इतिहास / History

सन् 1830 ई० और 1848 की क्रांतियों की तुलना | फ्रांस की सन् 1830 ई० तथा सन् 1848 ई० में घटित क्रांतियों की तुलना | फ्रांस की जुलाई-क्रांति 1830 की तुलना फ्रांस की 1848 की क्रांति से

सन् 1830 ई० और 1848 की क्रांतियों की तुलना | फ्रांस की सन् 1830 ई० तथा सन् 1848 ई० में घटित क्रांतियों की तुलना | फ्रांस की जुलाई-क्रांति 1830 की तुलना फ्रांस की 1848 की क्रांति से

सन् 1830 ई० और 1848 की क्रांतियों की तुलना

(Coniparision between the Revolution of 1830 and 1848)

अभिन्नता- प्रो० हेज के शब्दों में, “फरवरी 1840 की क्रांति मूल रूप से जुलाई 1830 की क्रांति से भिन्न नहीं थी। दोनों ही मूलत: राजनीतिक और सूक्ष्म रूप से सामाजिक थीं। दोनों क्रांतियां सुधारवादी थी। एक ने सीमित राजतन्त्र वाला राजतन्त्र स्थापित किया । तो दूसरी ने गणतन्त्र की स्थापना करके सभी व्यस्क लोगों को मताधिकार दे दिया। दोनों ही क्रांतियों ने जनता की प्रभुसत्ता के सिद्धांत को माना। दोनों ने तिरंगे झंडे को राष्ट्रध्वज और ‘मार्सिलेज’ को राष्ट्रगीत के रूप में अपनाया। इन दोनों ही क्रांतियों में सम्पत्ति के स्वामियों की विजय हुई और इन दोनों के ही बाद उन नीतियों को माना गया जो सम्पत्ति के मालिकों की इच्छाओं का प्रतिविम्ब था।”

दोनों क्रांतियों में समानताएँ

1830 तथा 1848 की क्रान्तियों में निम्नलिखित समानताएँ थीं।

(1) दोनो क्रांतियाँ पेरिस नगर में ही जन्मी तथा विकसित हुई, शेष देश इससे एक प्रकार से अछूता ही रहा। ग्रामों में तो क्रांति का जोर नाममात्र का रहा।

(2) दोनो क्रांतियों का कारण राजनीतिक था। सामाजिक कारण गौण तथा छिपे हुए थे।

(3) दोनों ने तिरंगे झंडे को राष्ट्रध्वज तथा ‘मार्सिलेज’ को राष्ट्रगान स्वीकार किया।

(4) दोनों क्रांतियों में निम्न वर्ग ने लड़ाई लड़ी परन्तु लाभ उसे नहीं हुआ।

(5) दोनो क्रांतियों के बाद शासन की बागडोर मध्यम वर्ग के हाथ में आई दोनों ने उन नीतियों को अपनाया जो सम्पत्तिशाली वर्ग की भलाई की थी।

(6) दोनों कंतियों में जनता ने सशक्त विदेशी-नीति की मांग की परन्तु उस मांग की उपेक्षा की गयी।

दोनों क्रांतियों में अन्तर

दोंनो क्रांतियों के अन्तर इस प्रकार थे-

(1) 1830 की क्रांति में राजनीतिक तथा सामाजिक कारण ही मुख्य थे; जबकि 1848 की क्रांति में आर्थिक कारण भी एक प्रधान तत्व था। हेज ने दोनों क्रांतियों की तुलना करते हुए 1848 की क्रांति को राष्ट्रवादी कहा है। 1830 की क्रान्ति चार्ल्स दशम के अत्याचारों के कारण हुई। इस क्रांति में सामंत वर्ग के विशेषाधिकारों का विरोध किया गया था। वे लोग 1789 की क्रांति के परिणामों को समाप्त करना चाहते थे। 1830 की क्रांति चार्ल्स के निरंकुश शासन और कुलीनों तथा सामंतों की प्रतिक्रियावादी नीति का विरोध करने के लिए भी हुई थी। परन्तु 1848 की क्रांति की मशाल समाजवादियों ने भी जलाई थी। इस समय मजदूरों की आर्थिक दशा बहुत खराब थी। उनकी दशा सुधारने के लिए समाजवादियों ने तन-मन से संधर्ष किया। जबकि 1830 की क्रांति में समाजवादियों का कोई ठिकाना नहीं था, जबकि 1848 की क्रांति में इस वर्ग ने बहुत कुछ किया।

