सिन्धु घाटी की सभ्यता एवं संस्कृति के निर्माता | क्या आर्य सिन्धु सभ्यता के निर्माता थे | क्या सुमेरियन सिन्धु सभ्यता के निर्माता थे | क्या द्रविड़ जाति सिन्धु सभ्यता की निर्माता थी | क्या मिश्रित जातियाँ सिन्धु सभ्यता की निर्माता थीं

सिन्धु घाटी की सभ्यता एवं संस्कृति के निर्माता | क्या आर्य सिन्धु सभ्यता के निर्माता थे | क्या सुमेरियन सिन्धु सभ्यता के निर्माता थे | क्या द्रविड़ जाति सिन्धु सभ्यता की निर्माता थी | क्या मिश्रित जातियाँ सिन्धु सभ्यता की निर्माता थीं

सिन्धु घाटी की सभ्यता एवं संस्कृति के निर्माता

विवादास्पद विषय

सिन्धु सभ्यता तथा संस्कृति विश्व के सांस्कृतिक इतिहास का प्राचीनतम अध्याय है। अति प्राचीन होने के कारण इस संस्कृति के निर्माताओं के विषय में परिचय देने वाले सूत्रों तथा स्रोतों का अभाव है। डा० राधाकुमुद मुखर्जी ने इस सभ्यता तथा संस्कृति के निवासी या निर्माताओं के विषय में लिखा है ‘मोहनजोदड़ो से प्राप्त नर कंकालों से चार नस्लों का प्रमाण मिलता है, अर्थात् आद्यनिषाद, भूमध्य सागर से सम्बन्धित जन, मंगोल तथा अल्पाइन ।……इस प्रकार सिन्धु घाटी की जनता नाना दिगदेशगत थी।’ इस विचार के विपरीत सर्वश्री रामचन्द्रन, शंकरानन्द, पुसलेकर तथा दीक्षितार आदि विद्वान वैदिक आर्यों को सिन्धु संस्कृति के निर्माता मानते हैं । कतिपय अन्य विद्वानों का अभिमत है कि इस सभ्यता एवं संस्कृति के निर्माता वे थे जो आर्यों के आगमन से पूर्व यहाँ पर निवास करते थे। एक अन्य मतानुसार ऋग्वेद में वर्णित ‘दास-दस्यु’ सिन्धु सभ्यता के निवासी तथा निर्माता थे। डा० सुनीत कुमार, फादर हेरास तथा हाल के अनुसार इस सभ्यता के निर्माता द्रविड़ थे। गार्डन चाइल्ड ने सुमेरियनों को सिन्धु सभ्यता का निर्माता माना है।

उपरोक्त मतवैभिन्य ने सिन्धु सभ्यता तथा संस्कृति के निर्माता या निवासियों के प्रश्न को जटिल बना दिया है। सही वस्तुस्थिति का परिचय पाने के लिये हमें इस प्रश्न पर निम्नलिखित रूप से विचार करेंगे।

  1. क्या आर्य सिन्धु सभ्यता के निर्माता थे ?

तर्क- आर्यो को सिन्धु सभ्यता का निर्माता मानने वाले विद्वत् वर्ग का प्रमुख तर्क यह है कि आर्यों की ऋग्वैदिक तथा सिन्धु घाटी की सभ्यता में समानता है।

खण्डन- इस मत को स्वीकार करने में निम्नलिखित बाधायें हैं-

(1) आर्य सभ्यता कृषि तथा ग्राम प्रधान थी, जबकि सिन्धु सभ्यता व्यापार, व्यवसाय तथा नगर प्रधान थी।

(2) आर्य युद्ध प्रिय थे जब कि सिन्धु निवासी शान्तिप्रिय प्रतीत होते हैं।

(3) ऋग्वैदिक आर्यों को अग्नि से विशेष प्रेम था, जबकि सिन्धु निवासी जल से प्रेम करते थे।

(4) आर्यों के लिये गाय माता समान थी तो सिन्धु निवासी बैल को प्रमुखता देते थे।

(5) वैदिक संहिताओं के अनुसार आर्य देवताओं में विश्वास रखते थे तथा हड़प्पा के निवासी असुर थे।

(6) आर्य भस्मान्त शरीर में विश्वास रखते थे जब कि सिन्धु सभ्यता के निवासी भौतिक शरीर को आत्मा मानकर उसे विरकाल तक सुरक्षित रखने का यत्न करते थे।

