राजनीति विज्ञान / Political Science

संघ तथा संघीय इकाइयों के बीच सम्बन्ध | अमरीका की संघीय व्यवस्था के लक्षण | स्विट्जरलैण्ड में संघीय शासन | संघवाद का भविष्य | संधवाद पतन की ओर

संघ तथा संघीय इकाइयों के बीच सम्बन्ध | अमरीका की संघीय व्यवस्था के लक्षण | स्विट्जरलैण्ड में संघीय शासन | संघवाद का भविष्य | संधवाद पतन की ओर

अमरीका, सोवियत संघ और स्विटजरलैण्ड के संघ तथा संघीय इकाइयों के बीच सम्बन्ध

अमरीका में संघीय व्यवस्था है। भारत, रूस, स्विटजरलैण्ड, कनाडा, आस्ट्रेलिया आदि देशों में भी संघीय व्यवस्था है। परन्तु इन देशों में संघीय व्यवस्था के सभी लक्षण उपस्थित नहीं हैं इसलिये बहुत से विद्वानों ने उक्त देशों की व्यवस्था को अर्ध संघीय माना है।

अमरीका की संघीय व्यवस्था के लक्षण

(1) संयुक्त राज्य की इकाइयाँ- अमरीकन संघ के निर्माण के समय इन इकाइयों की संख्या केवल 13 थी जो अब बढ़कर 50 हो गई हैं। काग्रेंस संघ में नये राज्यों को सम्मिलित कर सकती है।

(2) इकाई राज्य की सीमाओं में परिवर्तन- राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन या किसी नवीन राज्य का निर्माण सम्बन्धित राज्यों की स्वीकृति से ही किया जा सकता है।

(3) इकाई राज्य संघ से पृथक् नहीं हो सकते- अमरीकन संघ में एक बार सम्मिलित हो जाने पर उससे किसी इकाई को पृथक् होने का अधिकार नहीं है।

(4) राज्यों की समानता- जनसंख्या एवं क्षेत्रफल की दृष्टि से राज्यों में अत्यधिक विभिन्नता है; किन्तु इस विभिन्नता के पश्चात् भी सभी राज्य वैधानिक दृष्टि से समान हैं। सभी राज्यों को समान अधिकार प्राप्त है। प्रत्येक राज्य से सीनेट के दो सदस्य चुने जाते हैं।

(5) संघ और राज्यों के बीच शक्तियों का वितरण- संघ सरकार की शक्तियाँ राज्यों के लिये सुरक्षित हैं।

स्वतन्त्र देशों का राष्ट्र कुल (सी० आई० एस) की संघीय व्यवस्था- भूतपूर्व सोवियत संघ विघटन के बाद 11 गणराज्यों के समेकित स्वतत्र राष्ट्रकुल के रूप में उदय हुआ है। पहले की भाँति प्रत्येक गणराज्यों के अपने संविधान है। चार वाल्टिक गणराज्य राष्ट्रकुल में शामिल नहीं है।

रूस में संघात्मक शासन व्यवस्था में निम्नलिखित लक्षण उपस्थित हैं:-

(i) लिखित एवं स्पष्ट संविधान है।

(ii) संघीय सरकार और गणराज्यों (इकाइयों) के बीच शक्तियों का स्पष्ट वितरण ।

(iii) संघीय गणराज्यों के पृथक् संविधान हैं।

(iv) रूस में भी संविधान के द्वारा किसी संयुक्त गणराज्य के क्षेत्र में उसकी स्वीकृति के बिना परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।

संघीय सरकार तथा इकाइयों के मध्य सम्बन्ध- यद्यपि रूस में इकाइयों से निम्नलिखित अधिकार प्राप्त हैं परन्तु वास्तव में ये केवल सिद्धान्त रूप में ही हैं:-

(i) किसी भी संघीय शासन में इकाइयों को संघ से अलग होने का अधिकार नहीं है परन्तु सोवियत संघ में गणराज्यों को अलग होने का भी अधिकार है।

(ii) सोवियत संघ में गणराज्यों को विदेशी राज्यों से सीधे सम्बन्ध स्थापित करने का अधिकार प्राप्त है। वे अन्तर्राष्ट्रीय समझौते में भी भाग ले सकते हैं।

(iii) गणराज्यों को अपनी अलग सेनायें रखने का भी अधिकार है।

उपर्युक्त बातों के अध्ययन से ऐसा लगता है जैसे गणराज्यों को स्वायत्तता प्राप्त है जबकि वास्तविकता कुछ और है। जितना सिद्धान्त और व्यवहार में रूस में अन्तर पाया जाता है उतना संसार के किसी देश में नहीं मिलता।

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि रूस का संविधान सांस्कृतिक दृष्टि से संघात्मक तथा राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से एकात्मक है।

