अर्थशास्त्र / Economics

रिजर्व बैंक की सफलतायें | रिजर्व बैंक की असफलतायें | रिजर्व बैंक की असफलताओं को दूर करने हेतु सुझाव

रिजर्व बैंक की सफलतायें | रिजर्व बैंक की असफलतायें | रिजर्व बैंक की असफलताओं को दूर करने हेतु सुझाव | भातीय रिजर्व बैंक की सफलताओं एवं असफलताओं की विवेचना

रिजर्व बैंक की सफलतायें

रिजर्व बैंक को अपने उद्देश्यों को पूरा करने में निम्नलिखित सफलतायें प्राप्त हैं-

  1. रिजर्व बैंक तथा कृषि साख- कृषि साख की विभिन्न समस्याओं का अध्ययन एवं उनको सुलझाने के लिए बैंक में एक पृथक कृषि साख विभाग की स्थापना की है। रिजर्व बैंक कृषि वित्त की व्यवस्था प्रत्यक्ष रूप न करके सहकारी संस्थाओं के माध्यम से करता है। इसके द्वारा अल्पकालीन, मध्यकालीन एवं दीर्घकालीन ऋणों की व्यवस्था की जाती है। अखिल भारतीय ग्रामीण साख सर्वेक्षण की सिफारिश के आधार पर सन् 1956 में दो कोषों की स्थापना की गयी-

(1) राष्ट्रीय कृषि साख (दीर्घकालीन) कोष, (ii) राष्ट्रीय कृषि साख (स्थायित्व) कोष- रिजर्व बैंक भूमि बन्धक बैंकों के ऋण पत्र खरीद कर परोक्ष रूप से दीर्घकालीन साख प्रदान करने में सहायता प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त रिजर्व बैंक ने कृषि समस्याओं से सम्बन्धित सूचनायें एकत्रित करके तथा उनका प्रकाशन करके महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

इसके अतिरिक्त रिजर्व बैंक की अन्य सफलतायें इस प्रकार हैं-

  1. मुद्रा बाजार की ब्याज दरों में होने वाले समय-समय पर उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने में रिजर्व बैंक काफी सफल रहा है।
  2. रिजर्व बैंक देश में उद्योग, व्यापार तथा कृषि के लिए कम ब्याज पर पर्याप्त मात्रा में ऋण उपलब्ध कराने में काफी सफलता प्राप्त की।
  3. बैंकिंग कानून के अन्तर्गत प्राप्त किए गये अधिकारों तथा शक्तियों के सफलतापूर्वक प्रयोग द्वारा देश में बैंकिंग व्यवस्था के दोषों को दूर करने में इस बैंक ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
  4. रिजर्व बैंक ने साख नियंत्रण की विधियों के प्रयोग द्वारा देश में मुद्रा तथा साख की मात्रा को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
  5. रिजर्व बैंक विभिन्न देशों की मुद्रायें अपने पास कोष में रखकर तथा निश्चित दर पर विदेशी विनिमय का क्रय-विक्रय करके विदेशी दरों में स्थिरता लाने का प्रयास करता रहा है।
  6. रिजर्व बैंक ने सार्वजनिक ऋणों का प्रबन्धन, सरकारी कोषों की सुरक्षा तथा सरकार की ओर से लेनदेन आदि के कार्यों को सरकार का बैंकर के रूप में, सफलतापूर्वक सम्पन्न किया है।
  7. रिजर्व बैंक ने सरकार के आर्थिक सलाहकार के रूप में महत्वपूर्ण सेवायें प्रदान की है। इसके अतिरिक्त इसने अपने विशेषज्ञ अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, एशियाई बैंक तथा खाद्य एवं कृषि संगठन जैसे अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं में भारत सरकार के आदेशानुसार भेजते हैं।
  8. रिजर्व बैंक ने विदेशी विनिमय बिलों का प्रयोग बढ़ाने के उद्देश्य से सन् 1952 में एक बिल बाजार में योजना चालू की। बाद में 1963 में निर्यात बिल साख योजना तथा 1970 में बिल पुनर्कटौती योजना लागू की है।
  9. देश के आर्थिक विकास के कार्यक्रमों को पूरा करने में रिजर्व बैंक ने सरकार क महत्वपूर्ण सहयोग दिया है।
  10. औद्योगिक वित्त प्रदान करने के लिए विभिन्न संस्थाओं जैसे- औद्योगिक वित्त निगम, राज्य वित्त निगम तथा औद्योगिक विकास बैंक आदि का निर्माण करने में रिजर्व बैंक ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

रिजर्व बैंक की असफलतायें

1. रुपये के आन्तरिक मूल्य में अस्थिरता- रिजर्व बैंक रुपये के आन्तरिक मूल्य में स्थिरता बनाये रखने में असफल रहा है। मुद्रा तथा साख की पूर्ति में निरन्तर वृद्धि होने के कारण देश में कीमत में बहुत अधिक वृद्धि हुई है तथा रुपये के मूल्य में काफी कमी आयी है।

सन् 1951-52 में देश की कुल मुद्रा की पूर्ति 1848 करोड़ रुपये के तुल्य थी जो जनवरी 1986 में लगभग 1,09,651 करोड़ रुपये हो गयी।

2. विनिमय नियंत्रण में असफलता- रिजर्व बैंक विदेशी विनिमय दर में स्थिरता बनाये रखने में असफल रहा है। इसका प्रमाण यह है कि सन् 1949 तथा 1966 में रुपये का अवमूल्यन करना पड़ा तथा अन्तर्राष्ट्रीय मौद्रिक संकट की स्थिति में रुपये को पौंड स्टलिंग के साथ जोड़े रखने से इसके विदेशी विनिमय मूल्य में 1975 तक 27 प्रतिशत की कमी हुई है।

3. ब्याज की दर में भिन्नता- भारतीय मुद्रा बाजार में प्रचलित ब्याज की दरों में काफी भिन्नता का पाया जाना इसकी असफलता का प्रतीक है।

4. बिल बाजार का अभाव- रिजर्व बैंक की बिल बाजार योजना से बैंकों को व्यस्त काल में धन प्राप्त करने की सुविधा अवश्य हुई। लेकिन इससे स्वतन्त्र बिल बाजार की स्थापना नहीं हो सकी।

5. प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए अपर्याप्त साथ व्यवस्था- बैंकों पर सामाजिक नियंत्रण लागू करने तथा बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने के बाद भी प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को साख सुविधायें नहीं मिल पायी हैं। इसके अतिरिक्त बैंकों से अधिक ऋण की सुविधायें अधिकतर विकसित राज्यों को ही मिल पायी हैं।

6. मुद्रा बाजार के संगठन में असफलता- भारतीय बैंकिंग व्यवस्था में काफी सुधार होने के बादवजूद अब भी अन्य देशों की तुलना में हमारी बैंकिंग व्यवस्था बहुत पिछड़ी हुई है।

सुधार के सुझाव-

रिजर्व बैंक की असफलताओं को सफल बनाने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं-

  1. रिजर्व बैंक को अपनी प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार करना चाहिए।
  2. कृषि साख सुविधायें विस्तृत रूप से उपलब्ध करायी जानी चाहिए।
  3. रिजर्व बैंक को कुछ चुने हुए कार्यों को ही करना चाहिए।
  4. निक्षेपों पर प्राप्त होने वाली ब्याज दरों पर नियंत्रण किया जाना चाहिए।
  5. बैंकिंग व्यवस्था को सफल बनाने के लिए सक्रिय निरीक्षण प्रणाली अपनाई जानी चाहिए।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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