(7) आर्यों तथा सिन्धु निवासियों की शारीरिक रचना में पर्याप्त भेद है।

(8) आर्यों तथा सिन्धु निवासियों की धार्मिक मान्यताएं भिन्न तथा परस्पर विरोधी हैं।

(9) आर्य ताम्र, सीसा. कांसा, सोना, चाँदी तथा लोहे का प्रयोग करते थे जब कि सिन्धु निवासी पाषाण, लकड़ी, ताम्र तथा काँसे का ही प्रयोग करते थे।

निष्कर्ष- आयों तथा सिन्धु निवासियों की उपरोक्त भिन्नता के कारण हम सर जॉन मार्शल के इस कथन से सहमत हैं कि ‘सिन्धु सभ्यता तथा आर्य सभ्यता के निर्माता, इन सभ्यताओं को विषमता के कारण किसी भी दशा में एक नहीं हो सकते।’ अतः आर्य जाति सिन्धु सभ्यता की निर्माता या निवासी नहीं थी।

  1. क्या सुमेरियन सिन्धु सभ्यता के निर्माता थे ?

तर्क- गाईन चाइल्ड तथा डा० हाल का अभिमत है कि सिन्धु सभ्यता के निर्माता सुमेरियन थे। इस विषय में वे निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत करते हैं-

(1) सिन्धु तथा सुभेरियन सभ्यता एवं संस्कृति में समानता है।

(2) द्रविड़ जाति मूलतः सुमेरियन थी।

खण्डन

(1) सुमेरियन सभ्यता युद्ध प्रिय थी जब कि सिन्धुजन शान्तिप्रिय थे।

(2) सुमेरियन गृहों का निर्माण कच्ची ईंटों द्वारा किया जाता था जब कि सिन्धु गृहों का निर्माण पकाई हुई ईंटों द्वारा हुआ था।

(3) सुमेरियन मन्दिर बनवाते थे जब कि सिन्धु घाटी की सभ्यता के अवशेषों में मन्दिर का कोई प्रमाण नहीं मिलता।

(4) सुमेरियनों की निर्माण शैली में आकर्षकता तथा अलंकरण है जबकि सिन्धु घाटी के निर्माण सादे तथा मजबूत हैं।

(5) सिन्धु घाटी की सभ्यता में पाषाणकाल से लेकर धातु युग का संक्रमणकाल दृष्टिगोचर होता है जब कि सुमेरियन सभ्यता एकांगी थी।

(6) सुमेरियनों तथा द्रविड़ों को एक जाति नहीं माना जा सकता।

निष्कर्ष- सिन्धु घाटी तथा सुमेरियन सभ्यता एवं संस्कृति की उपरोक्त विषमताएं हमें इस निष्कर्ष पर पहुँचाती हैं कि इन दोनों सभ्यताओं में आधारभूत भिन्नता है। डा० राधाकुमुद मुखर्जी के अनुसार-

“The Indus valley civilisation is not closely connected with nor borrowed from Mesopotamian civilisation.”

  1. क्या द्रविड़ जाति सिन्धु सभ्यता की निर्माता थी ?

तर्क- अनेक विद्वान, जिनमें राखालदास बनर्जी महोदय प्रमुख हैं, यह मानते हैं कि सिन्धु घाटी सभ्यता के निर्माता द्रविड थे। इन मत के आधार ये हैं-

(1) आर्यो के आगमन से पूर्व द्रविड़ जो बाहुई भाषा का प्रयोग करते थे-उत्तर पश्चिमी भारत में निवास करते थे। आयोनि उन्ले पराजित करके दक्षिणी भारत की ओर भगा दिया।

(2) आर्यों द्वारा दक्षिणी भारत की ओर भगाई जाने वाली द्रविड़ जाति सिन्धु सभ्यता के अनुरूप मातृदेवी तथा शिव के रुद्ररूप की उपासना करती है।

(3) द्रविड़ों तथा सिन्धु निवासियों में अधोवस्त्र धारण करने की समानता है। तामिलनाडु में आज भी यही पहनावा प्रमुख है।

खण्डन- द्रविड़ों तथा सिन्धु निवासियों की उपरोक्त समानता कोई निश्चित निष्कर्ष देने में असमर्थ है। इन दोनों की विषमताएं निम्नलिखित हैं-

