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समाचार लेखन | समाचार लेखन की परिभाषा | समाचार की कुछ परिभाषाएँ | समाचार के प्रमुख तत्व | समाचार लेखन की प्रक्रिया | वैविध्यपूर्ण समाचार लेखन | समाचार का प्रारूप

समाचार लेखन | समाचार लेखन की परिभाषा | समाचार की कुछ परिभाषाएँ | समाचार के प्रमुख तत्व | समाचार लेखन की प्रक्रिया | वैविध्यपूर्ण समाचार लेखन | समाचार का प्रारूप

समाचार लेखन

समाचार (News) की व्युत्पत्ति एवं परिभाषा

समाचार शब्द संस्कृत का है। यह सम्+आ+चर+घञ् (दो उपसर्गो एक धातु एवं एक प्रत्यय) से बनता है। इसका व्युत्पत्तिलम्य अर्ध होगा।- सम्यक आचरण करना या व्यवहार बतलाना। संस्कृत का सय् उपसर्ग सम्यक् तथा आइ. (आ) उपसर्ग चारों तरफ या भली-भाँति अर्थ देता है। चर् धातु का अथ है- व्यवहार करना। सम्यक् आचरण अर्थात् सभी तरह से निष्पक्ष आचरण-इस शब्द का मूल अर्थ हुआ। आज समाचार का जो अर्थ है उससे यह अर्थ अन्तर्भूत है। ऐसी सूचना जो अच्छी तरह से सोच-समझ और भली-भाँति जाँच परख कर दी गयी हो, समाचार कहलायेगी। संस्कृत के वृतांत संवाद, विवरण, सूचना शब्द तथा उर्दू खबर शब्द समाचार के वाचक है। अमरकोश में वार्ता, वृत्ति तथा उदन्त समाचार के पर्यायवाची शब्द बताये गये हैं। ये सारे शब्द किसी घटना की पूरी जानकारी देने का भाव व्यक्त करते है।

अंग्रेजी में जो समाचार का अनुवाद NEWS है। इस शब्द के चार अक्षर चार दिशाओं के वाचक हैं-

N-North, E-East, W-West, S-South

हेडन ने अपने कोष में समाचार का अर्थ- “सब दिशाओं की घटना शब्द में प्रयुक्त ध्वनियों को दिशावाची अर्थ के आधार पर ही दिया है।”

News-New शब्द का बहुवचन है। इसका अर्थ होता है- नूतन, नया। लैटिन में नोवा तथा संस्कृत में नव शब्द भी व्युत्पत्ति न्यू से भी मानी जा सकती है।

1500 ई. के पूर्व न्यूज शब्द के लिए Tiding शब्द व्यवहत होता था। Tiding का है- समकालीन घटनाओं की सूचनाएँ। प्रेस के विकसित होने पर इसे न्यूज कहा जाने लगा। एडविन एमरी के अनुसार-

‘सूचनाओं का यदा-कदा प्रसारण है, सुनियोजित ढंग से शोध पूर्ण समाचारों का संकलन एवं प्रसार समाचार है।

रामचन्द्र वर्मा ने अपने मानक हिन्दी कोश में- समाचार का अर्थ-आगे बढ़ना, चलना, अच्छा आवरण या व्यवहार दिया है। मध्ययुग में तथा इसके बाद भी समाचार का अर्थ “ऐसी ताजी घटना का कार्य व्यापार की सूचना जिसे लोग पहले से न जानते हों” था।

समाचार की कुछ परिभाषाएँ

रूडयार्ड किपलिंग की अधोलिखित पंक्तियों में समाचार की परिभाषा स्पष्ट झलकती है-

I have six honest serving men.

they taught me all I knew

Their name is where, and what and when

and how and why and who.

कहाँ, क्या, कब, कैसे, क्यों, तथा कौन- का ज्ञान हो जाने पर व्यक्ति सारी पंक्तियों से सूचित हो जाता है। समाचार इन शब्दों के भाव का समवेत रूप होता है।

टर्नर केटलिज की परिभाषा में समाचारों की नूतनता का स्पष्ट संकेत है-

“समाचार कोई ऐसी चीज है जिसे आप कल (बीते हुए) तक नहीं जानते थे।”

श्री रा. र. खाडिलकर ने समाचार को घटना नहीं, बल्कि घटना का शब्दों में वर्णन माना- “दुनिया में कहीं भी किसी समय कोई छोटी-मोटी घटना या परिवर्तन हो, उसका शब्दों में जो वर्णन होगा, उसे समाचार या खबर कहते हैं।”

प्रो. चिल्टनबरा समाचार की उत्तेजक सूचना मानते है- “समाचार सामान्यतः वह उत्तेजक सूचना है जिससे कोई व्यक्ति संतोष या उत्तेजना प्राप्त करता है।’

समाचार के प्रमुख तत्व

  1. ताजगी या नवीनता- यह समाचार का सर्वाधिक महत्वपूर्ण तत्व है। दैनिक पत्रों में ताजे से ताजे समाचार छपते है, अतः इनकी बिक्री लाखों पहुंचती है। इसके विपरीत साप्ताहिक या मासिक पत्र बासी घटनाएं छापते हैं, अतः इनका समाचारत्व समाप्त हो जाता है।
  2. यथार्थता- संतुलित एवं परिशुद्ध यथार्थ पर आधारित सत्यासत्य विवेचन समाचार का दूसरा महत्वपूर्ण तत्व है। समाचार होता ही है- Whole truth and nothing but the truth अर्थात् सर्वे सत्ये प्रतिष्ठिम् समाचार का मूल मंत्र है।’
  3. सुरुचिपूर्णता- पाठकों की गयिका ध्यान रखकर संकलित समाचार छापने वाले समाचार पत्र खूब बिकते है। सामान्यतया अपने इर्द-गिर्द घटने वाली सामाजिक, राजनैतिक एवं अपराधिक घटनाओं में पाठकों की अधिक रचि रहती है। देश की नाजी राजनीतिक उठा पटक भी पाठक को आकर्षित करती है।
  4. समीपता- अपने समीप घटी घटनाओं के समाचारों में पाठक की अधिक रुचि होती है। वह राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं से कहीं अधिक स्थानीय घटनाओं में रुचि लेता है। यही कारण है कि प्रत्येक समाचार पर अपने जिले तथा प्रदेश के समाचारों को बहुत महत्व देकर प्रकाशित करते हैं। इन समाचारों की समीपता पाठक को नजदीक लाती है।
  5. कौतूहल- संशय एवं रहस्यपूर्ण समाचार पाठकों की जिज्ञासा को बढ़ाते हैं। अतः कौतूहल का सृजन समाचार का महत्वपूर्ण तत्व है।
  6. असाधारणता- असाधारण व्यक्तियों जैसे बड़े नेताओं, अभिनेताओं तथा अन्य धार्मिक व सामाजिक क्षेत्र के चर्चित व्यक्तियों के समाचार पाठक का ध्यान आकर्षित करते है।

समाचार लेखन की प्रक्रिया

अखबारों में समाचार लेखन दो प्रमुख तत्वों को ध्यान में रखकर किया जाता है- (1) समाचार का यथातथ्य रूप (2) व्याख्यात्मक रूप। यथातथ्य समाचार भी कहते है। यह समाचार जो त्यों छपता है, उसे तोड़ा-मरोड़ा नहीं जाता। इससे न कोई निष्कर्ष निकालने का प्रयास होता है, न सम्मति देने का। इससे विपरीत व्याख्यात्मक समाचार लेखन में घटना की गहरी छानबीन की जाती है। इससे पूर्वापर परिवेश पर विचार किया जाता है तथा घटना के परिणाम की ओर भी संकेत कर दिया जाता है। यह कार्य पाठकों की जटिलता को दूर करने के लिए किया जाता है। घटना की विस्तृत व्याख्या से पाठक को घटना का परिज्ञान हो जाता है।

घटनाओं के महत्व की दृष्टि से समाचार के दो रूप हो जाते है- (1) तात्कालिक समाचार, (2) विस्तृत समाचार।

अकस्मात् घटी कोई घटना जैसे सुनामी लहरों का ताण्डव आदि तथा किसी नेता का अकस्मिक निधन तात्कालिक समाचार बनाते है। अधिकाधिक पाठकों को प्रभावित करने वाले समाचार विस्तृत समाचार होते है। इनमें विचारप्रधान, भावप्रधान, सनसनीखेज, खोजप्रधान, व्यक्तित्व प्रधान तथा विवरण प्रधान आते है।

श्री हरेम्ब मिश्र ने अपनी पुस्तक पत्रकारिता : संकट एवं संत्रास में समाचारों को चार वर्गों में बाँटा है- स्थानीय, प्रान्तीय, अखिलदेशीय, अन्तर्राष्ट्रीय। इन्होंने कुल 19 प्रकार के समाचारों की चर्चा की है-

