शिक्षक शिक्षण / Teacher Education

फ्लैण्डर्स के शिक्षण प्रतिमान के दस पदों का स्पष्टीकरण | Ten terms of Flanders’ teaching paradigm

फ्लैण्डर्स के शिक्षण प्रतिमान के दस पदों का स्पष्टीकरण | Ten terms of Flanders’ teaching paradigm

फ्लैण्डर्स के शिक्षण प्रतिमान के दस पद

नैड ए. फ्लैण्डर्स की दस पदीय अन्तःक्रिया विश्लेषण प्रणाली की सारणी एवं उसके स्पष्टीकरण को निम्नत: वर्णित किया जा सकता है-

फ्लैण्डर्स के दस पदों का स्पष्टीकरण

फ्लैण्डर्स ने अन्तःक्रिया शिक्षण प्रतिमान के दस पद निर्धारित किये हैं जिनका स्पष्टीकरण निम्नलिखित है-

  1. अनुभूति स्वीकृति (Accepting Feeling)- इसमें शिक्षक छात्रों की भावनाओं को समझकर उन्हें स्वीकार करता है। इसके साथ ही छात्रों को भाव प्रकट करने को स्वतन्त्रता प्रदान की जाती है एवं शिक्षक सहर्ष उनके भावों को स्वीकृति देता है।
  2. प्रशंसा अथवा प्रोत्साहन (Praising or Encouraging)- इस वर्ग के अन्तर्गत छात्रों द्वारा किये जा रहे व्यवहार की प्रशंसा करना, उन्हें अभिप्रेरित करना, प्रोत्साहित करना, कक्षा को भय मुक्त करना, बीच-बीच में ऐसे उदाहरण प्रस्तुत करना जिससे हास-परिहास की स्थिति पैद्य हो लेकिन आवश्यकतानुसार। ये सभी क्रियाएं इस वर्ग में सम्मिलित की गई हैं।
  3. स्वीकृति अथवा छात्रों के विचारों का उपयोग (Accept or uses ideas of students)- इस वर्ग के अन्तर्गत विद्यार्थियों के विचारों को स्वीकृति दी जाती है। छात्र द्वारा दिये गये सुझाव की शिक्षक द्वारा व्याख्या करनी होती है एवं उसके विभिन्न पक्षों को समझाता है।

छात्र के सुझावों की संक्षिप्त पुनरावृत्ति करता है। कमी-कभी यह भी कह सकता है कि आपकी बात तो सही है लेकिन मेरा इस सम्बन्ध में यह विचार है….।

  1. प्रश्न पूछना (Asking questions)- अध्यापक द्वारा पूछे गये समस्त प्रश्नों के उत्तरों की आशा छात्रों से की जाती है। इस वर्ग के अन्तर्गत केवल वे प्रश्न आते हैं जिनके उत्तर छात्रों को देना आवश्यक होता है।
  2. भाषण अथवा वक्तव्य देना (Lecturing)- व्याख्या कक्षा शाब्दिक अन्तःक्रिया का वह रूप है जिसको शिक्षक अपने विचारों, दृष्टिकोण, तथ्यों तथा सूचनाओं को प्रदान करने के लिए प्रयोग करता है। विषय-वस्तु का प्रस्तुतीकरण किसी महत्वपूर्ण विषय की भूमिका देने, उसकी समीक्षा करने तथा छात्रों का ध्यान केन्द्रित करने हेतु किया जा सकता है। पाठ्यवस्तु की व्याख्या काफी अधिक समय तक प्रस्तुत की जाती है। जब भी शिक्षक किसी तथ्य का उल्लेख करता है, सूचना देता है तथा वह अपने विचारों को व्यक्त करता है ये सभी अनुक्रिया वर्ग 5 में अंकित की जाती है। कक्षा अन्तःक्रिया में इसका अधिक प्रयोग किया जाता है।
  3. निर्देशन देना (Giving direction)- इस वर्ग में छात्रों को शिक्षक द्वारा दिये गये निर्देश आते हैं। जिनके अनुसरण की आशा छात्रों से की जाती है, जैसे-तुम बताओ, खड़े हो जाओ, बेठ जाओ, अपना नाम बताओ, इसका उत्तर दो आदि। ये सभी अनुक्रियाएं वर्ग 6 के अन्तर्गत आती हैं।
  4. आलोचना करना (Criticize)- इस वर्ग में शिक्षक अवांछित अनुक्रियाओं हेतु छात्रों की आलोचना करता है, जैसे-मुझे ये पसन्द नहीं, तुम्हें कक्षा से बाहर निकाल दंगा, कक्षा से बाहर निकल जाओ, शान्त हो जाओ, शान्त रहो, कुछ नहीं जानते, घर पर क्या करते हैं, आपस में बातचीत मत करो आदि। शिक्षक की वे सभी अनुक्रियाएं जो छात्र व्यवहार को नियन्त्रित करती हैं, ये सभी अनुक्रियाएं वर्ग 7 में अंकित की जाती हैं।
  5. छात्र कथन अनुक्रिया (Student talk response)- छात्रों द्वारा शिक्षक के प्रश्नों अथवा व्यवहारों के फलस्वरूप अनुक्रिया करना अथवा शिक्षक पहल करता है और छात्रों से अनुक्रिया या वक्तव्य चाहता है।
  6. छात्र कथन स्वोपक्रम (Pupil talk initiation)- ऐसी वार्ता जिसे छात्र स्वयं शुरु करते हैं। छात्रों को केवल यह बताना पड़ता है कि क्रमानुसार कोन बालेग। यदि छात्र स्वेच्छा (उत्सुकता) से बोलते हैं तो इस श्रेणी का उपयोग किया जाता है। छात्रों द्वारा विचारों की अभिव्यक्ति शामिल होती है।
  7. मौन अथवा विभ्रान्ति (Silence or confusion)- विराम, अल्प अवधि के लिए शान्ति और मौन, ऐसी अवधि जिसमें अस्त-व्यस्तता के कारण कक्षा में क्या चल रहा है यह निरीक्षक न समझ पाये । अरथ्थात् कभी-कभी किसी भी प्रकार की शाब्दिक अन्तःत्रिया नहीं होती है।

प्रभावशाली शिक्षण की दृष्टि से इस वर्ग की अधिकता को अच्छा नहीं माना जाता है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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