संयुक्त राज्य अमरीका में संघवाद

संयुक्त राज्य अमरीका में संघवाद | Federalism in the United States of America in Hindi

संयुक्त राज्य अमरीका में संघवाद | Federalism in the United States of America in Hindi

संयुक्त राज्य अमरीका में संघवाद

संयुक्त राज्य अमरीका में संघ का निर्माण स्वतन्त्र राज्यों द्वारा हुआ, जिन्होंने अपनी प्रभुता का कुछ अंश संघात्मक सरकार को सौंपा। इसके विपरीत भारत और कनाडा में एकात्मक सरकार को संघात्मक रूप दिया गया है और इकाइयों को स्वाधीन शासन के अधिकार प्रदान किये गये । संयुक्त राज्य अमेरिका की संघात्मक (अथवा राष्ट्रीय) सरकार अपने क्षेत्राधिकार में स्वतन्त्र है, परन्तु यह शासन-संचालन सुगमतापूर्वक तभी कर सकती है जबकि राज्य सरकारें अपने-अपने क्षेत्र में अपने कृत्यों का पालन करें। इस दृष्टि से राष्ट्रीय सरकार राज्यों के अस्तित्व पर निर्भर है।

संविधान द्वारा संघ सरकार और राज्य सरकारों की शक्तियाँ विभाजित कर दी गई हैं। शक्तियों का विभाजन इन आधारों पर हुआ है-

(1) संघ सरकार को अनेक महत्वपूर्ण शक्तियाँ स्पष्ट रूप से संविधान द्वारा दी गयी हैं।

(2) संघ सरकार को कुछ निहित शक्तियाँ (implied powers) भी प्राप्त हैं।

(3) कुछ शक्तियाँ ऐसी हैं जो राज्यों के लिए आरक्षित (reserved) हैं।

(4) कुछ शक्तियाँ समवर्ती (concurrent) हैं अर्थात् जिनका प्रयोग संघ और राज्य सरकारें कर सकती हैं।

प्रदान की गयी शक्तियाँ-

कर लगाना, ऋण लेना और सिक्के बनाना, डाकखाने और डाक मार्ग स्थापित करना, पेटेन्ट और कॉपीराइट प्रदान करना, अन्तर्राज्यीय और वैदेशिक वाणिज्य विनियमित करना, सेना और नाविक सेना रखना, प्रदेशों और सम्पत्ति का शासन करना, वैदेशिक सम्बन्धों का संचालन करना और नाप तथा तोल के पैमाने नियत करना। संविधान की धारा 1 और 8 में वर्णित इन शक्तियों के अतिरिक्त कांग्रेस को संविधान द्वारा इन शक्तियों तथा अन्य शक्तियों के संचालन के लिए सभी प्रकार के आवश्यक और उचित कानून बनाने की शक्ति भी मिली है।

राज्य सरकारों की शक्तियाँ-

(1) जो उनके लिए आरक्षित हैं-राज्य के आन्तरिक वाणिज्य को विनियमित करना, स्थानीय शासन स्थापित करना, जीवन और सम्पत्ति की रक्षा और व्यवस्था करना, चुनावों का संचालन करना, राज्य के शासन और संविधान में परिवर्तन करना आदि।

(2) राज्यों को जिन शक्तियों की मनाही की गई है वे हैं-सेना न रखना, सन्धि न करना, व्यक्तियों को कानून के संरक्षण से वंचित करना, संघीय संविधान तथा कानूनों में बाधा डालना, व्यक्तियों को प्रजाति (race), रंग अथवा लिंग के आधार पर मताधिकार से वंचित करना, इत्यादि।

संघ एवं राज्य सरकारों की समवर्ती शक्तियाँ-

कर लगाना, ऋण लेना, बैंक तथा कॉर्पोरेशन को चार्टर देना, कानून बनाना और उन्हें लागू करना, सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए सम्पत्ति लेना और सामान्य कल्याण के लिए व्यवस्था करना।

देश का सर्वोपरि कानून-

संविधान और उसके अन्तर्गत बनाये गये कानून, संयुक्त राज्य अमरीका की सत्ता के अधीन की गयी या की जाने वाली सन्धियाँ राज्य के सर्वोच्च कानून हैं। यदि कभी किसी प्रश्न पर संघ एवं राज्यों के बीच कोई विवाद उठे तो उसका अन्तिम निर्णय न्यायपालिका करती है। संविधान का निर्वचन करने तथा अतिक्रमण करनेवाले कानूनों को अवैध घोषित करने की शक्तियाँ भी संघात्मक न्यायपालिका को प्राप्त है। इसी कारण न्यायपालिका को संविधान का संरक्षक कहा जाता है।

राज्यों की स्थिति-

राज्यों पर मुख्यतः प्रतिबन्ध अथवा सीमाएँ इस प्रकार हैं-

(1) कोई भी राज्य किसी भी सन्धि या समझौतों पर आधारित संगठन (alliance) अथवा परिसंघ (confederation) में प्रवेश नहीं कर सकता। इसी धारा से संघ को वैदेशिक सम्बन्धों में अनन्य नियन्त्रण (exclusive control) प्राप्त हो गया है। उदाहरण के लिए न्यूयार्क राज्य कनाडा के साथ सेन्ट लॉरेन्स नदी के विषय में भी कोई समझौता नहीं कर सकता।