स्विट्जरलैण्ड में संघीय शासन-

स्विस संघ में 19 पूर्ण कैन्टन और 6 अर्ध कैन्टन हैं। स्विटजरलैण्ड को 22 सम्प्रभुतासम्पन्न कैन्टनों का राज्य संघ कहा गया है। यद्यपि संविधान में स्वीस संघ को राज्य संघ अथवा राज्य मण्डल शब्द ही प्रयोग किया गया है फिर भी वह वास्तव में संघीय राज्य है। रेपर्ड ने कहा है कि स्वीस संविधान में ‘राज्य संघ’ और ‘प्रभुता- सम्पन्न’ दोनों ही शब्द अलग प्रयोग किये गये हैं। स्विट्जरलैण्ड में इकाइयों से संविधान द्वारा कोई स्वतन्त्र सत्ता प्राप्त नहीं है; अतः इसे ‘राज्य संघ’ कहना उचित नहीं है।

स्वीस संघ में वे सभी संघीय शासन के आवश्यक तत्व मौजूद हैं जो किसी संघीय शासन में होने चाहिए। यहाँ पर केन्द्र एवं कैन्टनों की पृथक्-पृथक् शासन-व्यवस्था है। संघीय विधान मण्डल के द्वितीय सदन में सभी कैन्टनों को समान प्रतिनिधित्व प्राप्त है। इसका संविधान लिखित और कठोर भी है जो संघीय शासन के लिये आवश्यक है। संविधान को सर्वोच्चता प्रदान की गई है। स्विस सर्वोच्च न्यायालय को संविधान की व्याख्या करने का अधिकार नहीं है। और उसे केन्द्रीय विधान मण्डल द्वारा पारित कानून को रद्द घोषित करने का भी अधिकार प्राप्त नहीं है। केन्द्र एवं कैन्टनों के बीच शक्तियों का वितरण भी किया गया है। कैन्टनों की सरकारों को भी संविधान संशोधनों का अधिकार प्राप्त है।

संविधान में विभिन्न संशोधनों के होने से स्वीस संघ की केन्द्रीयकरण की प्रवृत्ति बढ़ रही है।

स्वीस तथा अमरीकन संघ में तुलना- दोनों के केन्द्रों की शक्तियाँ लेखबद्ध की गई हैं। इकाइयों का निर्माण पारस्परिक समझौते से हुआ है। दोनों में केन्द्रीयकरण की प्रवृत्ति दिखाई देती है।

असमानता- अमरीका में शक्ति-पृथक्करण के सिद्धान्त को सर्वोच्चता दी गई है जबकि स्वीस संघ में नहीं। अमरीका में कार्यपालिका शक्ति एक व्यक्ति के पास है जबकि स्वीस में सात व्यक्तियों के पास । स्वीट्जरलैण्ड में अमरीका की भाँति न्यायिक प्रधानता नहीं है। अमरीका में स्वीस के उच्च सदन से अधिक सीनेट का महत्ता प्राप्त है। अमरीका में उपसंघीय न्यायालय भी  है जबकि स्वीट्जरलैण्ड में एक संघीय न्यायालय है।

संघवाद के विभिन्न नमूने (Patterns)- संघवाद का यथार्थ रूप जानने के लिये किसी राज्य के संविधान में शक्तियों के विभाजनसम्बन्धी प्रावधानों अर्थात् केन्द्र (संघ) एवं इकाई राज्यों के बीच सम्बन्धों को जानना जरूरी है। इसके आगे संघवाद को व्यवहार में किस प्रकार लागू किया गया है, यह किसी राज्य के शासन का विश्लेषण करके ही जाना जा सकता है।

शक्तियों का वितरण

अन्य संघीय संविधानों की तरह स्विट्जरलैण्ड में भी संविधान द्वारा शक्तियों का वितरण किया गया है। ब्राइस के अनुसार, संघ और कैण्टनों की सरकारों के बीच शक्तियों का वितरण अमरीकी और आस्ट्रेलियाई संघों के समान है। संघ सरकार को स्वतन्त्र कैण्टनों से अनेक शक्तियाँ प्राप्त हुई हैं। इन शक्तियों में मुख्य संघ सरकार की अनन्य शक्तियाँ हैं, जिनका संक्षिप्त वर्णन यहाँ दिया जाता है। संघीय सरकार को वैदेशिक सम्बन्धों पर नियन्त्रण प्राप्त है, किन्तु संघ सरकार की स्वीकृति से कैण्टन आपस में तथा पड़ोसी राज्यों से सीमा तथा पुलिस आदि के विषय में समझौते कर सकते हैं। संघीय सरकार ही युद्ध की घोषणा कर सकती है, शान्ति-सन्धि कर सकती है और वही राष्ट्रीय सेना का प्रबन्ध करती है। एक-दो रेल-मार्गों को छोड़कर सभी रेल-मार्गों का स्वामित्व तथा संचालन केन्द्रीय सरकार के हाथों में है। संघीय सरकार सभी संघीय सम्पत्ति का प्रशासन करती है; डाक और तार, कॉपीराइट, मुद्रा और राष्ट्रीय वित्त, बैंक और आयात तथा निर्यात महसूल आदि भी संघीय सरकार के अधीन हैं। संघ सरकार का ही जल-शक्ति पर नियन्त्रण है और उसे शराब और बारूद के उत्पादन पर एकाधिकार प्राप्त है।

