अनुसंधान क्रियाविधि / Research Methodology

प्रश्नावली और अनुसूची का तुलनात्मक अध्ययन | प्रश्नावली और अनुसूची में अन्तर

प्रश्नावली और अनुसूची का तुलनात्मक अध्ययन | प्रश्नावली और अनुसूची में अन्तर | Comparative Study of Questionnaire and Schedule in Hindi | Difference Between Questionnaire and Schedule in Hindi

प्रश्नावली और अनुसूची का तुलनात्मक अध्ययन

(Comparative Study Between Questionnaire and Schedule)

अनुसूची के अंतर्गत साक्षात्कार का कार्य सम्पन्न होने पर निम्नलिखित लाभ हैं-

(1) उत्तर का प्रतिशत अधिक (High Percentage of Response)- डाक-प्रेषित प्रश्नावली की तुलना में अनुसूची द्वारा प्राप्त उत्तरों का प्रतिशत अधिक होता है। अनुसूची विधि में कार्यकर्ता प्रत्यक्ष उपस्थित रहता है। जिससे सूचनादाता द्वारा सूचना प्रदान करने से इकार करना संभव नहीं हो पाता। इससे वे सूचनादाता भी जो या तो उत्तर देने से मना करते हैं या साक्षात्कार के कट्टर विरोधी होते हैं विश्वास में लिये जा सकते हैं।

(2) भूल-सुधार सम्भव (Correction Possible)- यदि सूचनादाता का पता गलत हो गया है अथवा उसने स्थान परिवर्तन कर लिया है तो उसे ज्ञात कर ठीक किया जा सकता है। प्रश्नावली में ऐसी सुविधा नहीं है।

(3) कार्यकर्त्ता की प्रत्यक्ष उपस्थिति (Personal Presence of Field Workers) – कार्यकर्ता सूचनादाता की शंका या कठिनाई को दूर करने के लिये स्वयं उसके सम्मुख उपस्थित रहता है। इस प्रकार किसी भ्रम के कारण उत्तर पक्षपातपूर्ण नहीं हो पाते। कार्यकर्ता इस बात का निरीक्षण कर सकता है कि उत्तर अतिशयोक्तिपूर्ण न हों। इसके लिये वह स्वयं तथ्यों को देख सकता है, प्रतिप्रश्न कर सकता है, परिचितों से जाँच-पड़ताल कर सकता है। उत्तरदाता का प्रत्येक प्रश्न का उत्तर तुरन्त देना पड़ता है, इसलिये वह तथ्यों के स्वरूप को परिवर्तित नहीं कर पाता। प्रश्नावली में इसकी पूरी सम्भावना रहती है। अनुसूची के उत्तर प्रश्नावली के उत्तरों की अपेक्षा सामान्यतः अधिक सही और प्रतिनिध्यात्मक होते हैं।

(4) समुचित उत्तर-प्राप्ति का वातावरण (Atmosphere for Proper Response)- कार्यकर्त्ता उचित हेतु वातावरण का पुनर्निर्माण कर सकता है। वह अनुसूची से अवगत कराने से पहले सूचनादाता का साथ वार्तालाप करके रुचि को विकसित कर सकता हैं सही उत्तर पाने के लिये उचित वातावरण बहुत सहायक होता है। प्रश्नावली में ऐसा सम्भव नहीं होता है।

(5) उत्तरदाता से व्यक्तिगत सम्पर्क (Personal Contact with the Respondent) – उत्तरदाता से साक्षात्कारकर्त्ता का व्यक्तिगत सम्पर्क उसे इस योग्य बनाता है कि वह उसके चरित्र, जीवन-स्तर और सामान्य जीवन पद्धति को अधिक गहराई से समझ सके। किसी उत्तर की पृष्ठभूमि को समझने के लिये ये कारण बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इनकी पृष्ठभूमि में देखने पर विचित्र लगने वाला उत्तर स्वाभाविक सा प्रतीत होता है। उचित ढंग से किया गया साक्षात्कार शाखा से कहीं अधिक उपयोगी सूचना प्रदान करता है।

(6) व्यक्तिगत सम्पर्क से दोषों की जानकारी (Revelation of Defects through Personal Contact)- व्यक्तिगत सम्पर्क से, जो साक्षात्कारकर्त्ता और उत्तरदाता के मध्य स्थापित होता, सूचनादाता से प्रत्यक्ष मिलने पर कुछ महत्वपूर्ण छूटी हुयी सूचनायें मिल जाती है। इसी प्रकार अनुसूची की कमियों को भी सरलता से ज्ञात किया जाता है। यदि कोई महत्वपूर्ण प्रश्न या समस्या का कोई महत्वपूर्ण अंश छूट गया है तो इसका पता भी उत्तरदाता से सीधे सम्पर्क और बातचीत द्वारा मालूम हो जाता है। इसी कारण, डाक द्वारा प्रेषित प्रश्नावली में भी प्रत्यक्ष साक्षात्कार द्वारा पूर्व परीक्षण (pre-test) और अग्र अध्ययन (Pilot study) किये जाते हैं। इस दृष्टि से भी अनुसूची विधि प्रश्नावली विधि से अधिक उपयोगी है।

(7) मानव तत्व की उपस्थिति (Presence of Human Element)- अनुसूची विधि के अन्तर्गत अनुसूची भरते समय मानव-तत्व की उपस्थिति का पूर्ण अवसर रहता है। निर्जिव प्रश्नावली कितने ही अच्छे ढंग से निर्मित की गयी हो, किन्तु वह जीवन्त साक्षात्कारकर्त्ता का स्थान नहीं ले सकती जो अपनी उपस्थिति से वातावरण को साक्षात्कार के अनुकूल बनाती है और अभीष्ट उत्तर प्राप्त करने में प्रेरणा-स्रोत का कार्य भी करता है। यह सुविधा प्रश्नावली में कहीं नहीं है।

उपर्युक्त बिन्दुओं पर विचार करने के बाद यही निष्कर्ष प्राप्त होता है कि प्रश्नावली किन्हीं परिस्थितियों में सुगम और कम खर्चीली हो सकती है किन्तु अधिक महत्व के अध्ययनों मेंक्षअनुसूची का स्थानापन्न नहीं बन सकती।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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