सम्पादकीय | सम्पादकीय की संरचना | सम्पादकीय की भाषा शैली | सम्पादक समाचार पत्र का प्रमुखी शिल्पी
सम्पादकीय | सम्पादकीय की संरचना | सम्पादकीय की भाषा शैली | सम्पादक समाचार पत्र का प्रमुखी शिल्पी
सम्पादकीय
समाचार-पत्रों के विकास में दिनोदिन अभिवृद्धि के लिए संगठन का प्रश्न अत्यन्त महत्वपूर्ण है जब समाचार-पत्रों का संचालन बृहद स्तर पर किया जाता है तो वह एक औद्योगिक इकाई के रूप में प्रतिष्ठित हो जाता है। इस संगठन में कई घटक होते हैं जिनमें प्रमुख हैं-
पूँजी, नियंत्रण, स्थान और सुनिशित नीतियाँ। पत्रों को सुगठित रूप देने हेतु उसे कई विभागों में विभक्त करना पड़ता है-
(1) प्रकाशन विभाग, (2) विज्ञापन विभाग, (3) संपादकीय विभाग, (4) वितरण विभाग, (5) मुद्रण विभाग।
समाचार-
पत्रों में संपादकीय विभाग का गठन उनके आकार-प्रकार के अनुसार अलग- अलग होता है। संपादकीय विभाग के विस्तार को प्रभावित करने वाला मूल घटक समाचार-पत्र की विक्रय संख्या है। मुख्य रूप से सम्पादकीय विभाग तीन कार्य करता है।
(1) समाचार एकत्र करना, (2) उनका चुनाव और सम्पादन करना, (3) समाचारों पर अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत करना।
पत्रों की सभी पाठ्य सामग्री केवल विज्ञापन को छोड़कर संपादकीय विभाग में आती है। यह एकत्रीकरण प्रक्रिया कई उपविभागों द्वारा सम्पन्न होती है। पर यह सब कुछ समाचार-पत्र के आधार पर निर्भर करता है। बड़े समाचार-पत्रों में समाचार संग्रह हेतु कई उपविभाग होते है। लोकरंजक सम्बन्धी समस्त समाचार, समाचार कक्ष में एकत्र होते है। उसी कक्ष में उनका चुनाव एवं सम्पादन होता है। राज्य, राष्ट्र और विश्व के समाचार टेलीप्रिण्टर लाइनों द्वारा प्राप्त होते हैं। इसके अलावा टेलीफोन, टेलीग्राफ, संवाददाता एवं व्यक्तिगत साक्षात्कार से भी समाचार मिलते हैं। बड़े समाचार- पत्रों में संगीत, कला, वित्त, फिल्म रेडियों जैसे विषयों पर भी समाचार-संग्रह किये जाते है।
पत्र-
प्रतिनिधि तथा उप-संपादक द्वारा समाचार प्रतियाँ तैयार की जाती है। तैयार प्रतियाँ जब मुख्य उप संपादक तथा समाचार सम्पादक द्वारा देख ली जाती हैं तो उसे मुद्रणालय में कम्पोज होने के लिए भेज दिया जाता है। संपादकीय विभाग के ही एक हिस्से में संपादकीय लिखने का कार्य सम्पादक अथवा अग्रलेख द्वारा किया जाता है। यहीं पर संपादकीय पृष्ठ पर जाने वाली सामग्री की व्यवस्था भी होती है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक मध्यम तथा बड़े समाचार-पत्र में छायाकारों की नियुक्ति की जाती है जो समाचारों के साथ छपने हेतु चित्र खींचते हैं।
सम्पादक के अतिरिक्त समाचार पत्र के संपादकीय विभाग में कई और पत्रकार होते हैं। उनके पदों के नाम एवं कार्य इस प्रकार है-
सम्पादक-
सम्पादक वह व्यक्ति है, जो किसी केन्द्र से प्रकाशित समाचार-पत्र में सम्पादक का कार्य करता है। समाचार-पत्र में छपने वाली समाचारों का चयन और प्रकाशन सम्पादक का कार्य क्षेत्र माना जाता है। वह समाचार-पत्र की नीतियों का निर्धारण करता है। समाचार-पत्र के किसी पृष्ठ पर कौन-कौन से समाचार जायेंगे, समाचारों के शीर्षक हल्के-फुल्के होने चाहिए या औपचारिक, समाचारों की भाषा और शैली कैसी होनी चाहिए, चित्रों, कार्टूनों आदि का प्रयोग होना चाहिए-इस सब बातों का फैसला सम्पादक करता है। यह वह वरिष्ठ पत्रकार होता है जो अपने समाचार-पत्र के प्रकाश क्षेत्र, पाठक समुदाय, विज्ञापनदाताओं आदि के विचारों मनोभावों तथा मनोवृत्तियों से सम्यक परिचित होता है। ‘प्रेस एण्ड रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक्स एक्ट’ के अनुसार-समाचार पत्र में जो कुछ छपता है उसका निश्चय करने वाला व्यक्ति सम्पादक कहलाता है। सम्पादक ही पत्र की आत्मा होता है।
समाचार कक्ष की व्यवस्था-
सम्पादक स्थानीय, प्रादेशिक, राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाले सभी संवाददाताओं और समाचारों और समाचार समितियों तथा अन्य सूत्रों से प्राप्त होने वाले समाचारों का अवलोकन करता रहता है ताकि उनमें कोई असंगति न हो और स्थानानुसार सभी समाचारों का अधिक से अधिक उपयोग न हो सके। अंग्रेजी के कई बड़े- बड़े समाचार-पत्रों में समाचार-सम्पादक के अतिरिक्त समाचार कक्ष भी काम करते हैं। समाचार कक्ष का मुख्य अधिकारी भी वरिष्ठ पत्रकार होता है, जो संवाददाताओं की विभिन्न क्षेत्रों में ड्यूटियाँ लगाता है तथा कार्यालय में प्राप्त समाचारों का सम्पादन करके समाचार सम्पादक की अन्तिम स्वीकृति के लिए प्रस्तुत करता है।
हिन्दी – महत्वपूर्ण लिंक
- पुरानी हिन्दी की अवधारणा | लिपि और भाषा | भाषा प्रकार | हिन्दी में वर्तनी समस्या
- संक्षेपण के गुण | संक्षेपण के विशेषताएँ | टिप्पणी की विशेषताए | प्रतिवेदन की विशेषताएं
- सामान्य सरकारी पत्रों के प्रकार | औपचारिक पत्र | अनौपचारिक पत्र
- हिन्दी की सांविधानिक स्थिति | प्रादेशिक भाषाएँ | राज्य की राजभाषा | राजभाषाएँ
- प्रयोजनमूलक हिन्दी | प्रयोजनमूलक हिन्दी की प्रमुख प्रयुक्तियाँ
- प्रतिवेदन से अभिप्राय | प्रतिवेदन का स्वरूप | प्रतिवेदन के प्रकार
- राष्ट्रभाषा | राजभाषा | राष्ट्रभाषा और राजभाषा का अन्तर
- पारिभाषित शब्द | पारिभाषिक शब्द के प्रकार | पारिभाषित शब्दों की आवश्यकता
- वैश्विक परिप्रेक्ष्य में अनुवाद का महत्व | रोजगार के क्षेत्र में अनुवाद का महत्व
- मुद्रित माध्यम के लिए समाचार लेखन का प्रारूप | मुद्रित माध्यम के लिए समाचार लेखन की प्रविधि
Disclaimer: sarkariguider.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- sarkariguider@gmail.com