समवर्ती शक्तियाँ

संघ सरकार की कुछ समवर्ती शक्तियाँ भी प्राप्त हैं अर्थात् संघ सरकार कुछ शक्तियों का प्रयोग कैण्टनों की सरकारों के साथ-साथ करती है। इस क्षेत्र में ये विषय सम्मिलित हैं औद्योगिक दशाएँ, बीमा, राज-मार्ग आदि की देख-रेख और समाचारपत्रों तथा शिक्षा का विनियमन। जब संघ सरकार ऐसे विषयों के बारे में कानून बनाती है तो उसके कानूनों को कैण्टनों के कानूनों के ऊपर मान्यता मिलती है। भारत के संविधान में इन शक्तियों की सूची काफी बड़ी है। संविधान की धारा 42 के अनुसार संघ सरकार की आय के स्रोत हैं-

(1) डाक, तार, टेलीफोन आदि संघीय सम्पत्ति,

(2) रेलवे,

(3) संघीय आयात और निर्यात महसूल,

(4) बारूद के एकाधिकारी उत्पादन,

(5) सैनिक सेवा से मुक्त व्यक्तियों पर कैण्टनों द्वारा लगाये गये करों का आधा भाग, और

(6) कैण्टनों पर उनके धन, जनसंख्या और साधनों की दृष्टि से संघ सरकार द्वारा निर्धारित अंशदान । संयुक्त राज्य अमरीका की तरह स्विट्जरलैण्ड की संघीय सरकार भी नागरिकों पर प्रत्यक्ष कर नहीं लगा सकती।

संधवाद पतन की ओर (Federalism on the Decline)- 

हाल के वर्षों का अनुभव बताता है कि संघवाद का क्रमिक रूप से ह्रास हो रहा। क्योंकि अधिकतर राज्यों में केन्द्रीय सरकारें राज्यों की स्वायत्तता तथा अधिकारों में वृद्धिपूर्ण मात्रा में हस्तक्षेप करने लगी है। इस स्थिति के लिए निम्नलिखित कारकों को उत्तरदायी कहा जा सकता है:-

(i) राष्ट्रीय राजनीतिक दलों, बहुलवादी समूहों (Pluralistic groups), यथा सर्वदेशीय महत्व के मजदूर संघों, व्यापारियों के संघों आदि ने राज्यों/प्रान्तों की स्वायत्तता को व्यवहार में कम किया है।

(ii) आर्थिक नियोजन ने भी राज्यों की स्वायत्तता अथवा संघवाद के तत्त्व को क्षीण किया है।

(iii) राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में अब सम्पूर्ण देश के लिए एकरूप निर्णयों का किया जाना आवश्यक और लाभकारी समझा जाने लगा है।

(iv) प्रतिरक्षा (Defence) को सुदृढ़ बनाना, बाह्य आक्रामक कार्यवाही (External aggression) के खतरे से बचने के लिए आवश्यक हो गया है। यही बात विदेश नीति के बारे में भी लागू होती है।

संघवाद का भविष्य (Future of Federalism)-

संघों में समकालीन प्रवृत्तियों के कारण कई संविधानशास्त्रियों ने उन्हें चिन्ता की दृष्टि से देखा है। उदाहरण के लिए, फ्रेडरिक ने अमरीकी पद्धति की कार्य-शैली के बारे में कहा है-“एकीकृत और उच्च मात्रा में औद्योगीकृत राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था हमें अपने संघात्मक नमूने को त्यागने के लिए विवश कर सकती है।” सेट (Sait) और विलोबी (Willoughby) जैसे विद्वानों ने कहा है कि भविष्य में संघ एकात्मक पद्धतियों में बदल जायेंगे। परन्तु कुछ दूसरे विद्वान इस बात को नहीं मानते । उनमें सबसे मुख्य ह्वीयर हैं, जिसका संघवाद के बारे में कथन है-“जिस तरीके से संघीय सरकारों का इकाई राज्यों की कीमत पर महत्व बढ़ा है और उनकी शक्ति भी बढ़ी है, उससे कुछ अध्ययनकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला है कि संघात्मक शासन तो एकात्मक शासन की स्थापना में मंजिल से अधिक कुछ नहीं है। यह एक भविष्यवाणी है, ऐतिहासिक निर्णय नहीं है, क्योंकि अभी तक कोई संघात्मक सरकार एकात्मक में नहीं बदली है।”

इन बातों के आधार पर बिलोबी ने निष्कर्ष निकाला है कि संघात्मक शासन का भविष्य इतना अन्धकारमय नहीं है जैसा कि कुछ विद्वान सोचते हैं। सभी संघात्मक राज्यों में कुछ प्रादेशिक सरकारें संघवाद को चाहती हैं। इस प्रकार का कोई निर्णायक साक्ष्य नहीं है कि संघवाद एकात्मक शासन की स्थापना में केवल एक मंजिल है। हमारे विचार में भी संघवाद का भविष्य इतना कमजोर नहीं है। गिलक्राइस्ट ने ठीक ही कहा है कि संघवाद आधुनिक विश्व में निश्चित रूप से स्थापित हो गया है। यहाँ यह भी कहना उचित होगा कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद अनेक राज्यों ने संघवाद को अपनाया है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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