अनुसंधान क्रियाविधि / Research Methodology

सांख्यिकी की उपयोगिता एवं महत्व (Usefulness and importance of statistics in hindi)

सांख्यिकी की उपयोगिता एवं महत्व (Usefulness and importance of statistics in hindi)

सांख्यिकी की उपयोगिता एवं महत्व

वर्तमान में सांख्यिकी का प्रयोग दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है क्योंकि हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में नीति निर्धारण आवश्यक होता है और नीतियों का निर्धारण संमको के बिना सम्भव नहीं है। भारत तथा अन्य विकासशील देशों की सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था का नियोजन परोक्ष अथवा अपरोक्ष रूप से सांख्यिकी के प्रयोग पर ही आधारित है। एकत्रित सांख्यिकीय आँकड़ों के माध्यम से ही भविष्य की आवश्यकताओं का अनुमान लगाया जाता है और विकासोन्मख दिशा में संसाधनों की अभिवृद्धि करने का प्रयास होता हैं वर्तमान परिपेक्ष्य में सांख्यिकी के सामयिक महत्व तथा उपयोगिता को अग्रलिखित बिन्दुओं के रूप में समझा जा सकता है-

  • तथ्यों को संख्यात्मक रूप में प्रस्तुत करना

सांख्यिकी का यह महत्वपूर्ण कार्य विषय से संबंधित तथ्यों का संख्या के रूप में प्रस्तुतीकरण होता हैं पूर्व में इसका उपयोग मात्र संख्या में मापी जाने आकड़ों की प्राप्ति तक ही सीमित था, परन्तु मनोवृत्ति मापक पैमानों के विकास के साथ ही मानव विचारों और मनोवैज्ञानिक अध्ययनों में भी सांख्यिकी की उपयोगिता व्यापक हो गई है। इसके द्वारा समस्याओं को अपेक्षाकृत अधिक सरल रूप में समझा जा सकता है। उदाहरणार्थ वर्तमान में चुनाव से पूर्व विभिन्न राजनीतिक दलों को चुनाव के वक्त मिलने वाली सीटो के अनुमान के लिए मीडिया द्वारा एक्जिट पोल किया जाता है ताकि लोगों की राय जानी जा सके।

  • संमको के सरलीकरण में सहायक

आँकड़ों का सरल और सुबोध रूप में प्रस्तुतीकरण सांख्यिकी के द्वारा ही सम्भव होता हे। अत्यन्त जटिल दृष्टव्य तथ्यों का सांख्यिकी की वर्गीकरण, सारणीयन, दण्डचित्र, ग्राफ, बिन्दुरेखाओं के द्वारा सरलता से प्रदर्शित किया जा सकता है और सामान्य जनसमुदाय उसे आसानी से समझा जा सकता है। उदाहरण के लिए प्रति व्यक्ति आय तथा राष्ट्रीय आय को सारणी तथा रेखाचित्र द्वारा प्रदर्शित पर उनकी ग्राह्यता अत्यन्त सरल व स्मरणीय हो जाती है।

  • तथ्यों का तुलनात्मक अध्ययन

सांख्यिकी विषय निहित तथ्यों अथवा विभिन्न विषयों से संबंधित ऑकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन करती है। औसत तथा गुणांक के द्वारा किन्हीं भी दो तथ्यों की तुलना करके उनके मध्य सह संबंध प्रदर्शित करते हैं। जैसा- यदि हम समुदाय में परिवारों की आर्थिक स्थिति और शैक्षिक स्तर के मध्य अध्ययन करते हैं तो प्राप्त औकड़ो से यह ज्ञात करना सरल हो जाता है कि परिवारों की आर्थिक स्थिति का शिक्षा से किया संबंध है ।

  • पूर्वानुमान की सुविधा

सांख्यिकी के द्वारा न केवल आँकड़ों का विश्लेषण किया जाता है, वरन सांख्यिकी के रूप में प्राप्त आँकड़ों की सहायता से भावी परिस्थितियों अथवा दशाओं का पूर्व में अनुमान लगाया जा सकता है। पूर्वानुमान विज्ञान की आवश्यक विशेषता है, जिसके आधार पर भावी योजनाएं निर्मित की जाती हैं। जनसंख्या से प्राप्त ऑकड़ों के आधार पर भविष्य की आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए प्राथमिकता आधारित कार्य क्षेत्रों का निर्णय महत्वपूर्ण होता है। सांख्यिकी की उपरोक्त कार्य विशेषता के कारण सभी सामाजिक विज्ञानों में सांख्यिकीय पद्धतियों के अध्ययन को अधिकाधिक महत्व दिया जा रहा है ।

सांख्यिकी की सीमाएं (Statistic limits in Hindi)