(2) 1830 की क्रांति का एक मात्र उद्देश्य निरंकुश शासन तथा प्रतिक्रियावादी नीति को समाप्त करना था। इसी कारण चार्ल्स के भाग जाने के पश्चात् फ्रांसवासियों ने गणतंत्र की नहीं बल्कि संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना की। बूबों राजवंश की मुख्य शाखा को समाप्त करके उस वंश की दूसरी शाखा को ही सिंहासन पर बैठाया गया। परंतु 1848 की क्रान्ति के द्वारा फ्रांस से राजतन्त्र को हटा दिया गया। इस क्रांति के परिणामस्वरूप फ्रांस में गणराज्य की स्थापना की जा सकी। यद्यपि कुछ मध्यमवर्गीय लोगों ने राजतंत्र की स्थापना के लिए जी तोड़ प्रयल किया परन्तु उन्हें सफलता नहीं मिली।

(3) 1848 की क्रांति 1830 की क्रांति से इस रूप से भिन्न थी कि वह यूरोप में पूर्ण रूप से राष्ट्रीय क्रांति थी। 1830 की क्रांति फ्रांस में हुई और बेल्जियम को छोड़कर लगभग सम्पूर्ण यूरोप पर उसका प्रभाव पड़ा। सभी देशों में वैधानिक शासन के लिए आन्दोलन हुए केवल बेल्जियम मे ही आन्दोलन का स्वरूप राष्ट्रीय रहा। इसके विपरीत 1848 की क्रांति का स्वरूप हर स्थान पर राष्ट्र के हितार्थ था।

राष्ट्रीय शासन की स्थापना करना इसने अपना उद्देश्य बना लिया था। जर्मनी, इटली, हंगरी आदि राज्यों में जो आन्दोलन हुए उनमें जनता ने शासकों को हटाकर राष्ट्रीयता के नियमों को मानते हुए शासन स्थापित किया। जहाँ तक फ्रांस का प्रश्न है यह देश काफी समय से एक राष्ट्र था। अतः यहाँ पर जो क्रांति शुरू हुई वह उदारवादी आन्दोलन के रूप में हुई, पर उसका अन्तु एक उदारवादी क्रांति के रूप में हुआ। जिसे हम एक सामाजिक क्रांति भी कह सकते हैं।

(4) 1830 की क्रांति का आधार स्थानीय था। यद्यपि चार्ल्स की विदेश नीति सफल हुई, परन्तु क्रांतिकारियों ने उसकी ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया। इसके विपरीत 1848 की क्रांति के मूल में लुई फिलिप की निष्क्रिय नीति काम कर रही थी। दसरे शब्दों में, प्रथम क्रांति का कारण निरंकुश शासन के प्रति असंतोप था जबकि दूसरी क्रांति कर्मण्यता के विरुद्ध हुई थी।

(5) 1848 की क्रांति ने 1830 की संकुचित निर्वाचन प्रणाली का अंत करके उसके क्षेत्र को बढ़ा दिया तथा मजदूरों की उन्नति के लिए कई सुधारात्मक कानून बनाये गए।

(6) 1830 की क्रांति सामन्तवाद और कुलीनतंत्र के विरुद्ध आन्दोलन था। जबकि 1349 की क्रांति मुख्यत: मध्यम वर्ग की प्रभुसत्ता के विरुद्ध जनमत संगठित किया गया।

(7) 1830 की क्रांति जनता के क्रमिक असंतोष से पैदा हुई वियना कांग्रेस के निर्णय जनता को बुरे लगे, फिर भी वह चुपचाप सब कुछ सहती रहीं। परन्तु जब चार्ल्स दशम के अत्याचारों की सीमा बढ़ गई तब जनता विद्रोह के लिए उठ खड़ी हुई। सन् 1848 की क्रांति के मूल में भी यद्यपि जनता का निरन्तर बढ़ता हुआ असन्तोष ही था, फिर भी यह क्रांति एकदम हो गयी।

निष्कर्ष (Conclusion)

निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि 1848 की क्रांति ने 1630 की क्रांति के परिणामों की रक्षा की। इस क्रांति के परिणाम स्वरूप समाजवाद का विकास हुआ। जिसका यूरोप की राजनीतिक, आर्थिक व्यवस्था और सामाजिक सिद्धांतों पर गहरा प्रभाव पड़ा।

लिप्सन के शब्दों में, “सन् १७३० की क्रांति अभिजात वर्ग के विशेषाधिकारियों के विरूद्ध थी। और सन् १८४८ की क्रांति मध्यम वर्ग के शासन के विरुद्ध । पहली ने सामाजिक समानता स्थापित की और दूसरी ने राजनीतिक समानता।”

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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