1. भाषण वक्तव्य और विज्ञप्ति, 2. आततायियों के कुकर्म, छेड़छाड़, मारपीट, पाकेटमारी, चोरी, ठगी, डकैती छुरेबाजी, जूआ, हत्या, अपरण, बलात्कार, 3. जमीन, जायदाद के लिए एक ही परिवार के सदस्यों के बीच फौजदारी और मुकदमबाजी 4, जातिवादी कलह तथा विद्वेष 5. रंगभेद और वर्णभेद से उत्पन्न अशान्ति, 6. क्षेत्रीयवादियों एवं प्रान्तवादियों के झगड़े, 7. धार्मिक एवं साम्प्रदायिक उपद्रव और वैमनस्य, 8. स्थानीय क्षेत्रीय, प्रान्तीय तथा अखिलदेशीय दिलचस्पी एवं महत्व के न्यायिक निर्णय, 9. परिवहन तथा मार्ग दुर्घटनाएँ, साइकिल, स्कूटर, एक्का, तांगा, बस, ट्रक और कार से लेकर ट्रेन, जहाज और हवाई जहाज तक की दुर्घटनाएं, 10. अपवर्षण, बाढ़, आँधी, हिमपात, 11. भूमंश, भूकम्प, 12. असामयिक या आकस्मिक, संगठनों तथा दलों की बैठकें, विशेष बैठके, सम्मेलन, समारोह, प्रदर्शन, जुलूस, 13. श्रम आन्दोलन, किसान आन्दोलन, 14. सरकारी सामाजिक, राजनीतिक व्यक्तियों का स्वागत और विदाई, 15. स्थानीय शासन निकायों और सरकारी विभागों की गतिविधि, 16. कर्मचारियों अधिकारियों तथा राजनीतिक कार्यकर्ताओं और नेताओं की मनमानी और ज्यादतियों की शिकायतें, 17. व्यक्तिगत समाचार जैसे परीक्षा या सांस्कृतिक एवं बौद्धिक कार्यो में विशेष सफलता, विदेश यात्रा, विवाह आदि, 18. मेलों और पर्वो के समाचार।

वैविध्यपूर्ण समाचार लेखन

आजकल मात्र अखबार ही संचार माध्यम नहीं है। उपरोक्त समाचार से संबंधित जिन तथ्यों का उल्लेख किया गया- वे सभी प्रायः अखबारों से संबंधित है। संचार माध्यमों में आकाशवाणी और दूरदर्शन का अपना अलग महत्व है। त्वरित समाचार प्रसारण में ये अखबारों से बहुत आगे है, अतः इनके द्वारा प्रसारित होने वाले समाचारों की निर्माण प्रक्रिया थोड़ी भिन्न होती है। संक्षेप में इनकी चर्चा कर लेना उपयुक्त होगा :-

(क) आकाशवाणी समाचार लेखन

अखबार मात्र शिक्षितों को समाचार देते है, पर ध्वनि पर आधारित आकाशवाणी द्वारा साक्षर-निरक्षर, बाल-वृद्ध, नेत्रहीन एवं नेत्रयुक्त सभी को घटित घटनाओं की जानकारी देने का प्रयास किया जाता है। एक निश्चित समय में आकाशवाणी से अधिक समाचार सम्प्रेषण होता है, अतः इसके समाचारों के मुख्य-मुख्य शीर्षक अत्यन्त संक्षिप्त, सारगर्भित एवं नपे-तुले शब्दों में तैयार किये जाते हैं। रेडियो समाचार लेखन का आदर्श होता है- “इस प्रकार लिखो मानो कि तुम लोगों से बात कर रहे हो।” आकाशवाणी द्वारा प्रसारित वार्ताएं सामयिकता, निकटता, महत्व एवं भावना जैसे अनिवार्य तत्वों से पूर्ण होती है।

समाचार का प्रारूप

पत्रकारिता की भाषा में समाचार को कथा (News Story) कहा जाता है। सामान्य कथन को ही जब रसीली, चटपटी, और आलंकारिक भाषा में कहते हैं तो वह कथा कहलाता है। समाचार भी ऐसा ही होना चाहिए जो पाठक की लुभाए (रसीला), पाठक को उत्तेजित करे (चटपटा), उसे सोचने पर मजबूर करे। चुटकीला और भाषा तो उसकी अलंकारिक अर्थात् सूक्तियों, सुभाषितों तथा कहावतों एवं मुहावरों से संपृक्त हो ही। समाचार लेखन भी एक कला है, जो सभी के वश की बात नहीं। समाचार लेखन में आधोलिखित तथ्यों की ध्यान में रखें-

  1. प्रस्तुत किया गया कथाक्रम लगे।
  2. यह सुसंगत भी लगे।
  3. इसे अच्छी भाषा में व्यक्त किया जाये।
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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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