  • व्यक्तिगत ज्ञान में वृद्धि

सांख्यिकी द्वारा व्यक्तिगत ज्ञान और अनुभवों में वृद्धि होती है। इसका उपयोग करके किसी भी समस्या के व्यावहारिक पक्ष को अधिक सरल व सहज तरीके से समझा जा सकता है क्योंकि सांख्यिकी मूलतः अनुभूत व सिद्ध तथ्यों से संबंधित हैं यह व्यक्ति की तर्क शक्ति को बढ़ाती है, साथ ही विचारों की स्पष्टता को प्रखर करती है। अध्ययनरत समूह की व्यावहारिक समस्याओं के सरल च अनुभूत बोध के साथ हमारे व्यावहारिक सामाजिक दृष्टिकोण परिवर्तित हो सकते हैं ।

  • विषय की सही जानकारी

यद्यपि सामाजिक जीवन में अधिकांश विषयों की जानकारी सामान्य कथनों व द्वितीय स्रोतों से प्राप्त सूचनाओं पर आधारित होती हैं, तथापि स्पष्ट तथा अनुभव सिद्ध भिज्ञता मात्र सांख्यिकी के द्वारा ही प्राप्त होती हैं अतएव यह स्पष्ट किया जा सकता है कि सामाजिक विषयों की जानकारी का सबसे प्रामाणिक आधार सांख्यिकी ही है।

  • राज्य प्रशासन के क्षेत्र में महत्व

विकासोन्मुखी वर्तमान युग में प्रशासनिक कार्यों के संचालनार्थ भी सांख्यिकी का प्रयोग महत्वपूर्ण है । सरकारों का मुख्य दायित्व विकास के लिए प्रशासन का अधिकाधिक कार्य कुशल बनाना होता है। विकास के विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित आँकड़ों का संकलन करके नीति नियोजन के द्वारा सकारें प्रशासनिक क्रियान्वयन को और अधिक सजग व प्रभावपूर्ण बनाती हैं ताकि विकास लक्ष्यों की गुणात्मक व मात्रात्मक उपलब्धि सुनिश्चित हो सके।

  • अन्य विज्ञानों के नियमों के सत्यापन में सहायक

सामान्यतः परिस्थितियों में परिवर्तन के कारण पुराने सिद्धान्त पूर्व की भांति वर्तमान में प्रमाणिक तथा उपयोगी नहीं रह गए हैं सांख्यिकी के द्वारा प्राप्त अध्ययन पद्धतियों के प्रयोग से वर्तमान तथ्यों का संकलन सम्भव होता है कि अतीत का कोई नियम अथवा सिद्धान्त वर्तमान में किस सीमा तक उपयोगी अथवा अनुपयोगी है इसी के द्वारा कई परिकल्पनाएं सृजित होती है जो नवीन नियमों एवं सद्धान्तों को विकसित होने का आधार देती हैं।

  • नियोजन के क्षेत्र में महत्व

नियोजन एक अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। जिस देश में नियोजन जितना व्यावहारिक होता है, वहाँ का सामाजिक-आर्थिक विकास उतनी ही तीव्र गति से होता है। सांख्यिकीय आँकड़ों की उपलब्धता इस दिशा में उपलब्ध साधनों तथा भविष्य की आवश्यकताओं के मध्य संतुलन स्थापित करती है ऑकड़ों के द्वारा ही यह ज्ञात करना सम्भव हो सकता है कि उस क्षेत्र अथवा समूह की अल्पकालीन व दीर्घकालीन आवश्यकताएं क्या हैं। इन्हीं आवश्यकताओं के आधार पर विकास कार्यों से संबंधित प्राथमिकताओं का निर्धारण किया जाता हैं।

  • आर्थिक क्षेत्र में महत्व

व्यक्ति का आर्थिक उत्पादन व उपभोग के मध्य संतुलन, व्यापारिक क्रियाओं तथा औद्योगिक विकास पर निर्भर करता है। व्यक्तियों की अभिरूचियाँ, जीवन शैली, जीवन स्तर, क्रय क्षमता तथा दैनिक व्यवहारिक आदतों का अध्ययन उत्पादन के व्यवरथापन अथवा प्रबन्धन के लिए अत्यावश्यक हैं इसका तात्पर्य यह है कि जिस क्षेत्र में औद्योगिक तथा आर्थिक समंक जितनी कुश्लता से एकत्रित किये जाते हैं, उस क्षेत्र का आर्थिक विकास उतनी ही त्वरित गति से नियोजित या जा सकता है नियोजन हेतु पुनः सांख्यिकी का प्रयोग महत्वपूर्ण है ।

  • सामाजिक अनुसंधान में महत्वपूर्ण

सामाजिक घटनाओं का कम बड़ी सीमा तक अमूर्त तथा गुणात्मक होता है, परन्तु सांख्यिकीय उपकरण की मदद से घटनाओं से संबंधित प्रवृत्तियों को समझा जा सकता है। सांख्यिकी के अभाव में सामाजिक अनुसंधान यथार्थ एवं वस्तुनिष्ठ नहीं बनाया जा सकता है। सामाजिक विकास कार्यों का मूल्याकंन भी आकड़ों के आधार पर ही किया जाता है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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