(1) द्रविड़ सभ्यता में राज्य का शासक राजा था जब कि सिन्धु सभ्यता में राजा के अस्तित्व को प्रमाणित करने वाले साक्ष्य का अभाव है।

(2) द्रविड़ों की जाति की निश्चित परिभाषा कठिन है क्योंकि वे स्वयं मिलावट से बने प्रतीत होते हैं।

(3) मोहनजोदड़ो से प्राप्त थोड़े से नर कंकालों की पहचान से सिन्धु घाटी के निवासियों को द्रविड़ मान लेने का कोई औचित्य नहीं है।

निष्कर्ष- उपरोक्त तर्को तथा उनके खण्डन के द्वारा हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि सिन्धु सभ्यता तथा संस्कृति के निर्माता होने का श्रेय एकमात्र द्रविड़ों को नहीं दिया जा सकता।

  1. क्या मिश्रित जातियाँ सिन्धु सभ्यता की निर्माता थीं ?

तर्क- मोहनजोदड़ो, हड़प्पा तथा चन्दुदड़ो से प्राप्त नर कंकालों का निरीक्षण तथा परीक्षण करने पर सिन्धु निवासियों की शरीर रचना का पता चलता है। इस आधार पर यहाँ के निवासियों को चार वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-

(1) आधनिषाद-जिनके वर्तमान वंशज कोल, भील आदि हैं।

(2) भूमध्य सागर से सम्बन्धित जन-ये एशिया के दक्षिणी भाग से आये थे।

(3) मंगोल-ये किरात वंश के थे तथा पूर्वी एशिया से आये थे।

(4) अल्पाइन-ये पश्चिमी एशिया से आये थे।

मोहनजोदड़ो से प्राप्त पाषाण प्रतिमायें इस विश्वास को बल प्रदान करती हैं कि यहाँ के निवासी मिश्रित जाति के थे।

खण्डन- सिन्धु घाटी के निर्माताओं को मिश्रित जाति प्रमाणित करने वाले मत का खण्डन निम्नलिखित तर्कों द्वारा किया जा सकता है-

(1) विभिन्न जातियों के नरकंकालों की एक स्थान पर प्राप्ति द्वारा यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि यहाँ के निवासी मिश्रित जाति के थे। विभिन्न जातियों के नरकंकाल एक साथ पाये जाने के अन्य कारण भी हो सकते हैं।

(2) विभिन्न जातियों के लोग अपनी मातृ भूमि को छोड़ कर सिन्धु घाटी में इकट्ठे हों तथा एक सभ्यता का निर्माण करें-यह विचार असंगत सा लगता है।

निष्कर्ष- सिन्धु सभ्यता के निर्माता मिश्रित जाति के थे–यह विचार सत्यता के निकट प्रतीत होता है। फिर भी हम इसे निश्चित मत नहीं मान सकते।

  1. हमारा मत

सिन्धु सभ्यता के निर्माताओं के विषय में विभिन्न मतों के प्रतिपादकों ने जो कुछ भी प्रतिपादित किया है वह केवल अनुमान मात्र है। अनुमान सत्य भी हो सकते हैं और मिथ्या भी।

इस विषय में वास्तविक वस्तुस्थिति का निरूपण करते हुए डा० आर० सी० मजूमदार ने लिखा है-

It is impossible to come to any definite conclusion on this point and there is every possibility that the people of the Indus valley might have belonged to an altogether different race.

वर्तमान परिस्थितियों तथा प्रमाणों के आधार पर हमें यही विचार ठीक प्रतीत होता है।

सिन्धु सभ्यता के निर्माता चाहे जो भी रहे हो, चाहे जहाँ से आये हों और चाहे जहाँ विलुप्त हो गये हों-उनकी उपलब्धियाँ महान थी तथा केवल अपने समय में ही नहीं वरन् आधुनिक समय के लिये भी उन्होंने अनेक अनुकरणीय मानदण्ड स्थापित किये। सिन्धु सभ्यता तथा संस्कृति के निर्माता या निवासियों के निश्चितीकरण के विषय में, अभी हमारा मौन ही रहना अधिक सराह्य तथा उचित होगा।

इतिहास – महत्वपूर्ण लिंक

Disclaimer: sarkariguider.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- sarkariguider@gmail.com

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *