अनुवाद के क्षेत्र | अनुवाद का क्षेत्र राष्ट्रीय ही नहीं वरन् अन्तर्राष्ट्रीय है
अनुवाद के क्षेत्र | अनुवाद का क्षेत्र राष्ट्रीय ही नहीं वरन् अन्तर्राष्ट्रीय है
अनुवाद के क्षेत्र
वर्तमान युग में अनुवाद का क्षेत्र बातचीत अथवा वार्तालाप का है। कहते हैं कि दो अपरिचित व्यक्ति एक साथ घण्टों तक खड़े रहने पर भी एक दूसरे से बात नहीं करते। यह परिस्थिति तब भी आ सकती है, जब दो भिन्न भाषा-भाषी आपस में मिलते हैं। उनको मिलाने का काम कोई द्विभाषी ही कर सकता है, उदाहरण के लिए कोई आंध्रप्रदेश का डॉक्टर केरल के अस्पताल में काम करता है, तब उसे केरल के मरीजों की भाषा समझनी पड़ती है। अर्थात उसे उनकी भाषा मलयालम समझनी होती है, अगर वह मलयालम भाषा नहीं जानता, तो किसी दूसरे व्यक्ति को मलयालम का अनुवाद तेलुग में करना पड़ता है। इस प्रकार अनुवाद का हर क्षेत्र में व्यापक उपयोग है। इसलिए कहते हैं कि ‘अनुवाद का क्षेत्र राष्ट्रीय ही नहीं वरन् अन्तर्राष्ट्रीय है।’ अनुवाद के प्रमुख क्षेत्रों का वर्णन इस प्रकार है-
बातचीत का क्षेत्र-
बातचीत में जब हम अपनी मातृभाषा से भिन्न भाषा में बालते हैं, तब हम स्वयं अनजाने अनुवाद करते रहते हैं। हम पहले मातृभाषा में सोचते हैं, फिर उसे मन में ही अन्य भाषा में अनुदित करते हैं। यही अनुदित रूप हमारे मुंह से निकलता है। यही कारण है कि हम कोई भी अन्य भाषा बोलें, उस पर हमारी मातृभाषा का कुछ-न-कुछ प्रभाव नजर आता है। औसत भारतीय की अंग्रेजी भी इसका अपवाद नहीं है।
पत्राचार-
पत्राचार का क्षेत्र अनुवाद मांगता है। पत्राचार व्यापार में, कार्यालय में, न्यायालय में सर्वत्र होता है। जहाँ पत्राचार अपने प्रदेश की भाषा में करने से काम चलता है वहाँ अनुवाद की जरूरत नहीं पड़ती, किन्तु एक ही प्रदेश में कई भाषाएँ बोलने वाले पीढ़ियों से रहते हैं। उनके लिए प्रादेशिक भाषा भी परायी रहती है। जैसे- केरल में तमिल-भाषी और कन्नड़-भाषी काफी संख्या में है। उनके लिए केरल की प्रादेशिक भाषा मलयालम का पत्राचार अनुवाद को आवश्यक बना देता है। जो व्यापारी बड़ी कम्पनियों से माल मंगाते या उन्हें माल बेचते हैं उन्हें उन कम्पनियों से पत्राचार कम्पनी की भाषा में करना पड़ता है।
धार्मिक क्षेत्र-
धर्म के क्षेत्र में प्रायः सभी देश किसी विशिष्ट भाषा का व्यवहार करते है। जैसे-भारत में संस्कृत हिन्दु धर्म की भाषा रही है। बौद्धों के धर्म-ग्रन्थ पालि भाषा में है। ईसाई लैटिन या सिरियक का उपयोग करते हैं, मुसलमान अरबी का। अतएव, ऐसी धर्म-भाषाओं के पण्डित सामान्य लोगों में प्रचार के लिए ग्रन्थों का अनुवाद करते हैं। इसी प्रकार पुजारी आम लोगों की प्रार्थना धर्म के पूजा-स्थलों पर देखी जा सकती है।
न्यायालय-
न्यायालयों में अनुवाद अनिवार्य हो जाता है। इसके कई कारण है। न्यायालय के कर्मचारी, वकील और प्रार्थी लोग अदालत के अंग होते हैं। अदालतों की भाषा प्रायः अंग्रेजी होती है। इनमें मुकदमों के लिए आवश्यक कागजात अक्सर प्रादेशिक भाषा में होते हैं, मगर पैरवी अंग्रेजी में होती है।
कार्यालयों में-
हमारे देश के अधिकांश कार्यालयों की भाषा अंग्रेजी है। मुश्किल से पंचायत व गाँवों के स्तर पर प्रादेशिक भाषा का व्यवहार किया जाता है। आम लोगों को अपनी अर्जियाँ तक अंग्रेजी में लिखनी पड़ती है। यहाँ से अनुवाद की प्रक्रिया शुरू होती है। पुलिस, मजिस्ट्रेट जैसे अधिकारियों के कार्यालयों में अनुवाद का जोर रहता है। देवस्वम, रजिस्ट्रेशन जैसे विभागों में निचले स्तर पर प्रादेशिक भाषा काम देती है और ऊपरी स्तर पर अंग्रेजी। चर्चित विषय प्रान्त का रहता है। इसलिए अनुवाद का प्रसंग बराबर उठता है।
शिक्षा का क्षेत्र-
शिक्षा का क्षेत्र अनुवाद के बिना आगे नहीं बढ़ पाता। आधुनिक युग में विज्ञान, समाज-विज्ञान, अर्थशास्त्र, गणित आदि बीसियों विषय सीखे और सिखाये जाते हैं। इनके उत्तम ग्रंथ अंग्रेजी ही नहीं, अन्य विदेशी भाषाओं में भी लिखे हुए है। उनका अनुवाद किए बिना ज्ञान की वृद्धि नहीं हो पाती। भारतीय भाषाओं को अध्ययन का माध्यम बनाने के बाद इसकी अनिवार्यता बढ़ी है। यह अनुवाद भारत में ही हो, सो बात नहीं। जिन अंग्रेजों या रूसियों को भारतीय साहित्य का ज्ञान पाना है उन्हें भारतीय साहित्य का अनुवाद अंग्रेजी या रूसी में प्राप्त करना पड़ता है।
साहित्य-
साहित्य अनुवाद के लिए सबसे उर्वर क्षेत्र प्रमाणित हो चुका है। प्रतिमा देश व भाषा की दीवार नहीं मानती, किन्तु अनुवाद के जरिये ही हम अन्य भाषा की प्रतिभाओं को पहचान सकते हैं। प्राचीन भाषाओं का वाड्मय को आधुनिक युग के पाठक अनुवाद के सहारे ही समझ पाते हैं। हमारे ही देश में कुछ शताब्दियों पहले तक संस्कृत साहित्य खूब पढ़ा जाता था और बहुत लोग संस्कृत जानते थे। अब आधुनिक युग की भाषाओं का जोर है और संस्कृत जानने वाले कम। इसलिए अनुवाद से ही हम संस्कृत की सरसता ग्रहण करते हैं। एक सीमित क्षेत्र की भाषा में लिखें हुए उत्तम साहित्य-ग्रंथ संसार के व्यापक क्षेत्रों की भाषाओं में जब अनुदित होते हैं तब उनका प्रचार व उनके लेखकों का सम्मान बढ़ता है। रवीन्द्रनाथ टैगोर के बंगला छन्द अगर अंग्रेजी में अनुदित करके प्रकाशित न किए जाते तो उन्हें नोबेल पुरस्कार शायद ही मिलता। नोबेल पुरस्कार अब ऐसी भाषाओं की रचनाओं को भी प्राप्त होते हैं जो अत्यन्त सीमित प्रदेश में व्यवह्त होती है।
अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध-
अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध अनुवाद का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र है। विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों का संवाद मौखिक अनुवादक की सहायता से ही होता है। सारे प्रमुख देशों में प्रमुख राष्ट्रों के राजदूत रहते हैं और उनके कार्यालय भी होते हैं। राजदूतों को कई भाषाएँ बोलने का अभ्यास कराया जाता है। फिर भी देशों के प्रमुख प्रतिनिधि अपने विचार अपनी ही भाषा में प्रस्तुत करते हैं। उनके अनुवाद की व्यवस्था होती है। जब कई भाषाओं के वक्ता एक सम्मेलन में अपनी-अपनी भाषा की व्यवस्था की जाती है। इनमें काफी प्रगति भी हुई है। इसके द्वारा देशों में मित्रता बढ़ रही है।
अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान-
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (तकनालाजी) आज सबसे अधिक अनुवाद मांगने वाले क्षेत्र है। इसके दो पहलू होते हैं। एक तो यह है कि विकासशील राष्ट्रों के वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी के आविष्कारों तथा नई गतिविधियों की जानकारी पाने के लिए उतावले रहते है। उनका अन्य भाषा-ज्ञान बहुत सीमित होता है। वे तभी उपर्युक्त जानकारी पा सकते हैं जब उनकी जानी हुई भाषा में अन्य भाषाओं के ग्रंथों का ज्ञान प्राप्त हो। अध्ययन युग में सारी विश्व-भाषाओं में प्राप्त वैज्ञानिक सामग्री का अनुवाद अंग्रेजी में किया जाता है। इसलिए अंग्रेजी का महत्व और भी बढ़ा है। मगर वह महत्व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कम हो रहा है। वैज्ञानिक अनुसंधान में रूस के अग्रसर होने के कारण अब रूसी भाषा को भी समान महत्व दिया जाता है। अमेरिका व इंग्लैण्ड में रूसी ग्रंथों का अनुवाद लोकप्रिय हो चला है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी-
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के गहन अनुसंधान के क्षेत्र में तो सारा लेखन कार्य उन्हीं भाषाओं में किया जाता है। इसीलिए इनके छात्र विदेशी भाषा सीखने को मजबूर होते है। वे विदेशी भाषा की सामग्री अपनी परिचित भाषा में अनुदित कर लेते हैं।
संचार माध्यम-
संचार के माध्यमों में अनुवाद का प्रयोग अनिवार्य होता है। इनमें मुख्य हैं समाचार-पत्र, रेडियों एवं दूरदर्शन। ये अत्यन्त लोकप्रिय हैं और हर भाषा-प्रदेश में इनका प्रचार बढ़ रहा है। प्रादेशिक भाषाओं के समाचार-पत्र समाचारों के लिए सरकारी सूचना, न्यूज एजेंसियों की दी हुई सीमित सामग्री ही प्राप्त होती है।
उदाहरण के लिये- अनुवाद के द्वारा रेडियों सामग्री तैयार की जाती है एवं उसका प्रसारण होता है।
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