशान कम या ज्यादा कर दिया तो वह गलती मानी जायेगी और बुद्धि में कमी।

सामूहिक शाब्दिक परीक्षण का एक नमूना दिया जा रहा है-

(1) हारना = काम छोड़ना, काम न करना, काम में असफल होना।

(2) रोने का उल्टा है-(1) दाँत दिखाना, (2) मुँह ढौंकना, (३) हँसना।

(3) पानी का अर्थ है-(1) एक द्रव्य, (2) तालाब, (3) समुद्र ।

(4) कलम : लिखना : चाकू (काटना, धोना, छूना)-उपयुक्त शब्द रखो ।

(5) (1, 2, 4, 6, 8) इसी क्रम से आगे एक समूह लिखो।

सामूहिक अशाब्दिक परीक्षण नहीं बने हैं, इसलिये इसको नहीं बताया जा सकता। इसका कारण यह है कि एक साथ बहुत से लोगों को अशाब्दिक ढंग से जाँचना सरल नहीं होता है। परन्तु आर्मी बीटा परीक्षण जो कागज पर हुए होते हैं उन्हें सामूहिक रूप में काम में लाया जा सकता है। इसका मानक बनाकर इसकी कमी की पूर्ति की जा सकती है। इस दिशा में काम करने की आवश्यकता है।

(क) व्यक्तिगत एवं सामूहिक बुद्धि परीक्षण में अन्तर

व्यक्तिगत परीक्षण सामूहिक परीक्षण
एक समय में केवल एक व्यक्ति की जांच हो सकती है। एक समय में बहुत से व्यक्तियों की जांच हो सकती है।
छोटी आयु या सीमित आयु तक के लिए अधिक उपयुक्त है। छोटी-बड़ी सभी आयु के लिए प्रयुक्त है।
इसमें समय और धन भी अधिक लगता है। इसमें समय और धन कम लगता है।
इसके प्रयोग के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित व्यक्ति की जरूरत होती है। इसका प्रयोग कुछ मनोविज्ञान का ज्ञान रखने वाला कर सकता है।
यह परीक्षण अधिक विश्वसनीय और प्रमाणित होता है। यह अपेक्षाकृत कम विश्वसनीय एवं प्रमाणित होता है।
इसके द्वारा आत्मविश्वास कम होता है। इसके द्वारा आत्मविश्वास अधिक होता है।
इसके द्वारा या अधिक समीपी संपर्क होता है, इसलिए बालकों का ध्यान प्रयोग कर्ता को अधिक होता है। इसके द्वारा कम समीपी संपर्क होता है अतः बालकों के बारे में कम जानकारी होती है।
इसमें प्रतिस्पर्धा के लिए अवसर नहीं मिलता है। कभी- कभी अकेला बालक घबरा भी जाता है, निरुत्साह भी हो जाता है।   इसमें प्रतिस्पर्धा के लिए अवसर अधिक मिलता है। किसी प्रकार की घबराहट और उत्साहहीनता नहीं होती है।
इस प्रकार की परीक्षा में दूसरों की सहायता लेना संभव नहीं होता है। एक साथ कई लोगों की परीक्षा लेने के कारण कोई बालक अपने दूसरे साथियों से सहायता ले सकता है।
इसमें प्रश्नों का निर्माण कठिन होता है। इसमें प्रश्नों का निर्माण सरल होता है।

(ख) बुद्धि परीक्षण की शैक्षिक उपयोगिता-

शिक्षा के थोत्र मैं अपने देश में तो कम लेकिन दूसरे देशों में बुद्धि परीक्षणों का अधिक प्रयोग किया जाता है। इसी के आधार पर विद्यालय में प्रवेश, वर्गीकरण, मार्ग-दर्शन आदि सम्भव होता है। हम नीचे इनकी उपयोगिता पर विचार दे रहे हैं-

(1) बुद्धि परीक्षणों के आधार पर विद्यार्थियों का चुनाव सरलता से किया जाता है।

(2) इसकी सहायता से विद्यार्थियों का वर्गीकरण अच्छी तरह से किया जा सकता है।

(3) वर्गीकरण करके विद्यार्थियों की बुद्धि के अनुसार अच्छी शिक्षा व्यवस्था की जा सकती है।

(4) विद्यार्थियों की बुद्धि-लब्धि जानकर उसके अनुसार शिक्षा विधि और पाठ्यक्रम की योजना भी करते हैं।

(5) विद्यार्थियों के बारे में इनसे जानकारी प्राप्त करके उन्हें जीवन में सफलता के साधन बताये जा सकते हैं।

(6) शैक्षणिक मार्ग-प्रदर्शन देना इन परीक्षणों की सहायता से ही हो सकता है। इससे पढ़ाई-लिखाई की कठिनाई दूर की जा सकती है।

(7) व्यावसायिक मार्ग-प्रदर्शन विशिष्ट योग्यता को पता लगाकर दी जाती है जो इन परीक्षणों के द्वारा होता है।

(8) छात्रों की व्यक्तिगत योग्यता जानकर उन्हें छात्रवृत्ति भी देते हैं जिससे वे अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें।

(9) व्यक्तित्व विकास, बाल अपचार के निवारण, अनुशासनहीनता की समस्या का समाधान करने में भी ये परीक्षण सहायक होते हैं।

(10) बालकों की अतिरिक्त प्रगति के लिए भी अध्यापक इनकी सहायता से प्रयल कर सकता है।

(11) शैक्षिक अनुसंधान में इनका प्रयोग करना पड़ता है, अतएव इस दृष्टि से भी इनकी उपयोगिता पायी जाती है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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