(2) राज्य सरकारें सिक्के नहीं बना सकतीं।

(3) कांग्रेस की सहमति के बिना राज्यों को सेना तथा युद्ध के जहाज रखने का अधिकार नहीं है। इसके अतिरिक्त कोई राज्य अपने आप युद्ध में भी प्रवेश नहीं कर सकता।

(4) राज्यों को आयात और निर्यात पर कर लगाने अधिकार नहीं हैं।

(5) संविधान ने मताधिकार के सम्बन्ध में प्रायः सम्पूर्ण शक्तियाँ राज्यों को सौंपी थीं, परन्तु पन्द्रहवें और उन्नीसवें संशोधन द्वारा स्थिति बहुत बदल गयी है।

संघ और राज्यों के एक-दूसरे के प्रति दायित्व (Obligations)–

संघ सरकार के राज्यों के प्रति दायित्व हैं-

(1) किसी भी राज्य की सीमाओं में उसकी सहमति के बिना संघ सरकार कोई परिवर्तन नहीं कर सकती।

(2) संघ सरकार के लिए प्रत्येक राज्य की विदेशी आक्रमण के विरुद्ध रक्षा करनी आवश्यक है।

(3) संघ सरकार की ओर से प्रत्येक राज्य को यह प्रत्याभूति (guarantee) है कि वहाँ गणतन्त्रीय शासन बना रहेगा और यदि कभी राज्य को आन्तरिक अव्यवस्था या क्रान्ति से खतरा हो तो संघ सरकार उस राज्य की सहायता करेगी।

(4) संघ की सीनेट में प्रत्येक राज्य का सम प्रतिनिधित्व रहेगा।

(5) संघ सरकार आन्तरिक कर इस प्रकार से लगायेगी कि वे सम्पूर्ण राज्य में एकरूप हों और किसी राज्य- विशेष के विरुद्ध भेद-भाव की नीति पर आधारित न हों। इसी प्रकार राज्यों के संघ सरकार के प्रति अनेक दायित्व हैं-प्रथम, चुनावों के लिए संघ सरकार की कोई पृथक् व्यवस्था नहीं है, अतः राज्य सरकारें ही संधीय अधिकारियों-कांग्रेस, राष्ट्रपति एवं उप-राष्ट्रपति के चुनावों का संचालन करती हैं। दूसरे, राज्यों को संविधान में संशोधन की प्रक्रिया में भाग लेना होता है।

अब यथार्थ स्थिति यह है कि प्रभुता का अधिवास कहीं भी हो, संघीय सरकार की सर्वोपरिता स्थापित हो गयी है। विभिन्न कारणों से संघ सरकार की सत्ता में अप्रत्याशित वृद्धि हो गयी है। इन कारणों का संक्षिप्त विवेचन यहाँ दिया जाता है-

(1) संघ सरकार को सौंपी गयी शक्तियों का प्रयोग सम्पूर्ण राज्य क्षेत्र और नागरिकों के ऊपर किया जाता है। स्वभावत: उसकी शक्तियों का महत्व राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय है। वर्तमान युग में सभी देशों में केन्द्रीयकरण की दिशा में वृद्धि हुई है और यह बात संयुक्त राज्य अमरीका के सम्बन्ध में पूर्णत: सत्य है। वैदेशिक सम्बन्धों और अन्तर्राष्ट्रीयता के विकास के परिणामस्वरूप संघ सरकार की शक्तियों का महत्व बहुत बढ़ गया है।

(2) संघ सरकार की स्थापना से पृथकत्व की भावना कम हुई है और राष्ट्रीय एकता बहुत सीमा तक सुदृढ़ हो गयी है। गृह युद्ध के परिणाम राष्ट्रीयता को सुदृढ़ बनाने वाले सिद्ध हुए हैं। संघ सरकार के प्रायः सभी विभागों ने राष्ट्रीयता, केन्द्रीकरण एवं एकत्व की प्रवृत्तियों को सुदृढ़ बनाने में महत्वपूर्ण योग दिया है।

(3) निहित शक्तियों के सिद्धान्त के अनुसार संघ सरकार की शक्तियों का विस्तार बहुत बढ़ गया है।

(4) विश्व युद्धों तथा राष्ट्रीय आपातों के दौरान संघ सरकार की शक्तियों में विशेष रूप से वृद्धि हुई है।

(5) संघ सरकार राज्यों को बहुत से कार्यों के लिए अनुदान (grant) देती है। इस अनुदान-पद्धति से संघ सरकार के कार्यों का क्षेत्र बहुत अधिक विस्तृत हो गया है और उसका महत्व भी अत्यधिक बढ़ा है। संघ सरकार राज्यों को बहुत से कार्यों एवं योजनाओं के लिए पूर्ण धनराशि अनुदान के रूप में देती है या कुल व्यय का कुछ प्रतिशत देती है। इन कार्यों तथा योजनाओं के संचालन की देख- रेख में संघ सरकार का कम या अधिक भाग रहता है।

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